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बर्फीले पठार पर खिले गेसांग फूल की तरह
2011-03-16 16:39:03

चीन के तिब्बत स्वायत प्रदेश में एक सुन्दर कहानी प्रचलित है। कहते हैं कि अगर किसी व्यक्ति को आठ पंखुड़ियों वाला गेसांग फूल मिल गया, तो वह सुखी रहेगा। तिब्बती लोग गेसांग फूल को प्यार व सुख का प्रतीक मानते हैं। बर्फीले पठार पर खिले इस तरह के फूल बहुत सुन्दर होते हैं और उसे सभी तिब्बती पसंद करते हैं। तिब्बती भाषा में गेसांग का मतलब सुख भी होता है। इस तरह गेसांग फूल का एक और नाम है सुख फूल। आज के इस कार्यक्रम में मैं आपको एक तिब्बती चरवाहा तकनीक कार्य करने वाली छान मूयो की कहानी सुनाऊंगी, जो तिब्बतियों को गेसांग फूल जैसा सुख देती है।

सर्दियों के दिनों में तिब्बत के विशाल छ्यांगथांग घास के मैदान में बकरियों व नीलगायों की झुंड देखा जा सकता है। त्सेरिंग छ्युचङ तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की आनडो कांउटी की महिला चरवाह हैं। वह एक पीपे वाला ताज़ा दूध लाते हुए कहती है:

"पहले हमारे गाय व बकरे सिर्फ़ परिवारिक सदस्यों के खाने को पूरे होते थे। अगर सर्दियों में ज्यादा बर्फ़ होती थी, तो अधिक पशु मर जाते थे, इससे हमें काफी नुकसान पहुंचता था। लेकिन अध्यापिका छान ने यहां आकर हमें पशु पालन की नयी तकनीक सिखायी। इसके बाद हमारे गाय व बकरे और स्वस्थ हो गए और दुग्ध उत्पादन बढ़ गया। एक ही साल में दूध की बिक्री से कई हज़ार युआन की कमाई हो गयी।"

तिब्बती महिला चरवाहा त्सेरिंग छ्युचङ की जुबान में अध्यापिका छान तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के कृषि वैज्ञानिक अकादमी के अधीनस्थ चरवाहा व पशुचिकित्सा अनुसंधान केंद्र की उप अनुसंधानकर्ता छान मूयो है, जो गाय व भेड़ पालन का अनुसंधान कार्य करती हैं। उन्होंने दुग्ध उत्पादन में बढ़ोतरी व आर्थिक आय में इजाफे में काफी योगदान दिया। इस तरह तिब्बत के व्यापक कृषि व चरागाह क्षेत्रों में"छान मूयो"का नाम घास के मैदान में खिले गेसांग फूल की तरह मशहूर है।

छान मूयो तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के शिकाज़े के एक गांव में पली बढ़ी। युवावस्था में उन्होंने देखा कि तिब्बती किसान व चरवाहों का जीवन अच्छा नहीं था। तकनीकी समर्थन न होने के कारण तिब्बती मेहनत करने के बावजूद अच्छी फ़सल नहीं उगा सकते थे। इसे देखकर उन्हें बहुत दुख होता था। इस तरह उन्होंने अपनी जानकारी का प्रयोग कर जन्मभूमि के लोगों की जीवन स्थिति सुधारने का फैसला किया, ताकि तिब्बती किसान व चरवाहे वैज्ञानिक तकनीक से समृद्धि के रास्ते पर चल सकें।

19 की उम्र में छान मूयो ने चीन के उत्तर पश्चिमी कृषि विश्वविद्यालय में दाखिला लिया और पशुपालन से संबंधित वैज्ञानिक अनुसंधान कार्य शुरू किया। चार साल बाद वे एक श्रेष्ठ विद्यार्थी के रूप में विश्वविद्यालय से स्नातक हुई और तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के कृषि चरागाह कोलेज के पशुचिकित्सा विभाग की एक अध्यापिका बनी। वर्ष 1995 में वे तिब्बत पशु चिकित्सा अनुसंधान केंद्र में प्रवेश कर संबंधित वैज्ञानिक अनुसंधान करने लगी। एक बार अनुसंधान के लिए वे गांव गई और उन्हें पता लगा कि तिब्बत के पशु अनुसंधान क्षेत्र में जानवर पोषण शास्त्र अब भी खाली है। इसी क्षेत्र में और अनुसंधान के लिए 31 वर्षीय छान मूयो चीनी कृषि विश्वविद्यालय के पशु पोषण शास्त्र विभाग में दाखिल हुई और उन्होंने संबंधित कोर्स से पीचडी की। इसके बाद उन्होंने तिब्बत पशु चिकित्सा अनुसंधान केंद्र वापस लौटकर पशु पोषण अनुसंधान कार्यालय की स्थापना का आवेदन किया। कार्यालय के साथी छ्यु क्वांगफङ ने छान मूयो के बारे में कहा:

"मैंने कभी कभार देखा कि डॉक्टर छान मूयो प्रयोगशाला में संबंधित सामग्री की खोज करती हैं और वे बहुत धैर्य के साथ हमें पढ़ाती है। छुट्टियों के दिनों में वे अक्सर प्रयोगशाला में भी काम करती हैं। हम युवा लोगों को इसे देखकर काफी प्रेरणा मिली और वे उनसे सीखते हैं।

छान मूयो के विचार में तिब्बत में पशुपालन का संसाधन बहुत प्रचुर है और उसके विकास का भविष्य भी उज्ज्वल है। इसी क्षेत्र में एक वैज्ञानिक अनुसंधान कर्मचारी के रूप में उनका कार्य सिर्फ़ शुरू होता है, रास्ता लम्बा ही है। उन्होंने कहा:

"हमारे तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में पशुपालन क्षेत्र की स्थिति भीतरी इलाके से अलग है। किसानों व चरवाहों का पशुपालन उत्पादन स्तर नीचा है और संबंधित विचार व तकनीकों का भी अभाव है। एक वैज्ञानिक तकनीकी कर्मचारी के रूप में मुझे अपनी जिम्मेदारी महसूस हुई। मैं सोच रही हूँ कि भविष्य में मैं तिब्बती लोगों को पशुपालन में और अधिक मदद दे सकूंगी।"

तीस से ज्यादा वर्षों में छान मूयो संजीदगी के साथ वैज्ञानिक अनुसंधान कर रही हैं और उनके समर्पण ने दूसरों को प्रभावित किया है। एक ही विभाग में एक साथ काम करने वाली साथी बाओ य्वूहोंग का कहना है:

"लम्बे समय से हम उनके साथ काम कर रहे हैं, बहुत अच्छा लगता है। वह एक सुपर वुमन है, चाहे पारिवारिक काम हो, या नौकरी, वह सभी कामों को बखूबी अंजाम देती हैं।

वर्ष 2008 में छान मूयो को तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के"आठ मार्च श्रेष्ठ महिला"के नाम से सम्मानित किया गया। साथ ही उन्हें कई बार अनुसंधान अकादमी का श्रेष्ठ कर्मचारा चुना गया। तिब्बत में दुग्ध उत्पादन में इजाफे से संबंधित परियोजना को स्वायत्त प्रदेश के वैज्ञानिक व तकनीकी प्रगति के तीसरे पुरस्कार हासिल हुआ।

इधर के सालों में छान मूयो तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के व्यापक कृषि व पशुपालन क्षेत्र जाती रही हैं और वह किसानों व चरवाहों, अपने साथियों के दिल में हमेशा एक गेसांग फूल बन गई है। उनकी सहयोगी तुनचू च्यानछान का कहना है:

"हमारे दिल में छान मूयो एक बहुत श्रेष्ठ कर्मचारी है और हम उनका सम्मान करते हैं। मेरा विचार है कि हमारे अनुसंधान अकादमी में ही नहीं, तिब्बती जनता के दिल में वह हमेशा खिलते हुए गेसांग फूल की तरह हमारे साथ हैं।"

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