यह चाइना रेडियो इंटरनेशनल है। श्रोता दोस्तो, न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम में, मैं हेमा कृपलानी आप सब का हार्दिक स्वागत करती हूँ। हमें पूरा विश्वास है कि इस कार्यक्रम में बताएँ गए घरेलू उपाय,टिप्स या रेसिपिस आपको पसंद आ रहे होंगे तथा स्वादिष्ट पकवान बनाकर और सौंदर्य टिप्स अपनाकर आप अपने परिवार से खूब तारीफें बटोर रही होंगी। चलिए, आज का कार्यक्रम शुरु करते हैं।
लाइफ में हमें कई तरह के लोगों से मिलना-जुलना पड़ता है। हर व्यक्ति का अपना अलग नेचर(स्वभाव) होता है, मेंटेलिटी(सोच) होती है। कितनी बार हम किसी ऐसे व्यक्ति से मिलते हैं जो बहुत खुशमिजाज या मजाकिया किस्म के होते हैं। उनसे मिलकर ऐसा लगता है कि हम उन्हें पहले से जानते हैं, ऐसे लोगों के मित्र भी जल्दी बन जाते हैं। सब उनसे मिलना-जुलना पसंद करते हैं। ठीक उसके विपरीत कुछ ऐसे लोग भी मिलते हैं, जो ज्यादा बात नहीं करते, किसी से जल्दी घुलते-मिलते नहीं, अपने आप में रहते हैं,जिन्हें अंग्रेज़ी भाषा में रिसर्व किस्म के व्यक्ति कहते हैं। उनसे मिलकर ऐसा लगता है कि वे कम बोलते हैं या हम ज़रुरत से ज्यादा। हम उन्हें उनके स्वभाव के कारण अच्छे या बुरे इंसान के कठघरे में खड़ा नहीं कर सकते। कम बोलने में कोई बुराई तो नहीं या अधिक खिलखिलाने में कोई खास विशेषता नहीं। यह तो नेचर(स्वभाव) की बात है, ठीक उसी तरह जैसे किसी व्यक्ति की लंबाई ज्यादा तो किसी की कम। पर कई बार हमारा बिहेवियर खुद हमें ही परेशानी में डाल देता है। खासकर तब जब हम कम बातें करने वाली महिलाओं की श्रेणी में आती हों। यह अलग बात है कि महिलाओं को बातूनी कहा जाता है, पर वास्तव में ऐसा नहीं होता। लेकिन जब कोई महिला कम बात करती है तो परिवार से लेकर सगे-संबंधियों में वह चर्चा का विषय बनी रहती है। अगर परिवार वाले उसके स्वभाव को नहीं जानते तो ससुराल में, सगे-संबंधियों में उसे घमंडी, खुद पर इतराने वाली जैसे विशेषण जोड़ दिए जाते हैं और अगर कामकाजी हों तो दफ्तर में भी घुन्नी, शातिर, चालाक या फिर फिसड्डी जैसी परिभाषाएँ मिल जाती हैं। ऐसे लोग बोरिंग कहलाते हैं, और उनके मित्र भी कम होते हैं। अगर ऐसी किसी समस्या का सामना न किया हो तो खुद से जंग चलती ही रहती है। क्योंकि, कुछ भी कहें, जल्दी घुलने-मिलने वालों से कभी-कभी ईर्ष्या तो होती है। कम बात करना एक आदत है या हमारा स्वभाव, क्योंकि ऐसे लोग किसी पार्टी में जाएँ, चार लोगों के बीच बैठे या किसी सगे-संबंधी के घर,कुछ देर बाद केवल दूसरों की बातें सुनते हुए ही पाए जाते हैं। ऐसा नहीं कि वे बोलना नहीं चाहते या किसी से बात नहीं करना चाहते। वे बस कम बोलते हैं, आप उनसे जो कहें या पूछें आपको केवल उसका उत्तर मिलता है। आप कहेंगे, सब लोग ऐसा ही करते हैं, तो मैं आपको बताती हूँ, आमतौर पर ऐसा नहीं होता। उदाहरण के लिए अगर हम एक सवाल कम बोलने वालों से पूछें कि आप आज सैर करने पार्क में नहीं आईं, तो जवाब मिलेगा नहीं। इसके आगे कुछ नहीं जब तक आप अगला सवाल नहीं पूछे। इसके विपरीत अगर दूसरी श्रेणी से यहीं सवाल पूछा जाए तो आपको इसके साथ-साथ कारण जानने को भी मिलेगा। या अगर कम बोलने वालों से पूछा जाएँ कि सब कैसा चल रहा है तो जवाब फिर वहीं होगा- सब ठीक, इसके विपरीत अगर दूसरी श्रेणी से यहीं सवाल पूछा जाए तो। आप समझ गए होंगे। बुराई किसी में नहीं क्योंकि देखा जाए तो बात से बात निकलती है, बातों से रिश्ते जुड़ते हैं। लोग हमारा स्वभाव जान पाते हैं। पर क्या करें अगर हम ज़्यादा बातें नहीं करते। मैं आपसे आपको अपना स्वभाव बदलने के लिए कतई नहीं कहूँगी क्योंकि फिर आप वो नहीं रहेंगे जो आप हैं। तो क्या भूल जाएँ इस बात को। जी नहीं, अगर हम अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में कुछ सिंपल बातों का ध्यान रखें तो एक कूल, सक्सेसफुल और हैप्पी लाइफ का मजा ले सकते हैं वही बनकर जो हम हैं। तो आप मुस्कराहट को हमेशा अपने चेहरे का साथी बनाए रखें। यह एक ऐसी प्रोसेस है- जो आपके व्यवहार की सरलता, कुशलता दर्शाती हुई दूसरों को आपसे जोड़ती है। क्योंकि जो लोग आपके स्वभाव को नहीं जानते वे इसी भ्रम में रहते हैं कि आप अपने आप को दूसरों से ज्यादा स्मार्ट, बुद्धिजीवी, सुंदर, सफल, श्रेष्ठ और न जाने क्या-क्या समझते हैं। सवाल उठता है कि आप उन्हें कैसे हैंडल करते हैं। यह अच्छी तरह जान लें कि सबसे बड़ी दौलत है आपका और आपके परिवार का हेल्दी और हास्यपूर्ण जीवन जीना। हँसना, मुस्कुराना आपकी आधी परेशानियों को वहीं खत्म कर देता है। कम बोलने का यह मतलब कतई नहीं होता कि चेहरे पर मुस्कान न खिली रहें, आप से जो भी आगे बढ़कर बात करना चाहे वो यह न समझ लें कि आप गुस्सैल या अकड़ू हैं। तो हँसिए, हंसाइए, मुस्कुराइए जीवन जीना आसान लगेगा। अब आप की बारी है, मुझे यह बताना कि आप मुझसे सहमत हैं कि नहीं। तो देर मत कीजिए और हमें लिख भेजिए अपनी राय। प्लीज़, जल्दी कीजिए क्योंकि मैं आपके पत्रों का बेसब्री से इंतज़ार कर रही हूँ।
श्रोताओं, हम अक्सर टी.वी. पर, रेडियो पर टूथब्रश के विज्ञापन देखते व सुनते हैं कि फ़ला टूथब्रश दाँतों को, मसूड़ों को साफ करेगा, फ़ला टूथब्रश मुँह की सभी परेशानियों से हमारी रक्षा करेगा, पीले दाँतों को सफेद कर देगा,इत्यादि- इत्यादि। लेकिन टूथब्रश या टूथपेस्ट कितना ही अच्छा क्यों न हों यदि हमें ब्रश करने का सही तरीका नहीं आता तो बेहतरीन से बेहतरीन, महंगे से महंगा टूथब्रश कुछ नहीं कर सकता। तो चलिए आज के इस कार्यक्रम में हम आपको बताते हैं- कैसे करें ब्रश
1. कभी भी ज्यादा जोर से या रगड़कर ब्रश न करें।
2. ब्रश करने की अवधि एक से तीन मिनट के बीच रखें।
3. ब्रश पर ज्यादा टूथपेस्ट लेने की भी आवश्यकता नहीं है। ज़रा- सा टूथपेस्ट भी उतना ही काम करेगा जितना ढेर सारा।
4. ऊपर के दाँतों को दोनों तरफ से ऊपर से नीचे की तरफ साफ करें।
5. नीचे के दाँतों को नीचे से ऊपर की तरफ आगे-पीछे से साफ करें।
6. ब्रश को दाएँ-बाएँ घुमाने से मसूढ़ों को क्षति पहुँचती है।
7. दाँतों के बीच में फँसे अन्नकणों को निकालने के लिए फ्लास किया जाना चाहिए। यह एक सिल्क का धागा होता है, जो दाँतों के बीच जमे फ्लाक को भी निकालता है।
8. दाँतों को ब्रश करने के बाद पूरे मुँह में, मसूढ़ों पर उँगली से मालिश करनी चाहिए और उन्हें ऊपर के दाँतों पर नीचे की तरफ और नीचे के दाँतों को ऊपर की तरफ हल्के हाथ से थोड़ा दबाना चाहिए।
अब बात करते हैं-- टूथब्रश के रखरखाव के बारे में।
1. प्रत्येक दो माह में अपना टूथब्रश बदल लें।
2. घर के सभी सदस्यों के टूथब्रश अलग-अलग हों।
3. सभी सदस्यों के टूथब्रश एकसाथ एक ही जगह पर न रखें।
4. टूथब्रश को ऐसी जगह रखें, जहाँ उन पर धूल-मिट्टी न जमे।
5. टूथब्रश को इस्तेमाल करने से पूर्व 10 मिनट ठंडे पानी में भिगोएँ।
6. कभी भी गर्म पानी में टूथब्रश को न भिगोएँ अन्यथा उसके तंतु कड़क हो जाएँगे।
7. नए टूथब्रश को इस्तेमाल करने से पूर्व कुछ घंटे पहले ठंडे पानी में भिगोएँ।
श्रोताओं, ये बातें बहुत छोटी-छोटी होती हैं, लेकिन हमारे स्वास्थ्य पर इनका बहुत असर पड़ता है। तो आप भी इन छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखें और रहें स्वस्थ, निरोगी।
फैशन की दुनिया पर नज़र डालते हैं। यहाँ बिजिंग में आजकल बहुत गरमी पड़ रही है। इसलिए खान-पान से लेकर पहनावे में सब कुछ कूल और बदला हुआ है, होना भी चाहिए क्योंकि यहाँ जब 6 महीने ठंड पड़ती है तो साल के ये कुछ महीने ही अपनी पसंद के कपड़े, जूते, चप्पलें पहनने का मौका कौन गवाँना चाहता है। अब जब गरमी का मौसम है तो बालों का स्टाइल बदलने का मौका भी है। गर्मियों और उमस के मौसम में बाल भी कम मुसीबत नहीं होते। पसीने से तरबतर सिर, गले और माथे पर चिपचिपाहट की समस्या अलग। साथ में लम्बे बालों को धोने-सुखाने का झंझट। इन सब से बचने के लिए युवतियाँ और महिलाएँ छोटे बालों वाली हेयर स्टाइल अपना रही हैं। चूँकि छोटे बालों में भी तरह-तरह के डिजाइनर और स्टाइलिश हेयर कट आ गए हैं इसलिए युवतियाँ और महिलाएँ छोटे बालों से कतराती नहीं। खासतौर पर गर्मी और उमस के दिनों में छोटे बाल रखने की पृवत्ति चल रही है। चाहे स्कूल-कॉलेज की छात्राएँ हों या ऑफिस जाने वाली कामकाजी महिलाएँ सब को गर्मियों के दिनों में छोटे बाल अच्छे लगते हैं। यहाँ रहने वाली भारतीय युवतियाँ और महिलाएँ भी छोटे बालों वाली हेयर स्टाइल अपना रही हैं। पहले माना जाता था कि छोटे बाल सारी लड़कियों पर सूट नहीं करते। मगर अब ऐसा नहीं रहा।हर तरह की फेसकट के लिए हेयर स्टाइल आ गए हैं। किसी भी उम्र की महिला छोटे बालों वाली हेयर स्टाइल में जँच सकती है। यही नहीं, सा़ड़ी हो या सलवार सूट या जींस टी-शर्ट, छोटे बाल आजकल सभी पर फबते हैं। मुझे लगता है कि हम सब कभी-न-कभी अपने बालों के स्टाइल को बदलना चाहते हैं पर डरते हैं कि अगर यह हमारे चेहरे पर फबेगा नहीं तो मज़ाक का पात्र बन जाएँगे। अब लाइफ तो रिस्क लेने का नाम है, एक बार कोशिश कर देखिए क्या पता यह हमें सूट करें। हाँ, पर इस बात का ध्यान ज़रूर रखिएगा कि आप अपने बाल अपने फेसकट के अनुसार ही कटवाएँ और इस नई लुक में पूरे आत्मविश्वास के साथ बाहर निकलें क्योंकि अगर बाल कटवाने के बाद आप सुंदर भी दिखें लेकिन आपके दिल में यह बात आ गई कि आप अच्छी नहीं लग रही हैं तो यह नया रूप आपका आत्मविश्वास बढ़ाने की जगह घटा देगा। ऐसा न होने दें अपने साथ, जाइए अपने आप को खुश कीजिए, खुद से लाड-प्यार कीजिए और हमें जरूर बताइएगा कि आप पर नया हेयर कट कैसा लग रहा है और कितनी तारीफें बटोरी आपने।
श्रोताओ, आपको हमारा न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम का यह पंद्रहवा क्रम कैसा लगा। हम आशा करते हैं कि आपको पसंद आया होगा। आप अपनी राय व सुझाव हमें ज़रूर लिख कर भेजें, ताकि हमें इस कार्यक्रम को और भी बेहतर बनाने में मदद मिल सकें। क्योंकि हमारा न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम आप से है, आप के लिए है, आप पर है। किसी ने एक सवाल पूछा कि ईश्वर तो हर जगह है, तो मंदिर क्यों हैं?किसी विद्वान ने कहा ------- ठीक उसी तरह जैसे हवा तो हर जगह है लेकिन महसूस करने के लिए पंखा चाहिए। इसी संदेश के साथ हमारा न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम यहीं समाप्त होता है। आप नोट करें हमारा ई-मेल पताः hindi@cri.com.cn । आप हमें इस पते पर पत्र भी लिख कर भेज सकते हैं। हमारा पता हैः हिन्दी विभाग, चाइना रेडियो इंटरनेशनल, पी .ओ. बॉक्स 4216, सी .आर .आई.—7, पेइचिंग, चीन , पिन कोड 100040 । हमारा नई दिल्ली का पता हैः सी .आर .आई ब्यूरो, फस्ट फ्लॉर, A—6/4 वसंत विहार, नई दिल्ली, 110057 । श्रोताओ, हमें ज़रूर लिखयेगा। अच्छा, इसी के साथ मैं हेमा कृपलानी आप से विदा लेती हूँ इस वादे के साथ कि अगले हफ्ते फिर मिलेंगे।
तब तक प्रसन्न रहें, स्वस्थ रहें। नमस्कार