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तिब्बती चिकित्सा और औषधि संस्कृति संग्रहालय
2010-08-10 09:56:52

चीन के छिंगहाई प्रांत की राजधानी शिनिन शहर में स्थित छिंगहाई जैवी विज्ञान व तकनीक विकास उद्यान में तिब्बत की परम्परागत वास्तु शैली और आधुनिक वास्तु कला के मिश्रित आकार का एक आलीशान भवन देखने को मिलता है, यही चीन का तिब्बती चिकित्सा व औषधि संस्कृति संग्रहालय है।

तिब्बती चिकित्सा व औषधि संस्कृति संग्रहालय में गाइड दर्शकों को इस संग्रहालय के बारे में परिचय देते हुए दिखाई देते हैं। गाइड ने बताया कि यह संग्रहालय विश्व का तिब्बती चिकित्सा शास्त्र व औषधि संस्कृति की जानकारी देने वाला प्रथम विशेष संग्रहालय है।

चीन के तिब्बती चिकित्सा व औषधि संस्कृति संग्रहालय में तिब्बती औषधि की 2000 से ज्यादा किस्मों के जीवजंतु, वस्पति तथा खनिज पदार्थ के नमूने उपलब्ध है। संग्रहालय में विभिन्न ऐतिहासिक कालों के 28 प्रसिद्ध तिब्बती चिकित्सकों की कहानियां, उन की मूर्तियां तथा 1000 से अधिक अहम तिब्बती चिकित्सा व औषधि पुस्तकें सुरक्षित हैं, जिन में जो चीनी तिब्बती जाति की संस्कृति व कला चित्रावली नामक थांगखा चित्र हमेशा के लिए प्रदर्शित होता है, वह विश्व गिनिस रिकोर्ड बुक में शामिल किया गया है। संग्रहालय के उप प्रधान श्री योनतान जानको ने परिचय देते हुए कहाः

यह थांगखा चित्र है, जो छिंगहाई प्रांत के थांगखा चित्रकला उस्ताद जोंगजे ल्हाग्यी के नेतृत्व में बनाया गया है, इस विशाल चित्र के लिए संदर्भ सामग्री जुटाने तथा डिजाइन करने में उन्हों ने 23 साल का समय खर्च किया और उसे खींचने में चार साल का समय लगा, जिस काम में कुछ 400 से ज्यादा तिब्बत, मंगोल, हान व थू जातियों के वरिष्ठ चित्रकारों ने भाग लिया। इस थांगखा चित्र में ब्रह्मांड व मानव-उत्पति के बारे में तिब्बती जाति की विचारधारा, तिब्बत के इतिहास, धर्म, दर्शन शास्त्र, खगोल, चिकित्सा और तिब्बती जाति की रीति रिवाज एवं प्राकृतिक स्थिति के बारे में चित्रण किया गया है, वह एक विश्व कोश के रूप में देखा जा सकता है।

तिब्बती चिकित्सा व औषधि चीन की तिब्बती जाति द्वारा विश्व के लिए प्रदत्त एक महान विरासत है। 2006 में उसे चीन के प्रथम जत्थे के गैर भौतिक सांस्कृतिक विरासत की सूची में सम्मानित किया गया। तिब्बती चिकित्सा व औषधि संस्कृति तिब्बत छिंगहाई पठार पर बसे तिब्बती जाति के पूर्वजों द्वारा स्थानीय चिकित्सा व औषधि शास्त्र के आधार पर प्राचीन भारतीय चिकित्सा, हान जाति की चिकित्सा तथा पश्चिमी चिकित्सा के अनुभवों को मिश्रित कर कायम की गयी है। वह तिब्बती संस्कृति का एक अभिन्न भाग है जो अद्भुत विशेषता, वैज्ञानिक मूल्य तथा लोकप्रियता रखती है। तिब्बती लोगों ने सदियों के लम्बे श्रमिक व्यवहार के जरिए अपनी विशेष पहचान वाली चिकित्सा पद्धति और औषधि व्यवस्था रचित की है। तिब्बत-छिंगहाई पठार में उत्पन्न हुई तिब्बती चिकित्सा व औषधि पद्धति 6000 से ज्यादा साल पुरानी रही है, इसके कारण तिब्बती चिकित्सा व औषधि संस्कृति पर एक प्रकार का रहस्यमय पर्दा पड़ा है। छिंगहाई प्रांत के तिब्बती चिकित्सा व औषधि अनुसंधान प्रतिष्ठान के प्रधान श्री द्रोजी ने कहाः

तिब्बती औषधि में आम इस्तेमाल में आने वाले खनिज पदार्थों की किस्में ही 280 से अधिक हैं। जिन में मोती-रत्न और धातु शामिल हैं। तिब्बती औषधि में खनिजों का प्रयोग एक विशेषता है, गोमेद, जेड, हिरा, सोना, चांदी, कांस्य, लोह, यहां तक पारा भी शामिल है।

खनिज सेवन करने और पचाने में आसान नहीं होता है, लेकिन तिब्बती औषधि पद्धति में विशेष तरीका अपनाकर इस समस्या को हल किया गया। इस के बारे में श्री द्रोजी ने परिचय देते हुए कहाः

उदाहरणार्थ, पारा को औषधि बनाने का तरीका लीजिए, सर्वप्रथम इस में से विष व जंग हटाया जाता है, फिर पानी से धोला जाता है। इस के बाद भिन्न भिन्न रोग के मुताबिक भिन्न भिन्न तरीके से विशेष औषधि बनायी जाती है, वयोवृद्ध, प्रौढ और बच्चे के लिए अलग अलग दवा बनायी जाती है। भीतरी इंद्रियों के लिए जो औषधि बनायी गयी है, वह त्वचा-रोग की औषधि से भिन्न है। भिन्न भिन्न दवा बनाने के लिए तरीके भी भिन्न होते हैं। तिब्बती औषधि में ठंडे पानी में से निकाला गया एक प्रकार का पत्थर होता है, उसे दवा बनाने के तरीके 30 से अधिक है।

तिब्बती चिकित्सा व औषधि संग्रहालय में तिब्बती चिकित्सा शास्त्र की मुख्य पुस्तक चतुर्चिकित्सा पिटक सुरक्षित है। इस ग्रंथावली में श्रृंखलाबद्ध मेडिकल चित्र दिए गए है, जिनमें तिब्बती चिकित्सा के सभी शास्त्र सचित्र प्रस्तुत किए गए है। संग्रहालय के उप प्रधान योनतान जानको ने बताया कि इस प्रकार का सचित्र व्याख्या विश्व के अन्य किसी भी चिकित्सा पद्धतियों में नहीं मिलता है। उन्होंने कहाः

चतुर्चिकित्सा पिटक में अंकित चित्र तिब्बती थांगखा चित्र के रूप में खींचे गए हैं। कुल 80 चित्र हैं, जो जड़, तन, शाखे व पत्ते के आकार में मानव शरीर के रोग इंगित कर देते हैं और रोग- निदान की बारीकी व्याख्यान करते हैं, इस से निदान की सही दर 90 प्रतिशत से अधिक पहुंच सकती है, निदान करने में किसी भी प्रकार के उपकरण यंत्र की जरूरत नहीं है। मानवी भ्रुण विज्ञान के संबंधित चित्र माइक्रोस्कोप व अन्य मशीन की मदद के बिना चक्रीय क्रम के साथ भ्रुण का विकास क्रम दिखा देते हैं।

खगोल व पंचांग विज्ञान तिब्बती जाति द्वारा दीर्घकालीन उत्पादन व जीवन के दौरान निष्कर्ष किया गया प्रकृति विज्ञान है जो तिब्बती संस्कृति का एक अहम भाग है। तिब्बती खगोल व पंचांग शास्त्र का लम्बा इतिहास है, उस के बारे में प्रचुर सामग्री मिलती है और स्पष्ट जातीय विशेषता भी है। तिब्बती लोगों के जीवन में खगोल व पंचांग का व्यापक तौर पर प्रयोग किया जाता है। इस का तिब्बती आबादी क्षेत्रों में कृषि, पशुपालन पर बड़ा प्रभाव पड़ा है। तिब्बती जाति के खगोल व पंचांग विज्ञान का तिब्बती चिकित्सा व औषधि शास्त्र से सीधा संबंध है। इस की चर्चा में श्री योनतान जानको ने कहाः

तिब्बती जाति ने दीर्घकालीन जीवन व उत्पादन से बहुत पहले ही मौसम व जलवायु और रोग-इलाज के बीच द्वंदवादी संबंध का सिद्धांत पेश किया है और इस के मुताबिक बाह्य मौसम के परिवर्तन तथा पंच तत्वों के प्रचलन नियम के मुताबिक रोग का निदान करने, उपचार करने तथा औषधि तोड़ने जुटाने एवं दवा बनाने के तरीके अख्तियार किए हैं। ये तरीके आज के विज्ञान युग में भी मूल्य रखते हैं, उस पर अनुसंधान करने तथा इस्तेमाल करने की जरूरत है।

छिंगहाई प्रांत के तिब्बती चिकित्सा अस्पताल के गठिया विभाग के डाक्टर श्री आनल्चीन ने कहा कि तिब्बती दवा गठिया जैसी कठिन बीमारियों के इलाज में अतूल्य भूमिका अदा कर सकती है। उन्होंने कहाः

तिब्बती औषधि की स्नान प्राणाली विशेष असरदार है जो गठिया, जोड़ों में दर्द तथा हड्डियों की गठिया के इलाज के लिए बहुत फायदामंद होता है। चीन के विभिन्न स्थानों तथा दक्षिण कोरिया, रूस और अमेरिका आदि देशों से भी बहुत से रोगी इलाज के लिए यहां आते हैं। गठिया ग्रस्त संधिशोथ का रोग एक कठिन बीमारी है, लेकिन तिब्बती औषधि के स्नान से 95 प्रतिशत से अधिक रोग का सफल उपचार हो सकता है।

तिब्बती रोगी त्सेची रग्या़टोसो गर्दन की हड्डियों में हाइपरॉस्टोसिस रोग से पीड़ित रहा है। तिब्बती औषधि के विशेष प्रभाव को महसूस करने के बाद वे अपनी सेहतमंदी पर बड़ा विश्वस्त हो गए। उन्होंने कहाः

मैं पिछले 9 सालों से इस बीमारी से पीड़ित रहा हूं, इस बार तिब्बती अस्पताल में मेरी बीमारी को हाईपरॉस्टोसिस निश्चित की गयी, इस से स्नायु पर दबाव होने के कारण मेरे हृदय में काफी तकलीफें आयीं । तिब्बती औषधि का विशेष नुस्खा है, जिस से मूलरूप से इस बीमारी का उपचार किया जा सकता है. मैं इस पर विश्वस्त हूं।

तिब्बती चिकित्सा और औषधि विज्ञान की असरदारता निरंतर बढ़ती गयी और आधुनिक विज्ञान की मदद से उस का आयाम और विस्तृत हो रहा है और उस का प्रभाव निरंतक बढ़ता जा रहा है। छिंगहाई जैवी विज्ञान व तकनीक विकास उद्यान में चीनी तिब्बती चिकित्सा व औषधि संस्कृति संग्रहालय की प्रेरणा से वहां अनेक तिब्बती औषधि कारोबार खोले गए हैं। आने वाले पांच सालों में चीन का छिंगहाई प्रांत पर्यावरण संरक्षण के आधार पर देश में अहम तिब्बती औषधि उत्पादन व संचालन केन्द्र तथा तिब्बती औषधि खेतीबाड़ी अड्डा कायम करेगा।

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