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यूशु भूकंप की पहली वर्षगांठ की स्मृति का संगीत समारोह
2011-04-27 13:09:56

गत वर्ष 14 अप्रैल को छिंगहाई प्रांत के यूशु तिब्बती प्रिफैक्चर में जबरदस्त भूकंप आया था। अब एक साल बीत चुका है, इसकी स्मृति में हाल में पेइचिंग राष्ट्रीय थिएटर में एक संगीत समारोह आयोजित हुआ, जिसकी शुरूआत छिंगहाई से आए 25 तिब्बती बौद्ध धर्म के लामाओं द्वारा तिब्बती वाद्ययंत्रों की संगीत प्रस्तुति से हुई। इस संगीत में तिब्बती जाति की परम्परागत संस्कृति व धार्मिक रीति रिवाज़ दिखाई दी, जिसके जरिए यूशु वासियों के आपदा का मुकाबले करने, सुखमय जीवन की खोज करने और पुनर्निर्माण की कोशिश करने वाली भावना जाहिर हुई।

मशहूर चीनी संगीत कंडक्टर थान लिह्वा मौजूदा संगीत समारोह के कंडक्टर रहे। उन्होंने कहा:

"यह एक विशेष संगीत समारोह है, जिसका मकसद चौदह अप्रैल को यूशु भूकंप की याद करना है। संगीत के जरिए हम मृतकों को याद करते हैं, इस आपदा में छिंगहाई की विभिन्न जातियों के बीच गहरे प्यार ने हमारा सम्मान प्राप्त किया और हम प्रभावित हुए। मुझे लगता है कि आपदा प्रभावित लोग अपने घरों के पुनर्निर्माण में अथक प्रयास करते रहते हैं। इसका गुणगान हमारा संगीत समारोह का प्रमुख थीम भी है। क्योंकि शोक व दर्द दूर हो गया है, हमारा वर्तमान कार्य लोगों को बुलाकर आवास का पुनर्निर्माण करना है।"

मशहूर चीनी कलाकार यिंग चीक्वांग और सुप्रसिद्ध अभिनेत्री वन य्वुच्वान ने संगीत के साथ छिंगहाई प्रांत के प्रसार विभाग के प्रधान, तिब्बती कवि चीदी माच्या द्वारा यूशु भूकंप के लिए विशेष तौर पर रची गई कविता सुनाई, जिसका नाम है"च्याना मानी पत्थरों पर का आकाश"।

तिब्बत स्वायत्त प्रदेश और तिब्बती बहुल क्षेत्रों में मानी पत्थर टीला बहुत सामान्य है । मानी पत्थर आम तौर पर सफेद रंग का होता है, जिसका आकार गोल और वर्गाकार होता है । आम तौर पर मानी पत्थर पहाड़ की चोटी, रास्ते के चौराहे, बंदरगाह, झील के तट पर और मठ में देखने को मिलता है, यह मंगल का प्रतीक माना जाता है । प्रारंभिक मानी पत्थर टीले का पैमाना ज्यादा बड़ा नहीं है, लेकिन पठार में रहने वाले तिब्बती लोगों की आदत है कि वे मानी पत्थर टीले के पास से गुज़रते वक्त देवी-देवताओं की प्रार्थना करते हैं । इसके साथ ही वे मानी पत्थर टीले का एक चक्कर लगाते हैं और एक और पत्थर टीले पर फेंकते हैं। इस तरह लम्बे समय बाद मानी पत्थर टीले का पैमाना धीरे-धीरे बड़ा हो गया है ।

बौद्ध धर्म के तिब्बत में प्रवेश होने के बाद मानी पत्थर टीले का और विकास हुआ । स्थानीय लोग कुछ विशेष सफेद पत्थरों पर बौद्ध सूत्र और बुद्ध मूर्ति अंकित करते हैं । इन मानी पत्थरों का आकार भिन्न-भिन्न है, जिस पर अंकित किए जाने वाले विषय आम तौर पर तिब्बती बौद्ध धर्म से संबंधित होते हैं । बौद्ध सूत्र, बुद्ध मूर्ति और देव मूर्ति के अलावा तिब्बती लोग शुभकामना वाले वाक्य और जानवरों की आकृति आदि भी तराशते हैं । इस तरह मानी पत्थर का विषय बहुत विविधतापूर्ण है ।

तिब्बती बहुल क्षेत्रों में लोग मानी पत्थर को अक्सर आने-जाने वाले स्थल पर रखते हैं, कुछ लोग मानी पत्थर को पवित्र वस्तु के रूप में घर में भी रखते हैं, कुछ लोग दूर की पवित्र यात्रा के लिए मानी पत्थर को अपने पास रखते हैं । मानी पत्थर को लोगों के सुरक्षा देव के रूप में दीवार पर रखा जाता है । यहां तक कि कुछ स्थलों में मानी पत्थर की पूजा के लिए विशेष भवन का भी निर्माण हुआ है।

छिंगहाई प्रांत के यूशु तिब्बती प्रिफैक्चर में मानी पत्थर टीलों के कुल दो अरब 50 करोड़ पत्थर हैं। यह मानव इतिहास में एक रिकॉर्ड है। तिब्बती कवि चीदी च्यामा ने अपनी कविता में इस तरह लिखा कि मानी पत्थर बातें नहीं कर सकते, लेकन वह कुछ कह रहा है। वह सभी जनों को जीवन पर विश्वास करने को कह रहा है। हरेक पत्थर है एक आंसू, उसकी छवि में दुख दूर हो रहा है। वह मृतक महान सफ़र शुरू करने का एक मात्र रास्ता ही है। इस कविता की चर्चा में तिब्बती कवि चीदी च्यामा ने कहा:

"मैंने 'च्याना मानी पत्थरों पर का आकाश' शीर्षक कविता लिखी, इसका मकसद कविता के जरिए मृतकों की याद करना और जीवित लोगों को प्रेरित करना है। हमारे तिब्बती बंधुओं का ऐसा धार्मिक रीति रिवाज़ होता है, हम मानी पत्थर पर सूत्र अंकित कर शुभकामना व अमनचैन की प्रार्थना करते हैं। इसके अलावा, एक ही जान खोने के बाद, उसके परिजन मानी पत्थर पर सूत्र अंकित कर उसके लिए प्रार्थना करते हैं। कविता में मैंने पत्थर को जान का प्रतीक मानकर और जान का गुणगान किया, जिससे भविष्य के प्रति मानव का विश्वास व साहसी दिखाए जाते हैं।"

संगीत समारोह में सिंफोनी समूह गान"पवित्र भवन जैसा बर्फीला पहाड़"तिब्बती कविता चीदी च्यामा की कविता से बनाया जाता है। तिब्बती युवतियों की ऊंची व सुरीली आवाज़ से यूशु वासियों व पवित्र भवन जैसे बर्फीले पहाड़ के बीच सहअस्तित्व वाला सामंजस्य दिखता है। संगीत समारोह में छिंगहाई प्रांत के यूशु क्षेत्र की विशेष स्थानीय तिब्बती रीति रिवाज़ जाहिर हुई और संगीत धुनों के जरिए भूकंप में मृतकों की याद और दुखों में लोगों की प्रयास भावना अभिव्यक्त हुई। समारोह में उपस्थित श्वे ह्वेई नामक दर्शक ने कहा:

"संगीत समारोह से मैं बहुत प्रभावित हुआ। यह जान का गुणगान ही नहीं, जीवन की प्रार्थना भी है। मुझे लगता है कि इस भूकंप में यूशु को क्षति पहुंची है और बहुत ज्यादा लोगों की मृत्यु हुई, लेकिन यहां के लोग अपनी जीवनी शक्ति दिखा रहे हैं। भूकंप के बाद एक साल बीत चुका है, यहां संगीत के जरिए हम मृतकों का सम्मान करते हैं।"

छिंगहाई प्रांत के यूशु तिब्बती पिरफैक्चर यांत्सी, पीली नदी और लानछांगच्यांग नदी के उद्गम स्थान पर स्थित है, जहां का प्राकृतिक दृश्य सुन्दर है और जातीय रीति रिवाज़ विविधतापूर्ण है। गत वर्ष चौदह अप्रैल को छिंगहाई तिब्बत पठार में जबरदस्त भूकंप आया था। एक साल बाद इसकी स्मृति के लिए पेइचिंग में सिलसिलेवार स्मृति गतिविधियां चलायी गईं, जिनका समान प्रमुख विषय"महान प्यार व समान कोशिश, आभार व प्रयास"है। हालांकि मानव को कभी कभार भूकंप का सामना करना पड़ता है, लेकिन मानव की आपदा विरोधी साहस व जान के प्यार वाली उच्च भावना का गुणगान जरूरी है।

जल्द ही चीन के विभिन्न स्थलों में फिल्म"यूशु में फूल खिले"प्रसारित की जाएगी, जिसमें प्राकृतिक पठारीय दृश्य और विशेष जातीय संस्कृति वाली पृष्ठभूमि में भूकंप के पूर्व और भूकंप के बाद तिब्बती लड़की यांगचिन लामू और उसके तिब्बती बोवाइ फ्रेंड के बीच प्रेम तथा उन लोग और एक चीनी हान जातीय लड़की के बीच दोस्ती का वर्णन किया गया है। फिल्म में आपदा के दौरान तिब्बती और हान जाति की एकता जाहिर हुई और विभिन्न जातियों के बीच गहरे प्यार की अभिव्यक्ति भी हुई है। फिल्म के निदेशक त्वान ल्येनमिंग ने हमारे संवाददाता से कहा:

"यूशु भूकंप के बाद हमने आपदा प्रभावित स्थल जाकर समुद्र सतह से चार हज़ार मीटर के बर्फिले पहाड़ी क्षेत्र में बीस से ज्यादा दिन का समय बिताया। आपदा पीड़ित क्षेत्रों से हम बहुत प्रभावित हुए। यूशु वासियों की आशाप्रद भावनाओं से, आपदा विरोधी सैनिकों व कर्मचारियों की प्रयोसों से तथा चीनी राष्ट्र में तिब्बती और हान जाति के बीच गहरे प्यार से भी प्रभावित हुए ।"

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