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फिल्म यह दिल दिवाना का गीत
2010-11-03 09:09:54
वनिता:यह चाइना रेडियो इंटरनेशनल है। आप की पसंद कार्यक्रम सुनने वाले सभी श्रोताओं को वनिता का प्यार भरा नमस्कार।

राकेश:राकेश का भी सभी श्रोताओं को प्यार भरा नमस्कार। कार्यक्रम की शुरुआत में सुनिए यह मधुर गीत जिसे सुनना चाहा है हमारे इन श्रोताओं ने नूर नगर, गंजडून्डवारा से, मुहम्मद फारुक धनवान, मुहम्मद अफगन शेरवान, प्यारे मियां दयावान, खिल्लू हुसैन बागवान, बकील हुसैन मेहरवान, नावेद हुसैन कुरवान, भुवन प्रकाश भाग्यवान, सिराज पेन्टर सादवान और नूर आलम पहलवान।

वनिता:श्रोताओं, 22 सितम्बर को चीनी लोगों ने अपना परम्परागत त्योहार----मध्य शरद त्योहार मनाया । चीनी कैंलेंडर के अनुसार , यह हर वर्ष आठवें माह की 15 तारीख को पड़ता है। और इसे हर चीनी चाहे वह चीन में हो , या विदेश में,चीनी मूल का विदेशी हो,या विदेश में रह रहा प्रवासी पूरे उत्साह से मनाता है।

राकेश:दोस्तो, मैं भी कई सालों से अब पेइचिंग में मध्य शरद त्योहार मना रहा हूं । शायद आप जानना चाहेंगे कि क्यों इस त्योहार का नाम मध्य शरद त्योहार पड़ा। चीनी कैलेंडर का आठवां महीना शरद के मध्य में पड़ता है , और इस महीने का 15वां दिन भी इस के बीचों बीच है। इस लिए लोग इसे मध्य शरद त्योहार कहते हैं। मध्य शरद त्योहार की रात की चांदनी सब से सुन्दर होती है। ऐसे में हरेक परिवार एक साथ मिल-कर बैठता है , इस दिन के लिए बना विशेष व्यंजन मूनकेक खाता है,और चांदनी की सुन्दरता निहारता है।

वनिता:हां। यह बात सच है। चीनी लोगों के लिए मध्य शरद उत्सव का एक और विशेष मतलब भी है। इसे हर परिवार के लिए साथ मनाना जरूरी माना जाता है।घर से दूर रहने वाले भी इस दिन घर वापस लौटने की कोशिश करते हैं। यह त्योहार भी वसंत त्योहार की तरह चीनी लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। वसंत त्योहार वसंत की शुरूआत में मनाया जाता है। तो, दोस्तो, अब आएं सुनें फिल्म यह दिल दिवाना का यह गीत।

राकेश:दोस्तो, मेरे पास एक पत्र है, जिसे भेजा है पाकिस्तान के सदर डीसैंट बेइजिंग लिसनर क्लब के श्रोता डीसैंट नदीम बट ने। इन्होंने अपने पत्र में एक बहुत ही सुंदर प्रेम कविता लिख कर भेजी है।

अब तो चाहता हूं ज़माने से छुपा लूं तुझको

अपनी धडकन की तरहा दिल में बसा लूं तुझको

कोई एहसास जुदाई का न होने पाय

इस तराह खुद में मेरी जान समान लूं तुझको

तु जो य्ठय कभी मुझ से मेरे दिल की मलिका

सारी दुनिया से खफा हो के मना लूं तुझको

जब भी देखों तेरे चेहरे पे उदासी का समा

येही चाहूं कि किसी तरहा हसा लूं तुझको

तु जो थक के लौटे तो येही खवाहिरा है

अपनी पलकों की छाओं में सुला लूं तुझको।

वनिता:पाकिस्तान के सदर डीसैंट बेइजिंग लिस्नर क्लब के श्रोता डीसैंट नदीम बट जी कार्यक्रम पसंद करने और हमें पत्र लिखने के लिए बहुत धन्यवाद। हमें खुशी है कि आप को हमारा कार्यक्रम पसंद आता है। हमें खुशी है कि आप की एक कविता मिली।इसे हम श्रोटा वाटिका में प्रकाशित करने की कोशिश करेंगे। दोस्तो, आप हमारे कार्यक्रम के लिए हर तरीके से अपने राय, सुझाव व सवाल पेश कर सकते हैं। हमें आप के पत्रों का इंतजार है। तो, दोस्तो, सुनिए कार्यक्रम का अगला गीत।

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