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तिब्बती जनता के हितैषी जीवित बुद्ध दुपखांग थुपदेन केदुप
2010-05-11 15:28:41

तिब्बती बौद्ध धर्म के सातवें दुपखांग जीवित बुद्ध दुपखांग थुपदेन केदुप एक सुप्रसिद्ध धार्मिक नेता हैं। हर साल वे अपने अधिकांश समय को तिब्बत में बिताते हैं। वहां वे नाछ्यु इलाके के 11 लामा मंदिरों के काम देखते हैं और साथ ही स्थानीय आर्थिक निर्माण के बारे में भी सलाह और सुझाव देने का काम करते हैं। वे लगातार चार सत्रों में चीनी जन राजनीतिक सलाहकार सम्मेलन की राष्ट्रीय कमेटी के सदस्य रह चुके हैं तथा हर साल सलाहकार सम्मेलन की राष्ट्रीय कमेटी के वार्षिक सम्मेलन में भाग लेने पेइचिंग आते हैं। वार्षिक सम्मेलन में वे देश के अहम मामलों के बारे में सलाह व सुझाव भी देते हैं। सुनिए जनता के हितैषी जीवित बुद्धा दुपखांग की कहानी, उन की जबान में।

दुपखांग थुपदेन केदुप का जन्म 1955 में तिब्बत के नाछ्यु जिले में हुआ। 1958 में वे नाछ्यु के शाओतङ मठ के सातवें दुपखांग जीवित बुद्ध घोषित किये गए। 1993 में वे चीनी जन राजनीतिक सलाहकार सम्मेलन की आठवीं राष्ट्रीय कमेटी के सदस्य चुने गए। 2003 के मार्च माह में आयोजित सलाहकार सम्मेलन की नौवीं राष्ट्रीय कमेटी के तीसरे वार्षिक सम्मेलन में वे राष्ट्रीय कमेटी की स्थाई समिति के सदस्य निर्वाचित हुए, इस के बाद वे लगातार दसवीं और ग्यारहवीं राष्ट्रीय कमेटी की स्थाई समिति के सदस्य भी रहें।

चीनी जन राजनीतिक सलाहकार सम्मेलन चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व में बहुदलीय सहयोग व राजनीतिक सलाह मशविरे की एक अहम संस्था है और चीन के राजनीतिक जीवन में समाजवादी लोकतंत्र उजागर करने वाला एक अहम फार्मुला भी है। उस की स्थापना नए चीन की स्थापना की पूर्ववेला में हुई थी, जो चीनी कम्युनिस्ट पार्टी, जनवादी पार्टियों, निर्दलीय व्यक्तियों, जन संगठनों तथा विभिन्न धार्मिक संगठनों समेत देशभक्त लोगों द्वारा संयुक्त रूप से गठित हुआ है। जीवित बुद्ध दुपखांग ने राजनीतिक सलाहकार सम्मेलन की अहम भूमिका का उच्च मूल्यांकन करते हुए कहाः

चीनी राजनीतिक सलाहकार सम्मेलन के सदस्य अपने सुझाव व प्रस्ताव के जरिए अहम भूमिका अदा करते हैं । उन की राय बहुत महत्वपूर्ण व प्रबल मानी जाती है। उदाहरणार्थ, चीन में अब लागू युगांतरकारी महत्व वाली परियोजनाओं दक्षिण चीन से उत्तर चीन में पानी लाने की परियोजना तथा पश्चिम चीन के जोरदार विकास की योजना आदि का प्रस्ताव सब से पहले राजनीतिक सलाहकार सम्मेलन के सदस्यों द्वारा पेश किये गए हैं। प्रस्ताव प्रस्तुत किए जाने के दो साल बाद ही सरकार ने उन्हें अमल में लाया है।

देश के अहम मामलों पर फैसला लेने में धार्मिक जगत के देशभक्त व्यक्तियों की भागीदारी के दो बड़े महत्व होते हैः एक, धार्मिक लोग आम नागरिक के रूप में देश के राजनीतिक जीवन में हिस्सा ले सकते हैं। दो, वे धार्मिक जगत के प्रतिनिधि के रूप में देश के राजनीतिक जीवन में भाग ले सकते हैं। राजनीतिक सलाहकार सम्मेलन के सदस्य के रूप में जीवित बुद्ध दुपखांग ने क्रमशः तिब्बती बौद्ध धर्म की संस्कृति के संरक्षण, धार्मिक जगत के स्वः गुणवत्ता निर्माण की मजबूति तथा तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के जंगली जानवरों की रक्षा के बारे में अनेकों सुझाव पेश किए हैं, जिन पर केन्द्र ने बड़ा महत्व दिया और संबंधित कदम भी जल्द ही उठाये गए हैं। इस की चर्चा में जीवित बुद्ध दुपखांग ने कहा कि सरकार धार्मिक व्यक्तियों की भूमिका पर बहुत महत्व देती है, इस से उन्हें गहरा अनुभव हुआ है कि उन के कर्तव्य अत्यन्त बड़े और महान हैं। उन्हों ने कहाः

वर्तमान में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी व सरकार की जाति व धर्म संबंधी नीतियां खास बहुत अच्छी हैं और व्यापक धार्मिक अनुयायियों को धार्मिक विश्वास रखने की पूर्ण स्वतंत्रता है। तिब्बत के नाछ्यु इलाके में व्यापक जन साधारण, रिश्तेदार और मित्र मुझ से मिलने आते हैं और मेरा सम्मान व पूजन करते हैं। देश के भीतरी इलाके में भी मेरे बहुतसे दोस्त हैं। संभवतः मैं तिब्बत का सब से ज्यादा व्यस्त आदमी हूं। सरकार ने मुझे तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की राजनीतिक सलाहकार सम्मेलन की कमेटी के अध्यक्ष के पद पर नियुक्त किया है । इसके अलावा मैं चीनी बौध संघ की तिब्बती शाखा के अध्यक्ष भी हूं। मैं 11 मठों के महंत भी हूं, इसलिए मेरा अवकाश समय बहुत बहुत कम है।

जीवित बुद्ध छिंगहाई तिब्बत पठार पर उत्पन्न हुई विशेष धार्मिक संस्कृति की एक उपाधि है। जीवित बुद्ध की अवतार प्रथा भी तिब्बती बौध धर्म की एक विशेष उत्तराधिकारी व्यवस्था है। तिब्बती बौद्ध धर्म की चार प्रमुख शाखाएं हैं, जिन में निंग मा संप्रदाय, साज्ञा संप्रदाय, गेलूग संप्रदाय और क्वाग्यु संप्रदाय शामिल हैं। दुपखांग गेलूग संप्रदाय का जीवित बुद्ध है। जीवित बुद्ध अवतारित बुद्ध का पर्याय है। दुपखांग उपाधि इस धार्मिक संप्रदाय के प्रथम जीवित बुद्ध दुपखांग गेलाईगछ्वु से प्राप्त हुई है, दुपखांग गेलाइगछ्वु आज से तीन सौ साल पहले तिब्बत के अली इलाके में जन्मे थे। जीवित बुद्ध दुपखांग तिब्बत के इतिहास में दलाई लामा, पंचन लामा के बाद पांचवें जीवित बुद्ध हैं और उत्तरी तिब्बत क्षेत्र का सब से सम्मानीय लामा नेता हैं।

सन् 1958 में दुपखांग थुपदेन केदुप सातवें दुपखांग जीवित बुद्ध के लिए चुने गए, उस साल वे तीन साल का था। तिब्बती बौध धर्म की मान्यता के अनुसार जीवित बुद्ध शाश्वत और अमर है, उन की आत्मा विभिन्न शरीरांग में प्रवेश कर हमेशा संसार में रहती है। इस के बारे में समझाते हुए जीवित बुद्ध दुपखांग थुपदेन केदुप ने कहाः

जीवित बुद्ध क्या होता है, जीवित बुद्ध का तात्पर्य संसार में जीवित बुद्ध है और मनुष्य लोक का बुद्ध है। मानव जाति के लिए कल्याण लाने वाले प्रथम दुपखांग बुद्ध का अवतार बना है। मेरा शरीर बदल सकता है, लेकिन मेरी आत्मा अपरिवर्तनशील है।

1958 में तिब्बती बौद्ध धर्म के नियम के मुताबिक पलंग पर बैठे उपाधि ग्रहण करने के बाद दुपखांग थुपदेन केदुप औपचारिक तौर पर सातवां दुपखांग जीवित बुद्ध बन गया। जीवित बुद्ध के पलंग पर बैठे उपाधि ग्रहण करने की रस्म तिब्बती बौद्ध धर्म में सब से बड़ी रस्म है। इस रस्म के आयोजन के बाद नये जीवित बुद्ध पिछले जीवित बुद्ध के नाम से खुले तौर पर धार्मिक कार्यवाही शुरू कर सकते हैं और इस तरह वे औपचारिक तौर पर अधिकार प्राप्त जीवित बुद्ध बन गये हैं। दुपखांग थुपदेन केदुप नए चीन की स्थापना के बाद अवतारित प्रथम जीवित बुद्ध हैं, इसलिए उन की पलंग पर बैठे उपाधि ग्रहण करने की रस्म पर नए चीन की सरकार ने विशेष महत्व दिया। इस पर जीवित बुद्ध दुपखांग ने कहाः

मेरे पलंग पर बैठने की रस्म 1958 की गर्मियों में नाछ्यु में धूमधाम के साथ आयोजित हुई, जो गेलूग संप्रदाय के इतिहास में सब से भव्य अनुष्ठान बन गयी। नाछ्यु इलाके में भी इस से शानदार रस्म पहले कभी नहीं हुई थी।

तिब्बत के सुप्रसिद्ध भिक्षु होने के नाते जीवित बुद्ध दुपखांग ने अनेक बार विदेशों की यात्रा की है। उन्हों ने बौध धर्म के लिए अन्तरराष्ट्रीय आवाजाही बढ़ायी। अब तक जीवित बुद्ध दुपखांग कुल 16 देशों का दौरा कर चुके हैं जिन में म्यांमार, थाइलैंड, मलेशिया, जापान, ओस्ट्रेलिया, फ्रांस, जर्मनी, स्वीडन और बेल्जियम आदि शामिल हैं। 2005 के सितम्बर में जीवित बुद्ध दुपखांग के नेतृत्व में चीन के तिब्बती धार्मिक प्रतिनिधि मंडल ने ओस्ट्रेलिया का दौरा किया। इस पर दुपखांग ने कहाः

वह मेरी सब से लम्बे समय की विदेश यात्रा थी। एक दिन मैं ने वहां संसद भवन यानी कंबेरा संसद इमारत में धार्मिक सूत्रों पर व्याख्यान किया और हजारों लोगों का अनुष्ठान किया, अनुष्ठान के दौरान पहली पंक्ति में जो श्रोता बैठे थे, वे सभी सांसद और संसद के दोनों सदनों के अधिकारी थे। सभा में उस्थित दो तिहाई लोग प्रवासी चीनी और चीनी मूल के नागरिक थे।

1955 में जन्मे जीवित बुद्ध दुपखांग ने खुद तिब्बत के लोकतांत्रिक सुधार की प्रक्रिया में भाग लिया था। उन के विचार में तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के पिछले 50 सालों के इतिहास में जमीन आसमान का परिवर्तन आया है। उन्हों ने कहाः

तिब्बत के अन्य स्थानों की ही तरह उस समय नाछ्यु में न तो मोटर सड़क थी, न ही बिजली और स्कूल थे । पुरानी जमाने में तिब्बत में कोई आधुनिक सुविधा नहीं थी। तिब्बत की शांतिपूर्ण मुक्ति के बाद तिब्बत के विभिन्न स्थानों में बिजली पहुंचायी गयी। अब तो तिब्बत का काया भी बदल गया है। पहले जब मैं चरगाह क्षेत्र गया, तो केवल काले काले तंबू में रह सकता था, अब तो वहां आधुनिक आवास परियोजना लागू हुई है, रिहाईशी मकान बहुत सुन्दर और अच्छी क्वालिटी के हैं, फर्नीचर भी बेहतर हैं। तिब्बत में पहले डाक्टर नहीं थे, अब जगह जगह चीनी, पश्चिमी और तिब्बती चिकित्सा पद्धतियों के डाक्टर काम करते हैं। नाछ्यु इलाके में हर जगह ऊंची ऊंती इमारतें खड़ी हुई दिखाई देती हैं। चरवाहों के पास मोबाइल फोन है और बहुत से लोगों के पास निजी कार भी है। जनवादी सुधार के पहले की तुलना में अब तिब्बत बिलकुल एक नयी दुनिया में है।

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