राकेशः राकेश का भी सभी श्रोताओं को प्यार भरा नमस्कार। तो श्रोताओ, आएं, कार्यक्रम की शुरुआत करें, सदाबहार गायक मोहम्मद रफी के इस लोकप्रिय गीत से। यह गीत है सन् 1963 में बनी फिल्म "मेरे महबूब" से। इस गीत को इसी फिल्म में अलग से लता ने भी गाया है। तो आएं सुनें रफी और लता की आवाज़ में "मेरे महबूब" फिल्म के ये गीत।
गीत के बोलः
मेरे महबूब तुझे मेरी मुहब्बत की क़सम
फिर मुझे नरगिसी आँखों का सहारा दे दे
मेरा खोया हुआ रंगीन नज़ारा दे दे
मेरे महबूब तुझे
भूल सकती नहीं आँखें वो सुहाना मंज़र
जब तेरा हुस्न मेरे इश्क़ से टकराया था
और फिर राह में बिखरे थे हज़ारोँ नग़में
मैं वो नग़में तेरी आवाज़ को दे आया था
साज़-ए-दिल को उन्हीं गीतों का सहारा दे दे
मेरा खोया
याद है मुझको मेरी उम्र की पहली वो घड़ी
तेरी आँखों से कोई जाम पिया था मैने
मेरे रग रग में कोई बर्क़ सी लहराई थी
जब तेरे मरमरी हाथों को छुआ था मैने
आ मुझे फिर उन्हीं हाथों का सहारा दे दे
मेरा खोया
मैने इक बार तेरी एक झलक देखी है
मेरी हसरत है के मैं फिर तेरा दीदार करूँ
तेरे साए को समझ कर मैं हंसीं ताजमहल
चाँदनी रात में नज़रों से तुझे प्यार करूँ
अपनी महकी हुई ज़ुल्फ़ों का सहारा दे दे
मेरा खोया
ढूँढता हूँ तुझे हर राह में हर महफ़िल में
थक गये हैं मेरी मजबूर तमन्ना के कदम
आज का दिन मेरी उम्मीद का है आखिरी दिन
कल न जाने मैं कहाँ और कहाँ तू हो सनम
दो घड़ी अपनी निगाहों का सहारा दे दे
मेरा खोया
सामने आ के ज़रा पर्दा उठा दे रुख़ से
इक यही मेरा इलाज-ए-ग़म-ए-तन्हाई है
तेरी फ़ुरक़त ने परेशान किया है मुझको
अब मिल जा के मेरी जान भी बन आई है
दिल को भूली हुई यादों का सहारा दे दे
मेरा खोया
मेरे महबूब तुझे मेरी मुहब्बत की कसम
फिर मुझे नर्गिसी आँखों का सहारा देदे
मेरा खोया हुआ रंगीन नज़ारा देदे
मेरे महबूब तुझे
ऐ मेरे ख़्वाब की ताबीर मेरी जान-ए-जिगर
ज़िन्दगी मेरी तुझे याद किये जाती है
रात दिन मुझको सताता है तस्सव्वुर तेरा
दिल की धड़कन तुझे आवाज़ दिये जाती है
आ मुझे अपनी सदाओं का सहारा देदे
मेरा खोया हुआ रंगीन नज़ारा देदे
मेरे महबूब तुझे
याद है मुझको मेरी उम्र की पहली वो घड़ी
तेरी आँखों से कोई जाम पिया था मैंने
मेरी रग-रग में कोई बर्क सी लहराई थी
जब तेरे मरमरी हाथों को छुआ था मैंने
आ मुझे फिर उन्हीं हाथों का सहारा देदे
मेरा खोया हुआ रंगीन नज़ारा देदे
मेरे महबूब तुझे
सामने आके ज़रा परदा उठादे रुख से
इक यही मेरा इलाज-ए-ग़म है
तेरी फ़ुरक़त ने परेशान किया है मुझको
अब तो मिल जा के मेरी जान पे बन आई है
दिल को भूली हुई यादों का सहारा दे दे
मेरा खोया हुआ रंगीन नज़ारा दे दे
मेरे महबूब तुझे
ललिताः इन गीतों को सुनना चाहा था मेन बाजार मनीमाजरा से राजीव कु. गोगना, सोमनाथ गोगना, अनिल कु. गोगना, रिषी कु. गोगना, दीपक कु. गोगना, कपिल कु. गोगना, कीर्ति कु. गोगना, काजल गोगना, पारूल गोगना, एस. के. पाठक और वन्दना गोगना।
राकेशः कार्यक्रम का अगला गीत भी मोहम्मद रफी की आवाज़ में है और यह गीत भी मोहम्मद रफी के सदाबहार और लोकप्रिय गीतों में से एक है। 1963 में बनी "ताजमहल" फिल्म में यह गीत फिल्माया गया है प्रदीप कुमार पर।
गीत के बोलः
जो बात तुझ में है तेरी तस्वीर में नहीं, तस्वीर में नहीं
जो बात तुझ में है
रंगों में तेरा अक्स ढला, तू न ढल सकी
सांसों की आंच जिस्म की ख़ुशबू न ढल सकी
तुझ में, तुझ में जो लोच है तेरी तहरीर में नहीं
तहरीर में नहीं
जो बात तुझ में है तेरी
बेजान हुस्न में कहाँ रफ़्तार की अदा
इनकार की अदा है न इक़रार की अदा
कोई, कोई लचक भी ज़ुल्फ़-ए-गिरहगीर में नहीं
जो बात तुझ में है तेरी
दुनिया में कोई चीज़ नहीं है तेरी तरह
फिर एक बार सामने आ जा किसी तरह
क्या और, क्या और एक झलक मेरी तक़दीर में नहीं
तक़दीर में नहीं
जो बात तुझ में है तेरी
राकेशः इस गीत को सुनने की फरमाइश की थी हमारे इन श्रोताओं ने मऊनाथ भंजन से चैंपियन रेडियो लिस्नर्स क्लब के सलमान अहमद अन्सारी, जीशान अहमद अंसारी, इमरान अहमद अन्सारी, अदनान अहमद अंसारी, फैज अहमद अन्सारी तथा सानिया बानो। आदर्श नगर, बठिंडा से इंतजार रेडियो लिस्नर्स कल्ब के अशोक ग्रोवर, प्रवीन ग्रोवर, नीति ग्रोवर, पवनीत ग्रोवर व विक्रम और जीत ग्रोवर।