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शिक्षा से तिब्बतियों का जीवन बदला
2011-03-22 16:45:02

वर्ष 2011 चीनी जन राजनीतिक सलाहकार सम्मेलन व चीनी राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सभा के वार्षिक पूर्णाधिवेशनों में भाग लेने वाले सदस्यों व प्रतिनिधियों ने अपना मिशन निभाते हुए देश के विकास केलिए उत्साह के साथ रायें व सुझाव पेश किए। चीनी जन राजनीतिक सलाहकार सम्मेलन की राष्ट्रीय समिति के सदस्य, तिब्बत विश्वविद्यालय के पर्यटन विदेशी भाषा कालेज के उप कुलपति थुतङ केचू ने हमारे संवाददाता के साथ एक साक्षात्कार में कहा कि वर्तमान तिब्बत में शिक्षा कार्य का भारी विकास हुआ है। उन्होंने अपने अनुभाव बताकर शिक्षा कार्य के विकास से तिब्बतियों के जीवन में लाए गए परिवर्तन का जिक्र किया।

"मेरे मां बाप अनपढ़ हैं, लेकिन उन्होंने एक विश्वविद्यालय के प्रोफेसर प्रशिक्षित करवाया। मेरे मां-बाप से मुझ तक परिवर्तन का एक छलांग हुआ है। तिब्बत के विकास व परिवर्तन के बारे में हम अकसर'दिन दुनी रात चौगुनी'वाले शब्द का प्रयोग करते है। यह अतिशयोक्ति नहीं है, बिलकुल तिब्बत की विकास स्थिति का सही वर्णन है।"

वास्तव में अपने बचपन में थुतङ केचू की पढ़ाई स्थिति बहुत बुरी थी, इस की याद करते हुए उन्होंने कहा:

"बचपन में हमारा परिवार गरीब था। प्राइमरी स्कूल में पढ़ने के लिए मेरे पास नोटबुक नहीं था। माता पिता बाहर से सीमेंट की थैली लाकर नोटबुक बनाते थे। क्योंकि उसी समय सीमेंट थैली प्लास्टिक के बजाए क्राफ्ट पेपर से बनायी गयी थी। माता पिता क्राफ्ट पेपर को मांज कर बड़ा साफ किया और काट कतर कर मेरे लिए नोटबुक बनाते थे।"

थुतङ केचू ने कहा कि उस समय छोटे बच्चे कठोर वातावरण में पढ़ाई पर कायम रहते थे। इस का तिब्बत लोगों में ज्ञान का सम्मान करने वाली परम्परागत विचारधारा से घनिष्ट संबंध है। श्री थुतङ केचू का कहना है:

"तिब्बती लोग ज्ञान का बड़ा सम्मान करते हैं और ज्ञानी व्यक्तियों को उच्च स्तरीय मानते हैं। चीनी भाषा में'श्यानशङ'नामक शब्द का मतलब शिक्षक है। तिब्बती भाषा में किसी व्यक्ति के सम्मान में'गिएला'का शब्द सर्वोपरि संबोधन है, जिस का मतलब'श्यानशङ'यानी शिक्षक ही है। जिस से हमारी जाति में ज्ञान का सम्मान जाहिर होता है। इस तरह शिक्षा पाना तिब्बती जाति के आगे बढ़ने की एक प्रमुख सीढ़ी है।"

श्री थुतङ केचू ने कहा कि तिब्बत की शांतिपूर्ण मुक्ति के बाद से अब तक लम्बे समय से चीन की केंद्र सरकार तिब्बत के शिक्षा कार्य पर भारी महत्व देती आयी है और जोरदार समर्थन भी करती रहती है। स्वायत्त प्रदेश की सरकार ने बच्चों की शिक्षा की गारंटी के लिए नौ साल अनिवार्य शिक्षा व्यवस्था के निगरानी व प्रबंधन पर जोर लगाया और छात्रों की पढ़ाई सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी ठोस कदम के साथ स्थानीय शिक्षा ब्यूरो, स्कूल के कुलपतियों व अध्यापकों को सौंप दी। इसके साथ ही सरकार ने किसान व चरवाहे परिवार से आए विद्यार्थियों की सहायता के लिए विशेष"मुफ्त भोजन, मुफ्त आवास और मुफ्त पढ़ाई "की नीति लागू की, जिससे तिब्बती किसान व चरवाहे परिवारों के आर्थिक बौझ कम हो गए। इस की चर्चा में थुतङ केचू ने कहा:

"अब तिब्बत में स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों केलिए'तीन मुफ्त'वाली नीति लागू की जाती है, यानी मुफ्त भोजन, मुफ्त आवास और मुफ्त पढ़ाई। अनिवार्य शिक्षा का दौर हाई स्कूल तक बढ़ाया गया है और साथ ही इस के लिए अनुदान भी बढ़ाया गया है। विद्यार्थियों के खाने, रहने और पढ़ने से संबंधित सारे खर्चे सरकार देती है। यह चीन में जातीय शिक्षा के समर्थन की एक मिसाल है। हमारे यहां कई स्थलों में स्कूल की दाखिला दर सौ फ़ीसदी है। तिब्बत में अनिवार्य शिक्षा के स्तर और चीन के भीतरी इलाके के अन्य स्थलों के बीच थोड़ी दूरी मौजूद है, लेकिन स्कूल में छात्रों की दाखिला दर देश के दूसरे प्रांतों व स्वायत्त प्रदेशों से अधिक है।"

वर्तमान में तिब्बत की संस्कृति व शिक्षा कार्य की प्रगति की चर्चा में थुतङ केचू को बड़ा गर्व लगता है। वे भविष्य में तिब्बत के विकास व तिब्बती लोगों के जीवन स्तर की उन्नति में आशावान हैं। उन्होंने कहा कि अब उनके पास कोई चीज़ की कमी नहीं है। एकमात्र अभिलाषा है कि अपने बच्चे को बेहतर प्रशिक्षण दिया जाएगा, ताकि वो समाज के लिए अच्छा कर्तव्य निभा सकें।

हमारे संवाददाता के साथ साक्षात्कार के अंत में उन्होंने कहा कि इस वर्ष चीनी जन राजनीतिक सलाहकार सम्मेलन की राष्ट्रीय समिति और चीनी राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सभा के चौथे पूर्णाधिवेशनों के दौरान तिब्बती लोग अपना परम्परागत त्यौहार तिब्बती नया वर्ष भी मना रहे हैं। उन्होंने हमारे रेडियो के जरिए इस सुअवसर पर देशी विदेशी दोस्तों और सारे तिब्बती बंधुओं को नए वर्ष की शुभकामनाएं दीं। उनका कहना है:

"यहां मैं सभी तिब्बती बंधुओं और विदेशों में रह रहे चीनी लोगों को शुभकामनाएं देता हूँ कि वे नए वर्ष में स्वस्थ रहें और पहले से और अच्छा जीवन बिताएं। लोसा जाशिदेले।"

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