अनिलः आपकी पसंद सुनने वाले सभी श्रोताओं को अनिल का नमस्कार। दोस्तो हम फिर आ गए हैं आपकी फरमाईश के गीत लेकर। हमें उम्मीद है आपको कार्यक्रम में पेश होने वाले गीत पसंद आ रहे होंगे।
ललिताः श्रोताओं को ललिता का भी नमस्कार।
अनिलः दोस्तो आंखों के लिए न जाने कितने ही जुमले व गीत बने हैं। कहते हैं आंखें बहुत कुछ बयां कर देती हैं। आंखें न हो तो हम दुनिया ही न देख पाय। शायद इस पीड़ा को वहीं समझ सकता है, जिसकी आंख न हो। लेकिन आजकल कई वजहों से आंखों की समस्याएं आम हैं। इसके लिए तनाव व हमारी जीवनशैली भी काफी हद तक जिम्मेदार कही जा सकती है। कंप्यूटर या लैपटॉप पर आप तो काम करते ही होंगे। लगातार इसपर काम करने और ज्यादा टीवी देखने के अलावा ऐसे कई और काम हैं, जिनके कारण आंखों में दर्द आदि की समस्या आम हो गई है। आई स्ट्रेन ज्यादा गंभीर हो जाए तो इसकी वजह से कई दूसरी समस्याएं भी हमला कर देती हैं। चलिए इसी से जुड़ा है आज का पहला गीत। गीत के बोल हैं आंखों ही आंखों में इशारा हो गया, बैठ-बैठ जीने का सहारा हो गया। फिल्म का नाम है सीआईडी।
ललिताः अनिल बिल्कुल सही कहा। आजकल आंखों की समस्याएं आम हैं, खासकर युवाओं में, जो अपना अधिकांश समय टीवी या इंटरनेट के सामने गुजारते हैं। दोस्तो जिस तरह हमारे शरीर का ठीक तरह से आराम करना ज़रूरी है, उसी तरह आंखों को समय-समय पर रेस्ट देना काफी अहम है। लेकिन अक्सर देखने में आता है कि हम आंखों को नजरअंदाज कर देते हैं, क्योंकि हमें घंटों कम्यूटर के आगे बैठने की आदत जो पड़ गई है।
अनिलः हां तो दोस्तो बातचीत आगे भी जारी रहेगी, पहले सुनते हैं ये गीत, जिसके बोल हैं ये परदा हटा दो ज़रा मुखड़ा दिखा दो, हम प्यार करने वाले हैं कोई गैर नहीं। फिल्म का नाम है एक फूल दो माली। इसे सुनना चाहा है औरैया उत्तर-प्रदेश से देशपाल सिंह सेंगर, रचना सेंगर, पवन सिंह सेंगर, भीम सिंह सेंगर, सितम व सुधीर सेंगर आदि श्रोताओं ने।
अनिलः हां तो दोस्तो, हम बात कर रहे हैं आंखों की। तो मैं ये बता दूं कि चीनी युवाओं में भी आंखों से जुड़ी समस्याएं आम हैं। मैं जहां भी देखता हूं अधिकांश युवा व बच्चे आंखों में मोटे-मोटे चश्मे लगाकर धूमते हैं। इसकी वजह कंप्यूटर, इंटरनेट के अलावा उन पर पड़ने वाला पढ़ाई का भारी बोझ भी है। भारतीय युवा पीढ़ी की आंखें भी कमज़ोर हो रही हैं। चलिए इस बारे में आगे बात करेंगे, पहले सुनते हैं ये गीत। गीत के बोल हैं क्या खूब लगती हो बड़ी सुंदर दिखती हो, फिल्म का नाम है धर्मात्मा, इसे गाया है मुकेश ने। इस गीत को सुनने की फरमाईश की है मउनाथ भंजन उत्तर प्रदेश से सलमान अहमद अंसारी, फरमान अहमद, अरमान अहमद, फरहान अहमद, रसा तसलीम, तुबा तसलीम, सूफिया तसलीम व अल्फिया तसलीम ने।
अनिलः ललिता जी आपको सांप कैसे लगते हैं। कभी सांप को नज़दीक से देखा है।
ललिताः नहीं, मुझे तो डर लगता है। मैं उसके पास जाने की हिम्मत नहीं जुटा सकती हूं। वैसे मुझे अन्य कीड़े देखकर भी घबराहट होती है।
अनिलः हां, ललिता अगर सोचो सांप आपके परिवार का सदस्य बन जाए तो कैसा रहेगा।
ललिताः जी नहीं ऐसा कभी नहीं हो सकता। सांप तो सांप होता है, उसकी जगह बिल में होती है, घर के अंदर नहीं।
अनिलः लेकिन आजकल सांप की जगह घर के अंदर भी होने लगी है। दोस्तो एक परिवार ऐसा भी है, जिसमें 20 सांप शामिल हैं। जी हां 20 सांप। यह घटना ब्रिटेन की है, लीड्स में एक परिवार ऐसा है जो कई सांपों के अलावा बिच्छुओं के साथ जिंदगी गुजार रहा है। इस परिवार में कुल 80 सरीसृप और चौपाए हैं। परिवार के मुखिया एलन हैविट हैं, न सिर्फ एलन बल्कि उनकी पत्नी व तीन बच्चे भी इन सांपों व पशुओं के साथ रहते हैं। अब आप भी सोचिए जरा सांप आप के घर में आ गया तो कैसा रहेगा। हां तो डरिए मत दोस्तो, हम सांप की बात नहीं करेंगे। अभी सुनते हैं पहले ये गीत, गीत के बोल हैं तेरे मस्त-मस्त दो नैन। इसे सुनना चाहते हैं कलेर बिहार से मो. आसिफ खान, बेगम निकहत प्रवीन, सदफ आरजू, अजफर अकेला, तहमीन मशकुर आदि।
ललिताः दोस्तो कार्यक्रम का अगला गीत हमने लिया है फिल्म लगे रहो मुन्ना भाई से, उसके बोल हैं पल-पल, हर पल।
अनिलः दोस्तो आपने तो भी कद्दू खाया होगा। बताया जाता है कद्दू की सुगंध मदहोश कर देती है। शिकागो के वैज्ञानिकों के मुताबिक पुरुषों को आकर्षित करने के लिए कद्दू की सुगंध सभी परफ्यूम पर भारी पड़ती है। इसकी खुशबू पुरुषों की यौन उत्तेजना बढ़ा देती है और उनमें कामेच्छा जागृत कर देती है। यदि अब तक आपको कद्दू पसंद नहीं था तो अब बदल जाइए। चलिए आप इस बार कद्दू खरीद लाएं और हमें जरूर बताइए कि आपको कैसा लगा। हमें आप का इंतजार रहेगा कि आपको कद्दू का स्वाद और उसकी सुगंध कैसी लगी। अभी सुनते हैं कार्यक्रम का आखिरी गीत, जो है एक पंजाबी गीत। इसे सुनकर वाकई झूमने लगेंगे। उसके बोल हैं बल्ली सागू।
अनिलः दोस्तो अब आपसे विदा लेने का समय आ गया है। आपसे फिर मुलाकात होगी अगले सप्ताह इसी समय इसी दिन। तब तक के लिए आज्ञा दें। बाय-बाय, नमस्ते, शब्वा खैर, अलविदा।