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आपकी पसंद 2011-06-01
2011-06-01 12:19:43

अनिलः आपकी पसंद सुनने वाले सभी श्रोताओं को अनिल का नमस्कार। दोस्तो हम फिर आ गए हैं आपकी फरमाईश के गीत लेकर। हमें उम्मीद है कि आपको कार्यक्रम में पेश होने वाले गीत पसंद आ रहे होंगे।

ललिताः श्रोताओं को ललिता का भी नमस्कार।

अनिलः दोस्तो दुनिया में कैसे-कैसे लोग हैं, एक तरफ वे जो ज़िंदगी भर कुंवारे रह जाते हैं, वहीं दूसरी ओर ऐसे भी शख्स हैं जो बार-बार शादी करने को तैयार रहते हैं। दोस्तो इस बारे में आगे बात करेंगे, पहले सुनते हैं कार्यक्रम का पहला गीत। गीत के बोल हैं आजा तुझको पुकारे मेरा प्यार, फिल्म का नाम है नील कमल, जिसे सुनना चाहते हैं फैज़ाबाद उत्तर प्रदेश से राम कुमार रावत, गीता रावत, अमित रावत, ललित रावत, दीपक रावत व मनीष रावत आदि श्रोता।


अनिलः हां तो हम बात कर रहे थे शादी के बंधन की। संयुक्त अरब अमीरात यानी यूएई के एक व्यक्ति को ही ले लीजिए। जनाब के इतने बच्चे हैं कम से कम सात क्रिकेट टीम बन जाएं। जी हां ये कोई मज़ाक नहीं है, हकीकत है। उस व्यक्ति का नाम है मोहम्मद अल बलूशी, उसकी उम्र है 65 वर्ष। उसकी सत्रह बीवियों से 90 बच्चे व 50 पोते-पोतियां हैं। इतने में भी वो रुकने का नाम नहीं ले रहा, अब वह पाकिस्तानी युवती से ब्याह रचाने वाला है।

ललिताः बताया जाता है कि शरीय कानून के मुताबिक एक व्यक्ति एक समय में चार बीवियां रख सकता है। जैसे ही बलूशी को नई शादी करनी होती है तो वह एक बीवी को तलाक़ दे देता है। यानी उसके लिए महिलाओं की लाइफ से खेलना बहुत आसान है। दोस्तो, चर्चा आगे भी जारी रहेगी, पहले पेश है कार्यक्रम का दूसरा गीत, जिसे हमने लिया है सूरज फिल्म से, गीत के बोल हैं तेरी प्यारी सूरत को किसी की नज़र न लगे। इसे गीत को सुनने की फरमाईश की है जुगसलाई टाटानगर से इंद्रपाल सिंह भाटिया, इंद्रजीत कौर, साबो भाटिया, सिमरन भाटिया, सोनक भाटिया, मनजीत भाटिया व अन्य श्रोताओं ने।

अनिलः दोस्तो भले ही दुनिया एक ग्लोबल विलेज़ बन गई हो और हम आधुनिकता की दौड़ में लगे हो, लेकिन अब भी पुरातन व दकियानूसी सोच वाले लोगों की कमी नहीं है। इसके लिए बहुत हद तक शिक्षा का अभाव भी है। ललिता जी आप कुर्सी पर बैठी हैं ना।

ललिताः जी हां आप भी तो कुर्सी पर ही बैठे हैं, तो क्या बात है?

अनिलः कुर्सी आखिर कुर्सी होती है। कभी आपने सोचा है कि एक कुर्सी की कीमत ज्यादा से ज्यादा कितनी हो सकती है। ज़रा दिमाग लगाइए, दस हज़ार.....दस लाख। नहीं दोस्तो एक कुर्सी ऐसी भी है जिसकी कीमत है सवा दो करोड़ रुपए। इस कुर्सी पर बैठते हैं कर्नाटक के एक मंत्री साहब, जिनका नाम है, जनार्दन रेड्डी। चलिए कुर्सी के किस्से पर आगे बात करेंगे, पहले सुनते हैं ये गीत। शीला की जवानी, फिल्म का नाम है तीस मार खां। इसे सुनना चाहते हैं झालावाड़ राजस्थान से मनोहर बाई बागरी, कपिल, संजू, मीनाक्षी, सत्य नारायण, गजेंद्र सिंह, बंटी, पूरू व प्रभुलाल बागरी आदि श्रोता।

अनिलः एक ओर भारत में तमाम लोगों के लिए दो वक्त की रोटी का जुगाड़ कर पाना मुश्किल होता है, वहीं येदियुरप्पा सरकार के टूरिज़्म व इंफ्रास्ट्रक्चर मंत्री के ठाठ किसी राजा महाराजा से कम नहीं हैं। वह 2.2 करोड़ रुपए की सोने की कुर्सी पर बैठते हैं और 2.58 करोड़ रुपये मूल्य की कीमत वाली सोने से भगवान की मूर्ति की पूजा करते हैं और करीब 13.15 लाख रुपये की बेल्ट पहनते हैं। इतना ही नहीं उनके घर में जो कटलरी इस्तेमाल की जाती हैं, उनमें सोने की प्लेट्स, कटोरियां, चम्मच-कांटे व चाकू हैं, जिनकी कीमत करीब 20.87 लाख रुपये है। हाल में रेड्डी ने लोकायुक्त के सामने पेश किए गए दस्तावेज में इसकी जानकारी दी।

ललिताः मैं तो चकित हो गई। मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि कुर्सी की कीमत ढाई करोड़ होगी और वह भी सोने से बनी। वैसे रेड्डी के पास और भी महंगे आभूषणों की भरमार है, जिसमें चूड़ियों से लेकर, नैकलेस, ईयर रिंग्स व सोने से बनी अन्य चीजें शामिल हैं। दोस्तो बातचीत आगे भी जारी रहेगी, पहले सुनते हैं ये गीत, जिसके बोल हैं अगर तुम मिल जाओ ज़माना छोड़ देंगे, फिल्म का नाम है ज़हर। इस गीत को सुनने के ख्वाहिशमंद हैं आदर्श नगर भटिंडा से अशोक ग्रोवर, परवीन ग्रोवर, नीती ग्रोवर, पवनीत ग्रोवर व विक्रमजीत गोवर आदि श्रोता।

अनिलः दोस्तो समय समय की बात होती है, बड़े से बड़ा शख्स भी कंगाल बन जाता है और गरीब बन जाता है अमीर। बालीवुड फिल्मों के महानायक अमिताभ बच्चन भी एक समय कंगाल होने वाले थे, यहां तक कि उनकी कंपनी एबीसीएल दिवालिया हो गयी थी। पिछले दिनों खबर आयी थी हिंदी सिनेमा के मशहूर एक्टर गंगू बाई हंगल बीमार हैं और उनकी मदद करने वाला कोई नहीं है। वहीं अभिनेता राज किरण भी इसी सूची में आ सकते हैं। 70 व 80 के दशक मशहूर रहे राज किरण आजकल पागलखाने में बंद हैं। दोस्तो उनका एक गीत वाकई आज भी लोगों की जुबान पर आता रहता है, तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो, क्या ग़म जिसे छुपा रहे हों। फिल्म थी अर्थ, जिसमें राज किरण के साथ ही शबाना आजमी। राज किरण के बारे में लंबे समय से कोई जानकारी नहीं थी, यहां तक कि लोग उन्हें मरा हुआ मान बैठे थे, लेकिन उनके दोस्त ऋषि कपूर ने उन्हें ढूंढ निकाला है। राज किरण आजकल अटलांटा के एक मेंटल हॉस्पिटल में रह रहे हैं।

ललिताः कार्यक्रम का अगला गीत हम राज किरण को ही समर्पित कर रहे हैं। गीत के बोल हैं तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो, फिल्म का नाम है अर्थ।

अनिलः लंदन के मशहूर मैडम टुसाड म्यूजियम में अब बेबो यानी करीना कपूर का वैक्स स्टैच्यू नहीं लगेगा। हालांकि उनकी जगह अब किसी और बॉलिवुड एक्ट्रेस को चांस मिल सकता है, वैसे, अगर इस म्यूजियम में बेबो का स्टैच्यू लग जाता तो बेबो पर कपूर खानदान और इंडस्ट्री के साथ उनके फैन्स को भी गर्व होता। पिछले दिनों मैडम टुसाड म्यूजियम में करीना कपूर का मोम वाला स्टैच्यू लगने की खबर थी। उसकी प्लानिंग अब कैंसल हो गई है। दरअसल, करीना के मैनेजर और इवेंट मैनजमेंट कंपनी के बीच पंगा हो गया है। अब पता नहीं कि इसके बाद करीना का मोम में ढलने का सपना पूरा होगा भी या नहीं। कार्यक्रम का अंतिम गीत पेश है प्यार में कभी-कभी फिल्म से, गीत के बोल हैं वो पहली बार जब हम मिले।

अनिलः दोस्तो इसी गीत के साथ आपसे विदा लेने का समय आ गया है। आपसे फिर मुलाकात होगी अगले सप्ताह इसी समय इसी दिन। तब तक के लिए। बाय-बाय, नमस्ते, शब्वा खैर, अलविदा। अब अनिल और ललिता को इजाजत दीजिए। नमस्कार।

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