यह चाइना रेडियो इंटरनेशनल है। श्रोता दोस्तो, न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम में, मैं हेमा कृपलानी आप सब का हार्दिक स्वागत करती हूँ। आज का कार्यक्रम शुरू करने से पहले मैं सभी श्रोताओं को बहुत-बहुत धन्यवाद, शिय-शिय चीनी भाषा में धन्यवाद कहना चाहती हूँ कि आपको न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम अच्छा लग रहा है। विशेषकर रवि श्रीवास्तव जी, अमीर अहमद जी और चुन्नीलाल जी का धन्यवाद। हम आपको बता दें कि आपके दिए सुझावों पर हम काम कर रहे हैं। मैं चाहुँगी कि आप इसी तरह अपनी राय हमें भेजते रहें ताकि न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम को और भी बेहतर से बेहतर बना सकें क्योंकि श्रोताओं तारीफ़ हौसला बढ़ा देती हैं। इसी के साथ हम अपना कार्यक्रम शुरू करते हुए एक बार फिर बता दें कि इस कार्यक्रम में हम आपको महिलाओं से जुड़े हुए विभिन्न पहलुओं के बारे में जानकारी देंगे। चीन की जीवन शैली से लेकर, सेहत-सौंदर्य, शापिंग, सैर-सपाटा, सजावट, पाक-कला इत्यादि के साथ-साथ हम आपको मौका मिलने पर एक महिला अतिथि के साथ हुआ हमारा वार्तालाप भी आपको सुनाएँगे जिससे आपको यहाँ के जीवन के बारे में और अधिक जानने को मिले।
श्रोताओ,क्या आपको गुस्सा आता है...आप सोच रहे हैं, यह कैसा सवाल है....भई, गुस्सा तो सबको आता है, किसी को कम, तो किसी को ज्यादा, किसी को बहुत ज्यादा। किसी का गुस्सा पानी के बुलबुले की भाँति होता है तो किसी का गुस्सा घर में आए किसी अनचाहे अतिथि की भाँति लंबे समय तक टिकता है, पर ऐसा कोई नहीं जो इससे बच पाया हो। अब सवाल उठता है कि क्या हम इसे खुद पर हावी होने दें या हम इस पर हावी हो जाएँ? अब इस सवाल का जवाब जितना सरल है उतना ही कठिन है उस पर अमल करना। हम सब जानते हैं कि गुस्सा हमारी निर्णय-क्षमता को न केवल कुंद करता है, बल्कि इसकी निरंतरता इस क्षमता को ही खत्म कर देती है। गुस्सा हर उम्र और हर स्थिति में बहुत खतरनाक है। लेकिन युवावस्था में तो यह करेले में नीम जैसी स्थिति पैदा करता है। क्योंकि गुस्से से इस उम्र में जहाँ कार्यक्षमता प्रभावित होती है वहीं करियर और रिश्तों की दुनिया भी सबसे ज्यादा प्रभावित होती है। इसलिए गुस्से पर नियंत्रण रखें। इसके लिए आजमाएँ ये टिप्स और करें अपने गुस्से को काबू में ---
1. सबसे पहले,ध्यान रखें गुस्सा करना आसान है, उसे नियंत्रित करना मुश्किल। क्योंकि गुस्सा करके आप हालात नहीं बदल सकते, सिर्फ अपने आपको नुकसान पहुँचा सकते हैं। इसलिए अपनी आँखें बंद करके गहरी साँस लें और सोचें कि तनाव आपसे दूर जा रहा है। इससे आप शांत हो जाएँगे और रिलेक्स महसूस करेंगे।
2. अगर आप किसी ऐसी स्थिति में फँस गए हैं कि उस पर विशेष कुछ नहीं कर सकते हैं, तो उससे लड़ने की बजाए हालात को दूसरे नजरिए से देखने का प्रयास करें। कुछ खुशगवार चीजों के बारे में सोचने लगें।
3. मुँह पर ठंडे पानी के छीटें मारें। एक गिलास पानी पिएँ और अपने बिखरे बालों को सँवारने के लिए आईने के सामने आ जाएँ।
4. घूमने चले जाएँ और सरपट चाल से चलें।
5. अपने आपसे कुछ सकारात्मक बातें दोहराएँ। जैसे- मैं अच्छा महसूस कर रही हूँ और सब कुछ ठीक-ठाक है। इस तरह भी काम बन सकता है।
6. संगीत के जरिए भी अपना ध्यान बाँटें
मित्रों, आजमाइएगा ज़रूर और फिर देखिएगा गुस्सा कैसे फुर्र हो जाता है। अगर आपके पास गुस्से पर नियंत्रण रखने के इससे बेहतर उपाय हों, या आप अपने गुस्से को कैसे काबू में करते हैं। हमें ज़रूर लिखकर भेजे ताकि हम लोग भी गुस्से को शांत कर सकें और गुस्से के कारण होने वाले नुकसान से बचें।
श्रोता दोस्तो, अब समय आ गया है, फैशन की दुनिया पर नज़र डालने का। हम सब अपने कपड़ों को लेकर बहुत सजग होते हैं परन्तु जहाँ जूते, चप्पलों की बात आती है वहाँ हम लापरवाह हो जाते हैं। कोई भी जूते या चप्पल हम किसी भी पोशाक के साथ पहन लेते हैं। हमें अपनी पोशाक के रंग से मिलती-जुलती चप्पल या जूते पहनने चाहिए। तो अपने पैरों की शान बढ़ाइए और जानिए। गर्मी के दिनों में अपने पैरों को हवादार बनाए रखने के लिए तथा एड़ियों की सुरक्षा के लिए आप सैंडल्स पहन सकती हैं। ध्यान रहें सैंडल्स का चुनाव करते समय अपने पैरों के आराम और सहुलियत से कोई समझौता न करें। खासतौर पर चिलचिलाती धूप में या फिर उमस और नमी में जब आप जूते या बैली पहनने से बचना चाहती हैं और लगता है कि स्लीपर
पहनकर ही घर से बाहर भी जाया जाए। बाजार में गर्मी के लिहाज से कई तरह के स्लीपर सजे हुए हैं। इनमें हल्की-फुल्की चप्पलों से लेकर, सिंपल और स्ट्राइप्स वाले ग्लेडियेटर सैंडल्स तथा वॉकर्स शामिल हैं। बाज़ार में रंग-बिरंगे स्ट्रेप्स वाले सैंडल्स या फिर सिंगल स्ट्रेप वाली खूबसूरत चप्पलें अब खूब सजेंगी। आजकल बाजार में फ्लोरल, ज्यॉमेट्रिक और अन्य डिजायनों वाली, स्ट्रेप पर सजे फूलों वाली तथा रंग-बिरंगे स्ट्रेप्स वाली चप्पलें भी काफी मिल रही हैं। ये पैरों को खुला-खुला तो रखती ही हैं, चलने में सहूलियत देती हैं और लगती तो खूबसूरत हैं ही। किसी भी चप्पल, सैंडल्स,जूते या बैली को चुनते समय अपने पैरों के आकार का ध्यान रखना भी उतना ही आवश्यक है जितना कि सही साइज का जूता लेना क्योंकि कितनी बार ऐसा होता है कि दुकान में सजा हुआ जूता बहुत सुन्दर होने के बावजूद हमारे पैरों पर नहीं जचता। तो देर किस बात की, जल्दी से बाज़ार जाँए खरीदारी करें और हमें भी लिखकर भेजें कि इस बार जूते, चप्पलों की खरीदारी में क्या खास बात थी जो पहले नहीं थी। मैं इंतज़ार करूँगी आपके पत्रों का।
अब हम आपको बताएंगे दादी माँ के खजाने से कुछ प्राकृतिक घरेलू उपाय-- मुँह से आने वाली दुर्गंध के लिए। तो अपनी कागज़ और कलम निकालिए और लिखिए दादी माँ के खजाने से निकले घरेलू उपाय।
1. यदि मुँह से दुर्गंध आ रही हो तो 2 से 3 पुदीने के पत्ते मुँह में डालकर चबाते रहें।
2. दूसरा उपाय है, जब भी आपको लगे कि मुँह से दुर्गंध आ रही है तो सैलरी का एक टुकड़ा लेकर चबा कर खाएँ। कुछ ही सेंकड में मुँह में ताजगी का एहसास होगा।
3. तीसरा उपाय है, अजमोद (पारसले) के पत्ते लेकर चबाएँ उससे भी लाभ होगा। आपको सैलरी और पारसले सब्ज़ी की दुकान पर आसानी से मिल जाना चाहिए।
4. चौथा सबसे सरल उपाय है पर्याप्त मात्रा में पानी पीने से मुँह की दुर्गंध कम होती है।
5. पाँचवा उपाय- उपाय नहीं बल्कि मुँह और दाँतों के लिए अनिवार्य है। वह है दाँतों के साथ-साथ जीभ की नियमित साफ-सफाई। ठीक तरह से की गई साफ-सफाई से भी काफी हद तक इस परेशानी से बचा जा सकता है।
हम आशा करते हैं कि इन घरेलू उपायों को अपनाकर आपको अवश्य लाभ होगा। अगर ऐसे ही दादी माँ के खजाने से कुछ प्राकृतिक घरेलू उपाय आपके पास भी हो तो हमें अवश्य बताएँ।
श्रोताओं, कुछ दिन पहले मैंने अखबार में एक बहुत ही मजेदार लेख पढ़ा, जिसे मैं आपके साथ बाँटना चाहती हूँ।
पत्नी की नुक्ताचीनी बढ़ाती है उम्र! ज़रा ध्यान से सुनिए।
शादीशुदा लोग अविवाहित लोगों की तुलना में अधिक लंबा जीवन जीते हैं, क्योंकि पत्नी की टोकाटाकी के कारण तुलनात्मक तौर पर वे डॉक्टर के पास अधिक जाते हैं।
सर्रे विश्वविद्यालय में रॉयल इकोनॉमिक सोसायटी के वार्षिक सम्मेलन में पेश किए जाने वाले इस अध्ययन में पाया गया है कि पत्नी की टोकाटाकी के कारण छह प्रतिशत विवाहित लोग अविवाहित लोगों की तुलना में डॉक्टर के पास अधिक जाते हैं।
विवाहित होने के लाभ पर प्रकाश डालने वाले इस अध्ययन में यह भी पाया गया है कि प्रतिबद्ध संबंध के तहत रहने वाले दंपति नियमित तौर पर व्यायाम करते हैं, जिससे उनका जीवनकाल कई साल बढ़ जाता है।
अध्ययन करने वाले हेंड्रिक श्मित्ज ने कहा कि अगर कोई महिला डॉक्टर के पास जाती है तो डॉक्टर के पास उसके पति के जाने की संभावना छह प्रतिशत ज्यादा होती है।
हमममममम...... पत्नी की नुक्ताचीनी के फायदे। ऐसा केवल महिलाएँ ही कर सकती हैं क्योंकि उनकी इस अदा में भी परिवार का भला सोचने का विचार छुपा है।
श्रोताओं, मातृ दिवस यानि मदर्स डे आने वाला है, तो हम आपको बताना चाहते हैं, यदि आप अपनी मम्मी के लिए कोई संदेश, कोई कविता या अपने-अपने तरीके से उन्हें धन्यवाद कहना चाहते हैं, तो आप हमें लिखकर भेजें और आपके संदेश, कविताएँ हम न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम में आपके नाम के साथ मई के महीने में प्रसारित हर कार्यक्रम में पढ़ेंगे। तो इंतज़ार किस बात का इस सुनहरे मौके का फायदा उठाएँ और अपनी-अपनी मम्मी को बताएँ कि आप उनसे बेहद प्यार करते हैं, क्योंकि ईश्वर का सबसे अनमोल तोहफा हमें माँ के रूप में मिला है। आप हमें ई-मेल भेज सकते हैं या पत्र भी लिख कर भेज सकते हैं।
श्रोताओ, आपको हमारा न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम का यह चौथा क्रम कैसा लगा। हम आशा करते हैं कि आपको पसंद आया होगा। आप अपनी राय व सुझाव हमें ज़रूर लिख कर भेजें, ताकि हमें इस कार्यक्रम को और भी बेहतर बनाने में मदद मिल सकें। क्योंकि हमारा न्यूशिंग
स्पेशल कार्यक्रम आप से है, आप के लिए है, आप पर है। किसी ने कहा है-------स्वयं का समझौता न करें, आप जो है वही आपका है और आपके पास है। इसी सुविचार के साथ हमारा न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम यहीं समाप्त होता है। आप नोट करें हमारा ई-मेल पताः hindi@cri.com.cn । आप हमें इस पते पर पत्र भी लिख कर भेज सकते हैं। हमारा पता हैः हिन्दी विभाग, चाइना रेडियो इंटरनेशनल, पी .ओ. बॉक्स 4216, सी .आर .आई.—7, पेइचिंग, चीन , पिन कोड 100040 । हमारा नई दिल्ली का पता हैः सी .आर .आई ब्यूरो, फस्ट फ्लॉर, A—6/4 वसंत विहार, नई दिल्ली, 110057 । श्रोताओ, हमें ज़रूर लिखयेगा। अच्छा, इसी के साथ मैं हेमा कृपलानी आप से विदा लेती हूँ इस वादे के साथ कि अगले हफ्ते फिर मिलेंगे।
तब तक प्रसन्न रहें, स्वस्थ रहें। नमस्कार