यह चाइना रेडियो इन्टरनेशनल है। श्रोता दोस्तो, कई चीनियों के लिए नेपाल एक रहस्मय पहाड़ी देश है, हिमालय पर्वत के दक्षिण भाग स्थित नेपाल में महाबुद्ध का जन्म हुआ। विशेष बोद्धिक संस्कृति मौजूदा शांगहाई विश्व मेले में नेपाली हॉल का प्रमुख विषय है। सुनिए इस संदर्भ में एक रिपोर्ट
हाल में हमारे संवाददाता ने नेपाली हॉल के प्रमुख अधिकारी आई.ई.जी. ग्रुप के अध्यक्ष अमरित आर. शक्य के साथ एक साक्षात्कार किया। उन्होंने नेपाली हॉल और राजधानी काठमंडू के बारे में ये जानकारी दी।
"संजीदगी के साथ सोच विचार करके हमने नेपाली हॉल के प्रमुख विषय को'काठमांडू की किंवदंती'बनाया, जिससे लोग शहर की आत्मा की खोज कर सकते हैं। काठमांडू का इतिहास कोई दो हज़ार वर्ष पुराना है, यह एक सुन्दर व प्राचीन शहर है। सड़क कम चौड़ी हैं और लोगों का जीवन तरीका परम्परागत है। 21वीं शताब्दी में आज हमारे यहां सुन्दर हस्त द्वार, खिड़कियां और गलियारे उपलब्ध हैं।"
नेपाली दोस्त शाक्य ने कहा कि काठमांडू शांगहाई के बराबर नहीं है। वहां के लोग परम्परागत जीवन बिता रहे हैं। शांगहाई विश्व मेले में नेपाली हॉल एक छोटा काठमांडू लगता है। सभी बाहरी दीवार, द्वार, खिड़की और गलियारे सुन्दर लकड़ी मूर्तियों से सुसज्जित किए गए हैं, ये चीज़ें चार सौ नेपाली परिवारों ने साढ़े तीन साल लगाकर पूरी की है।
नेपाली हॉल का निर्माण बहुत विशेष है, इसके साथ ही हॉल में रखी हुई महाबुद्ध की मूर्ति शांगहाई विश्व मेले के लिए विशेष तौर पर तैयार की गयी है। हर दिन दर्शक इसे देखने नेपाली हॉल आते हैं। शाक्य ने कहा:
"यह मूर्ति शांगहाई विश्व मेले के लिए विशेष तौर पर बनायी गयी है। ज्यादातर चीनियों को आशा है कि बौद्ध धर्म की जानकारी प्राप्त कर सकेंगे। 1900 वर्ष पूर्व चीनी लोग पहली बार नेपाल गये थे। उन्होंने बौद्ध धर्म के शास्त्रों को चीन में वापस लेकर इसका विकास किया था। हम गर्व के साथ कह सकते हैं कि नेपाल और चीन के सांस्कृतिक संबंध बहुत घनिष्ठ हैं। यही कारण हम महाबुद्ध की मूर्ति यहां लाए हैं।"
नेपाली हॉल की यह बुद्ध मूर्ति मानव की तरह बैठी है। शाक्य ने समझाते हुए कहा कि महाबुद्ध शाक्यमणी पहले साधारण व्यक्ति थे, न कि देव। अगर हर व्यक्ति ज्यादा परोपकारी कार्य करे, बुरी बात न करे, तो वह बुद्ध बनेगा।
नेपाली हॉल में हर दिन दर्शक बड़ी छोटी बुद्ध मूर्तियों के सामने चंदे के रूप में पैसे देते हैं। शाक्य ने कहा कि शांगहाई विश्व मेले के बाद नेपाली हॉल इन पैसों को काठमांडू स्थित धर्मकीर्ति बौद्ध मंदिर में देगा, जिसका इस्तेमाल स्थानीय परोपकारी कार्य में किया जाएगा।
अच्छा दोस्तो, अभी आपने शांगहाई विश्व मेले के नेपाली हॉल के बारे में एक रिपोर्ट सुनी। आगे आप सुनिए एक अन्य रिपोर्ट, शीर्षक है"विश्व मेले में अमरीकी युवा की खुशी"।
विश्व मेले के उद्यान में विभिन्न देशों के स्वादिष्ट भोजन का मज़ा लेना पर्यटकों के लिए खुशी की बात है। अमेरिकी युवा विल एक जापीनी रेस्टरां के बॉस है। विश्व मेला आयोजित होने के बाद से लेकर अब तक ज्यादा पर्यटक रेस्टरां में आते जाते हैं। विश्व मेले के दौरान विल बहुत खुश है।
आम समय में वह कभी कभार रेस्टरां के द्वार पर खड़े होकर वेटर के साथ आने वाले मेहमानों का स्वागत करते हैं। विल को मेहमानों के साथ बातचीत करना पसंद है। उनका कहना है कि इससे अपने रेस्टरां की सेवा के स्तर में सुधार किया जा सकता है, विश्व मेले उद्यान में हुई खबरें जान सकते हैं और इसके साथ ही अपनी चीनी भाषा के स्तर को भी उन्नत कर सकते हैं। अवकाश के समय विल विभिन्न हॉल का दौरा भी करते हैं। विभिन्न हॉलों का परिचय देते हुए विल ने कहा:
"मैं कई हॉलों का दौरा कर चुका हूं। मसलन् अमेरिकी, ब्रिटिश, जर्मन और मैक्सिको आदि। मुझे लगता है कि जर्मनी और कनाडा हॉल का दौरा करना सबसे अच्छा लगता है। इसके साथ ही चिली हॉल भी अच्छा है।"
विश्व मेले की चर्चा में अमेरिकी युवा विल बहुत उत्साहित नजर आए। उन्होंने कहा:
"मैं अन्य देशों के हॉलों का दौरा करना जारी करूंगा। मुझे आशा है कि सभी हॉलों का दौरा कर पाउंगा। सबसे महत्वपूर्ण बात है कि विश्व मेला मेले पासपोर्ट में पूरी तरह मुहर लगाएगा।"
विश्व मेले उद्यान में अमेरिकी युवा विल की तरह लोग अपनी खुशियां ढूंढते हैं और उनके पास अपने-अपने विश्व मेला होते हैं।