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10-07-01
2010-07-01 15:57:10

यह चाइना रेडियो इंटरनेशनल है। श्रोता दोस्तो, हर सप्ताह की तरह आज भी न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम में, मैं हेमा कृपलानी आप सब का हार्दिक स्वागत करती हूँ। श्रोताओं, तेरह हफ्ते आपके साथ बातें करने में कैसे पूरे हो गए पता ही नहीं चला। पूरी उम्मीद करती हूँ, कि आपको मेरी तरह हर सप्ताह न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम का इंतज़ार रहता होगा। हम न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम में महिलाओं से जुड़े हुए विभिन्न पहलुओं के बारे में ढेर सारी बातें करते हैं। यहाँ चीन में क्या-क्या होता है, इन सब की जानकारी हम आपको देते रहते हैं। जिससे आपको यहाँ के जीवन के बारे में और अधिक जानने को मिले।

एक साल पहले जब हम बिजिंग आए थे। तब से लेकर आज तक मैंने अनगिनत अंतर देखे हैं संस्कृतियों में, भारत- जहाँ मैं पली-बड़ी हुई और उन लोगों में जो अब मेरे आसपास हैं। एक विशेष खूबी जो मैंने यहाँ के लोगों में देखी है, वह है बिजिंग के लोगों का व्यायाम की ओर रुख। मैंने पहले कभी लोगों को फिट रहने के लिए इतना खुश नहीं देखा।

मुझे गलत न समझे, मैं भी कभी-कभी व्यायाम करती हूँ। जब मेरा दिल करता है या फिर जब मुझे लगता है कि मेरा वजन टी.वी के सामने बैठ-बैठ कर बढ़ता जा रहा है। पूरे उत्साह के साथ मैं अपने जौगिंग के कपड़े और जूते निकाल कर घर से निकल पड़ती हूँ पर जितने उत्साह के साथ मैं घर से जाती हूँ उतना ही जल्दी मेरा जोश ठंडा पड़ जाता है। जौगिंग छोड़ मैं चलना शुरु कर देती हूँ और पसीने से लत-पत हांफती रहती हूँ और मेरे आसपास गुज़रने वाले लोग जब मुझे देखते हैं तब ऐसा महसूस होता है कि वे कह रहे हों कि तुम नियमित रुप से व्यायाम नहीं करती हो और तुम्हें अपना वजन कम करना चाहिए।

मुझे लगता है कि वास्तव में मैं इतना व्यायाम नहीं करती हूँ जितना की व्यायाम करना चाहिए, इस बारे में अधिक सोचती हूँ।

हालांकि बिजिंग में मैंने खासतौर पर बुजुर्गों का व्यायाम की ओर एक अलग दृष्टिकोण देखा है। वे इसे एक सामाजिक गतिविधि मानते हैं तथा सुन्दर रुप से करते हैं। मेरे घर के पास एक खाली मैदान है जहाँ सुबह-शाम दोनों समय कई चीनी बुजुर्ग मिलकर व्यायाम करते रहते हैं या वहाँ लगे व्यायाम के उपकरणों पर मज़े से बातें करते हुए व्यायाम करते रहते हैं। यह देखकर मैं सोचने पर मज़बूर हो जाती हूँ कि कितना अंतर है हमारे दृष्टिकोणों में व्यायाम को लेकर। हम व्यायाम को अन्य कार्यों की तरह एक काम ही मानते हैं और जब डॉक्टर हमें सलाह देते हैं कि अगर आपने अपना वजन कम नहीं किया तो हमें किन-किन परेशानियों को झेलना पड़ेगा। यहाँ केवल दृढ़ संकल्प, एकाग्रता और ड्राइव की आवश्यकता होती है और कुछ नहीं।

यह आसानी से समझ में आ जाता है, क्यों हम ऐसा सोचते हैं।एक तो हमारा भोजन में तेल, चिकनाई की मात्रा ज़्यादा होती है और इन सब के बाद हम जानते हैं कि ट्रेडमिल का उपयोग करने के कई लाभ हैं, स्वास्थ्य के लिए, लेकिन इसमें कैसा आनन्द कि हम केवल चल ही रहे हैं कहीं पहुँच नहीं रहे।

इसके विपरीत, चीनी लोग व्यायाम को पूरी तरह से अलग दृष्टिकोण से देखते हैं। उनके लिए यह एक सामाजिक गतिविधि है। वे किसी पार्क में व्यायाम करने को बिल्कुल उसी प्रकार एक सामाजिक गतिविधि मानते हैं जैसे हम शादी-ब्याह या किसी रिश्तेदार के घर मिलने जाते हैं। हालांकि वे हमारी तरह चाय का कप और समोसे लेकर गप्पे मारने की बजाय शारीरिक रूप से व्यायाम करते हैं। जो ज्यादा बेहतर है।

चीनी लोगों को व्यायाम के लिए किसी प्रकार की झिझक नहीं होती। अभी कुछ दिन पहले ही मैं एक पार्क के बाहर से गुज़र रही थी कि मैंने एक बुजुर्ग सज्जन को अपने स्टीरियो पर पारंपरिक संगीत लगाकर खुशी और आनन्द के साथ नृत्य करते हुए देखा। वे बड़े मजे से संगीत की धुन पर अपनी बाहों को हवा में झूलाते हुए नाच रहे थे, इधर-उधर डोल रहे थे। मैं यह देखकर मोहित हो गई थी।

ऐसा शायद हमारे देश में कभी नहीं होता। अगर किसी को इस तरह सार्वजनिक स्थान में अकेले नाचते हुए पाया जाए, तो उसे पूरा पागल माना जाता है। मैं वास्तव में उस सज्जन की प्रशंसा करते नहीं थकती और उम्मीद करती हूँ कि जब मैं उनकी उम्र के आसपास पहुँचू तो इस आत्मविश्वास के साथ पार्क में नृत्य करूँ।

ऐसे दृश्य यहाँ चीन में गरमियों के दिनों में आम देखने को मिलते हैं। यहाँ पार्कों में या खुले मैदानों में कई वृद्ध जोड़े चीनी पारंपरिक संगीत या फिर अंग्रेज़ी धुन पर हाथों में हाथ डालकर नृत्य करते हुए दिखते हैं। उन्हें खुशी-खुशी नाचते हुए देख वहाँ खड़े दर्शकों का मन भी नाचने को करता है। मुझे लगता है कि अगर हम व्यायाम को गंभीरता से न लेकर उसे मजे से लेकर करें, उसे इंज़ोए करते हुए करें तो कितना अच्छा हो। मैं आशा करती हूँ कि भारत में मेरे माता-पिता भी इस प्रकार इंज़ोए करते हुए किसी पार्क में व्यायाम करेंगे और यहाँ चीन में लोग इसी प्रकार सालों-साल जारी रखेंगे।

श्रोताओ, व्यायाम और नृत्य के बाद मुझे तो भई जोरों से भूख लगने लगी है। क्या आपको भी, तो चलिए कुछ मजेदार बनाना सीखते हैं, फिर पकाकर खाते हैं। तो आज के पाक-कला सेक्शन में सीखते हैं बनाना-- वरमीसेली कटलेट। आपकी कलम और कागज तो तैयार होंगे। नोट करें वरमीसेली कटलेट की सामग्री.......

वरमीसेली कटलेट

सामग्री

सफेद वरमीसेली 200 ग्राम

उबले आलू 250 ग्राम

ब्रेड स्लाइस 2

नमक-मिर्च स्वादानुसार

गरम मसाला 1/4 छोटा चम्मच

चाट मसाला 1 छोटा चम्मच

बारीक कटी हरी मिर्च 1-2

बारीक कटा अदरक 1 छोटा चम्मच

बारीक कटी धनिया पत्ती 1 बड़ा चम्मच

डबलरोटी का चूरा 1/2 कप

तेल तलने के लिए

विधि

उबलते पानी में नमक डाल कर वरमीसेली को हल्का मुलायम होने तक उबालें और छलनी में डाल कर निथारें। तुरंत खूब ठंडा पानी डालें और निथरने पर 1 चम्मच तेल डाल कर हल्के हाथों से मिला दें। इस तरह वरमीसेली आपस में नहीं चिपकेंगी। आलुओं को छील कर मसल लें। डबलरोटी को नमक मिले पानी में भिगोएँ और निचोड़ कर मसल कर आलुओं में डाल दें। अब उबली-निथरी वरमसेली, आलू, ब्रेड, नमक, मिर्च, गरम मसाला, अदरक, हरी मिर्च व धनिया पत्ती सब एक साथ मिलाएँ। इसके 10-12 हिस्से कर लें और कटलेट या टिक्की का मनचाहा आकार दें।

अब तवा गरम करें। उस पर थोड़ा-सा तेल डाल कर चिकना करें। अब कटलेट्स या टिक्कियों को डबलरोटी के चूरे में हल्का-सा लपेटें और गरम तवे पर सेंकें। आंच धीमी ही रखें। ऊपर से थोड़ा तेल और डालें और पलट कर दोनों तरफ से सुनहरा सेंक लें। तैयार होने पर पलेट में रखें। ऊपर से थोड़ा-सा चाट मसाला बुरक दें। मनपसंद चटनी के साथ परोसें। मेरे मुहँ में तो पानी आ रहा है। आप इसे बनाइए और अपने परिवार के साथ मज़ा लिजिए। लेकिन हमें ज़रूर बताइएगा कि आपको कैसा लगा।

हाथ और नाखून शरीर का वह हिस्सा है, जो हमेशा नज़र आता है। उनकी ढंग से साफ-सफाई और देखभाल ज़रूरी है। अगर हाथ कोमल और सुंदर नहीं हैं, या नाखून टूटे, बदरंग और चमकरहित हैं तो आप चाहे अपने चेहरे पर कितना ही मेकअप क्यों न लगा लें, महंगी से महंगी पोशाक क्यों न पहन लें। आपके व्यक्तित्व में कमी नज़र आएगी। हाथों और नाखूनों को स्वस्थ और सुंदर बनाने के लिए ये घरेलू टिप्स आजमा सकती हैं।

1. नाखूनों को गुनगुने दूध में भिगोएँ। वे सुंदर और मज़बूत होंगे।

2. नाखूनों को साफ करने के लिए उन्हें हलके गर्म पानी में नींबू की कुछ बूंदे डालें और उसमें उगलियाँ कुछ देर भिगो कर रखें। फिर नींबू से ही रगड़ कर साफ करें।

3. फूलगोभी नाखूनों के रोग नष्ट करती है। इसलिए फूलगोभी खाएँ।

4. हाथों को गीले तौलिए से पोंछ कर मॉइश्चराइजर लगाएँ।

5. जब भी हाथ धोएं, मॉइश्चराइजर जरूर लगाएँ। इससे हाथ मुलायम रहते हैं।

6. नींबू का रस और चीनी को हाथों के बीच में रख कर मलिए, जब तक चीनी पिघल न जाएँ। इस मिश्रण को हाथों पर मलिए। इससे सख्त हाथ भी मुलायम हो जाएँगे।

7. शहद, जैतून का तेल, नींबू का रस और ग्लिसरीन को बराबर मात्रा में मिला कर बोतल में भर कर रख लें। रोज़ रात को सोते समय अच्छी तरह हाथ धो कर इस लोशन को लगा लें।

8. सबसे आसान नुस्खा रात को सोते समय अपने हाथों और नाखूनों पर केवल जैतून के तेल की मालिश करें। इससे आपके नाखून मज़बूत होंगे और हाथ भी मुलायम हो जाएँगे।

इन घरेलू टिप्स को आजमाइए और देखिए आपको इनसे क्या फायदा होता है। अगर आप को भी ऐसी बातों की जानकारी हैं तो हमें अवश्य बताएँ। हम आपके द्वारा बताई गई संबद्ध जानकारी को अपने कार्यक्रम में अवश्य शामिल करेंगे और अन्य श्रोताओं को उनके बारे में बताएँगे।

श्रोताओं, आपको हमारा न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम का यह तेरहवा क्रम कैसा लगा। हम आशा करते हैं कि आपको पसंद आया होगा। आप अपनी राय व सुझाव हमें ज़रूर लिख कर भेजें, ताकि हमें इस कार्यक्रम को और भी बेहतर बनाने में मदद मिल सकें। क्योंकि हमारा न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम आप से है, आप के लिए है, आप पर है। मार्टिन लूथर किंग जूनियर ने कहा है कि—हमारे जीवन का अंत उसी दिन से होने लगता है, जब हम उन चीज़ों के बारे में चुप हो जाते हैं जो हमारे लिए सबसे ज्यादा मायने रखती हैं। इसी सुविचार के साथ हमारा न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम यहीं समाप्त होता है। आप नोट करें हमारा ई-मेल पताः hindi@cri.com.cn । आप हमें इस पते पर पत्र भी लिख कर भेज सकते हैं। हमारा पता हैः हिन्दी विभाग, चाइना रेडियो इंटरनेशनल, पी .ओ. बॉक्स 4216, सी .आर .आई.—7, पेइचिंग, चीन , पिन कोड 100040 । हमारा नई दिल्ली का पता हैः सी .आर .आई ब्यूरो, फस्ट फ्लॉर, A—6/4 वसंत विहार, नई दिल्ली, 110057 । श्रोताओ, हमें ज़रूर लिखयेगा। अच्छा, इसी के साथ मैं हेमा कृपलानी आप से विदा लेती हूँ इस वादे के साथ कि अगले हफ्ते फिर मिलेंगे।

तब तक प्रसन्न रहें, स्वस्थ रहें। नमस्कार

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