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तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के शिक्षा कार्य में भारी प्रगति हुई
2010-04-20 10:11:58

आज का तिब्बत कार्यक्रम सुनने के लिए आप का हार्दिक स्वागत। आप जानते होंगे कि तिब्बत स्वायत्त प्रदेश चीन के अल्पसंख्यक जाति बहुल क्षेत्रों में से एक है जहां तिब्बती जाति की जनसंख्या प्रदेश की कुल जनसंख्या के 95 प्रतिशत से अधिक है। इधर के सालों में तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के सामाजिक, आर्थिक व सांस्कृतिक क्षेत्रों में तेज विकास हुआ, खासकर शिक्षा क्षेत्र में भारी प्रगति हुई है। तिब्बत में स्कूली उम्र वाले बच्चों की दाखिला दर साल ब साल उन्नत होती गयी, शिक्षकों का स्तर बहुत उन्नत हुआ और कुछ विज्ञान तकनीकी ज्ञान भी लोकप्रिय किया गया है।

हाल ही में पेइचिंग में आयोजित चीनी राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सभा के वार्षिक सम्मेलन के दौरान तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के शिक्षा कार्य के बारे में परिचय करते हुए तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की जन प्रतिनिधि सभा की स्थाई समिति के अध्यक्षा शांपाफिंगछ्वो ने कहाः

तिब्बत में अब शिक्षा के क्षेत्र में पूर्ण रूप से नौ सालों की अनिवार्य शिक्षा का लक्ष्य प्राप्त हुआ है, निरक्षरता दर 50 साल से पहले की 98 प्रतिशत से घटकर 2.4 प्रतिशत रह गयी। वर्तमान में तिब्बत में शिक्षा कार्य के विकास में शक्ति केन्द्रित की गयी है और छात्रों को खाने व रहने की निशुल्क सुविधा दी जाती है और स्कूली फीस को माफ किया जाता है। अब तिब्बत में शिशु शिक्षा से लेकर बुनियादी शिक्षा, प्रौढ़ शिक्षा, विशेष शिक्षा तथा व्यवसाय शिक्षा तक के सभी विषय शामिल है और उल्लेखनीय प्रगति प्राप्त हुई है।

सन् 1959 से पहले तिब्बत में सामंती भूदास व्यवस्था बनी रही थी, तिब्बत के 95 प्रतिशत लोग भूदास थे, उन के लिए शिक्षा लेने का सवाल ही नहीं उठता था। चीनी केन्द्रीय सरकार द्वारा तिब्बत में जनवाजी सुधार लागू किया जाने के बाद तिब्बत के दस लाख भूदासों को व्यक्तिगत स्वतंत्रता और भूमि व उत्पादन संसाधन की मल्कियत प्राप्त हुई है। इस के अलावा उन्हें सरकार द्वारा मुफ्त शिक्षा की सुविधा भी प्रदान की जाने लगी। तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की स्थापना के बाद केन्द्रीय सरकार की जातीय भाषा विकास नीति के मुताबिक तिब्बत में प्राइमरी व मिडिल स्कूलों में तिब्बती भाषा प्रधानता पर तिब्बती व हान भाषाओं के द्विप्रयोग में शिक्षा का विकास किया गया और व्यापक किसानों और चरवाहों का शिक्षा स्तर उन्नत किया जाने लगा।

चीनी सामाजिक विज्ञान अकादमी के अल्पसंख्यक जातीय साहित्य अनुसंधान प्रतिष्ठान के शौधकर्ता च्यांगब्यान्चाछ्वु ने कहा कि तिब्बत में अतीत में केवल धार्मिक मंदिरों में शिक्षा की व्यवस्था होती थी, आधुनिक रूप का कोई स्कूल नहीं था। शिक्षा की हालत अत्यन्त पिछड़ी थी। उन्हों ने कहाः

तिब्बत की शांतिपूर्ण मुक्ति के बाद तिब्बत में पहले घोड़े पर शिक्षा का रूप चला यानी अध्यापक घोड़े पर सवार होकर एक एक तंबू में जाकर बच्चों को पढ़ाते थे, इस के बाद तंबू शिक्षा का रूप चला। अब यह सभी रूप सदा के लिए लद गया है और पूरे तिब्बत में नौ साल की अनिवार्य शिक्षा लागू हो चुकी है। तिब्बत में सामान्य स्कूल के साथ तकनीक स्कूल भी संलग्न हुआ है जो भीतरी इलाके में देखने को नहीं मिलता है।

तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में लागू नौ साल की अनिवार्य शिक्षा व्यवस्था के चलते प्रदेश के सभी स्कूली उम्र वाले बच्चों को शिक्षा लेने के अवसर दिए गए है। विभिन्न स्कूलों में शिक्षकों की शक्ति भी उन्नत हुई है। भीतरी इलाके के विभिन्न प्रांतों द्वारा भेजे गए श्रेष्ठ शिक्षकों की मदद में तिब्बत के समूचे शिक्षा कार्य का स्तर बहुत उन्नत हो गया है।

तिब्बत के कृषि व चरगाह क्षेत्रों में प्राइमरी व मिडिल स्कूलों की पढाई मुख्यतः तिब्बती भाषा पर आधारित तिब्बती व हान भाषाओं में होती है। इस से किसानों व चरवाहों की संतानों का सांस्कृतिक स्तर बढ़ाया जाएगा। तिब्बत में हरेक छात्र के लिए प्राइमरी स्कूल से लेकर हाई स्कूल तक तिब्बती भाषा सीखना अनिवार्य है, प्राइमरी स्कूल के तीसरी कक्षा से वे हान भाषा सीखने लगते हैं। इस प्रबंध से छात्र बड़े होने के बाद न केवल तिब्बत में, बल्कि देश के अन्य स्थानों में भी नौकरी पा सकेंगे और जीवन बिताने में सुविधापूर्ण होंगे।

तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के शिक्षा कार्य के जिम्मेदार अधिकारी श्री मा अर छ्वुङ ने कहा कि तिब्बत की विभिन्न शिक्षा संस्थाएं तिब्बती भाषा में पढ़ाने के कार्य पर अत्यन्त बड़ा ध्यान देती हैं। उन्हों ने कहाः

तिब्बती भाषा तिब्बती जाति द्वारा विकसित की गयी अपेक्षाकृत समुन्नत संस्कृति की एक निधि है। यदि उसे विरासत में ग्रहणकर विकसित नहीं किया जा सकता, तो आने वाली पीढियों के लिए एक अपराध सिद्ध होगा। इसलिए तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की विभिन्न स्तरीय सरकारों ने विशेष तौर पर तिब्बती भाषा कार्य कमेटी और तिब्बती भाषा निर्देशन दल कायम किए, विभिन्न शिक्षा प्रशासन विभागों ने भी ऐसी कार्य संस्थाएं स्थापित की हैं।

तिब्बत के ग्रामीण और चरगाह क्षेत्रों में सभी स्कूलों के छात्र तिब्बती जाति के किसान व चरवाहा परिवार से आए हैं। हरेक कक्षा में तिब्बती व हान भाषा के कोर्स होते हैं। छात्रों की तिब्बती व हान भाषा प्रयोग क्षमता बढ़ाने के लिए स्कूलों में अकसर दोनों भाषाओं में सांस्कृतिक कार्यक्रम, भाषण प्रतियोगिता तथा लेखन व लिपिकला मैच आयोजित किए जाते हैं।

तिब्बती छात्र फिंगछ्वुवांगत्वी ने स्कूल की द्विभाषी शिक्षा का मूल्यांकन करते हुए कहाः

तिब्बती भाषा हमारी तिब्बती जाति की भाषा है। तिब्बती भाषा के पाठ में हमें तिब्बती जाति के इतिहास, कविता तथा अनुवादित विदेशी उपन्यास पढ़ने को मिलता है। मुझे यह पाठ बहुत पसंद है। जुनियर मिडिल स्कूल के बाद मैं सीनियर मिडिल स्कूल में आगे पढ़ूंगा, मैं चाहता हूं कि स्नातक होने के बाद मैं एक अध्यापक बनूंगा।

तिब्बत में नौ सालों की अनिवार्य शिक्षा में उल्लेखनीय सफलता प्राप्त होने के कारण तिब्बत से उच्च शिक्षालय में दाखिला मिलने वाले श्रेष्ठ छात्रों की संख्या में साल ब साल इजाफा होता गया है, जिन में बहुत से छात्र दूर दराज गांवों और चरगाहों से आए हैं। तांजङछिलिन एक साधारण तिब्बती युवक है. वह पेइचिंग खेल स्कूल विश्वविद्यालय में पढ़ चुके हैं, वहां स्नातक होने के बाद वे जन्मभूमि में करियर करने वापस लौटा। उन्होंने कहा कि अब हमारी जन्म भूमि की विभिन्न स्थिति काफी सुधर गयी है। बहुत से तिब्बती लड़के लड़कियां विश्वविद्यालय में दाखिला हुए हैं। जब मुझे पेइचिंग खेल विश्वविद्यालय में दाखिला मिला, तो इस बात से गांव में बड़ी धूम मची थी। मेरे बाद मेरी छोटी बहन ने केन्द्रीय जाति विश्वविद्यालय में दाखिला प्राप्त किया. हमें इस पर बहुत गर्व महसूस हुआ है। तांजङछिलिन ने कहाः

हमारे गांव में, हमारे इलाके तक भी मेरी छोटी बहन ऐसी प्रथम लड़की बनी है जिस ने केन्द्रीय जाति विश्वविद्यालय के तिब्बती भाषा विभाग में दाखिला पाया है। मेरी मिडिल स्कूल शिक्षा पेइचिंग के संगरी ला नम्बर पांच स्कूल में हुई थी। यह स्कूल बहुत अच्छा है, उस के अस्सी नब्बे प्रतिशत छात्र विश्वविद्यालय में दाखिल हो सकते हैं। हमारे यहां यदि जिस किसी छात्र को प्रमुख विश्वविद्यालय में दाखिला मिला, तो स्थानीय सरकार उसे पुरस्कार प्रदान करती है। मेरे सात पेइचिंग छात्रों को ऐसा पुरस्कार प्राप्त हुआ था।

उच्च शिक्षा से स्नातक होने के बाद अधिकांश तिब्बती छात्र जन्मभूमि में करियर विकसित करने लौटते हैं। वे पूंजी का निवेश करते हैं, पर्यटन उद्योग का विकास करते हैं या शिक्षा क्षेत्र में काम करते हैं। तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के शिक्षा कार्य को वहां के सभी किसान व चरवाह परिवारों से भरपूर समर्थन मिलता है, बच्चे भी स्कूल में लगन से पढ़ते हैं और चरित्र प्रगति करते हैं। तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के जन प्रतिनिधि स्येजू आदि लोगों ने भी सरकार से अल्पसंख्यक जातियों के शिक्षा कार्य में अधिक निवेश करने की लगातार अपील की है। विश्वास कीजिए कि तिब्बत के भविष्य पर लोगों की पूरी आशा बंध सकती है और अल्प संख्यक जातीय आबादी क्षेत्रों का भी उज्ज्वल भविष्य होगा।

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