रोजगार का मतलब न सिर्फ़ आय है, बल्कि जीवन का सुधार और परिवार की आशा भी है। इसलिये लोगों के जीवन को सुनिश्चित करने के लिये सब से पहले रोजगार सुनिश्चित करना चाहिए। अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संकट के मुकाबले में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की विभिन्न स्तरीय कमेटियों व सरकारों ने सक्रिय रूप से कार्रवाई करके रोजगार का विकास किया। वर्ष 2009 के पहले ग्यारह महिनों में सारे देश में कुल 1 करोड़ 1 लाख 30 हजार लोगों को नए रोजगार मिले हैं। और बेरोजगारी की दर 4.3 प्रतिशत रही है, जो बहुत अधिक नहीं है।
अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संकट का कुप्रभाव सीधे रोजगार पर दिखाई पड़ा। मानव संसाधन व सामाजिक सुनिश्चितता मंत्रालय के अनुसार वर्ष 2009 में चीन में 2 करोड़ 40 लाख लोगों को रोजगार की जरुरत थी। 8 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि के आधार पर सारे वर्ष में आर्थिक वृद्धि द्वारा पैदा नये रोजगारों की कुल संख्या केवल 1 करोड़ 20 लाख ही रही । मांग सप्लाई से ज्यादा अधिक रही।
रोजगार हजारों परिवारों से संबंधित है, और वह आर्थिक विकास का महत्वपूर्ण उद्देश्य भी है। इसलिये रोजगार को स्थिर बनाने व रोजगार के व्यापक मौके पैदा करने के लिए सिलसिलेवार कदम भी उठाए गये। चीनी केंद्रीय वित्त ने रोजगार के लिये 42 अरब य्वान की पूंजी लगायी, जो वर्ष 2008 की तुलना में 66.7 प्रतिशत अधिक रही। यह वृद्धि अभूतपूर्व है।
रोजगार का विकास करना आर्थिक वृद्धि पर निर्भर करता है। वर्ष 2009 में चीन की जी.डी.पी. की वृद्धि लगातार बढ़ी। हर महीने नये रोजगारों की संख्या में भी वृद्धि दिखाई पड़ी।
रोजगार के और अधिक अवसर पैदा करने के लिये नीतियों की भूमिका भी उल्लेखनीय रही। चीनी राज्य परिषद ने वर्तमान स्थिति में रोजगार कार्य को अच्छी तरह से करने के लिये कुल चार दस्तावेज जारी किए। राज्य परिषद के रोजगार कार्य विभाग के संयुक्त सम्मेलन के संबंधित विभागों ने भी रोजगार सेवा के विकास समेत तीन दस्तावेज जारी किए। उन सात दस्तावेजों से अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संकट का मुकाबला करने व रोजगार को स्थिर बनाने व विस्तृत करने के लिये एक नीति व्यवस्था बनाई गयी।
श्रमिकों की क्षमता को उन्नत करने के लिये चीन ने रोजगार की विशेष प्रशिक्षण योजना तैयार की। चीन ने उद्यमों के गैरकौशल कर्मचारियों की क्षमता उन्नत करने के लिए उन्हें प्रशिक्षण दिया, किसान मज़दूरों को तकनीकी प्रशिक्षण दिया , और बेरोजगारों को नौकरी ढूंढने में मदद देने के लिए प्रशिक्षण दिया। वर्ष 2009 की पहली तीन तिमाहियों में सारे देश में कुल 2 करोड़ से ज्यादा श्रमिकों को ऐसा विशेष प्रशिक्षण मिला है।
इस के अलावा रोजगार के व्यापक अवसर पैदा करना केवल एक विभाग का काम नहीं है। इस में सारे समाज की भागीदारी व शक्ति चाहिए।(चंद्रिमा)