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ल्हासा शहर की बाकोर सड़क पर स्ट्रीट डांस
2010-12-07 10:52:16
वैश्वियीकरण के चलते कड़ी परंपरा से बंधे तिब्बत में आधुनिकीकरण की आबोहवा भी इधर सालों में तेजी से बह रही है। तिब्बती जाति में तिब्बती ओपेरा, तिब्बती वाचन कथा और तिब्बती नाचगान विश्वविख्यात है और सदियों से अच्छी तरह संरक्षित रही है. अब इस के बीच पाश्चात संस्कृति का प्रभाव भी देखने को मिला है, जिन में स्ट्रीट डांस यानी हिप-हॉप भी युवा पीढी में लोकप्रिय हो गया है।

यदि आप कभी तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की राजधानी ल्हासा में गए और शहर के गली-मुहल्लों में घूमते फिरते हों, तो आप को धार्मिक कर-चक्र घूमाते हुए वृद्ध वृद्धाओं के अलावा हिप-हॉप युवा, स्टेप डांस में मस्त लोक कलाकार और ओडियो धुन के साथ स्ट्रीट डांस करते हुए बाल बच्चे भी दिखाई देते हैं। यह है आज का ल्हासा, जहां परंपरा और आधुनिकता का संगम हुआ है।

ल्हासा की मशहूर सड़क बाकोर में मेरी मुलाकात तिब्बती नृत्य राजवंश नामक दल से हुई थी। इस दल ने ल्हासा शहर में स्ट्रीट डांस प्रशिक्षण कक्षा खोली है। हिप-हॉप, स्ट्रीट डांस और स्टेप डांस जैसी चीजें नयी पीढियों में अब काफी लोकप्रिय हैं और ल्हासा में भी धूम मचा है। देश के भीतरी इलाके में आधुनिक कला संस्कृति का प्रशिक्षण आम तौर पर कमरे में स्थापित कक्षाओं में किया जाता है। किन्तु ऊंचे पठार पर स्थित ल्हासा में अब बाल बच्चे और युवा लोग महज सड़क पर अभ्यास कर सकते हैं, इसी दृष्टि से वह सचे माइने में स्ट्रीट डांस यानी सड़क का नाच कहा जा सकता है। बाकोर सड़क पर तिब्बती बाल बच्चे और युवा संकरी गलियों में स्ट्रीट डांस का अभ्यास करना पसंद करते हैं।

एक बार, मैं जोखांग मठ से होकर बाकोर सड़क पर आया, निकट की गली से जो मधुर गीत सुनाई दे रही थी, उस ने मुझे अपनी ओर बरबस खींचा था, गीत की दिशा में चलकर वहां पहुंचा, तो मालूम हुआ कि जोखांग मठ में दीवार बनाते हुए मजदूर मजदूरिन आग्या नामक तिब्बती लोक गीत गा रहे हैं। आग्या तिब्बती जाति में दीवार खड़ा करते समय गाने वाला एक परंपरागत गीत है, जो बेहद मनमोहक है।

बाकोर सड़क से पूर्व दिशा में चलते हुए मैं एक छोटी गली में आया, इस में से तेज थाप और जोशपूर्ण संगीत की धुन सुनाई दे रही थी, मैं ने देखा कि एक संकरी गली में चार पांच बालक मकान के बाहर दस बारह वर्ग मीटर वाली खुली जगह पर तेज धुन की थाप के साथ थिरक रहे हैं। मुझे आश्चर्य हुआ है कि इतना ऊंची आवाज आखिर कहां से निकल रही है, गौर से देखने पर पता चला कि एक छोटे बच्चे के हाथ में बैटरी, एमपी ट्री और ओडियो के ट्री टू वन वाला संगीत आईपॉड है। वास्तव में तेज आवाज इसी छोटी डिवाइस से निकल रही है।

वह छोटा बच्चा भी रोबोट डांस नाच कर रहा था, शायद नन्हा होने के कारण वह केवल यही पसंद करता था। इन बच्चों में एक खूबसूरत और सांवला रंग का बालक था, जो स्कूली युनीवर्दी में 13-14 साल का लगता था, वह भी धुन के साथ थिरकने लगा और चारों ओर घिरे अन्य बच्चे उस के साथ नाच करते हुए और ऊंची आवाज में थाप का साथ देते रहे, कभी कभी उन के मुंह में से अंग्रेजी शब्द नेइस भी निकलता था।

मुझे पास खड़े कैमरे में उन का डांस उतारते देखकर उन में और बड़ा जोश आया और बड़ी आवाज देते हुए अपना डांस शॉ करने लगे। मेरे कैमरे के सामने रोबोट का डांस करने वाला छोटा बच्चा शर्मिंदा हुआ, वह कैमरे से बचने के लिए दूसरी ओर चला। लेकिन अन्य बच्चे डरते नहीं थे, वे सड़क के केन्द्र में आकर खूब डांसते रहे।

ल्हासा में ऐसे युवाओं से मुलाकात के दौरान मुझे मालूम हुआ है कि तिब्बत में रॉक संगीत का मुख्य दल स्वर्ग-बज्र बैंड माना जाता है और तिब्बती नृत्य राजवंश नामक हिप-हॉप दल तिब्बत में स्ट्रीट डांस के क्षेत्र में आला कमान के स्थान पर है। इसलिए तिब्बत में स्ट्रीट डांस के विकास के बारे में जानकारी पाने के लिए तिब्बती नृत्य राजवंश के बारे में जानना जरूरी है।

2004 में गर्मियों की छुट्टियों में देश के भीतरी इलाके में पढ़ने वाले पांच तिब्बती स्कूल छात्र ल्हासा लौटे, पांचों को स्ट्रीट डांस में बड़ी रूचि है, अंततः वे मिलकर स्ट्रीट डांस का अभ्यास करने लगे और उन्हों ने एक स्ट्रीट डांस दल का गठन भी किया, जो तिब्बती नृत्य राजवंश के नाम से आगे चलकर न केवल तिब्बत में सब से शक्तिशाली साबित हुआ है, बल्कि देश के भीतरी इलाके में भी मशहूर हो गया है। अपने गठन के पहले साल में उन्हों ने ल्हासा में एक स्ट्रीट डांस की प्रशिक्षण कक्षा खोली और छुट्टियों के तीस दिनों के अन्दर 100 स्ट्रीट डांस प्रेमियों को प्रशिक्षित किया। वर्ष 2005 में राष्ट्रीय स्ट्रीट डांस प्रतियोगिता में तिब्बती नृत्य राजवंश ने हपेई प्रांत मैच क्षेत्र की चैम्पियनशिप जीत ली थी। 2006 में उस ने देशव्यापी मूविंग जोन स्ट्रीट डांस प्रतियोगिता में हपेई प्रांतीय क्षेत्र का नम्बर एक, उत्तरी चीन का दूसरा स्थान तथा राष्ट्रीय फाइनल में द्वितीय नम्बर जीत कर बड़ा गौरव प्राप्त किया था। 2007 में तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के स्टेडियम में प्रदेश का प्रथम स्ट्रीट डांस स्पर्धा समारोह आयोजित हुआ जिस में 12 दलों ने हिस्सा लिया था और दर्शक 1500 से अधिक थे। इस में तिब्बती नृत्य राजवंश एकमात्र तिब्बती जाति का स्ट्रीट डांस दल था। 2009 में सर्दियों की छुट्टियों में तिब्बत में प्रथम डब्ल डी स्ट्रीट डांस की प्रतियोगिता की व्यवस्था की गयी और प्रथम डब्ल डी स्ट्रीट डांस मैच आयोजित किया गया। मैच में बैल्ट डांस प्रमुख इवेंट था और कुल 50 से ज्यादा लोगों ने उस में भाग लिया था। 2009 में गर्मियों की छुट्टियों में प्रथम डांसर कॉम बैक नामक बड़ा आकार वाला स्ट्रीट डांस मैच आयोजित हुआ, जिस में 11 दलों ने अपनी अपनी कला कौशल प्रस्तुत किया। 2010 में सर्दियों की छुट्टियों में तिब्बत की दूसरी डब्ल डी स्ट्रीट डांस प्रतियोगिता हुई, जिस में सौ से ज्यादा लोगों ने शिरकत की । 2010 में गर्मियों की छुट्टियों में तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की तिब्बती ओपेरा मंडली ने आनंद राह भवन में दूसरी डांसर कॉम बैक परोपकारी नृत्य समारोह आयोजित किया।

तिब्बती युवा में स्ट्रीट डांस पसंद होने का कारण पूछे जाने पर तिब्बती नृत्य राजवंश ने मुझे बतायाः स्ट्रीट डांस ने हमारे युवाओं के जीवन को रंगारंग कर दिया है, इस से हम युवा पीढ़ी उदासनी, नेट वॉर्म, शराबी और धुम्रपान से दूर रह जा सकेगी तथा स्वस्थ व खुशगवार वातावरण में जीएंगे।

यद्यपि स्ट्रीट डांस बाहर से आयी एक नयी प्रवृत्ति की चीज है, तथापि तिब्बती स्ट्रीट डांस प्रेमी इस में परंपरागत रंग डालने की कोशिश भी करते हैं। उन्हों ने कहाः यदि हम तिब्बती ओपेरा की कला का स्ट्रीट डांस में समागम भी करेंगे, तो जरूर पश्चिम से आयी सांस्कृतिक स्ट्रीट डांस मंच पर तिब्बती संस्कृति का प्रचार प्रसार कर सकेंगे। अब हम अपने डांस कार्यक्रम में तिब्बती ओपेरा के तत्व शामिल कर रहे हैं और स्थानीय विशेषता वाली रचनाएं तैयार करेंगे।

तिब्बती स्ट्रीट डांस प्रेमियों में वांगछिंग नाम का एक किशोर है, इस साल वह 15 साल का है, कद में ऊंचा, नाक थोड़ा लम्बा और रंग में सांवला है, यो देखने में वह एक शर्मिंदा नवयुवक लगता है, पर वह स्ट्रीट डांस का बड़ा दीवाना है। मेरी मुलाकात उस की छोटी बहन से भी हुई, उस ने कहा कि मैं भी बड़े भाई के सथा स्ट्रीट डांस का अभ्यास करती हूं। मैं ने उस का डांस देखा, वाह, बहुत कुशल है, बड़ा मजा आया।

वांगछिंग ने मुझे बताया कि पहले वह किसी स्ट्रीट डांस दल का सदस्य था, अब वह अपना दल गठित करना चाहता है। अब तक तीन बच्चे जुटे है, डांस प्रेमियों की संख्या बढ़ने पर दल गठित होगा।

स्ट्रीट डांस का शौकिन बनने का कारण बताते हुए वांग छिंग ने बताया कि बाप मेरा समर्थन नहीं करते हैं, लेकिन अम्मा मेरा जमकर समर्थन करती हैं, क्योंकि उसे भी नृत्या गान पसंद है।

वांगछिंग की माता जी इसलिए स्ट्रीट डांस का पक्षधर है, क्योंकि वह नृत्य के महत्व को अच्छी तरह समझती है, हालांकि स्ट्रीट डांस तिब्बती परंपरागत नृत्य से अलग की किस्म का नाच है, लेकिन नाचों में जो समानता है और एक जैसा सौंदर्य-बोध है, उन सब से समान प्रेरणा मिलेगी। यों कहेंगे कि विश्व के सब से ऊंचे पठार पर बसे तिब्बत में भी स्ट्रीट डांस जैसे बाहरी नृत्य पसंदीदा हुआ है, इस का एक मुख्य सबब तिब्बती जाति में नृत्य गान की सदियों पुरानी परंपरा में पाया जा सकता है।

गली मुहल्ले से निकल कर मैं फिर जोखांग मठ के सामने चौक में आया, फिर आग्या का मधुर गाना सुना और युवक युवतियों को हाथ में डंडे पकड़े जमीन थपथपाते हुए गाते देखा, इस वक्त मुझे बाकोर गली मुहल्ले के उन स्ट्रीट डांस प्रेमी बच्चों की याद आया, हां, यही है परंपरा और आधुनिकता का संगम ल्हासा।

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