ललिताः यह चाइना रेडियो इंटरनेशनल है। आप की पसंद कार्यक्रम सुनने वाले सभी श्रोताओं को ललिता का प्यार भरा नमस्कार।
राकेशः राकेश का भी सभी श्रोताओं को प्यार भरा नमस्कार। तो श्रोताओ आज हम फिर हाजिर हैं आप के पसंदीदा कायर्क्रम के साथ। और कार्यक्रम की हम शुरुआत करते हैं किशोर कुमार के गाए हुए इसे गीत से।
गीत के बोलः
रिम-झिम गिरे सावन, सुलग सुलग जाए मन
भीगे आज इस मौसम में, लगी कैसी ये अगन
रिम-झिम गिरे सावन
पहले भी यूँ तो बरसे थे बादल
पहले भी यूँ तो भीगा था आंचल
अब के बरस क्यूँ सजन, सुलग सुलग जाए मन
भीगे आज इस मौसम में, लगी कैसी ये अगन
रिम-झिम गिरे सावन
इस बार सावन दहका हुआ है
इस बार मौसम बहका हुआ है
जाने पीके चली क्या पवन, सुलग सुलग जाए मन
भीगे आज इस मौसम में, लगी कैसी ये अगन
रिम-झिम गिरे सावन
रिम-झिम गिरे सावन, सुलग सुलग जाए मन
भीगे आज इस मौसम में, लगी कैसी ये अगन
रिम-झिम गिरे सावन
जब घुंघरुओं सी बजती हैं बूंदे
अरमाँ हमारे पलके न मूंदे
कैसे देखे सपने नयन, सुलग सुलग जाए मन
भीगे आज इस मौसम में, लगी कैसी ये अगन
रिम-झिम गिरे सावन
महफ़िल में कैसे कह दें किसी से
दिल बंध रहा है किस अजनबी से
हाय करे अब क्या जतन, सुलग सुलग जाए मन
भीगे आज इस मौसम में, लगी कैसी ये अगन
रिम-झिम गिरे सावन
राकेशः इस गीत को सुनना चाहा था नारनौल, हरियाणा से उमेश, राजेश, विजय, सुजाता, हिमोशु और नवनीत। शामपुर मंगेर बिहार से मंटु कुमार ठाकुर। और गढ़नोरणा लालगंज बिहार से राजकिशोर चौहान, धीरज कुमार चौहान, पूनम कुमारी चौहान और बड़क चौहान।
ललिताः मेरे पास एक पत्र है, जिसे भेजा है वलीदपुर जनपद मऊ. से अनुराग रेडियो लिस्नर्स क्लब के रामप्यारेराम, अंशुराम, अमनराम, राहुल, अमरनाथ और इन के साथियों ने। इन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि भाई व बहन जी, आप लोगों द्वारा पेश किए जाने वाले हर कार्यक्रम में हिन्दुस्तान की सर जमीन की खुशबु महकती है। इसलिए हम पत्र कम भले ही लिखें, पर आप के कार्यक्रम से एक जिस्म दो जान की तरह हम आप के साथ हैं। कृप्या आप हमारी पसंद का गीत सुनवाने का कष्ट करें।
राकेशः अनुराग रेडियो लिस्नर्स क्लब के सभी श्रोताओं को पत्र भेजने के लिए और हमारा कार्यक्रम सुनने के लिए धन्यवाद। आशा है कि आप लोग आइंदा भी हमारा कार्यक्रम इसी तरह सुनते रहेंगे। तो लीजिए सुनिए अपनी पसंद का फिल्म "अनपढ़" का यह गीत।
गीत के बोलः
आप की नज़रों ने समझा, प्यार के काबिल मुझे
दिल की ऐ धड़कन ठहर जा, मिल गई मंज़िल मुझे
आप की नज़रों ने समझा
जी हमें मंज़ूर है, आपका ये फ़ैसला
कह रही है हर नज़र, बंदा-परवर शुकरिया
दो जहाँ की आज खुशियाँ हो गईं हासिल मुझे
आप की नज़रों ने समझा
आप की मंज़िल हूँ मैं मेरी मंज़िल आप हैं
क्यूँ मैं तूफ़ान से डरूँ मेरे साहिल आप हैं
कोई तूफ़ानों से कह दे, मिल गया साहिल मुझे
आप की नज़रों ने समझा
पड़ गई दिल पर मेरी, आप की पर्छाइयाँ
हर तरफ़ बजने लगीं सैकड़ों शहनाइयाँ
हँसके अपनी ज़िंदगी में, कर लिया शामिल मुझे
आप की नज़रों ने समझा
राकेशः यह अगला पत्र है चौक रोड कोआथ से विश्व रेडियो श्रोता संघ के सुनील केशरी, डी. डी. साहिबा, संजय केशरी, खुशबू केशरी और बविता केशरी, बुल्लू रानी, गायत्री रानी, मंजू रानी और लल्लू केशरी का। ये लिखते हैं ललिता और राकेश जी, आप के द्वारा प्रस्तुत आप की पसंद कार्यक्रम हमें सबसे प्यारा लगता है। इसमें बजाए गए पुराने गीत दिल की गहराइयों को छू जाते हैं। आप लोग हर तरह के गायक कलाकारों के गानें सुनाते हैं। कई तरह के संगीतकारों के बारे में जो जानकारी आप ने इस कार्यक्रम से हमें दी है, उससे हमें बहुत अच्छा लगा है। मशहूर दिवंगत गायक किशोर कुमार पर सुनाए गए गीत और उन के बारे में दी गई जानकारी के लिए आप का बहुत धन्यवाद। आप से एक अनुरोध है कि आप लोग प्रसिद्ध संगीतकार लक्ष्मी कान्त प्यारे लाल तथा गीतकार आनन्द वक्षी के बारे में भी कोई दमदार कार्यक्रम बनाएं और हमारी पसंद का यह गीत सुनाएं।
ललिताः सुनील केशरी जी पत्र लिखने के लिए आप का बहुत शुक्रिया। आप की पसंद का गीत हम ज़रूर पेश करेंगे। हम भविष्य में आप की पसंद का कार्यक्रम भी ज़रूर बनाएंगे। अब लीजिए सुनिए फिल्म "यालगार" से यह गीत।
राकेशः इसी गीत को सुनना चाहा था करगहर रोहतास से बल्लू रानी, गायत्ती रानी, मंजू रानी और लल्लू केशरी। मिशन हॉस्पिटल अम्बिकापुर छत्तीसगढ़ से शंकर प्रसाद केशरी और श्रीमती रूबी केशरी। नाहर सुरत गुजरात से एस. के. मस्ताना, पिन्टु कुमार और प्रिती जिंटा। दिल्ली चॉदनी चौक से जहीर खान, जेबा खानम, मुस्कान, अमन तन्हा, मनीश खण्डेलवाल और राधा रानी खण्डेलवाल।