अनिलः आपकी पसंद सुनने वाले सभी श्रोताओं को अनिल का नमस्कार। दोस्तो हम फिर आ गए हैं आपकी फरमाईश के गीत लेकर। हमें उम्मीद है कि आपको कार्यक्रम में पेश होने वाले गीत पसंद आ रहे होंगे।
ललिताः श्रोताओं को ललिता का भी नमस्कार। दोस्तो मुझे लगता है अब आपकी शिकायत दूर हो गयी होगी कि हम पुराने गीत नहीं पेश करते। आजकल हम नए व पुराने गीतों को बराबर तवज्जो दे रहे हैं।
अनिलः हां ललिता ने बिल्कुल सही कहा। आपकी पसंद नए व पुराने गीतों का संगम है। हां तो दोस्तो कार्यक्रम की शुरूआत करते हैं कसूर फिल्म के गीत के साथ। इस गीत को सुनने के ख्वाहिशमंद हैं भटिंडा पंजाब से अशोक ग्रोवर, प्रवीन ग्रोवर, नीति ग्रोवर, पवनीत ग्रोवर, विक्रमजीत ग्रोवर आदि श्रोता।
ललिताः दोस्तो सभी जानते हैं कि मां का खान-पान और रहन-सहन उसके होने वाले बच्चे को प्रभावित करता है। लेकिन क्या आपको पता है कि मां द्वारा गर्भ के दौरान सुना जाने वाले संगीत को गर्भस्थ शिशु न केवल सुनता है, बल्कि जन्म के बाद भी याद रखता है।
अनिलः हां बिल्कुल सही कहा। वाकई संगीत में बड़ी ताकत होती है। वैज्ञानिकों ने इसे साबित करने के लिए एक अध्ययन किया है। हालांकि वैज्ञानिकों का यह भी कहना है कि भले ही बच्चे में जन्म से पहले सुनने की क्षमता विकसित हो जाती हो, मगर इसका मतलब यह नहीं कि आप बच्चे में संगीत के प्रति लगाव बढ़ाने के लिए संगीत ही सुनें। अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा संगीत के क्षेत्र में काम करे, तो उसके लिए कोशिश जन्म के बाद करनी चाहिए। हां तो दोस्तो बातचीत आगे भी जारी रहेगी, पहले सुनते हैं ये गीत, इसे गाया है किशोर कुमार ने, गीत के बोल हैं ये शाम मस्तानी मदहोश किए जाए।
ललिताः पिछले दिनों आई एक स्टडी के मुताबिक हर सात में से एक यूनिवर्सिटी स्टूडेंट कंप्यूटर पर एक घंटे काम करने के बाद दर्द फील करने लगता है। इस वजह से महज 22-23 साल की उम्र में ही नेक डिस्क रिप्लेस करने की नौबत आने लगी है। एक्सपर्ट्स इससे बचने के लिए फिटनेस शेड्यूल फॉलो करने की सलाह देने लगे हैं।
अनिलः वाकई, कंप्यूटर से शरीर में तमाम तरह की परेशानियां होने लगी हैं। चलिए दोस्तो इस बारे में आगे बात करेंगे, पहले सुनते हैं कार्यक्रम का अगला गीत। इसे सुनना चाहते हैं जुगसलाई टाटानगर से इंद्रपाल सिंह भाटिया, इंद्रजीत कौर भाटिया, साबो भाटिया, सिमरन भाटिया, सोनक भाटिया, मनजीत भाटिया व अन्य श्रोताओं ने। फिल्म का नाम है शराबी।
अनिलः हां तो दोस्तो अब वह दिन दूर नहीं जब आप अपनी कलाई पर फेसबुक अकाउंट भी अपडेट कर सकेंगे। जी हां कनाडा की जानी-मानी सॉफ्टवेयर निर्माता कंपनी इनपल्स के वैज्ञानिक एक ऐसी हाथ घड़ी बनाने में सफल रहे हैं जो आपको चौबीसों घंटे आपके स्मार्ट फोन, कंप्यूटर या लैपटॉप सो जोड़े रखेगी। इसके इस्तेमाल से आप न केवल हर हलचल पर नजर रख सकेंगे, बल्कि जरूरत पड़ने पर किसी सवाल का तुरंत जवाब भी दे सकेंगे। चलिए कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए हम सुनते हैं दबंग फिल्म का गीत, मुन्नी बदनाम हुई। इसे सुनने के ख्वाहिशमंद हैं फैज़ अहमद फैज़, जीशान अहमद फैज़, सलमान अहमद, इमरान अहमद, नूरूक हसन, रसा तसनीम, तुला तसनीम, सूफिया तसनीम व अल्फिया तसनीम।
ललिताः दोस्तो है ना तकनीक का कमाल। आज हम घर बैठे ही दुनिया की तमाम खबरों से रूबरू हो जाते हैं। यानी दुनिया हमारी मुट्ठी में समा चुकी है। आज से दो दशक पहले शायद ही किसी ने कल्पना की होगी कि इंटरनेट व अन्य संचार माध्यम हमारे लिए वरदान साबित होंगे। मगर आज यह सब हकीकत बन चुका है।
अनिलः हां वाकई में टेकनोलजी आजकल हमारी लाइफ का भाट बन चुकी है। तो इसी के साथ सुनते हैं कार्यक्रम का अगला गीत, फिल्म का नाम है ताजमहल, बोल हैं जो वादा किया वो निभाना पड़ेगा। इसे सुनना चाहते हैं फैजाबाद उत्तर-प्रदेश से रामकुमार रावत, गीता रावत, अमित रावत, ललित रावत, दीपक व मनीष।
अनिलः हां तो दोस्तो, बात तकनीक से जुड़ी हो रही है, तो मैं ये बता दूं कि अलकायदा सरगना ओसामा हंट ऑपरेशन पाकिस्तान में हो रहा था, लेकिन उससे जुड़ी पल-पल की जानकारी हज़ारों मील दूर बैठे अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा व उनके सहयोगी ले रहे थे। यानी वे पूरा ऑपरेशन लाइव देख रहे थे। हां तो दोस्तो, हमारी बातचीत यहीं तक। अब ललिता आप को अगले गाने के बारे में बताएंगी।
ललिताः कार्यक्रम का अंतिम गीत हम पेश कर रहे हैं गज़नी फिल्म का गीत, कैसे मुझे तू मिल गयी। इसे सुनना चाहते हैं बुलंद दरवाज़ा कलियर शरीफ से इस्लाम साहिल, असलम साहिल, शाहरुम त्यागी, इकराम राजा व पप्पू भाई ने।
अनिलः दोस्तो इसी गीत के साथ आपसे विदा लेने का समय आ गया है। आपसे फिर मुलाकात होगी अगले सप्ताह इसी समय इसी दिन। तब तक के लिए बाय-बाय, नमस्ते, शब्वा खैर अलविदा। अब अनिल और ललिता को इजाजत दीजिए। नमस्कार।