अनिलः आपकी पसंद सुनने वाले सभी श्रोताओं को अनिल का नमस्कार। दोस्तो हम फिर आ गए हैं आपकी फरमाईश के गीत लेकर। हमें उम्मीद है कि आपको कार्यक्रम में पेश होने वाले गीत ज़रूर पसंद आ रहे होंगे।
ललिताः श्रोताओं को ललिता का भी नमस्कार।
अनिलः दोस्तो आपकी पसंद कार्यक्रम को पसंद करने वाले न केवल भारत में हैं, बल्कि पाकिस्तान व बांग्लादेश के श्रोता भी हमें समय-समय पर ख़त लिखते रहते हैं। कार्यक्रम की शुरुआत में हम जो गीत पेश करने जा रहे हैं उसे सुनना चाहा है पाकिस्तान जंग से हाफ़िज नईम, मोहम्मद युनिस, भारत के जुगसलाई टाटानगर से इंद्रपाल सिंह भाटिया, इंद्रजीत कौर भाटिया, साबो भाटिया, सिमरन भाटिया, सोनक भाटिया, मनजीत भाटिया, बंटी भाटिया व जानी भाटिया आदि श्रोताओं ने। गीत के बोल हैं दिल ने ये कहा है दिल से, फिल्म का नाम है धड़कन।
अनिलः दोस्तो भारत के कई शहरों में आजकल गर्मी पड़ रही है, लेकिन सुना है दिल्ली वासियों को इससे कुछ राहत ज़रूर मिली है। पिछले दिनों दिल्ली व आसपास के क्षेत्रों में बारिश से पारा नीचे गिर गया और लोगों ने राहत की सांस ली है। अगर चीन के मौसम की बात करें तो जहां दक्षिण चीन के कई शहरों में सूखे पड़ा था और इससे फ़सलों को भारी नुकसान पहुंचा था, हालांकि इधर के दिनों में वहां कई प्रांतों में भारी बारिश हुई है। कई जगहों पर नदियों के जलस्तर में लगातार इजाफा हो रहा है, वहीं बाढ़ की भी स्थिति बनी हुई है। पेइचिंग में भी वैसे गर्मी का मौसम है और औसत तापमान 25 से 35 डिग्री के बीच दर्ज हो रहा है। हां इस सप्ताह बारिश व तेज अंधड़ से मौसम कुछ हद ज़रूर सुहाना हुआ है।
ललिताः जी हां इस बार चीन के कई प्रांतों में सूखा पड़ा, लेकिन पिछले कुछ दिनों से लोगों को कुछ राहत मिल रही है। कई स्थानों पर भारी बारिश होने की ख़बर है। चलिए इसी से जुड़ा है कार्यक्रम का अगला गीत रिमझिम गिरे सावन, फिल्म का नाम है मंज़िल।
अनिलः सुना है राष्ट्र पिता महात्मा गांधी जोहानिसबर्ग के जिस मकान में तीन वर्ष तक रहे थे, उस मकान को बेचा जा रहा है, लेकिन इस मकान का अभी तक कोई खरीदार नहीं मिला है। यहां रहने वाले भारतीय मूल के लोग भी इसे खरीदने में बहुत ज्यादा रुचि नहीं दिखा रहे हैं। मध्य जोहानिसबर्ग के उत्तर में शांत ऑर्चर्ड रोड पर स्थित इस मकान को महात्मा गांधी के विश्वासपात्र और वास्तुकार हर्मन कालेनबाख ने तैयार कराया था। महात्मा गांधी वर्ष 1908 से तीन वर्ष तक इस मकान में कालेनबाख के साथ रहे थे। बताया जाता है घर की मालकिन नैंसी बॉल यहां बीते 25 साल से रह रही हैं। नैंसी अब कैपटाउन में जाकर बसना चाहती हैं। इस ऐतिहासिक विरासत को सहेजने के लिए इच्छुक किसी सुपात्र के नहीं आने पर नैंसी ने अब मकान को बेचने का मन बना लिया है। हालांकि नैंसी ने इस मकान की कीमत का खुलासा नहीं किया है। दोस्तो इस बारे में आगे बात करेंगे, पहले सुनते हैं सत्यम शिवम सुंदरम फ़िल्म का ये गीत, बोल हैं यशोमती मैया से पूछे नंदलाला। इस गीत को सुनने के ख्वाहिशमंद हैं रतलाई, झालावाड़ राजस्थान से मनोहरबाई बागरी, कपिल, राजू, मीनाक्षी, सत्यनारायण, गजेंद्र सिंह, बंटी, पूरू व प्रभुलाल आदि श्रोता।
ललिताः हां तो हम बात कर रहे थे गांधी जी के बारे में। मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक नैंसी बॉल ने इस मकान को बेचने के लिए विटवॉटर्स रैंड यूनिवर्सिटी में भारतीय अध्ययन केंद्र के संस्थापक स्टीफन गेल्ब की मदद ली है, ताकि मकान के लिए योग्य खरीदार खोजा जा सके। नैंसी ने इस मकान को बेचने के लिए दक्षिण अफ्रीका में रहने वाले जानेमाने भारतीयों को रिझाने का प्रयास भी किया है। इस संभावना पर भी विचार किया गया है कि मकान का इस्तेमाल यूनिवर्सिटी में आने वाले गेस्ट प्रफेसरों को ठहराने के लिए किया जा सकता है। गांधी जी के बारे में चर्चा यहीं तक, अब सुनते हैं अगला गीत। इसकी फरमाईश की है अभनपुर, छत्तीसगढ़ से लक्ष्मीनारायण बंजारे, टीकमगढ़ मध्य प्रदेश से हरिराम भास्कर भट्ट, हरि अहिरवार व हरिराम हिंदुस्तानी आदि ने। गीत के बोल हैं तेरे नैना, फ़िल्म का नाम है चांदनी चौक टू चायना।
अनिलः दोस्तो, अगर भीड़ भरी सड़कों से मन ऊब गया हो, तो अब एक ऐसी कार आ गई है जो रेत, बर्फ और पानी सब जगह फर्राटे भर सकती है। चीन के एक युवा ने एक ऐसी ही एक कार डिजाइन की है, जो सड़क समेत हर जगह चल सके। झिंग ह्वा यूनिवर्सिटी से ग्रैजुएट चांग यू हान ने इस कार को बनाया है। उन्होंने इस कार को फॉक्सवैगन एक्वा नाम दिया है। यह एक घंटे में 42 मील तक तय कर सकती है। होवरक्राफ्ट की तरह बनी होने से किसी भी सतह पर चल सकती है। इस कार का स्पोर्ट्स कार डिजाइन जैसा है। इसमें चार हाई पावर्ड फैन और एयरबैग लगे हैं। जब इनमें हवा भर जाती है, तो ये कार को हवा में उठा लेते हैं। इसमें एक हाइड्रोजन फ्यूल सेल लगी हुई है, जो दो मोटरों को पावर देती है। इसकी खास बात यह है कि इसमें से कार्बन का उत्सर्जन ना के बराबर होता है। इनमें से एक मोटर हवा के थैलों को भरकर उसे सतह से ऊपर उठा लेते हैं, जबकि दूसरी मोटर से आगे-पीछे चलाया जा सकता है। लोगों को उम्मीद है कि एक दिन इस कार को आम पब्लिक के लिए चलाया जाएगा। हां तो हम कार की बात कर रहे थे, अब सुनते हैं ये गीत, गीत के बोल हैं बैरी पिया बड़ा बेदर्दी, फिल्म का नाम है देवदास।
अनिलः इसी के साथ पेश कर रहे हैं कार्यक्रम का अंतिम गीत इस गीत को सुनना चाहते हैं फ़ैजाबाद उत्तर प्रदेश से रामकुमार रावत, गीता रावत, अमित रावत, ललित रावत, दीपक रावत व मनीष रावत आदि श्रोता। गीत के बोल हैं ये रेशमी जुल्फें, ये शरबती आंखें, फिल्म का नाम है दो रास्ते।
अनिलः दोस्तो इसी गीत के साथ आपसे विदा लेने का समय आ गया है। आपसे फिर मुलाकात होगी अगले सप्ताह इसी समय इसी दिन। तब तक के लिए। बाय-बाय, नमस्ते, शब्वा खैर, अलविदा।