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10-08-12
2010-08-12 15:43:44

यह चाइना रेडियो इंटरनेशनल है। श्रोता दोस्तो, न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम में, मैं हेमा कृपलानी आप सब का हार्दिक स्वागत करती हूँ। अपनी आज़ादी को हम हरगिज मिटा सकते नहीं, सर कटा सकते हैं लेकिन सर झुका सकते नहीं। आज़ादी अपनी सोच की, आज़ादी अपने निर्णय खुद लेने की, आज़ादी कुछ बनने की, आज़ादी वह करने की जो हम करना चाहते हैं, आज़ादी वह सब पाने की जो हमारा हक है, आज़ादी अपने सपनों को साकार करने की। इस ज़स्बे के साथ सभी श्रोताओं को न्यूशिंग स्पेशल की ओर से स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।आइए हर त्योहार की तरह इस राष्ट्रीय पर्व पर कुछ ऐसा करें जो अलग हो, हट कर हो। किसी उदास चेहरे पर मुस्कान खिलाए, किसी ज़रुरतमंद की मदद करें, कुछ ऐसा करें जिससे एक दिन हम प्रदूषण फैलाने के जिम्मेदार न हों, एक पौधा लगाए, अपने बच्चों को देश की आज़ादी के लिए हुए शहीद वीर-जवानों के बारे में बताएँ। कुछ ऐसा जिसे कर हमें खुद पर, देश पर गर्व हो।

चलिए, इसी के साथ हम अपना कार्यक्रम शुरु करते हैं। इस कार्यक्रम में हम आपको महिलाओं से जुड़े हुए विभिन्न पहलुओं के बारे में जानकारी देंगे। चीन की जीवन-शैली से लेकर, सेहत-सौंदर्य, शापिंग, सैर-सपाटा, सजावट, पाक-कला इत्यादि जिससे आपको यहाँ के जीवन के बारे में और अधिक जानने को मिले। हमें पूरा विश्वास है कि इस कार्यक्रम में बताएँ गए घरेलू उपाय,टिप्स या रेसिपिस आपको पसंद आ रहे होंगे तथा स्वादिष्ट पकवान बनाकर और सौंदर्य टिप्स अपनाकर आप को ज़रूर फायदा हो रहा होगा।

श्रोताओ, आज हम बात करते हैं, आँखों के बारे में, ईश्वर का दिया अनमोल उपहार है, ये हमें। इसकी सही तरह से देखभाल करना हमारे लिए बेहद ज़रुरी है। कभी-कभी मौसम में बदलाव के कारण कुछ समस्याएँ हो जाती हैं, जैसे कि आँख आना(कंजंक्टिवाइटस), या छोटे-मोटे आँखों के इंफेक्शन जो इलाज के बाद ठीक हो जाते हैं। लेकिन आज हम आँखों की जिस समस्या के बारे में बात कर रहे हैं वह कैसे होती है इसके कारण के बारे में अभी तक ठीक तरह से बताया नहीं जा सकता। हम जिस समस्या के बारे में बात कर रहे हैं, उसे टेरिजियम कहा जाता है। यह आँख के सफेद भाग की एक पतली परत आँख के ऊपर आ जाती है, यानि एक प्रकार का टिशु जो आँख के ऊपर बढ़ कर आता है। यह एक या दोनों आँखों में हो सकता है। लक्षण- टेरिजियम का प्राथमिक लक्षण एक बुलंद सफेद परत जो पीड़ारहित होती है। कॉर्निया के क्षेत्र में भीतर या बाहरी किनारे पर रक्त वाहिकाओं के साथ होती है। कारण और जोखिम - इसके कारण अज्ञात है, लेकिन यह उन लोगों में आम देखा जाता है, जो अधिक से अधिक धूप और हवा में बाहर काम करते हैं यानि खुले में, आउटडोर उनका काम होता है। मुख्य कारणों में धूप, धूल, रेत,या जहाँ रेतीली आँधी चलती है, उन क्षेत्रों में रहने वालों के लिए जोखिम अधिक है। किसान, मछुआरे, और भूमध्य रेखा के पास रहने वाले लोग इससे अक्सर प्रभावित होते हैं। टेरिजियम बच्चों में नहीं पाया जाता। आँखों और पलकों की शारीरिक परीक्षा-निदान की पुष्टि करती है। आमतौर पर विशेष परीक्षण आवश्यक नहीं है। उपचार - टेरिजियम के लिए कोई इलाज की आवश्यकता नहीं होती जब तक इसकी वजह से दृष्टि में कोई परेशानी न आए, या देखने में कोई कष्ट न हो। तो यह सर्जरी से हटा दिया जाना चाहिए। सुरक्षात्मक चश्मा पहन लेना और ऐसी टोपी जिससे धूप सीधी आपकी आँखों में न पड़े इसे रोकने या वापस लौटने की स्थिति से बचा जा सकता है। जटिलताएँ- टेरिजियम को एक बार हटाने के बाद यह फिर से लौट सकता है। निवारण- यदि पराबैंगनी प्रकाश से आंखों की रक्षा की जाए तो इस स्थिति को रोकने में मदद मिल सकती है। तो अपनी आँखों का रखिए पूरा ख्याल, इनकी देखभाल में किसी प्रकार की लापरवाही न बरतें। अब तैयार हो जाइए पेपर और पेन के साथ और नोट कीजिए अपनी आँखों की देखभाल करने के कुछ आसान से टिप्स।

1. सुबह उठते ही प्रतिदिन ठंडे पानी से आँखें धोनी चाहिए। अथवा त्रिफला या नीम की पत्ती रात में पानी में भिगो दें,इस पानी को छानकर आँखें धोने से नेत्र ज्योति बढ़ती है।

2. हरी ताजी सब्जियाँ, गाजर, चुकंदर व दूध से बने पदार्थ घी आदि के सेवन से आँखों की रोशनी बढ़ती है।

3. धूल या मिट्टी आँख में पड़ जाए तो आँखों को मसलना नहीं चाहिए। धीरे-धीरे आँखें खोलने या बंद करने से या ठंडे पानी के छींटे देने से धूल के कण आसानी से निकल जाते हैं।

4. आँखों को बार-बार ऊपर-नीचे, दाँए-बाँए, तिरछा और गोल घुमाकर आँखों का व्यायाम करें।

5. अधिक देर तक पढ़ते-लिखते रहने से आँखें दुखने लगती है। बीच-बीच में अपनी हथेलियों को हल्के से आँखों पर रखें।

6. पढ़ते या लिखते समय प्रकाश हमेशा उचित मात्रा में, पीछे या बाँए तरफ से आना चाहिए। सामने से प्रकाश आने पर आँखें जल्दी थक जाती है।

7. किताब 12 से 15 इंच की दूरी पर रखनी चाहिए और पढ़नी चाहिए।

8. यदि आंखें बहुत थक जाए तो भी उन्हें कभी मसलना नहीं चाहिए, ऐसा करने से आँखों के मसल्स कमज़ोर हो जाते हैं।

आँखों की देखभाल के बाद आज हम बात करते हैं त्वचा के बारे में। सुंदर कौन नहीं लगना चाहता। त्वचा सुंदर बनाने के लिए उसकी देखभाल ज़रुरी है। हमारी त्वचा तेज़ हवा, धूप, प्रदूषण से प्रभावित होती है। केवल इनसे ही नहीं हमारी त्वचा पर खान-पान, हमारे आहार, आचार-विचार सबका असर पड़ता है, तभी तो कहते हैं कि आपकी त्वचा आपके स्वास्थ्य का आइना है। आप स्वस्थ है, प्रसन्न हैं या परेशान या बीमार यह सब आपकी त्वचा पर साफ झलकता है। त्वचा चाहे कैसी भी हो उसकी उचित देखभाल करना बहुत ज़रूरी है। इसकी साफ-सफाई पर ध्यान देना बहुत ज़रूरी है क्योंकि सब ठीक होने के बावजूद यदि त्वचा साफ नहीं है तो भी कई समस्याएँ हो सकती हैं। आजकल बाज़ार में त्वचा की देखभाल के लिए अनगिनत सौंदर्य प्रसाधन मौजूद हैं, जिनके इस्तमाल से आसानी से त्वचा की देखभाल की जा सकती है, लेकिन उनकी कीमतें जेब पर भारी पड़ती हैं। तो आज हम आपको घर पर ही त्वचा की साफ-सफाई करने वाले क्लींजरस बनाने का आसान, सस्ता, टिकाऊ तरीका बताते हैं। जो हमारी जेब पर भी भारी नहीं पड़ता और त्वचा के लिए भी सौम्य है, जिनमें किसी प्रकार के कोई केमिक्लस नहीं। तो देर किस बात की पेपर, पेन तैयार है, नोट करें त्वचा की सफाई के लिए क्लींजर घर में कैसे बनाएँ।

1. 1 कप कच्चा दूध और 2 नीबू का रस एक साथ मिलाकर फ्रिज में रखें रुई की सहायता से चेहरे पर लगाएँ और हल्के दबाव के साथ गोलाई में घुमाते हुए चेहरे की त्वचा साफ करें। यह तैलिय त्वचा के लिए बढ़िया क्लींजर साबित होता है।

2. गुलाबजल और नीबू का रस चेहरे पर लगाए और सूखने पर रुई को गीला कर साफ कर लें।

3. मूली, गाजर और नीबू का रस बराबर मात्रा में ले कर चेहरे पर लगाएँ। सूखने पर गुनगुने पानी से धो लें।

4. छाछ को भी चेहरे की सफाई के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। छाछ सूखने तक चेहरे पर लगा कर रखें। रुई को गुनगुने पानी में निचोड़ कर उससे चेहरे को पोंछें।

तो श्रोताओ,देखा कैसे घर बैठे मिनटों में बन गया त्वचा की सफाई के लिए क्लींजर। तो आप भी इसे बनाए, इसे इस्तमाल करें और हमें बताएँ कि आपको कैसा लगा। हम इंतज़ार कर रहें हैं आपके पत्रों का।

कुछ दिन पहले एक बहुत ही बढ़िया जानकारी मिली किसी समाचार पत्र से कि- हिन्दी पढ़ने से दिमाग तेज़ होता है।

राष्ट्रीय मस्तिष्क अनुसंधान केन्द्र की ‍‍साइंस मैग्जीन करंट ‍साइंस में प्रकाशित एक रिसर्च का कहना है कि अँग्रेजी पढ़ते समय दिमाग का सिर्फ बायाँ हैमिस्फैयर सक्रिय रहता है जबकि हिन्दी पढ़ते समय मस्तिष्क के दोनों हैमिस्फैयर सक्रिय हो जाते हैं। इससे दिमाग तरोताजा रहता है। ऐसा इसलिए होता है कि हिन्दी के शब्दों में ऊपर, नीचे और दाएँ-बाएँ लगी मात्राओं के कारण दिमाग को इसे पढ़ने में अधिक कसरत करनी पढ़ती है।

दिमाग को तेज बनाने के लिए यूँ तो हिन्दी को पढ़ना भर काफी है। लेकिन इसका बेहतर इस्तेमाल करने के लिए अपनी रूचि के अनुसार आप कोई कविता, कॉमिक्स, चुटकुले या फेवरेट हिन्दी साइट या पोर्टल लॉगिन कर सकते हैं। आप बातचीत में हिन्दी के लोकप्रिय मुहावरे और कहावतों का प्रयोग करना शुरू कर दीजिए। बस, तो देर किस बात की हिन्दी पढ़ने के लिए हमारी सी.आर.आई की वेबसाइट से शुरुआत कीजिए, हिन्दी पढ़िए और बनाइए अपने दिमाग को तेज़। वाकई, हैं न बढ़िया खबर।

श्रोताओं, आपको हमारा न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम का यह उन्नीसवा क्रम कैसा लगा। हम आशा करते हैं कि आपको पसंद आया होगा। आप अपनी राय व सुझाव हमें ज़रूर लिख कर भेजें, ताकि हमें इस कार्यक्रम को और भी बेहतर बनाने में मदद मिल सकें। क्योंकि हमारा न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम आप से है, आप के लिए है, आप पर है। माफी मांगना और माफ करना दोनों ही इंसानी व्यक्तित्व को परिपूर्ण करने वाले तत्व हैं। । इसी संदेश के साथ हमारा न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम यहीं समाप्त होता है। आप नोट करें हमारा ई-मेल पताः hindi@cri.com.cn । आप हमें इस पते पर पत्र भी लिख कर भेज सकते हैं। हमारा पता हैः हिन्दी विभाग, चाइना रेडियो इंटरनेशनल, पी .ओ. बॉक्स 4216, सी .आर .आई.—7, पेइचिंग, चीन , पिन कोड 100040 । हमारा नई दिल्ली का पता हैः सी .आर .आई ब्यूरो, फस्ट फ्लॉर, A—6/4 वसंत विहार, नई दिल्ली, 110057 । श्रोताओं, हमें ज़रूर लिखयेगा। अच्छा, इसी के साथ मैं हेमा कृपलानी आप से विदा लेती हूँ इस वादे के साथ कि अगले हफ्ते फिर मिलेंगे।

तब तक प्रसन्न रहें, स्वस्थ रहें। नमस्कार

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