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ह्वांगफू नदी व छन ख्वांग म्याओ का भ्रमण
2010-08-24 14:47:04

आज हम एक्सपो से बाहर यानी शांगहाई में अपने कुछ अनुभव व भ्रमण के बारे में बताएंगे।

पिछले कुछ दिनों से हम लगातार शांगहाई एक्सपो का दौरा कर रहे थे, लेकिन 20 अगस्त को मैंने शांगहाई में कुछ दर्शनीय स्थल घूमने की सोची। हालांकि मेरे विभाग के सहयोगी श्यायोयांग जी व श्यायो थांग जी एक्सपो में कुछ पैवेलियनों को देखने गए। जिसमें कुछ यूरोपीय व अन्य पैवेलियन शामिल थे। लेकिन मैं सुबह नाश्ता करने के बाद छन ख्वांग म्यायो यानी छन ख्वांग मंदिर व उसके आसपास के पर्यटक स्थलों के भ्रमण पर निकल पडा। जब मैंने अपनी योजना के बारे में अपने सहयोगियों को बताया तो उन्हें थोडा अचरज हुआ, उन्हें लगा कि मेरी चीनी भाषा बहुत कमजोर है शायद मैं रास्ता भटक जाऊंगा। जब मैंने बताया कि मेरे साथ कुछ चीनी व भारतीय मित्र भी वहां आएंगे तो उन्हें थोड़ा संतोष हुआ। फिर भी उन्होंने कहा कि अच्छी से जाएं और कोई परेशानी होने पर हमें फोन कर सकते हैं।

सुबह करीब साढ़े नौ बजे मैं हांनथिंग होटल से बाहर निकला और नजदीक से टैक्सी लेने के लिए गया। जैसा कि मैं पहले से ही जानता था कि मुझे आने-जाने में मुश्किल हो सकती है, इसलिए पहले ही तैयारी की थी। मैंने अपने दोस्तो से छन ख्वांग मंदिर का पता पूछा था और होटल के एक कर्मचारी से चीनी मंदेरिन भाषा में लिखवा लिया। उस पते को मैंने टैक्सी चालक को दिखाया वह मुझे नियत स्थान की ओर ले गया। शायद उसे लगा कि मुझे चीनी बेहतर ढंग से आती है वह मुझसे बात करने लगा। मैंने कहा मैं नहीं समझा चीनी में व पू मिंग पाय। उसके बाद उसने मुझसे दूसरा सवाल किया तो मैंने जवाब दिया कि व श इंदू रेन यानी मैं भारतीय हूं। उसके बाद मेरी टैक्सी ड्रायवर से उस समय तक कोई बात नही हुई जब तक कि मेरा उतरने का समय नहीं हो गया। उसने मुझे चीनी में टैक्सी का किराया बताया, हालांकि इतना थोड़ा बहुत मैं समझने लगा हूं। मैंने उससे रसीद यानी फा प्याव मांगी और उसके बाद उतर गया।

लगभग दस बजे मैं छन ख्वांग म्याओ पहुंच गया था, लेकिन मेरे साथियों को सबवे यानी मेट्रो से आने में कुछ देर हो गई और मैं आसपास खुद ही घूमने लगा। तभी मेरे सामने एक चीनी युवक घड़ी खरीदने का आग्रह करने लगा। उसने मुझे कुछ ब्रांडेड घड़ियों के नाम दिखाए, लेकिन मैंने कहा मुझे नहीं चाहिए। वह अपनी टूटी-फूटी अंग्रेजी में घड़ियों की खूबियां बताने लगा। मैंने आखिर में उससे कहा कि मुझे जरूरत नहीं है तो वह चला गया।

उसके कुछ समय बाद मेरे दोस्त वहां पहुंच गए और हम उस इलाके में पैदल घूमने लगे। एक्सपो में लोगों की भारी भीड़ देखकर मुझे लगा था कि शायद सभी लोग यहां आ गए हैं। लेकिन छन ख्वांग म्याओ जाकर देखा कि वहां भी बड़ी तादाद में पहुंचे हैं। हालांकि हम भीड़भाड़ के बीच चल ही रहे थे कि पास में सांपनुमा पुल आया, बताया जाता है कि वह काफी पुराना है। वहां भी भारी भीड़ देखकर मैंने अपने दोस्तो से किसी शांत जगह पर चलने को कहा तो उनका जवाब था शांगहाई में शायद ही कोई जगह हो जहां भीड़ न हो। उसके बाद हम पास की सड़क से होते हुए ह्वांगफू नदी देखने के लिए चल पड़े। हालांकि गर्मी बहुत थी लेकिन मैंने उस नदी के बारे में काफी सुना था इसलिए मैं वहां हर हाल में जाना चाहता था। चिलचिलाती धूप के बीच हम ह्वांगफू के किनारे पहुंचे तो वहां भी काफी लोग थे, मगर अपेक्षाकृत कुछ कम। वहां का दृश्य वाकई बहुत सुंदर था और नदी के आसपास बड़ी-बड़ी इमारतें शांगहाई के विकास की कहानी बयान कर रही थी। उन बहुमंजिली इमारतों में शांगहाई की सबसे बड़ी इमारत जिसे विश्व वित्तीय केंद्र के नाम से भी जाना जाता है, शामिल थी। यह इमारत 88 मंजिल ऊंची बतायी जाती है। पास में एक बैंक व होटल वाली गगनचुंबी बिल्डिंग दिखी वह भी काफी आकर्षक लग रही थी। इसके अलावा टीवी टावर भी अपने आप में अलग नजर आ रहा था।

वहां पहुंचकर लगा वास्तव में गर्मी में घूमना कोई बड़ी बात नहीं है, क्योंकि इतना आकर्षक नजारा था कि दिल खुश हो गया। ह्वांगफू के पश्चात हम 1930 में बनी शांगहाई फूड स्ट्रीट पहुंचे जो कि भूमिगत है। वहां कई तरह के रेस्टोरेंट हैं, उनमें आपको पसंद का खाना मिल ही जाता है। लंच करने के बाद हम वर्ष 1952 में निर्मित शांगहाई के सबसे बड़े पार्क जिसका नाम पीपुल्स पार्क पहुंचे। जो कि डेढ़ लाख वर्ग मीटर में फैला है। इसकी डिजायन मशहूर लैंडस्केपिंग विशेषज्ञ छंग श फू ने तैयार किया था। इस पार्क में कई झूलों के अलावा काफी पेड़ पौधे और फूल भी है। हर तरफ हरियाली नजर आती है। पार्क बड़ा होने के कारण लोग दूर-दूर थे और हमने सुकून से पार्क का दौरा किया।

इस तरह मेरा एक्सपो के बाहर का दौरा बहुत अच्छा रहा।

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