Web  hindi.cri.cn
तिब्बती नाचगान—तिब्बती गोर्चोम नृत्य
2010-08-31 13:08:05

तिब्बती जाति गाने नाचने के शौकिन है । नाचना तिब्बती लोगों के जीवन में एक अनिवार्य अंग है । तिब्बती नृत्य की चार किस्में होती हैं, यानी कि लोक नृत्य, धार्मिक नृत्य, दरबारी नृत्य और ऑपेरा नृत्य । आइये, आज के इस कार्यक्रम में मैं आप को बताऊंगी तिब्बती नाच गान के बारे में कुछ जानकारी ।

तिब्बती लोक नृत्य में"गोर्शिए" या"गोर्चोम" नृत्यु सब से लोकप्रिय और प्राचीन काल से प्रचलित होता आया है । यह ऐसा नृत्य है, जिस में लोग एक गोलाकार बनाकर एक साथ नाचते हैं । आम तौर पर कहा जाए, तो तिब्बत के दक्षिण भाग में इस प्रकार के वृत्ताकार नृत्य को"गोर्शिए"कहा जाता है, जबकि पूर्वी तिब्बत के छांगतु प्रिफैक्चर, स्छ्वान प्रांत और युन्नान प्रांत के तिब्बती बहुल क्षेत्रों में इसे"गोर्चोम"कहा जाता है ।

"गोर्चोम नृत्य"नाचने वालों की संख्या अनिश्चित है । लोग अपने अपने घर के आंगन में, द्वार के बाहर और मैदान में नाच सकते हैं । त्योहार के समय और पार्टी के आयोजन के वक्त तिब्बती लोग बड़ी खुशी के साथ गोर्चोम नृत्य नाचते हैं । शुरू शुरू में पुरूष और महीला अलग-अलग तौर पर अर्ध गोलाकार बना कर हाथ में हाथ डाल कर या एक दूसरे के कंधे पर हाथ थामे नाचते हैं । नाचने के दौरान लोग धुन के ताल पर पांव पटकते हुए चक्कर लगाते हैं, साथ ही गाना भी गाते हैं और गीत के अंत में वे ऊंची आवाज में या—या बुलंद कर पुकारते हैं और अपने वस्त्र के लम्बे आस्तीन को फहराते हुए तेज गति में घूमते हैं , झूकते है और थरकते हैं , इस तरह नाच उत्साह के चरम पर पहुंच कर समाप्त होता है ।

गोर्चोम नृत्य करते समय लोग किसी गायक के गीतों के साथ नाचते हैं । गीत के विषय विविध और प्रचुर है । कुछ गीतों के विषयों में बुद्ध का स्तुति गान और सुन्दर जीवन का गुणगान होता है, इस तरह के नृत्य की गति धीमी है और आम तौर पर प्रौढ़ व बुढ़े लोग नाचते हैं । कुछ गीतों में युवक और युवती के बीच प्यार की भावना अभिव्यक्त होती है, और नृत्य की गति भी उत्साहजनक और तेज़ द्रुत होती है । आनंददायी गीतों के साथ तिब्बती लोग नाचते हैं, इस से थकावट और तकलीफ़ को भूल जाते हैं, एक दूसरे को दोस्त बनाते हैं और दूसरे मिलन समारोह में एक साथ फिर नाचने का आमंत्रण देते हैं ।

तिब्बती छ्यांगमू नृत्य

"छ्यांगमू"नृत्य तिब्बत में प्रचलित एक प्राचीन किस्म वाला धार्मिक नृत्य है । विभिन्न तिब्बती बौद्ध मठों में धार्मिक अनुष्ठान के दौरान छ्यांगमू नृत्य नाचा जाता है । इसे "देव पूजा नृत्य"भी कहा जाता है । यह तिब्बती बौद्ध धर्म के लामा व भिक्षु द्वारा प्रदर्शित एक रस्मी नृत्य है । कहते हैं कि सातवीं शताब्दी में बौद्ध धर्म भारत और नेपाल तथा तत्कालीन चीन के भीतरी इलाके से तिब्बत में आया, इसी दौरान तिब्बती भिक्षु तिब्बत के स्थानीय नृत्य, बोन धर्म के तांत्रिक नृत्य तथा भारत के योग संप्रदाय के मुखोटा नृत्य को जोड़ कर छ्यांगमू नृत्य बनाया, जिस का मकदस दैत्य प्रेत को भगा देना है ।

छ्यांग मू नृत्य एकल नृत्य, युगल नृत्य और सामूहिक नृत्य में बंटा है । नाचने के वक्त नृतक चेहरे पर मुखौटा पहनता है, तिब्बती लम्बा चोगा पहनते हैं और रंगीन फीता व तलवार लेते हैं । नाच के समय वाद्य बजाया जाता है । तिब्बती बौद्ध धर्म की अनेक शाखाएं होने के कारण भिन्न-भिन्न शाखा भिन्न-भिन्न किस्म के देवता की पूजा करती है । इस तरह छ्यांगमू नृत्य नाचने की तिथि, कार्यविधि, नृत्य की शैली और आभूषण वस्त्र भी अलग-अलग होते हैं । तिब्बत की राजधानी ल्हासा क्षेत्र में"देव पूजा"दिवस तिब्बती पंचांग के अनुसार दिसम्बर की 29 तारीख को मनाया जाता है, इसी दौरान जोखांग मठ और पोटाला महल आदि मठों में वार्षिक"देव पूजा अनुष्ठान"आयोजित होता है । लामा और भिक्षु नाचने के पूर्व सूत्र पढ़ते हैं और पशुवध की रस्म आयोजित की जाती है । लेकिन सच्चे पशु का वध नहीं होता है, आम तौर पर पशु की जगह पर उपकरण या चित्र की बलि होती है । तिब्बत के शिकाज़े क्षेत्र में तिब्बती पंचांग के अनुसार सातवें माह के शुरू में"देव पूजा"त्योहार आयोजित होता है । इसी दौरान तिब्बती ऑपेरा, शेर नृत्य और सुरागाय नृत्य प्रदर्शित किया जाता है । इस के अलावा जाशलुम्बू मठ के भिक्षु छ्यांगमू नृत्य भी नाचते हैं ।

तिब्बती बौद्ध धर्म के प्रसार के चलते छ्यांगमू नृत्य यानी"देव पूजा नृत्य"धीरे-धीरे तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के बाहर अन्य तिब्बती बहुल क्षेत्रों तथा भीतरी इलाके में स्थित कुछ तिब्बती लामा मठों में भी लोकप्रिय हुआ। विभिन्न स्थलों में उस का नाम अलग है, लेकिन इस नृत्य का मकसद दैत्य प्रेत को भगा देनना और शुभकामना करना समान है ।

तिब्बती दरबारी नृत्य

तिब्बती नृत्य में नांगमा नृत्य एक किस्म वाला दरबारी नृत्य है । ल्हासा और शिकाज़े क्षेत्रों में नांगमा नृत्य लोकप्रिय है । नाचने के पूर्व आम तौर पर एकल गान व सामूहिक गान हो जाता है । उस की धुन धीमी गति से तेज़ गति में परिवर्तित होती है । धीमी गति वाली धुन बजने के समय सिर्फ़ गाता है और नहीं नाचता । तेज़ गति वाली धुन के वक्त केवल नाचता है और नहीं गाता । नृत्य का वातावरण बहुत जोशपूर्ण है । नांगमा नृत्य प्रदर्शित करने वालों की संख्या अनिश्चित है । सब से कम संख्या सिर्फ़ एक है, ज्यादा संख्या तो सात आठ तक है । नृतक आम तौर पर महीला है । नांगमा नृत्य की धुन सात वाद्ययंत्रों से बजती है, गाने के बोल कुछ धर्म से संबंधित हैं और अधिकांश भाग में जन्मभूमि, सच्चे प्यार की गुणगान और सामाजिक विषय का वर्णन है । छठे दलाई लामा त्सांगयांग ग्यात्सो ने अनेक प्रेम कविताएं लिखी थीं, जो नांगमा गाना के बोल का प्रमुख भाग है ।

नांगमा नृत्य के विकास के दौरान एक कहानी भी प्रचलित है । कहा जाता है कि वर्ष 1790 के आसपास, तिब्बती स्थानीय सरकार का एक मंत्री दोरिंग तेंजिन्पालजोर पर शत्रु के साथ मिलने की आशंका लगी, उसे गिरफतार किए जाने के बाद पूछताछ के लिए चीन के भीतरी इलाके में पहुंचाया गया । बाद में साबित किया गया कि वह बेगुनाह है । इस के बाद दोरिंग भीतरी इलाके में कई माहों तक ठहरे और उन्होंने विस्तृत रूप से चीनी परम्परागत वाद्ययंत्र यांगछिन सीखा । इस के बाद वे यांगछिन और तिब्बती वाद्य यंत्र के साथ जोड़ कर धुन बजाते थे । बाद में नांगमा गाना पैदा हुआ । दोरिंग तेंजिन्पोल्जोर ने नांगमा गाना में पेइचिंग ऑपेरा की धुन भी मिश्रित की, नृत्य में हान जाति के प्राचीन नृत्य की शैली भी शामिल की । ऐसा कहा जा सकता है कि दोरिंग तेंजिन्पोल्जोर की भीतरी इलाके की यात्रा से नांगमा नृत्य के विकास के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई गई ।

विद्वानों का विचार है कि शुरू में नांगमा नृत्य की उत्पत्ति लोक नृत्य से हुई थी, लेकिन बाद में राजमहल में ले कर उच्च स्तरीय समाज का लोकप्रिय मनोरंजन बन गया । इधर के वर्षों में नांगमा नृत्य तिब्बत की राजधानी ल्हासा में बहुत लोकप्रिय है । अनेक मनोरंजन केंद्रों में विशेष तौर पर नांगमा नृत्य व गाना प्रदर्शित किये जाते हैं । अवकाश के समय तिब्बती लोग वहां जाकर नांगमा नृत्य व गान का मज़ा लेते हैं ।

तिब्बती ऑपेरा नृत्य

तिब्बती ऑपेरा नृत्य तिब्बती नृत्य की एक महत्वपूर्ण निधि है । तिब्बती ऑपेरा नृत्य का अन्य किस्म वाले लोक नृत्यों से घनिष्ठ संबंध होता है । लेकिन दोनों के बीच फर्क भी होता है । तिब्बती लोक नृत्य को तिब्बती लोग मनोरंजन के लिए खुद नाचते हैं, जबकि तिब्बती ऑपेरा नृत्य दूसरे लोगों को मनोरंजन मुहैया करता है, उस के अपने कड़े नियम और सुनिश्चित एक्शन होते है और ऑपेरा में पात्र के अनुसार नृत्य का डिज़ाइन किया जाता है ।

तिब्बती ऑपेरा नृत्य की गति कभी धीमी है, कभी तेज़, कभी शक्तिशाली है, कभी हल्की उत्साहपूर्ण है । इन में पात्रों के नृत्य एक्शन से व्यक्ति के अच्छे चरित्र या बुरे चरित्र दर्शाये जाते हैं । तिब्बती ऑपेरा नृत्य में अनेक एक्शन आम लोगों के श्रमिक जीवन से चुने गए हैं । मसलन शिकार करने के वक्त तीर चलाने का एक्शन, ऊनी कपड़े बुनाने का एक्शन, नाव खेने का एक्शन आदि । नृत्य से दर्शक जीवन का गाढ़ा वातावरण ही नहीं, सुन्दर कलात्मक एहसास भी महसूस कर सकते हैं ।

तिब्बती ऑपेरा नृत्य के बारे में एक लोक कथा भी प्रचलित है । कहते हैं कि एक बार तिब्बत का एक राजा भीतरी इलाके के सम्राट से मुलाकात के लिए भीतरी इलाके गया । सम्राट ने राजा से पूछा कि तिब्बती लोग कैसा जीवन बिताते हैं?तिब्बती राजा ने सीधे तौर पर सवाल का जवाब नहीं दिया, बल्कि उसने तिब्बती ऑपेरा में धनुष खींचने और ऊनी कपड़े बुनाने के दो एक्शन कर दिखाए । यह देखने के बाद सम्राट समझ गया कि तिब्बती लोग आखेट और बुनाई का काम करते हैं।

तिब्बती ऑपेरा सफेद मुखौटे वाले ऑपेरा और नीले मुखौटे वाले ऑपेरा में बंटा है । सफेद मुखौटे वाले तिब्बती ऑपेरा की गति उत्साहपूर्ण और तेज़ है, जो आम तौर पर त्योहार मनाने के वक्त प्रदर्शित किया जाता है । जबकि नीले मुखौटे वाले तिब्बती ऑपेरा की गति धीमी है, जो भव्य व गंभीरता वाले मौके पर प्रदर्शित किया जाता है । तिब्बती ऑपेरा प्रस्तुत करने के दौरान अभिनेता आम तौर पर मुखौटा पहनते हैं । मुखौटे पहने वाले पात्र सिर को दाईं ओर से बाईं ओर तक हिलाने से अपनी प्रतिष्ठा और पराक्रम दिखाता है । पात्र के सिर झूका कर अपने हाथ को छाती पर रखने से अभिवादन करने का अर्थ निकलता है । तिब्बती ऑपेरा के प्रदर्शन के दौरान अभिनेता व अभिनेत्री इस प्रकार विभिन्न भंगामा दिखा कर अभिनय करते हैं । ऐसा कहा जा सकता है कि तिब्बती ऑपेरा को मुखौटे वाला नृत्य भी कहा जा सकता है ।

संदर्भ आलेख
आप की राय लिखें
सूचनापट्ट
• वेबसाइट का नया संस्करण आएगा
• ऑनलाइन खेल :रेलगाड़ी से ल्हासा तक यात्रा
• दस सर्वश्रेष्ठ श्रोता क्लबों का चयन
विस्तृत>>
श्रोता क्लब
• विशेष पुरस्कार विजेता की चीन यात्रा (दूसरा भाग)
विस्तृत>>
मत सर्वेक्षण
निम्न लिखित भारतीय नृत्यों में से आप को कौन कौन सा पसंद है?
कत्थक
मणिपुरी
भरत नाट्यम
ओड़िसी
लोक नृत्य
बॉलिवूड डांस


  
Stop Play
© China Radio International.CRI. All Rights Reserved.
16A Shijingshan Road, Beijing, China. 100040