आज सुबह समय तय था कि साढ़े सात बजे खुनमिंग से रवाना होंगे ताकि समय रहते गंतव्य पर पहुंच जाएं.लेकिन चलते-चलते आठ बज ही गए.शायद यह अंदाज सब ने लगा लिया था कि यदि समय साढ़े सात का बताया गया है तो इसलिए कि आठ बजे तक तो निकल ही जाएं.रास्ता लगभग वैसा ही था जैसा पिछले सप्ताह रुईली जाते समय था,फर्क सिर्फ इतना कि यहां हरियाली का अतुल साम्राज्य बिछा हुआ है.सारे दिन के सफर के बाद रात साढे छह बजे हम युन्नान प्रांत में धुर दक्षिण में एक रहस्यमयी और बहुउपजाऊ धरती के रुप में प्रसिद्द ताई स्वशासन प्रिफेक्चर शिशुआंगबाना की राजधानी चिंगहुंग पहुंच गए.चिंगहुंग का अर्थ है भोर का शहर.यह वह जगह है जहां अधिकांश थाई लोग अपनी जड़ें तलाशने आते हैं.हर थाई व्यक्ति के लिए यह जगह सिपसुंग पाना है,(चीनी में शिशुआंगबाना.)यहां से ताई( थाई) लोग शताब्दियों पहले स्थानांतरित हुए थे.थाई भाषा में सिपसंग बाना का अर्थ है बारह हजार धान के खेत.शताब्दियों तक ताई लोग दक्षिण-पश्चिम की ओर खिसकते रहे जो आज का लाओस.बर्मा और उत्तरी थाईलैंड है.कुबला खान के आक्रमण के कारण स्थानांतरण में और गति आई.विशेष कर जब उस ने 1253 में तालीफु शहर को मटियामेट कर दिया.तालीफु युन्नान प्रांत में नानचाओ की ताई राजधानी था.ताई लोगों की संतानें जो आज युन्नान में रह गई हैं ,उन की राजधानी चिंगहुंग है.उन की कुल संख्या लगभग 850,000 है.कहावत है कि इस जगह पहले समुद्र था,जब समुद्र हटा तो बहुत उपजाऊ भूमि उबर आई लेकिन उस पर एक शैतान का कब्जा था और उस ने इस अंधेरे से ढक रखा था.एक ताई व्यक्ति ने उस शैतान का मुकाबला कर उसे मार दिया.शैतान से उसे एक मोती हासिल हुआ जो चमकने लगा और रोशनी फैलाने लगा और आकाश में अंधेरे के पीछे भागा.लोगों ने इस घटना को देखा और चिल्लाए..युनचिंगहुंग..युनचिंगहुंग....जिस का अर्थ है रोशनी की भोर...और इस तरह इस शहर का नाम पड़ा.
आज के ताई लोग बुद्ध धर्म को मानते हैं.और वे मूल परंपरा का पालन करते हुए सुंगकरान और क्राथुंग त्योहार मनाते हैं.लांछांग नदी इस क्षेत्र को बीच में से काटती हुई गुज़रती है.और इस नदी की अनेक सहायक नदियों ने इस क्षेत्र को पर्वत श्रृंखलाओं,पहाड़ियों,घाटियों में रुपाकार दिया है.यहां सब से ऊंची चोटी खुंगमिंग पर्वत की है जिस की ऊंचाई 2,300 मीटर है.बहुत से ताई लोग यहां नदी के किनारे गावों में रहते हैं.यहां की जलवायु उष्णकटिबंधीय, समउष्ण कटिबंधीय है.और यहां का औसत तापमान 20 डिग्री रहता है.यहां सारा इलाका हरित चादर से ढका रहता है.
चिंगहुंग लानछांग नदीं के किनारे अवस्थित है.यहां रंग,विविधता और विकास का नज़ारा एक साथ देखा जा सकता है.ताई में,हान में और अन्य अल्पसंख्यक जातीय भाषाओं में लोगों को बाजारों में,बसों में दुकानों में और चौक पर बतियाते देखा जा सकता है.यहां लगभग 13 अल्पसंख्यक जातियां एकसाथ मिलजुल कर रहती हैं.वर्तमान में यहां 10 राज्य स्तरीय फार्म और 6 केंद्रीय या प्रांत स्तरीय रिर्सच इंस्टटीटयुट हैं
खाना खाने के बाद थोड़ी देर बाहर घूमने निकले.सड़कों पर जीवन की चहल-पहल...सजे हुए बाजार,और काफी जगह म्यनमार,लाओस के लोगों की दुकानें दिखाई पड़ीं.कल से शी शुआंग बाना देखने का कार्यक्रम है.आज रात सफर की थकान उतारने के लिए सब का जल्दी सोने का कार्यक्रम है.