छांगतू प्रयोगी प्राइमरी स्कूल छांग तू प्रिफेक्चर के मुख्यालय नगर छांग तू शहर के व्वो लुंग इलाके में स्थित है। अब इस स्कूल का क्षेत्रफल 14 हजार 2 सौ 41 वर्गमीटर है, जिस में फर्शी क्षेत्रफल 9621 वर्गमीटर है, दो शिक्षा इमारतें, दो बहुमुखी प्रयोग इमारतें और एक दफ्तर इमारत है। जिन में भाषा रूम, कम्प्यूटर रूम, संगीत रूम, मल्टी मीडिया रूम, प्रयोग रूम, पुस्तकालय आदि शुमार हैं। स्कूल की हरेक कक्षा में सूचना नेटवर्क और टीवी सेट की सुविधा मिलती है। वर्तमान में छांगतू स्कूल की कुल 20 कक्षाएं हैं, स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों की संख्या 1478 है और शिक्षकों की संख्या 114 है। स्कूल की स्थापना से लेकर अब तक कुल दस हजार से अधिक छात्र प्रशिक्षित हो चुके हैं।
2010 के जुलाई माह में संवाददाता ने छांगतू प्रिफेक्चर के सलाहकार सम्मेलन के पूर्व अध्यक्ष श्री बुथुतिंग से मुलाकात की। उन के साथ बातचीत से छांगतू स्कूल के विकास के इतिहास के बारे में संक्षिप्त जानकारी प्राप्त हुई। श्री बुथुतिंग की आरंभिक शिक्षा इसी छांग तू स्कूल में मिली थी, वह कभी स्कूल के अध्यापक भी रह चुके थे। स्कूल से निकलने के बाद वह प्रिफेक्चर की शिक्षा कमेटी के प्रधान और प्रचार आयोग के अध्यक्ष भी हुए थे। दो साल पहले वह प्रिफेक्चर के सलाहकार सम्मेलन के अध्यक्ष भी हुए थे।
श्री बुथुतिंग ने संवाददाता को बताया कि छांगतू प्रयोगी प्राइमरी स्कूल नए चीन की स्थापना के बाद केन्द्र सरकार की तरज्जी में खोला गया तिब्बत का प्रथम आधुनिक स्कूल है। आरंभिक काल में उस का नाम शीतकालीन स्कूल रखा गया था। स्कूल चीनी जन मुक्ति सेना की मदद में तत्काल के एक भाषा प्रोफेसर ली आनच्ये और उन की पत्नी यु शिय्यू के द्वारा स्थापित हुआ था। ये दोनों पति पत्नी विदेशों से पढ़कर लौटे प्रोफेसर थे जो तिब्बत में जानी मानी विद्वान थे।
श्री बुथुतिंग ने स्कूल की स्थापना की शुरूआती हालत की चर्चा में कहा कि शुरू शुरू में एक आधुनिक स्कूल की स्थापना के लिए काफी कठिनाइयां थीं, स्थानीय निवासियों में स्कूली शिक्षा के प्रति सरगमी नहीं थी, गरीबी के कारण वे अपने बच्चों को स्कूल भेजना नहीं चाहते थे। स्कूल के संस्थापकों को यह ख्याल आया था कि शीतकालीन सीजन में लोगों के लिए अवकाश समय ज्यादा है, ज्यादा बच्चे स्कूल में पढ़ने के लिए भेजे जा सकते हैं। इसलिए पहलेपहल एक शीतकालीन स्कूल खोला गया, इस तरह स्कूल के छात्रों की संख्या लगातार बढ़ती गयी थी। स्कूल के अध्यापक के रूप में ली आन च्ये पति पत्नी के अलावा चीनी जन मुक्ति सेना के सैनिक भी थे और छांगतू के कई लामा भी कुछ कोर्स पढ़ाते थे। छांगतू स्कूल स्थानीय देशभक्त व्यक्तियों, जन मुक्ति सेना और प्रोफसर ली की वित्तीय सहायता में फरवरी 1951 में औपचारिक रूप से खुला।
स्कूल के शुरुआती समय के छात्र स्थानीय उच्च वर्गों, नगर के कारीगर जैसे मध्य स्तरीय वर्गों और शहरी गरीबों के परिवारों से आए थे। खाने पहनने को छोड़कर छात्रों के सभी खर्च स्कूल द्वारा उठाये जाते थे और भत्ते के रूप में पैसे भी वितरित किए जाते थे, ताकि अधिक संख्या में बच्चे पढ़ने केलिए आकर्षित हुए हो। आरंभिक समय में स्कूल परिसर के निर्माण में छात्रों का योग भी था, आम तौर पर वे पारिश्रमिक के रूप में निर्माण में हाथ बटाते थे। इस प्रकार स्कूल आहिस्ता आहिस्ता विकसित हो गया।
छांगतू स्कूल के शिक्षकों का शिक्षा स्तर भी बहुत ऊंचा है। आरंभिक काल में शिक्षकों में ज्यादातर विश्वविद्यालय के स्नातक थे और कुछ कालेज के प्राध्यापक भी थे। वे स्वयं सेवक के रूप में स्कूल में पढ़ाते थे। स्कूल की पढ़ाई भी स्थानीय विशेषता के मुताबिक दी जाती थी, ताकि छात्र आसानी से समझ सके। उस जमाने में तिब्बत में बहुत से लोग हान भाषा नहीं जानते थे, यदि हान जाति के अध्यापक्ष पढ़ाते थे, तो तिब्बती दुभाषिया भी साथ साथ थे। इसलिए हान जाति के लोग लगन से तिब्बती भाषा सीखते थे और कुछ समय बाद वे तिब्बती भाषा में पढ़ाने के लायक भी हो गए। स्कूल की विभिन्न कक्षा में एक हान जातीय और एक तिब्बती अध्यापकों का प्रावधान था, जिससे संपर्क में सुविधा के साथ साथ वे और अधिक घुलमिल भी हुए थे। वे मिलकर छात्रों को पढ़ाते थे, पाठ दोहराने में मदद देते थे और रहन सहन में उन की कठिनाइयों को दूर करने की कोशिश करते थे। स्कूल के पाठ और कार्यक्रम भी स्थानीय यथार्थ स्थिति के अनुसार बनाये गए थे और छात्र चाव से पढ़ते थे।
पढ़ाई के अलावा स्कूल में कक्षा से अवकाश में मनोरंगन की विविध गतिविधियां की जाती थीं। स्कूली पायनियर टीम के रूप में हर हफ्ते में दो बार गतिविधियां होती थी, छात्र किसानों और चरवाहों को स्वयं सेवा भी देते थे और सार्वजनिक सफाई अभियान चलाते थे। पहली जून बाल दिवस के मौके पर सैर सपाटे पर भी जाते थे। स्कूली बच्चे बहुत आनंद से रहते थे। स्कूल में वसंतकालीन व शीतकालीन दो खेल समारोह भी आयोजित होते थे, बास्केटबाल, फुटबाल, टेबिल टेनिस, पथ मौदान और निशानेबाजी अनेक खेल होते थे।
पिछले 60 सालों के विकास के चलते, अब छांगतू स्कूल का बड़ा विकास हुआ है। उस ने बड़ी संख्या में अल्पसंख्यक जातियों के कार्यकर्ता प्रशिक्षित किए। अब तिब्बत के विभिन्न स्तरों पर जो पदाधिकारी कार्यरत हैं, वे प्रायः छांग तू स्कूल के पूर्व छात्र हैं। छांग तू के अलावा तिब्बत के अन्य स्थानों को भी बहुत से कार्यकर्ता भेजे गए है। वर्तमान में प्रांतीय स्तर के अधिकारी श्यांगबापेम्च्वु पहले भी स्कूल के छात्र हैं। जीवित बुद्ध चायो भी स्कूल से निकले है। उन्हों ने तिब्बत के विकास में बड़ा योगदान किया है।
छांगतू की शांतिपूर्ण मुक्ति के बाद छांगतू प्रिफेक्चर में शिक्षा कार्य का निरंतर विकास हुआ, विभिन्न स्तरों के स्कूल लगातार स्थापित हुए और शिक्षा दर भी निरंतर बढ़ती गयी है। 2009 के अंत तक क्षेत्र में विभिन्न किस्मों के 529 स्कूल खुल चुके हैं जिन में एक माध्यमिक तकनीक स्कूल, दो हाई स्कूल, 13 मीडिल स्कूल और 199 प्राइमरी स्कूल हैं। स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों की संख्या एक लाख 99 हजार 8 सौ से अधिक है। स्कूली उम्र वाले बच्चों की दाखिला दर 98.23 प्रतिशत तक पहुंची है, प्राइमरी स्कूलों की छात्रों की संख्या 68 हजार 3 सौ से अधिक है और मिडिल स्कूल के छात्रों की संख्या 32 हजार 7 सौ से अधिक है, जिस की दाखिला दर 90.58 फीसदी हो गयी है। माध्यमिक व्यवसाय स्कूल के छात्रों की संख्या 4 हजार एक सौ से भी ज्यादा है। इन के अलावा सारे प्रिफेक्चर में नर्सरियों की तादाद छह है जिन में 750 से अधिक बच्चे रहते हैं।
सूत्रों के अनुसार छांग तू प्रिफेक्चर आने वाले 12वीं पंच वर्षीय योजना के दौरान अन्य सामाजिक कार्यों के साथ शिक्षा कार्य के जोरदार विकास पर महत्व देगा। शिक्षा कार्य के विकास में प्राथमिकता गहरे सुधार, गुणवत्ता की उन्नति तथा निरंतर विकास पर दी जाएगी और शिक्षा के क्षेत्र में सार्वजनिक सेवा का स्तर उन्नत किया जाएगा, ताकि वहां की जनता को शिक्षा पर संतोष मिल जाए।