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तिब्बत में 11वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान जातीय एकता बढ़ी
2011-01-21 17:18:40

चीन में तिब्बती जाति और हान जाति के बीच सदियों से एकता कायम रही है, तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की राजधानी ल्हासा में जोखांग मठ के आगे चौक में थांग- थुबो गठबंधन शिलालेख खड़ा है, जो पिछले 1300 से अधिक सालों से तिब्बत व हान की जातीय एकता का साक्षी रहा है। नए युग में एकीकृत महान देश में तिब्बत के विभिन्न कार्यों में असाधारण तरक्की हुई है। चीन में इस साल तक चली 11वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान तिब्बत में उल्लेखनीय उपलब्धियां प्राप्त हुई हैं।

तिब्बत स्वायत्त प्रदेश तिब्बती जाति प्रधान बहुजातीय आबादी इलाका है, जहां 29 लाख जनसंख्या में तिब्बती लोग 92 प्रतिशत के हैं और उस के अलावा हान, मंगोल, ह्वी, मनबा, लोबा, तङरन तथा श्यारबा आदि जाति व जन जाति भी हैं। वर्तमान काल में तिब्बत में काम करने वालों में 40 से ज्यादा जातियों के लोग पाये जा सकते हैं। लम्बे अरसे से इन जातियों के बीच परस्पर निर्भरता, मेलमिलाप और सुखी में सुख तथा दुख में दुखी होने का रिश्ता कायम रहा है, जिससे वहां जातीय एकता में नया अध्याय जुड़ा है।

चीन में 2006 से चल रही 11वीं पंचवर्षीय योजना 2011 के मार्च तक समाप्त होगी, इस के दौरान जाति संबंधी कार्य को हमेशा समूचे कार्य का एक अहम भाग माना जाता है, जातीय एकता के विकास तथा समान समृद्धि आधारित जाति संबंधी नीति तथा जातीय स्वशासन प्रणाली पर दृढ़ अमल पर प्राथमिकता दी गयी, गहन रूप से जातीय एकता के बारे में शिक्षा दी गयी और आर्थिक व सामाजिक विकास को बढ़ावा दिया गया है।

तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की मिलिन काऊंटी के नानई के लोबा जातीय टाउनशिप में 800 से अधिक लोबा गांववासी कभी यह नहीं भूल सकते हैं कि सरकार की उदारता नीति के समर्थन और हान व तिब्बती जातियों की मदद में लोबा जाति जो सदियों से गरीबी से जूझती आयी थी, ने गरीबी से छुटकारा पाकर खुशहाली का जीवन हासिल किया है। पीढियों से चीन नेपाल सीमा पर स्थित न्येलामू जिले के चांगमू कस्बे में रहने वाले श्यारबा लोग भी दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों से उपजाऊ मैदानी इलाके में आ बसे और हान व तिब्बत जातियों की मदद में उन्हों ने अपने गांव को विख्यात व्यापार कस्बे के रूप में निर्मित किया है।

तिब्बत में विभिन्न जातियों में एकता कायम होने तथा एक दूसरे का निस्वार्थ समर्थन व सहायता करने का रिश्ता वर्तमान जातीय संबंध का मुख्य मुद्दा रहा है।

11वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान तिब्बत स्वायत्त प्रदेश ने जातीय एकता बढ़ाने के क्षेत्र में योगदान कर चुके प्रगतिशील समूहों और आदर्श व्यक्तियों को प्रेरित किया और प्रशस्ति की है, जिस से तिब्बत में जातीय एकता की रक्षा करने का अच्छा सामाजिक वातावरण व्याप्त हुआ है। अब तक प्रदेश के स्तर पर पांच बार जातीय एकता मजबूती पुरस्कार समारोह आयोजित हुए है जिन में कुल 777 प्रगतिशील समूहों और 1268 आदर्श व्यक्तियों की प्रशस्ति की गयी है। हर साल के सितम्बर में प्रदेश में विभिन्न रूपों में एकता बढ़ाने की शिक्षा गतिविधियां की जाती हैं, नतीजातः बड़ी संख्या में आदर्श लोग प्रकाश में आए हैं और वहां जातीय एकता व प्रगति कार्य का निरंतर विकास हो गया है।

जातीय क्षेत्रीय स्वशासन व्यवस्था चीन की सत्तारूढ़ पार्टी चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की बुनियादी जाति नीति है और वह देश की राजनीति व्यवस्था में पार्टी की नीति का प्रतिबिंब है।

तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में सरकार की जातीय क्षेत्रीय स्वशासन व्यवस्था में भारी सफलता प्राप्त हुई है। यहां विभिन्न जातियों के कानूनी अधिकारों व हितों का पूर्ण रूप से सम्मान किया जाता है और उन की गारंटी की जाती है। सभी जातियों को पूर्ण रूप से राजनीतिक अधिकारों का इस्तेमाल करने के मौके प्राप्त हुए है, वे समानता के साथ देश के राजकीय मामलों के प्रबंध में भाग लेती हैं, अपनी जाति के मामलों का स्वतंत्र इंतजाम करती हैं तथा अपने क्षेत्र के आंतरिक मामलों पर काम करती हैं। आंकड़ों से जाहिर है कि तिब्बती जाति तथा अन्य जातियों के 34 हजार जन प्रतिनिधि विभिन्न स्तरों के जन प्रतिनिधियों में 94 पतिशत बनते हैं।

तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की जातीय व धार्मिक मामला कमेटी के जातीय कार्य विभाग के उपाध्यक्ष रेनचङ अपनी आपबीती की चर्चा छेड़ते ही भाव विभोर हो जाती है। रेनचङ का जन्म लोको क्षेत्र के एक सीमावर्ती जिले में एक लोबा जातीय परिवार में हुआ, उन्हें अनेक बार शिक्षा लेने के मौके दिए गए और पहले तिब्बत जातीय कालेज में पढ़ी, फिर प्रदेश के पार्टी स्कूल और फिर केन्द्रीय पार्टी स्कूल में पढ़ने का सुअवसर मिला था, इस तरह वह बुनियादी स्तर से तरक्की करके अब नेतृत्व पद पर पहुंची है।

तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की पार्टी कमेटी और सरकार ने जातीय क्षेत्रीय स्वशासन कानून को अमली जामा पहनने के लिए मनबा, लोबा और नासी आदि अल्पसंख्यक जातीय आबादी क्षेत्रों में 8 जातीय स्वायत्त टाइनशिप स्थापित किए हैं, जिस से इन जातियों के लोगों को सचे माइने में पूर्ण समानता और राजनीतिक स्वामित्व के अधिकार हासिल हुए हैं।

तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की सरकार ने जातीय क्षेत्रीय स्वशासन कानून पर अच्छी तरह अमल करने के लिए क्रमशः मनबा, लोबा और नासी आदि जातीय बहुल क्षेत्रों में 8 जातीय स्वायत्त टाउनशिप कायम किए, इसतरह मनबा, लोबा और नासी आदि अल्पसंख्यक जातियों को पूर्ण रूप से जातीय समानता और राजनीतिक तौर पर स्वामित्व का उपभोग करने का मौका मिला है।

तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में सामाजिक एकता व प्रगति तेजी से बढ़ने के फलस्वरूप वहां जन जीवन की सुविधा भी काफी सुधर गयी है। जातीय एकता आर्थिक विकास और सामाजिक प्रगति की प्रबल प्रेरणा शक्ति और मूल गारंटी है। तिब्बत की शांतिपूर्ण मुक्ति के बाद तिब्बत में लागू जाति संबंधी नीतियों ने तिब्बत की सूरत को एकदम बदल दिया है, आर्थिक, शैक्षिक तथा सांस्कृतिक क्षेत्रों में विकास में उल्लेखनीय ऐतिहासिक उपलब्धियां प्राप्त हुई हैं। यह सर्वविदित सत्य है जो हमेशा तिब्बती जनता की जुबान पर रहती हैं।

जन कल्याण के लिए कार्यान्वित विभिन्न नीतियों के चलते तिब्बत की विभिन्न जातियों के लोगों को सचे मायने में देश की सुधार व खुलेपन की नीति से प्राप्त उपलब्धियों का सुफल नसीब हुआ है।

2007 में तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में सकल उत्पादन मूल्य में 30 अरब य्वान का लक्ष्य पाने के बाद 2009 में 40 अरब य्वान को पार कर गया है। 11वीं पंचवर्षीय योजना के पहले चार सालों में सारे प्रदेश के कुल उत्पादन मूल्य में औसत वार्षिक वृद्धि दर 12.4 प्रतिशत रही और किसानों और चरवाहों की औसत शुद्ध वार्षिक आय में 14.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई है,जो दसवीं पंचवर्षीय योजना के वर्षों से 4.9 फीसदी अधिक है। पूर्वानुमान के मुताबिक 11वीं पंचवर्षीय योजना के अंत में किसानों व चरवाहों की औसत शुद्ध वार्षिक आय 4000 य्वान से अधिक होगी। इस तरह तिब्बत में लोगों का जीवन गरीबी से निकल कर खुशहाली में बदलेगा।

तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की सरकार ने तिब्बत के कार्य के बारे में केन्द्र की विभिन्न नीतियों को दृढ़तापूर्वक अंजाम देने की कोशिश की हैं और हमेशा किसानों और चरवाहों के जीवन के सुधार पर महत्व देती है और उन की आय बढ़ाने को प्राथमिकता देती है। उस ने जोरदार रूप से समाजवादी नव गांव के निर्माण का काम शुरू किया है और किसानों व चरवाहों की आय बढ़ोतरी को सुनिश्चित किया है। 2006 में तिब्बत भर में किसानों और चरवाहों की सेवा में आवास योजना लागू करना आरंभ किया गया और 2010 के अंत तक 27 हजार परिवारों के 14 लाख से अधिक ग्रामीण लोग सुविधापूर्ण व सुरक्षित नये मकानों में रह चुके हैं, इस के साथ साथ वहां बिजली सप्लाई, सड़कों के निर्माण और तेलीफोन लगाने की परियोजना भी चली, इस तरह तिब्बत में ग्रामीण व चरगाहों की सूरत एकदम बदल गयी ।

शिक्षा के क्षेत्र में बुनियादी शिक्षा, बाल शिक्षा, प्रौढ शिक्षा, व्यवसाय शिक्षा और विशेष शिक्षा युक्त आधुनिक जातीय शिक्षा व्यवस्था कायम हुई है, सारे प्रदेश की 74 काउंटियों व शहरों में पूरी तरह छह साल की अनिवार्य शिक्षा तथा संपूर्ण निरक्षरता निवारण के लक्ष्य प्राप्त हुए है, अधिकांश काउंटियों में नौ साल की अनिवार्य शिक्षा का लक्ष्य भी प्राप्त हुआ है और तमाम प्राइमरी स्कूलों और 1100 शिक्षा केन्द्रों तथा 117 मीडिल स्कूलों में द्विभाषी शिक्षा की व्यवस्था कायम हुई है। इस के अलावा तिब्बत में चिकित्सा व स्वास्थ्य की सुविधा भी काफी बढ़ी है, प्रदेश में मुफ्त चिकित्सा आधारित ग्रामीण चरवाही चिकित्सा व्यवस्था कायम हुई है। सांस्कृतिक निर्माण में भी उल्लेखनीय कामयाबियां हासिल हुई हैं, अल्पसंख्यक जातियों की परंपरागत संस्कृति का विकास किया गया और अल्पसंख्यक जातियों के नृत्य गान विरासत के रूप में ग्रहण करते हुए विकसित किये गए हैं एवं अल्पसंख्यक जातियों के सांस्कृतिक विरासतों की पूर्ण रूप से सुरक्षा की गयी है।

तिब्बत में आवास, चिकित्सा, शिक्षा, सड़क और पेय जल व दूर संचार जैसे अहम कार्यों में उल्लेखनीय सुधार आया है। स्वायत्त प्रदेश की राजनीतिक सलाहकार सभा के सदस्य श्री फुवांग के शब्दों में ये सभी उपलब्धियों का श्रेय जातीय एकता को जाता है। विभिन्न जातियों में एकता कायम हुई, तभी एकजुट कर काम करने की शक्ति आयेगी और विभिन्न कार्यों को आगे बढ़ाने में सफल होगा। अमलों से साबित हुआ है कि जातीय एकता विभिन्न जातियों की समान अभिलाषा है और सामाजिक स्थिरता विभिन्न जातियों के मूल हित में है।

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