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प्राचीन तिब्बती कढ़ाई से तिब्बत में हुए कई परिवर्तन
2010-05-18 10:04:54

आजकल चीनी जातीय लोक कलात्मक वस्तुएं दुनिया भर में लोगों की पसंदीदा चीज़ बन गईं है।यहां आप लोगों को छिंगहाई तिब्बत पठार में प्रचलित एक किस्म का परंपरागत लोक हस्त कला-तिब्बती कढ़ाई के बारे में बताया जाएगा।

चीन के छिंगहाई प्रांत की राजधानी शीनिंग में स्थित छिंगहाई जातीय लोक हस्तकला भवन के एक प्रदर्शनी हॉल में 21 वर्षीय तिब्बती लड़की चो त्सोची बर्फीले पहाड़ी तिब्बती कुत्ते के चित्र की कढ़ाई कर रही है। कढ़ाई का काम पूरा न होने के बावजूद लोग कपड़े पर तिब्बती कुत्ता देख सकते हैं। वह बर्फीली ज़मीन पर खड़े होकर अपने घास के मैदान की रक्षा कर रहा है। उसके पीछे बर्फीले पहाड़ हैं, जो कि सूर्य की किरर्णों में और ज्यादा सफेद लगते हैं। जैसा कि लोग एक पवित्र बर्फीली दुनिया में आ चुके हैं।

कढ़ाई कर रही चो त्सेची ने कहा कि दूर से देखने पर कढा़ई में सिर्फ़ सफेद, काला और पीला रंग दिखता है। जबकि असली में एक ही तरह के काले रंग में गहरा या हल्का काला रंग शामिल है। साथ ही कढ़ाई के समय अलग-अलग तरह की शैलियों का इस्तेमाल किया गया है। जिसके चलते तिब्बती कुत्ता एकदम जीवंत लगता है ।

श्यार्वू डोर्जे क्वेइ नान तिब्बती कढ़ाई प्रदर्शनी हॉल के प्रमुख हैं। यहां प्रदर्शित की गई सभी तिब्बती कढ़ाई चीजे़ छिंगहाई प्रांत के हाई नान तिब्बती स्वायत्त प्रिफैक्चर के क्विनान कांउटी से आती हैं। जो तिब्बती कढ़ाई का जन्म स्थान माना जाता है । तिब्बती बंधु श्यार्वू डोर्जे ने जानकारी देते हुए कहा:

"ये कढ़ाई उत्पाद हमारे स्थानीय तिब्बती किसान महिलाओं ने बनाएं हैं। एक चीज की कढ़ाई करने में कई महीने यहां तक कि कई साल लग जाते हैं। एक ही चित्र के डिज़ाइन में अलग- अलग व्यक्तियों द्वारा कढ़ाई किए जाने के कारण अलग शैली नज़र जाती है । ऐसा कहा जा सकता है कि हमारे यहां का हरेक कढ़ाई वस्त्र बेजोड़ है ।"

च्यांगशी प्रांत से आए पर्यटक ह्वांग शीजोंग दूसरी बार छिंगहाई आए है। उन्होंने कहा कि पहली यात्रा के दौरान उन्होंने कई तिब्बती कढ़ाई वाले वस्त्र खरीदे। घर वापस लौटने के बाद दोस्तों ने उनकी काफी तारीफ की। इस बार वे विशेष तौर पर क्वेइनान तिब्बती कढ़ाई कपड़े खरीदने आए हैं। ह्वांग ने कहा :

 "तिब्बती कढ़ाई बहुत विशेष है और दक्षिण चीन में नहीं देखा जा सकती है। देखो《पीठ पर पानी लादने वाली लड़की》नामक कढ़ाई चित्र, बहुत जीवंत लगता है। दूर से देखा जाए तो यह महज़ एक चित्र लगता है, लेकिन नज़दीक से देखने पर पता चलता है कि तिब्बती लड़की ने एक ही सुई से इसे बनाया है। इसमें तिब्बती संस्कृति की विशेषता दिखाई देती है । मुझे आशा है कि तिब्बती कढ़ाई हमारे देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर में बेचे जा सकेंगे।"

दोस्तो, सुन्दर तिब्बती कढ़ाई रचनाएं लोक हस्त कलाकारों द्वारा बनाया जाती हैं। जो आम तौर पर कृषि, पशुपालन का काम करते हैं । उन्होंने यह तकनीक अपने बुजुर्गों से सीखी है। जीवन के प्रति उनकी समझ कढ़ाई उत्पादों में दिखती है।

क्वेइनान कांउटी के तोंग केर तिब्बती कढ़ाई विज्ञान व तकनीकी कंपनी बोर्ड के अध्यक्ष ड्रोल्माजे ने कहा:

"दुनिया भर में सिर्फ़ हमारे छिंगहाई प्रांत के हाईनान तिब्बती स्वायत्त प्रिफैक्चर में तिब्बती कढ़ाई की जाती है। और क्वेइनान कांउटी के शागो जिले में सबसे ज्यादा कढ़ाई का काम किया जाता है। चीनी अल्पसंख्यक जातियों के विभिन्न किस्मों वाली कढ़ाइयों में तिब्बती कढ़ाई सबसे विशेष है। जिसका इतिहास बहुत पुराना है ।"

ड्रोल्माजे ने कहा कि तिब्बती कढ़ाई की रचनाएं जीवंत ही नहीं रंग-बिरंगी हैं। कढ़ाई के समय तिब्बती महिलाओं की सोच कपड़ों में साफ देखी जा सकती है। शैली सरल और प्राचीन तिब्बती कढ़ाई की एक विशेषता है, हर कढ़ाई कपड़े से प्राचीन समय की याद ताजा़ हो जाती है। जिसमें घास के मैदान में रहने वालों का उत्साहपूर्ण स्वभाव जाहिर होता है । 1300 साल पहले से आज तक इस प्रकार की संस्कृति छिंगहाई तिब्बत पठार में प्रचलित है। तिब्बती महिलाएं अपनी बेटियों को 14 या 15 की उम्र में तिब्बती कढ़ाई सिखाती हैं ।

कृषि व खेतीबाड़ी संस्कृति और तिब्बती लामा बौद्ध धर्म को जोड़ने वाली चीज़ के रूप में क्वेइनान तिब्बती कढ़ाई तिब्बती जाति की संस्कृति काफी अहम है। जिससे तिब्बती जाति के बौद्धिक कौशल का पता चलता है। क्वेइनान तिब्बती कढ़ाई छिंगहाई प्रांत के गैर भौतिक सांस्कृतिक अवशेष सूची में शामिल हो गई। इसका संरक्षण व विकास करने का सवाल लोगों के लिए महत्वपूर्ण हो गया है। चीनी कला अनुसंधान अकादमी के उप प्रधान चीनी गैर भौतिक सांस्कृतिक अवशेष संरक्षण केंद्र के स्थाई उप निदेशक चांग छिंगशान ने क्वेइनान तिब्बती कढ़ाई कपड़े प्रदर्शनी को देख कर "कढ़ाई के साथ-साथ संरक्षण" किए जाने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा:

"हमें तिब्बती कढ़ाई को सुरक्षित रखना चाहिए और इसका जोरदार विकास भी करना चाहिए । आज गैरभौतिक सांस्कृतिक अवशेषों के संरक्षण का मकसद संस्कृति का संरक्षण करना है और सामंजस्यपूर्ण समाज का निर्माण भी है । आर्थिक समाज में इसकी भूमिका भी अहम होती है । मेरा विचार है कि कढ़ाई के साथ-साथ हमारे गैरभौतिक सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण की ज़रूरत है। जिससे सही माइने में दीर्घकालिक तौर पर इन्हें सहेज कर रखा जा सकता है। मुझे लगता है कि तिब्बती कढ़ाई जैसी परम्परागत तकनीक का भविष्य काफी उज्जवल है। खासकर इसकी विशेष शैली का संरक्षण होने से हमारी परम्परागत तकनीक में उसका अहम स्थान बरकरार रखा जा सकता है।"

दोस्तो, क्वेइनान कढ़ाई इस क्षेत्र में तिब्बती व हान जाति की महिलाओं द्वारा तिब्बती जातीय वस्त्रों की जाने वाली परम्परागत कढाई तकनीक है। लेकिन पहले इस तकनीक के बारे में तिब्बती किसान परिवारों के अलावा किसी को पता नहीं था। उन्हें मौका दिए जाने पर तिब्बती कढ़ाई का जरूर विकास होगा।

क्वेइनान कांउटी के तोंगकेर तिब्बती कढ़ाई विज्ञान व तकनीक कंपनी बोर्ड के अध्यक्ष ड्रोल्माजे ने कहा:

"चीन में एक कहावत है कि पानी का स्रोत मिलने पर लोगों को ज्यादा पानी मिल सकता है। अब हमें स्रोत मिल गया है। हमें यकीन है कि तिब्बती कढ़ाई का विकास होगा। कढ़ाई के औद्योगिक विकास के लिए हमने क्वेइनान कांउटी तिब्बती कढ़ाई संघ, क्वेइनान तिब्बती कढ़ाई अनुसंधान केंद्र आदि संस्थाओं की स्थापना की। जिसमें 32 लाख 50 हज़ार य्वान की पूंजी लगाई गई। साथ ही शुरुआती पैमाने वाले तिब्बती कढ़ाई उद्यान का निर्माण किया गया। इससे करीब एक हज़ार से ज्यादा गरीब महिला किसानों व चरवाहों को अपने घर में ही रोज़गार मिल रहा है।"

काढ़े गए कपड़ों में तिब्बती रीति रिवाज़, धार्मिक संस्कृति व जीवन के प्रति तिब्बती लड़कियों की उम्मीद दिखाई देती है। वे अपने हाथों से लोगों को सुखमय जीवन दिखा रही हैं ।

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