यह चाइना रेडियो इंटरनेशनल है। श्रोता दोस्तो, हर सप्ताह की तरह आज भी न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम में मैं हेमा कृपलानी आप सब का हार्दिक स्वागत करती हूँ। श्रोताओ, ग्यारह हफ्ते आपके साथ बातें करने में कैसे पूरे हो गए पता ही नहीं चला। पूरी उम्मीद करती हूँ कि आपको मेरी तरह हर सप्ताह न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम का इंतज़ार रहता होगा। हम न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम में महिलाओं से जुड़े विभिन्न पहलुओं के बारे में ढेर सारी बातें करते हैं। यहाँ चीन में क्या-क्या होता है, इन सब की जानकारी हम आपको देते रहते हैं। जिससे आपको यहाँ के जीवन के बारे में और अधिक जानने को मिले।
श्रोताओ, हमारा यह पारिवारिक कार्यक्रम परिवार के हर सदस्य के लिए है, हर सदस्य से जुड़ा है। आज हम बात करेंगे पिताजी के बारे में, पापा,बाबा,अब्बा,डैडी या डैड कुछ भी कहें पर पिता की अहमियत, बच्चों के लिए, परिवार के लिए उतनी ही ज़रूरी है, जितनी की परिवार में मां की अहमियत होती है। एक बच्चे के लिए पिता भी उतना ही महत्व रखते हैं जितना मां। आप सोच रहे होंगे कि आज पिताजी के बारे में इतनी बातें क्यों कर रही हूँ मैं, अरे भई, फादर्स डे, पितृ दिवस, पिता का दिवस जो आने वाला है। देखा आप तो भूल गए थे, मैंने ही याद दिलाया आपको।
हालांकि, फादर्स डे मनाने का कानसेप्ट(विचार) भारत और चीन में बहुत पुराना नहीं है। यह आइडिया पश्चिमी देशों से प्रेरित होकर खासकर अमेरिका से, भारत और चीन में करीब 10 साल पहले आया है। दुनिया भर के पापाओं को सम्मानित करने के लिए यह त्यौहार मनाया जाता है और यह देखकर हैरानी होती है कि भारत और चीन में इस त्यौहार को लोग बढ़-चढ़कर मनाते हैं। आज भारत और चीन में करोड़ों लोग फादर्स डे जून माह के तीसरे रविवार को मनाते हैं। इस वर्ष फादर्स डे 20 जून को पड़ता है।
भारत और चीन में इस त्यौहार को लोग उसी तरह मनाते हैं जैसे कि यू.के या अमेरिका में। महानगरों में पश्चिमी संस्कृति व सभ्यता के बढ़ते चलन के कारण लोग इस त्यौहार से भली-भांति अवगत हैं, छोटे शहरों की तुलना में। पर अब विज्ञापन(एडवरटिसमेंट)की दुनिया के बढ़ते कदमों के कारण छोटे शहरों में भी लोग इससे अनजान नहीं रहे हैं। कार्ड और गिफ्ट की दुकानों पर लगे बड़े-बड़े इश्तहारों, दुकानों में सजे सुन्दर- सुन्दर गिफ्ट्स, रंग-बिरंगे कार्ड्स लोगों को महीने पहले बताना शुरू कर देते हैं कि फादर्स डे आने वाला है। चाहे पश्चिमी संस्कृति व सभ्यता के बारे में हम कुछ भी सोचे, यह त्योहार हमें अपने पापा, डैडी को ढेर सारा प्यार, दुलार, संस्कार सीखाने, साहसी बनाने, अपने पैरों पर खड़े होने के लायक बनाने, निस्वार्थ बलिदान करने और भी कई बातों के साथ-साथ हमारे और सिर्फ हमारे प्यारे पापा होने के लिए उनका धन्यवाद करने का अवसर देता है। मुझे लगता है कि मम्मियों को प्यार देना, उनके सामने अपनी भावनाओं को जाहिर करना डैडी के मुकाबले ज्यादा आसान होता है शायद इसलिए कि हम उनके साथ समय डैडी के मुकाबले ज्यादा व्यतीत करते हैं और डैडी भी मम्मियों की तुलना में अपने लाड-प्यार को मम्मियों की तरह आसानी से व्यक्त नहीं करते। इसलिए यह और भी ज़रूरी हो जाता है कि फादर्स डे के अवसर पर हम उन्हें खुल कर बताए कि हम उनसे उतना ही प्यार करते हैं जितना कि मम्मी से। तो अब आप जान गए हैं, फादर्स डे के बारे में तो देर मत कीजिए और अपने डैडी के लिए एक अच्छा-सा तोहफा खरीदने के लिए बाज़ार जाने के लिए तैयार हो जाइए। हमममम...मुझे मालूम है कि आप क्या सोच रहे हैं, यही ना कि क्या तोहफा खरीदे अपने पापा के लिए। वैसे मम्मियों के लिए तोहफा खरीदना आसान होता है पर आज पापा के लिए क्या खरीदना चाहिए यह हम आपको बताते हैं। आप अपने डैडी के लिए
1. उनकी पसंद के रंग की कमीज या टी-शर्ट खरीद सकते हैं।
2. अगर वे दफ्तर में टाई पहन कर जाते हैं तो ये भी अच्छा गिफ्ट हो सकता है। टाई-पिन भी दे सकते हैं।
3. दफ्तर के लिए बैग, ब्रिफकेस या पेन।
4. अगर वे चश्मा पहनते हैं तो उसका फ्रेम, धूप का चश्मा(सनग्लासिस) घड़ी या परफ्युम भी दिया जा सकता है।
5. सर्दियों के लिए स्वेटर या शाल या कोट।
6. और अगर अभी तक आपके पिताजी मोबाइल फोन का इस्तमाल करने से कतराते हैं तो यह मौका न जाने दें, उन्हें एक अच्छा-सा जो उन्हें इस्तमाल करने में आसान लगे मोबाइल फोन ज़रूर खरीद कर दें।
7. सुन्दर-सा कार्ड भी दे सकते हैं। उन्हें बाहर खाना खिलाने ले जा सकते हैं। नहीं तो मां या बहन की मदद ले कर घर में उनकी पसंद का खाना पका सकते हैं।
8. और अगर कुछ भी समझ न आए कि क्या दें, क्या करें तो सिर्फ उन्हें प्यार से बताएँ कि आप उनसे बेहद प्यार करते हैं। यह कहें कि जब आप हमसे सख्ती से व्यवहार करते थे तो उस समय हमें बुरा लगता था पर अब हम जान गए हैं कि आप हमारी भलाई चाहते थे और आज हम आपके मार्गदर्शन के कारण ही प्रगति के पथ पर हैं।
9. आप जो भी करें अपने डैडी के लिए दिल से करें। एक और राज़ बताऊँ कि आपके डैडी आपकी इस प्यार भरी भावना को समझ तो लेंगे पर जाहिर नहीं कर पाएँगे। डैडी ऐसे ही होते हैं। पर वी लव यू अ लौट डैडी। यू आर द बैस्ट फादर इन दिस वर्ल्ड।
आशा करती हूँ आप भी सहमत होंगे मुझसे। एक बार फिर से हमारे पिताजी श्रोताओ को हैप्पी फादर्स डे। एक कविता जो मैंने कहीं पढ़ी थी, आपको सुनाती हूँ।
पापा कौन है..
पापा वे हैं, जो हमें गिरने से पहले पकड़ लेते हैं,
केवल पकड़ ही नहीं लेते, हमें अपनी गोद में उठा लेते हैं।
ताकि हम फिर उठकर चलें।
पापा वे हैं, जो हमें गल्तियों से दूर रखते हैं, लेकिन हमें अपनी राह खोजने देते हैं। भले ही उनका दिल हमें हारते देख टूटे।
पापा वे हैं, जो हमें रोते देख थाम लेते हैं, लेकिन नियम तोड़ते हुए हमें डाँटते हैं।
पापा वे हैं, जो हमें प्रगति करते देख गर्वित महसूस करते हैं, और असफलता के दौर में हमारी ताकत बनते हैं।
पापा वे हैं, जो हमारे सबकुछ हैं, पापा वे हैं, जो हमारे सबकुछ हैं।
श्रोताओं, फादर्स डे के बारे में इतनी बातें चल ही रही हैं तो क्यों न हम फादर्स डे के इतिहास पर एक नज़र डालें। हालांकि यह दिन वर्तमान समय में अत्यंत उत्साह के साथ मनाया जाता है,लेकिन पहले ऐसा नहीं था। फादर्स डे समारोह की शुरुआत मामूली थी। फादर्स डे की शुरुआत 1909 में स्पोकेन, वाशिंगटन में हुई थी। जहाँ सोनोरा स्मार्ट डोड सेंट्रल मेथोडिस्ट धर्माध्यक्षीय चर्च में मातृ दिवस प्रवचन सुन रही थी। व्याख्यान से प्रेरित होकर वे अपने पिता विलियम जैक्सन स्मार्ट, जिन्होंने उन्हें और उनके भाई-बहनों को उनकी माँ की मृत्यु के बाद अकेले पालन-पोषण किया था को एक दिन समर्पित करना चाहती थी। सोनोरा अपने महान पिता के निःस्वार्थ प्रेम, बलिदान और साहस के लिए उन्हें श्रद्धांजलि देना चाहती थी और उनका तहे दिल से शुक्रिया अदा करना चाहती थी। इसलिए उसने 19 जून 1910 को अपने पिताजी के जन्मदिन पर प्रथम फादर्स डे का आयोजन किया। इस तरह सोनोरा ने फादर्स डे उत्सव की शुरुआत की। हालांकि, मातृ दिवस, जो आसानी से स्वीकार कर लिया गया था इसके विपरीत, पितृ दिवस का स्वागत मजाक और आनंद के रूप में किया गया था।
लेकिन, वर्ष 1913 में फादर्स डे का अनुसरण करने के लिए, इसे आधिकारिक दिवस बनाने के लिए बिल पास किया गया। तो कुछ इस प्रकार शुरुआत हुई इस दिन की।
श्रोताओ, हमने आपसे इतनी सारी बातें की, फादर्स डे के बारे में, कैसे मनाए,क्या करें,क्या गिफ्ट दें। तो चलिए हम आपकी थोड़ी और मदद कर देते हैं और आपको रसोई में लेकर चलते हैं, हम आज आपको बनाना सिखाते हैं। पनीर-पालक के रोल्स
आपकी कलम और कागज़ तो तैयार होंगे। नोट कीजिए इसे बनाने की विधि।
पनीर-पालक के रोल्स बनाने के लिए हमें जो सामग्री चाहिए, वह इस प्रकार है।
पनीर - 250 ग्राम
पालक – आधा गुच्छा
1 मध्यम आकार वाला प्याज
2 हरी मिर्च
आटा
तेल
पानी
ज़रा-सा मक्खन
चीली सॉस(मिर्च वाली सॉस), नमक और काली मिर्च पाउडर स्वाद अनुसार
नोट कीजिए इसे बनाने की विधि....
रोल्स के रैप्स बनाने के लिए, आटे में तेल, नमक और पानी डालकर गूंथ लें। अब रोटी की तरह बेल कर तवे पर सेंक लें। पर ध्यान रखें इन्हें रोटी की तरह फूलने नहीं दें, उससे पहले ही तवे से उतार लें। इन्हें अधसिकी रोटी की तरह रहने दें जो केवल दोनों तरफ से सिकी हुई लगे।
रोल्स के भरावन के लिए
1. प्याज को बारीक काट लें और पनीर का चूरा बना लें।
2. प्याज को 2 मिनट तक भूने, फिर उसमें हरी मिर्च और पालक डाल कर भूनें जब तक पालक का पानी पूरी तरह से न सूख जाए।
3. अब इसमें पनीर डाल दें, उसके बाद चीली सॉस(मिर्च वाली सॉस), नमक और काली मिर्च पाउडर डालकर अच्छी तरह मिला लें।
4. इस मसाले को अधसिकी रोटियों में भर दें और रोल्स बना लें।
5. अब गर्म तवे पर थोड़ा-सा मक्खन डाल लें और रोल्स को दोनों ओर से सेकें।
लीजिए पनीर-पालक के रोल्स तैयार हैं। आप इन्हें टमाटर की सॉस, इमली की चटनी या पुदीने की चटनी के साथ भी परोस सकती हैं। हैं, न स्वादिष्ट नाश्ता। तो इन्हें बनाइए और हमें भी बताइए कि आपको कैसा लगा। अगर ऐसे ही स्वादिष्ट नाश्ते बनाने की रेसिपिस आपके पास भी हो तो हमें अवश्य बताएँ। हम आपके द्वारा भेजी गई रेसिपिस को अपने कार्यक्रम में अवश्य शामिल करेंगे और श्रोताओं को उनके बारे में बताएँगे।
श्रोताओ, आपको हमारा न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम का यह ग्यारहवा क्रम कैसा लगा। हम आशा करते हैं कि आपको पसंद आया होगा। आप अपनी राय व सुझाव हमें ज़रूर लिख कर भेजें, ताकि हमें इस कार्यक्रम को और भी बेहतर बनाने में मदद मिल सकें। क्योंकि हमारा न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम आप से है, आप के लिए है, आप पर है। किसी ने कहा है------- जीवन वैसा ही होगा जैसा हम उसे बनाएँगे। इसी सुविचार के साथ हमारा न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम यहीं समाप्त होता है। आप नोट करें हमारा ई-मेल पताः hindi@cri.com.cn । आप हमें इस पते पर पत्र भी लिख कर भेज सकते हैं। हमारा पता हैः हिन्दी विभाग, चाइना रेडियो इंटरनेशनल, पी .ओ. बॉक्स 4216, सी .आर .आई.—7, पेइचिंग, चीन , पिन कोड 100040 । हमारा नई दिल्ली का पता हैः सी .आर .आई ब्यूरो, फस्ट फ्लॉर, A—6/4 वसंत विहार, नई दिल्ली, 110057 । श्रोताओ, हमें ज़रूर लिखयेगा। अच्छा, इसी के साथ मैं हेमा कृपलानी आप से विदा लेती हूँ इस वादे के साथ कि अगले हफ्ते गुरूवार को फिर मिलेंगे।
तब तक प्रसन्न रहें, स्वस्थ रहें। नमस्कार