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आपकी पसंद 2011-04-27
2011-04-27 13:16:01

अनिलः आपकी पसंद सुनने वाले सभी श्रोताओं को अनिल का नमस्कार। दोस्तो हम फिर आ गए हैं आपकी फरमाईश के गाने व कुछ मज़ेदार बातों के साथ। उम्मीद है आपको हमारा नया अंदाज पसंद आ रहा होगा।

ललिताः श्रोताओं को ललिता का भी नमस्कार। दोस्तो एक ओर भारत में तमाम घोटालों के खुलासे का दौर चला है, वहीं दूसरी ओर स्विस बैंक में सबसे ज्यादा खाते भारतीयों के हैं।

अनिलः जी हां, ललिता ने बिल्कुल सही कहा। एक ओर देश के तमाम लोग दो वक्त की रोटी का जुगाड़ नहीं कर पाते हैं, वहीं काली कमाई को विदेशी बैंकों में जमा करने वालों की भी कमी नहीं है। अगर अरबों रूपए की यह राशि देश में आ गई, तो वाकई देश को इससे लाभ हो सकता है। चलिए इस बारे में आगे बात करेंगे। पहले सुनिए कार्यक्रम का ये पहला गीत। कई श्रोताओं ने हम खत लिखकर दबंग फिल्म का गीत मुन्नी बदनाम हुई। सुनाने की फरमाईश की है। भागलपुर बिहार से डॉ. हेमंत कुमार, जीवेश नंदन प्रियदर्शी, नीलेश नंदन, देवनंदन, ललिता प्रियदर्शी, संगीता, बबीता, अनीता व नूतन प्रियदर्शी ने। लीजिए आपकी पसंद पर पेश है दबंग फिल्म का ये गीत।

ललिताः ब्लैक मनी के बारे में खुलासा करने वाले व्यक्ति हैं विकीलीक्स के संस्थापक जूलियन असांज। वे कहते हैं कि स्विस बैंक का जो डेटा सामने आ रहा है, उनमें भारतीयों के भी नाम हैं। उन्होंने संकेत दिए कि ये नाम बड़े लोगों के भी हो सकते हैं। असांज के मुताबिक, मुझे एक रिपोर्ट से पता चला कि स्विस बैंकों में किसी देश के नागरिकों के मुकाबले भारतीयों का धन ज्यादा है।

अनिलः ललित ने बिल्कुल सही कहा। चलिए कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए हम सुनते हैं अगला गीत। इसे सुनने के ख्वाहिशमंद हैं हरिद्वार, उत्तराखंड से निसार सलमानी, नौशाद राजा, सुहैल बाबू आदि श्रोता। गीत के बोल हैं जो वादा किया वो निभाना पड़ेगा। फिल्म का नाम है ताजमहल, इसे गाया है मो. रफी व लता जी ने।

अनिलः ललिता जी मेरे हाथ में एक बड़ा मज़ेदार पत्र है।

ललिताः कौन सा पत्र।

अनिलः मेरे पास जो खत है, उसमें नारनौल हरियाणा के उमेश कुमार, प्रेमलता शर्मा, सुजाता, हिमांशु व नवनीत आदि ने कई पुराने गीतों को एक ही साथ सुनाने की फरमाईश की है। अब यह मज़ेदार पत्र तो हुआ है न, जब एक साथ इतने सारे गीत हम कैसे सुना सकते। लेकिन हम आप लोगों की भावनाओं को समझते हैं कि आप पुराने गीतों के शौकीन हैं, लेकिन एक साथ इतने अधिक गीत पेश करना हमारे लिए संभव नहीं है। हमारी कोशिश रहेगी कि अगले कार्यक्रमों में इस तरह के गीत शामिल किए जाए। लीजिए अभी सुनिए आपकी पसंद ज़मीर फिल्म का ये गीत, बोल हैं ज़िंदगी हंसने गाने के लिए है, जिसे गाया है किशोर दा ने।

ललिताः असांज ने कहा कि देश में करप्शन करने से ज्यादा खतरनाक है विदेशी बैंकों में काला धन जमा करना। देश में करप्शन पर कोई सरकार का पैसा मारता है और इसे भारत में ही खर्च भी करता है। इससे सरकार को भले नुकसान हो, जनता का पैसा बाहर नहीं जाता। विकिलीक्स के खुलासों पर भारत सरकार की प्रतिक्रिया को दुनिया में सबसे खराब प्रतिक्रियाओं की श्रेणी में रखते हुए असांज ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर आरोप लगाए।

अनिलः असांज ने कहा लोग कहते हैं मनमोहन सिंह ईमानदार हैं। मुझे नहीं पता वह हैं या नहीं। लेकिन उनकी प्रतिक्रिया से बहुत कुछ ऐसा नहीं हो पाया, जो होना चाहिए था। पूरी तरह से खुलकर साफ जांच होनी चाहिए थी और नतीजे संसद के सामने रखे जाने चाहिए थे। इसकी जगह मुद्दा उलझाने की कोशिश की गई। हां सही कहा, वाकई में करप्शन एक बहुत बड़ी समस्या है। दोस्तो आप इस बारे में क्या सोचते हैं, हमें भी बताइएगा। अभी सुनते हैं ये गीत, ओ बेखबर, फिल्म का नाम है एक्शन रीप्ले।

अनिलः सुना है मेट्रो के बाद दिल्ली को एक और आधुनिक परिवहन व्यवस्था मिलने वाली है। दिल्ली सरकार अब गुड़गांव की तर्ड पर दिल्ली में भी पॉड कारें चलाने पर विचार कर रही है। अगर यह विचार हकीकत में बदलता है, मेट्रो के बाद यह दिल्ली की दूसरी अत्याधुनिक परिवहन प्रणाली साबित हो सकती है। बताया जा रहा है कि सरकार पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर दिल्ली के कुछ इलाकों में पॉड कारें चलाने पर विचार कर रही है। लीजिए इसी के साथ सुनते हैं कार्यक्रम का अगला गीत, फिल्म का नाम है दोस्ताना, बोल हैं खबर नहीं।

ललिताः जी हां सही कहा। यह एक आधुनिक सुविधाजनक और प्रदूषण रहित परिवहन प्रणाली है। यी निजी वाहनों के विकल्प के रूप में काफी कारगर साबित हो सकती है और दिल्ली में सार्वजनिक परिवहन की मौजूदा प्रणालियों की पूरक बन सकती है। इसे प्रगति मैदान, द्वारका, करोल बाग, पूर्वी दिल्ली और नॉर्थ कैंपस जैसे कुछ इलाकों में चलाया जा सकता है।

अनिलः जी हां, ललिता ने बिल्कुल सही कहा। अगर यह सुविधा दिल्ली में शुरू हो गई, तो वाकई लोगों के लिए बहुत सुविधा हो जाएगी। चलिए कार्यक्रम का अंतिम गीत हम पेश कर रहे हैं रोग फिल्म का, बोल हैं गुजर न जाएं, इसे गाया श्रेया घोषाल व साथियों ने।

अनिलः दोस्तो इसी गीत के साथ आपसे विदा लेने का समय आ गया है, उम्मीद है कि आपको हमारा कार्यक्रम पसंद आया होगा। हमें आपके पत्रों व ई-मेल का इंतजार रहेगा। अब अनिल और ललिता को इजाजत दीजिए। नमस्कार।

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