छांगतु तिब्बत, सछ्वान, छिंगहाई और युन्नान चार प्रांतों के संगम इलाके में स्थित है, जहां से चीन की तीन मशहूर नदियां समानांतर ऊंचे ऊंचे पहाड़ों के बीच गुजरते हुए बहती हैं। यह क्षेत्र तिब्बत, सछ्वान, छिंगहाई और युन्नान को जोड़ने वाला अहम यातायात जंक्शन का काम आता है।
छांगतु प्रिफेक्चर तिब्बत छिंगहाई पठार पर सनातन इतिहास और संस्कृति का उद्गत स्थल है। पूरे प्रिफेक्चर का क्षेत्रफल एक लाख 8 हजार 6 सौ वर्ग किलोमीटर है और प्रिफेक्चर की सीमा के अन्दर गगनचुंबी पर्वत, गहरी घाटियां और दूर्गम व पेचीदा भू-स्थिति है। इस विशाल भूभाग में तिब्बत, हान, ह्वी और नासी आदि 21 जातियों के लोग रहते हैं, जिन में तिब्बती जाति प्रमुख है, जो कुल जनसंख्या का 95 प्रतिशत भाग बनती है।
छांगतु प्रिफेक्चर में अब कुल 47 हजार दो सौ हैक्टर खेत, 54 लाख हैक्टर घास मैदान और 37 लाख 50 हजार हैक्टर वन उपलब्ध है, जिन में विविध और प्रचुर फसलें, वनस्पतियां और जड़ी बुटियां पायी जाती हैं। खनिज के लिए यहां सोना, चांदी, तांबा, लोह और निकल जैसे सौ किस्मों के धातु संसाधन ज्ञात हुए हैं। 37 किस्मों के धातुओं की भंडार मात्रा अब ज्ञात हो चुकी है जिन की खानें 96 हैं । छांगतु में जल संसाधन समृद्ध है, भू-सतही और भूमिगत जल संसाधनों की मात्रा 77 अरब 10 करोड़ घन मीटर है। इन के अलावा यहां के प्राकृतिक दृश्य, वास्तु निर्माण और जातीय रीति रिवाज भी बहुत आकर्षक होते हैं, वह महा सेंगलिरा पर्यटन क्षेत्र का एक भाग है।
शांतिपूर्ण मुक्ति से पहले, छांगतु सामाजिक व आर्थिक तौर पर एक अत्यन्त पिछड़ा हुआ क्षेत्र था, आधुनिक नाम का कोई उद्योग नहीं था। 1950 में छांगतु की शांतिपूर्ण मुक्ति हुई, तभी से चीन सरकार ने उस के विकास पर बड़ा ध्यान दिया और भारी भौतिक व वित्तीय शक्ति लगायी। अब तक 60 साल गुजर चुका है, इस के दौरान छांगतु के विभिन्न कार्यों में असाधारण बड़े परिवर्तन आये हैं। प्रकृति पर निर्भर होने वाली एकल किस्मी अर्थव्यवस्था विकसित हो कर आधुनिक बाजार अर्थव्यवस्था में बदली, जिस के तहत आधुनिक उद्योग, कृषि और सेवा उद्योग सभी उपलब्ध हैं। आज का छांगतु इतिहास में अपने सब से अच्छे काल में दाखिल हुआ है, जन साधारण की आय अभूतपूर्व बढ़ी है और शहरों व ग्रामीण की सूरत एकदम बदली है। 2009 में छांगतु का सकल उत्पादन मूल्य 5 अरब 79 करोड़ य्वान तक पहुंचा, जो सन् 1990 से 11.9 गुना बढ़ गया है। वर्तमान में चीन की दूसरी बड़ी तांबा खान यानी युलिंग तांबा खान की प्रथम परियोजना में उत्पादन शुरू हुआ है। त्रिनदी जल संसाधन विकास परियोजना का काम भी आरंभिक रूप से चल रहा है, चीन का ब्रांडेड बियर कारोबार ह्वारेन स्नो बियर उद्योग और सीलबंद टिन उद्योग आदि ने भी छांगतु में शाखाएं खोली हैं। प्रिफेक्चर में अच्छी पारिस्थितिकी के फलस्वरूप यहां हरित खाद्यन्न उद्योग तेजी से विकसित हुआ है और तीन बड़े बड़े कारोबार स्थापित हुए हैं। अतीत में छांगतु में कोई ढंग की सड़क भी नहीं थी, अब सारे प्रिफेक्चर में सड़कों का जाल बिछा हुआ है, सड़कों की कुल लम्बाई 9164 किलोमीटर तक पहुंची जिस में डामर सड़कों की लम्बाई 723 किलोमीटर है। 73 प्रतिशत के गांवों तक सड़क पहुंची है, जिस से अतीत की ढुलाई का काम घोड़ों और मानवी शक्ति पर निर्भर रहने की स्थित हमेशा के लिए खत्म हुई। 1995 में छांगतु में पांता हवाई अड्डा निर्मित हुआ जो हवाई मार्ग से छांगतु को छङतु व ल्हासा के साथ जोड़ देता है। इससे देश के अन्य स्थानों से पहले बंद हुए छांगतु को और घनिष्ट रूप से जोड़ा गया है।
छांगतु की शांतिपूर्ण मुक्ति के बाद, खासकर चीन में सुधार व खुलेपन की नीति लागू होने के फलस्वरूप छांगतु में किसानों की आय में भारी वृद्धि हुई और जनजीवन लगातार उन्नत होता गया है। 2009 में वहां प्रति किसान शुद्ध आय 3144 य्वान दर्ज हुई थी जो 1978 की तुलना में 35 गुनी बढी है। याक, भेड़-बकरी और डेयरी उत्पादन तथा साग सब्जी खेती का बेहतर जाल बिछा और शहरीकरण की गति भी तेज हो गयी। वर्तमान में छांगतु में तिब्बती जौ का शराब, अंगूर का शराब और बाजरा का शराब तथा तिब्बती जौ से उत्पादित खाद्यपदार्थ अच्छे बिकते हैं, पठार पर उत्पादित आलू, सब्जी, तिब्बती मुर्गा और तिब्बती सुअर जैसे विशेष स्थानीय उत्पाद भी पूर्वी तिब्बत में लोकप्रिय हो गए है। तीन नदियों के गर्म घाटी क्षेत्र में फल उत्पादन केन्द्र कायम हुआ। आर्थिक समृद्धि के चलते किसानों और चरवाहों का जीवन भी लगातार सुधरता जा रहा है। ग्रामीण आवास सुधार कार्यक्रम के अन्तर्गत छांगतु के गांवों में सभ्य व स्वच्छ आवास योजना अमल में लायी गयी, 2009 के अंत तक 45 हजार 7 सौ 52 किसान परिवार नए मकान में रह चुके हैं और 3 लाख गांववासी सुविधापूर्ण आवास में रहते हैं। हर गांव में नलजल, बिजली, मार्ग, पोस्ट, रेडियो टेलिविजन, दूर संचार की बुनियादी सुविधाएं प्राप्त हुई हैं, कार, मोटर साइकिल, रंगीन टीवी सेट, फ्रीज और कम्फ्युटर आम लोगों के घर में अब कोई विशेष चीज नहीं रहे।
पिछले 60 सालों में छांगतु प्रिफेक्चर में सामाजिक कार्य में सर्वांगीण प्रगति हुई है। शांतिपूर्ण मुक्ति से पहले छांगतु में कोई ठीक ढंग का स्कूल नहीं था, तिब्बत में शिक्षा लेने का अधिकार केवल कुलीन वर्गों और मठों के भिक्षुओं को मिलता था, गरीब लोगों और भूदासों को पढ़ने का कोई अधिकार नहीं था। मुक्ति के बाद 1951 में छांगतु में तिब्बत का प्रथम आधुनिक प्राइमरी स्कूल खुला। शिक्षा लेने के लिए सभी लोगों को समान अधिकार और मौका मिलने लगा। अब व्यापक किसानों और चरवाहों के संतानों को निशुल्क बोर्डिंग, भोजन और पाठ्य सामग्रियों की सुविधा मिलती है। वर्तमान में सारे प्रिफेक्चर में विभिन्न स्तरों के 529 स्कूल स्थापित हैं, जिन में एक लाख 7 हजार 6 सौ से ज्यादा छात्र पढ़ते हैं। प्राइमरी, मिडिल और हाई स्कूली दाखिला दर अलग अलग तौर पर 98.23, 90.58 और 26.1 प्रतिशित तक पहुंची है।
शांतिपूर्ण मुक्ति के समय 1950 में छांगतु में कोई अस्पताल नहीं था, केवल चंद कुछ मठों के भिक्षु और तिब्बती लोक वैद्य काम करते थे। मेहनतकश लोगों को चिकित्सा और दवा की कोई सुविधा नहीं मिलती थी। लेकिन पिछले 60 सालों के विकास के बाद अब प्रिफेक्चर, जिला और टाउनशिप तीन स्तरों की स्वास्थ्य व चिकित्सा व्यवस्था कायम हुई है, जिस के तहत तिब्बती, चीनी और पश्चिमी डाक्टर काम करते हैं और दवा और चिकित्सकों की कमी की स्थिति हमेशा के लिए खत्म हुई है। स्वास्थ्य सुधार के फलस्वरूप स्थानीय लोगों की औसत आयु पहले के साढे 35 साल से बढ़कर 67 साल तक पहुंची है और जनसंख्या भी 1959 के 2 लाख 54 हजार 8 सौ से बढ़कर अब 6 लाख 41 हजार 8 सौ से अधिक हो गयी।
आर्थिक व सामाजिक कार्य में भारी परिवर्तन आने के बाद छांगतु में शहरों में निम्म आय बीमा व्यवस्था और ग्रामीण व चरगाह क्षेत्रों में गरीब लोगों को राहत सहायता देने की नीति लागू हो चुकी है और शत प्रतिशत वृद्ध पैशन सेवा कायम हुई है। इस के अलावा बेरोजगारी समस्या को हल करने की विभिन्न नीति और कदम उठाए गए है. अब शहरों व कस्बों में बेरोजगार दर 4.3 फीसदी तक सीमित है।
जाति बहुल क्षेत्र होने के कारण छांगतु में श्रेष्ठ जातीय संस्कृति का संरक्षण व विकास किया जा रहा है। छ्यांग बालिन मठ जैसे राष्ट्रीय स्तर के सांस्कृतिक अवशेष और छांगतु के गामा मठ जैसे तीन प्राचीन वास्तु निर्माण और छांगतु मुक्ति कमेटी जैसे 8 क्रांतिकारी ऐतिहासिक स्थल संरक्षण की मुख्य सूची में शामिल किए गए हैं। छांगतु में तिब्बती संस्कृति का पूरी तरह संरक्षण किया जाता है, तिब्बती नृत्य गान रैबा, छांगतु का ग्वोच्वोंग और मांगखांग का श्योन ची और 13 स्टाइल की वस्त्र हस्तकलाओं को प्रदेशीय स्तर के गैर भौतिक सांस्कृतिक धरोहरों की सूची में शामिल किया गया। तिब्बती भाषा और लिपि की रक्षा के लिए प्राइमरी व मिडिल स्कूलों में द्विभाषी पढ़ाई दी जाती है तथा विभिन्न स्थानों में सांस्कृतिक भवनों, पुस्तकालयों, मनोरंजन केन्द्रों तथा रेडियो व टीवी सिगनल ग्रहण स्टेशों की स्थापना की गयी है। जिस से व्यापक किसानों और चरवाहों का सांस्कृतिक जीवन काफी विविधतापूर्ण और समृद्ध हुई है।
तिब्बत के छांगतु प्रिफेक्चर में प्राकृतिक संसाधनों की प्रचुरता होती है और जगह जगह हरियाली छायी रहती है। पारिस्थितिकी संरक्षण के लिए छांगतु में यांगत्सी नदी के ऊपरी भाग में जंगली वन संरक्षित क्षेत्र, केन्द्रीय वन्य पारिस्थितिकी कोष और शहरी वृक्षरोपन परियोजना आदि अनेक प्रकृति संरक्षण परियोजनाएं अमल में लायी गयी हैं। वर्तमान में प्रिफेक्चर में कुल दो राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण क्षेत्र व एक राष्ट्रीय वन पार्क, एक प्रदेशीय नम दलदल क्षेत्र, 54 लाख हैक्टर प्राकृतिक घास मैदान और 37 लाख 50 हजार हैक्टर वन क्षेत्र कायम हुए हैं, जिस के चलते वहां पारिस्थिकी बहुत अच्छी अवस्था में मिलती है।
पिछले 60 सालों के निर्माण व विकास के फलस्वरूप छांगतु के इतिहास ने एक लम्बा छलांग मारा है। स्थानीय लोगों का यह निरंतर प्रयास रहा है कि सरकार और अन्य प्रांतों की निस्वार्थ सहायता में छांगतु और सुनहरा भविष्य विकसित करेगा।