ललिताः कार्यक्रम का अगला गीत है "सुरागनियों से सजा भारत एक अनोखा राग है"। आशा है यह गीत भी आप को पसंद आएगा।
राकेशः एक ई-मेल हमें भेजी है राजबाग रेडियो लिस्नर्स क्लब के श्री अतुल कुमार, मदन मिश्रा, सुमन कुमार, शंभकुमार, किसलय कुमार पंकज, अनिमेश अमृत, रमेशंकर चौधरी, अनिल कुमार, रमेश कुमार, सुमित कुमार, संतोष कुमार, सिंह, सुमन कुमार, अनिल चौधरी, सुजाता कुमारी, हर्ष शांडिल्य ने और इन्होंने "गजनी" फिल्म का गीत सुनने की फरमाइश की है।
ललिताः अतुल कुमार और अन्य दोस्तों का हमें ई-मेल लिखने के लिए बहुत शुक्रिया। आए सुनें यह गीत।
गीत के बोलः
तू मेरी अधूरी प्यास है
तू आ गई मन को रास है अब तो
तू मेरी अधूरी प्यास-प्यास
तू आ गई मन को रास-रास
अब तो तू आ जा पास-पास
है गुज़ारिश
है हाल तो दिल का तंग-तंग
तू रंग जा मेरे रंग-रंग
चलना मेरे
संग-संग
है गुजारिश
कह दे तू हां तो ज़िंदगी
जाम सी छूट के हंसेगी
मोती होंगे मोती राहों में आए, आए, आए
तू मेरी अधूरी प्यास-प्यास
तू आ गई मन को रास-रास
अब तो तू आ जा पास-पास
है गुज़ारिश
शीशे का ख्वाब ले के
रातों में चल रहा हूं
टकरा जाऊं कहीं
आशा की लौ है रोशनी
फिर भी तूफान का डर नहीं
लौ बुझ ना जाए कहीं
बस एक हां की गुजारिश
फिर होगी खुशियों की बारिश
तू मेरी अधूरी प्यास-प्यास
तू आ गई मन को रास-रास
अब तो तू आ जा पास-पास
है गुज़ारिश
हूं, हूं, हूं, हूं, हूं, हूं
चंदा है आसमान है
और बादल भी घने हैं
ये चंदा छुप जाए न
तनहाई डस रही है
और धड़कन बढ़ रही है
एक पल भी चैन आए न
कैसी अजब दास्तान है
बैचेनियां बस यहां हैं
तू मेरी अधूरी प्यास-प्यास
तू आ गई मन को रास-रास
अब तो तू आ जा पास-पास
है गुज़ारिश
है हाल तो दिल का तंग-तंग
तू रंग जा मेरे रंग-रंग
चलना मेरे
संग-संग
है गुजारिश
कह दे तू हां तो ज़िंदगी
जाम सी छूट के हंसेगी
मोती होंगे मोती राहों में आए, आए, आए
तू मेरी अधूरी प्यास-प्यास
तू आ गई मन को रास-रास
अब तो तू आ जा पास-पास
है गुज़ारिश