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एक तिब्बती शिक्षक की असाधारण जिन्दगी
2011-01-27 21:25:46
इधर के सालों में तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में एक साधारण तिब्बती शिक्षक का नाम हमेशा लोगों की जुबान पर रहता है। वह है सानचेटन्चू जो तिब्बत की मोथ्वो काऊंटी के बैबङ टाउनशिप के शियांग गांव का एक अध्यापक था। आज से चार साल पहले जब वह गांव के बच्चों को लेकर टाउनशिप के प्राइमरी स्कूल में दाखिला कराने के लिए जा रहा था, तो रास्ते में भूस्खलन का सामना करना पड़ा, नाजुक घड़ी में बच्चों को बचाने के लिए उस ने मौत का मोल ले लिया और वीरगति प्राप्त हुई। सानचेटन्चू ने अपनी जवान जिन्दगी को पूरी तरह ग्रामीण शिक्षा कार्य को समर्पित कर दिया और तनमन से पढ़ाने और स्कूली छात्रों की देखभाल करने में जुट गया था। उस की जिन्दगी ने एक चमकदार चिराग की भांति सरहदी क्षेत्र की विभिन्न जातियों का शिक्षा स्तर उन्नत करने में रास्ता रोशन कर दिया है।

तिब्बत स्वयात्त प्रदेश में मोथ्वो काउंटी यालुचांगबू नदी के महा घाटी क्षेत्र में स्थित है, वहां तक 2009 तक भी पक्की सड़क नहीं पहुंच पायी थी, इसतरह वह चीन का एकमात्र ऐसा जिला है, जहां मोटर सड़क नहीं बिछायी गयी है। नदी के घाटी क्षेत्र में पहाड़ ऊंचे हैं और नदी गहरी है, दुर्गम व जटिल भूस्थिति की बदौलत यह जिला बाह्य दुनिया से अलग थलग रहता है और पठार पर एकाकी द्वीप के नाम से मशहूर है। मोथ्वो की सीमा में हिमस्खलन, मुसलाधार वर्षा और भूस्खलन हुआ करते हैं। सर्दियों के मौसम में बर्फबारी से पहाड़ी क्षेत्र में जाना असंभव हुआ है और गर्मियों में रास्ता बहुत दुर्गम होता है। लोग कहते हैं कि मोथ्वो वासियों के मुंह पर मार्ग की चर्चा करना उचित नहीं है। इस का यह अर्थ निकला है कि मोथ्वो से दुर्गम रास्ता अन्यत्र कहीं भी नहीं मिलता है।

बैबङ टाउनशिप में सितम्बर माह में ज्यादा वर्षा हुआ करती है। पहली सितम्बर 2006 को शुक्रवार के दिन, शियांग गांव के अध्यापक सानचेटन्चू को यह सूचना मिली थी, जिस में विभिन्न ग्रामीण स्कूलों के अध्यापकों को अपने गांव के बच्चों को टाउनशिप के स्कूल में दाखिला कराने ले जाने की मांग की गयी है। दूसरी सितम्बर की सुबह 7 बजे, पहले की ही तरह सानचेटन्चू सुबह सुबह उठ गया और टाउनशिप जाने वाले बच्चों के लिए खाना बनाया। सब तैयारी होने के बाद उस ने घरघर जाकर बच्चों को गांव के प्रवेश द्वार पर इकट्ठे होने को कहा। सुबह के नौ बजे, सानचेटन्चू और गांव के 7 बच्चों और उन के अभिभावकों को लेकर सानचेटन्चू टाउनशिप रवाना हुए। शियांग गांव से बाहर निकलने के कुछ समय बाद 7 बच्चों और 4 अभिभावकों से सानचेटन्चू और अन्य 3 अभिभावक थोड़ी दूर चलने लगे। जब वे लोग गांव से छह सात सौ मीटर ऐसी जगह पर पहुंचे, जहां अकसर भूस्खलन हुआ करता है, तो सानचेटन्चू ने सब से पीछे चलने का फैसला किया, उस ने सहचरियों से कहा कि आप लोग आगे चलें, मैं पीछे रास्ता देखूंगा, दूसरों ने उसे आगे चलने की मांग की, पर उसने नहीं माना और अपने को सब से पीछे चलने के लिए रखा।

3 अभिभावक सावधानी से आगे आगे खतरनाख भूखंड को पार कर गए और सही सलामत से सुरक्षित स्थान पर पहुंचे, तभी सानचेटन्चू बड़ी सावधानी के साथ आगे चलने लगा। किन्तु दुर्भाग्य की बात थी कि जब वह भूस्खलन के सबसे खतरनाक स्थल से गुजर रहा था, अनायास पहाड़ पर भूस्खलन हुआ, मिट्टी व पत्थरों का तेज प्रवाह वेग गति से नीचे की ओर उमड़ता गिरा, उस ने सानचेटन्चू को अपनी लपेट में लेकर पास की एक गहरी खाई में बहा दिया।

खबर मिलते ही गांव वासी घटना स्थल दौड़कर आए, उन्हों ने मिट्टी के नीचे दबे सानचेटन्चू को बाहर निकाला, खून से सनी आंखों को मुश्किल से खोल कर वह केवल यह कह पायाः क्या सभी बच्चे सही सलामत हैं?सुनकर मौके पर उपस्थित सभी लोगों की आंखों में आंसू भर आयीं।

सानचेटन्चू इस दुनिया से चल बसे, लेकिन उन की यह 28 साल की अल्पकालिक जिन्दगी साधारण होने पर भी महान साबित हुई है। वह अपने लोगों से विदा हुआ था, लेकिन यह जनहित को अर्पित न्यौछावर है। उस के निधन से शियांग गांव के बच्चे एक प्रिय अध्यापक से वंचित हो गए और शियांग गांव के लोगों ने एक जनहितकारी युवा खो दिए, सानचेटन्चू की मां से एक प्यारा पुत्र खोया और मोथ्यो काउंटी की जनता ने एक श्रेष्ठ नौजवान खो दिया।

सानचेटन्चू मोथ्वो काउंटी के बैबङ टाउनशिप के डीतुंग गांव का निवासी था, उस का जन्म एक साधारण मनबा जातीय परिवार में हुआ। उस के परिवार में नौ सदस्य थे, वे घर का जेठ पुत्र था। घर में श्रम शक्ति की कमी होने के कारण जीवन दुभर था, वे पहाड़ में शिकार करने जाते थे, भारी शरीरिक श्रम करते थे। अपने जीवन में अनेक कठिनाइयों को दूर करने के दौरान वह परवान चढ़े और गांववासियों में वह एक लोकप्रिय युवा बन गया था।

मोथ्वो काउंटी में पहाड़ों का सिलसिला फैला है, नदियों के पानी उफनता बहता है, यातायात अत्यन्त दुर्गम और खतरनाक है। प्राकृतिक मुश्किलों से भरी ऐसी जगह पर बच्चों के लिए स्कूल जाना बेहद कठिन है। डीतुंग गांव से मिलिन काउंटी के पाई कस्बे के प्राइमरी स्कूल जाने में तीन दिन का समय लगता है। इस कठिन स्थिति के मुद्देनजर बहुत से ग्रामीण बच्चे स्कूल जाना नहीं चाहते थे और अपनी पढ़ाई बीच में छोड़ देते थे। लेकिन सानचेटन्चू अपनी पढ़ाई पर दृढ़ता के साथ कायम रहता था और दूर दूर के स्कूल जाना कभी नहीं छोड़ता। पढ़ाई में इस तरह की रूचि व लगन मौजूद होने के चलते सानचेटन्चू को क्रमशः लिनची प्रिफेक्चर के नम्बर दो प्राइमरी स्कूल, इस के बाद फिर जातीय माध्यमिक स्कूल में पढ़ने के लिए दाखिला मिला।

परिवार की गरीब जीवन स्थिति के कारण मीडिल स्कूल से स्नातक होने के बाद सानचेटन्चू को आगे पढ़ने का मौका त्याग कर श्रम करने घर लौटना पड़ा. लेकिन अध्ययनशील होने की वजह से वे अपनी पढ़ाई कभी नहीं छोड़ता, श्रम से अवकाश में वे स्वाध्ययन पर कायम रहता था। बड़ी लगन व मेहनत के फलस्वरूप उसे अधिकाधिक ज्ञान प्राप्त होता गया और अपने गांव का सब से सुशिक्षित व्यक्ति बन गया।

2000 में मोथ्वो काउंटी के शिक्षा ब्यूरो ने शियांग गांव में एक शाखा स्कूल खोलने का निर्णय किया। सभी तैयारियां पूरी होने के बाद अध्यापक मिलने की समस्या सामने आयी, क्योंकि दूर दराज गांव में 500 य्वान प्रतिमाह के वेतन पर कोई भी लोग नहीं आना चाहता। शियांग गांव के स्कूल में पढाने जाने वाले अध्यापक नहीं मिल सकने की खबर सुनने के बाद सानचेटन्चू ने शिक्षा ब्यूरो के अधिकारी के पास जाकर यह आवेदन पेश किया कि उसे शियांग भेजा जाएं।

2000 के सितम्बर में सानचेटन्चू शियांग गांव में पढ़ाने पर नियुक्त हुआ। इस के पश्चात उस के दिनचर्य इस प्रकार बन गएः सुबह उठकर पानी ले आने जाना, सुअर पालना, कपड़े धोना और खाना बनाना, आठ बजे, छात्रों की स्कूल आने के लिए अगुवानी करना और पढ़ाना शुरू करना. दोपहर को वे बच्चों के लिए खाना बनाता था, फिर उन के होमवर्क को ठीक करता था, अगले दिन के पाठ के लिए तैयारी करता था या ईंधन केलिए सूखी लकड़ी तोड़ने जाता था। दोपहरबाद, बे फिर बच्चों को पढ़ाता था। रात को बड़ी थकान होने पर भी वह गांववासियों को चीनी भाषा सिखाने में जुट जाता है और निरक्षरता निवारण पर कायम रहता था। पिछले छह सालों के 2000 से अधिक दिन तक वह इस प्रकार का जीवन बिताता रहता था, जो कभी भी नहीं बदला था। पिछले छह सालों में वे रोज एक संकरी पगडंडी पर आता जाता था और लोगों को अकसर देखने को मिलता था कि वे वहां बच्चों के आने की प्रतीक्षा में बाट जोहता था और बच्चों को मदद देने के लिए सहारा देता था। पिछले छह सालों में सानचेटन्चू ने अपनी पूरी जिन्दगी को शियांग गांव के बच्चों को अर्पित कर दिया, इसके दौरान उसे अपनी वृद्ध मां और कम उम्र वाले छोटे भाई की देखरेख के लिए बहुत कम समय मिलता था।

शियांग स्कूल में सानचेटन्चू एकमात्र अध्यापक था। वह अध्यापक भी था, और एक प्रबंधक भी। वह तीन सालों की कक्षाओं को पढाता था और समय समय पर बच्चों के घर जाकर हालचाल पूछता था और बच्चों के अभिभावकों को समझाता था कि वे अपने स्कूली उम्र वाले बच्चों को पढ़ने के लिए स्कूल भेजें।

बच्चों के स्वस्थ विकास के लिए सानचेटन्चू ने अपना पूरा समय लगाया। 2000 से 2006 तक पढ़ाने से अवकाश में वह सुअर व मुर्गा पालने तथा साग सब्जी की खेती करने पर कायम रहता था ताकि बच्चों को स्कूल में अकसर हरी सब्जी और मांस खाने को मिल सके। हर साल के सितम्बर में सानचेटन्चू गांव में जुनियर प्राइमरी स्कूल की शिक्षा पूरा करने वाले बच्चों को बैबङ टाउनशिप प्राइमरी स्कूल में आगे पढ़ने ले जाया करता था। टाउनशिप स्कूल जाने से पहले वे बच्चों के लिए खाना बनाता था, रास्ते में बच्चों की सुरक्षा संभालता था, स्कूल पहुंचने के बाद बह बच्चों को बारंबार बताता समझाता था कि वे वहां अच्छी तरह पढ़ें और सुखद जीवन बिताएं ।

किताबी ज्ञान सिखाने के अलावा सानचेटन्चू ने अपने श्रेष्ठ आचार से भी बच्चों को प्रभावित किया था। उस ने बच्चों को लेकर गांव के संतानहीन वृद्ध लोगों को मदद देने का काम भी कियाः वे वृद्धों के घर जाकर सफाई करते थे, ईंधन की लकड़ी काटते थे, पानी ले आते थे और वृद्धों के साथ गपशप मारते हुए उन का मन बहलाते थे। कृषि उत्पादन के व्यस्त मौसम में वह अकेले या बच्चों को लेकर कठिनाइयों से घिरे गांववासियों को मदद देते थे।

छह सालों की मेहनत का रंग आया. शियांग गांव के सकूली उम्र वाले बच्चों की स्कूल दाखिला दर सौ फीसदी तक पहुंची और टाउनशिप के जुनियर प्राइमरी स्कूल में 36 छात्र दाखिल करवाये गए और गांव में निरक्षरता निवारण काम में भी उल्लेखनीय कामयाबी हासिल हुई ।

तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के पार्टी कमेटी के सचिव श्री चांग छिंगली ने सानचेटन्चू की प्रशस्ति करते हुए लिखा है कि कामरेड सानचेटन्चू एक साधारण, पर महान व्यक्ति थे, उन की कहानी प्रभावजनक है। हमारे तिब्बत शिक्षा क्षेत्र में सानचेटन्चू सरीखे निस्वार्थ लोगों की आवश्यकता है।

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