गीत के बोल इस प्रकार हैः
ल्हासा की रात्रि प्यारी मुग्ध होती है ,
अनंत गगन में चांदनी निखरती है ।
रंगीन रोशनियों से झलकती है पा को सड़क,
शान शौकत से खड़ा है पोताला महल ।
ल्हासा नदी कलकल बहती ,
गाती है मुहब्बत में नहे प्रेमियों की कहानी ।
शीतल बयार से फैलता है जौ का महक,
मधुर संगीत बजाता है षष्ठ तंतु वाद्यक ।
ओ , प्यारी ल्हासा की रात्रि मनोहर ,
उस में डूबे , उस में मस्त ।
हरे पहाड़ों में चमकती है धरती की मोती
अपार मैदान में मुस्कारती है भाइचारी ।
ल्हासा की रात्रि प्यारी मधुरी है
सदियों से खिली है इस की खुबसूरती ।
आइए . सुनिए तिब्बती गायक की आवाज में यह मधुर गीत