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जब जब दिल मिले
2010-01-20 14:23:45

राकेश:हमारे पास एक और पत्र है, यह पत्र भेजा है बिहार राज्य के आजाद रेडियो कल्ब से इजराइल कस्तुरी, मिकाइल अंसारी और इसराइल अंसारी ने।

वनिता:इन्होंने लिखा है कि आपकी पसंद कार्यक्रम को हमारे कल्ब के शत-प्रतिशत सदस्य नियमित रूप से सुनते हैं, साथ ही खूब मनोरंजन कर रहे हैं। आप की पसंद कार्यक्रम की समस्त सदस्य प्रशंसा भी कर रहे हैं।

राकेश:इन दिनों आप की पसंद कार्यक्रम की लाजवाब प्रस्तुति रो रही है। गीतों का चयन और प्रस्तुति का बहुत ही अनोखा समागाम रो रहा है।

वनिता:कार्यक्रम पसंद करने और हमें पत्र लिखने के लिए श्री इजराइल कस्तुरी, मिकाइल अंसारी और इसराइल अंसारी आप का बहुत धन्यवाद। हमें खुशी है कि अधिकाधिक श्रोताओं ने हमें पत्र भेजा है।

राकेश:तो, आइए, इस कार्यक्रम का अगला गीत सुनें, जिसका शीर्षक है सोचा न था ।

 सोचा न था

वनिताः चाइना रेडियो इंटरनेशनल से आप सुन रहे हैं हिन्दी फिल्मी गीतों पर आधारित कार्यक्रम आप की पसंद। यदि आप भी कोई गीत सुनना चाहते हैं, तो हमें पत्र लिखकर या ई-मेल से अपनी फरमाइश भेज सकते हैं।

राकेशः पत्र लिखने और ई-मेल के हमारे पते इस प्रकार हैं, पी. ओ. बॉक्स न 4216, सी. आर. आई.-7, पेइचिंग, चीन, 100040। आप हमें नई दिल्ली के पते पर भी पत्र लिख सकते हैं, नोट कीजिए, नई दिल्ली में हमारे दो पते हैं।

पहला पता हैः हिन्दी विभाग, चाइना रेडियो इंटरनेशनल, पहली मंजिल, ए ब्लॉक छ बटा चार, वसंत विहार, नई दिल्ली, पोस्ट-110057।

वनिताः और दूसरा पता है चीनी दूतावास, हिन्दी विभाग, चाइना रेडियो इंटरनेशनल, पचास डी, शांति पथ, चाणक्यपुरी, नई दिल्ली, पोस्ट-110021।

राकेशः यदि आप के पास इंटरनेट की सुविधा है तो आप हमारी वेबसाईट अवश्य देखें hindi.cri.cn। हमारा ई-मेल का पता हैः hindi@cri.com.cn । हमें आप के पत्रों का इंतजार रहेगा।

वनिताः दोस्तो, कार्यक्रम का अगला गीत है "जब जब दिल मिले"।

 जब जब दिल मिले

राकेशः दोस्तो, अगले साल चीन व भारत के बीच राजनयीक संबंध की स्थापना की 60वीं वर्षगांठ होगी। चीनी सरकार और हमारे सी आर आई के द्वारा कार्यवाहियां आयोजित होंगी। हमारे कार्यक्रम इन कार्यवाहियों की रिपोर्ट देगा, आशा है आप इस पर ध्यान देंगे और हमारे कार्यवाहियों में सक्रीय रूप से भाग लेंगे।

वनिताः हां। अगर आप इस के बारे में कोई विचार, सुझाव या सवाल होंगे, तो कृप्या हमें पत्र लिखकर बताईए। हमें आप के पत्रों का इंतजार रहेगा।

राकेशः तो, दोस्तो, कार्यक्रम का अंतिम गीत सुनें, जिसका शीर्षक है बाबूजी।

 बाबूजी

वनिताः यह गीत मुझे भी पसंद है। अच्छा, दोस्तो, इस गीत के साथ ही हमारा आज का यह कार्यक्रम समाप्त होता है। आशा है आप को यह क्रार्यक्रम पसंद आएगा। अगली बार फिर मिलेंगे। तब तक के लिए आज्ञा दीजिए। नमस्कार।

राकेशः नमस्कार।

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