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तिब्बती किसानों और चरवाहों के जीवन में भारी परिवर्तन
2010-04-13 08:42:09

 इधर के सालों में चीन की केन्द्रीय सरकार के नीतिगत समर्थन और समूची चीनी जनता की सहायता से तिब्बती आबादी क्षेत्रों में किसानों और चरवाहों के जीवन में भारी परिवर्तन आया है। हाल ही में सत्तारूढ़ चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने पांचवां तिब्बत कार्य मीटिंग बुलायी, जिस में तिब्बत के विकास को सहायता देने केलिए नए प्रबंध किए। अभी अभी समाप्त हुए 11 वीं चीनी राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सभा के वार्षिक सम्मेलन में तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के जन प्रतिनिधियों ने भी तिब्बत के विकास के लिए सुझाव दिए।

तिब्बती जन प्रतिनिधि श्री तोजिछीजू ने वार्षिक सम्मेलन के दौरान हुई बैठक में यह सुझाव रखा है कि तिब्बत को भावी सहायता में केन्द्र सरकार को तिब्बत के कृषि व पशुपालन क्षेत्रों में ज्यादा निवेश करना चाहिए, खासकर किसानों और चरवाहों को प्रशिक्षण देने में जोर पकड़ना चाहिए, ताकि वहां उत्पादन के तौर तरीके को बदला जा सके और स्थानीय जन संख्या की गुणवत्ता उन्नत की जाए। इस के अलावा ग्रामीण बुनियादी सुविधाओं में भी सुधार लाया जाना चाहिए।

तोजीछीजू की भांति बहुत से जन प्रतिनिधियों ने भी हर साल के वार्षिक सम्मेलन में तिब्बत के विकास के लिए सुझाव व प्रस्ताव पेश किए हैं, जिस के परिणामस्वरूप सरकार को तिब्बत के कृषि व पशुपालन क्षेत्रों में निवेश बढ़ाने में मदद मिली है और व्यापक तिब्बती जनता के जीवन में भारी परिवर्तन आया है।

चीन के तिब्बती भाषी उच्च स्तरीय बौध अकादमी के शिक्षा कार्य विभाग के अधिकारी, तिब्बती जाति के एसोसिएट प्रोफेसर मिंगच्यू इधर के सालों में पेइचिंग में रह रहे हैं। उन्हों ने अनेक बार राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सभा और जन राजनीतिक सलाहकार सम्मेलन के अधिवेशनों में अनुवाद का काम किया जिस से उन्हें तिब्बत के लिए पार्टी व सरकार की नीतियों पर विस्तृत जानकारी और गहरी समझ प्राप्त हुई है। वे रिश्तेदारों से मिलने के लिए अकसर जन्म भूमि तिब्बत के शिकाजे वापस जाते हैं। उन्हों ने खुद अपनी आंखों से तिब्बत में आए भारी परिवर्तन देखा। उन्हें गहरा अनुभव हुआ है कि ये तमाम परिवर्तन केन्द्रीय सरकार द्वारा तिब्बत को दी गयी सहायता से अलग नहीं हो सकता है।

प्रोफेसर मिंगच्यू की जन्म भूमि तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के शिकाजे प्रिफेक्चर की रन बू काऊंटी का जासीकांग गांव है। अतीत में यातायात के असुविधापूर्ण होने के कारण घर जाने के लिए उन्हें लगातार रेल गाड़ी, बस और ट्रेक्टर आदि अनेक वाहनों का सहारा लेना पड़ा था। पेइचिंग से घर पहुंचने में अनेक दिन लगते थे। उन्हों ने इन शब्दों में जन्म भूमि लौटने के अपने अनुभव का वर्णन कियाः

अतीत में मैं अकसर कहा करता था कि पेइचिंग से जन्मभूमि तक जाने का सफर आधुनिक युग से आदिम युग में लौटने सा जान पड़ता है। क्योंकि उस जमाने में तिब्बत में यातायात बहुत दुर्गम थी, आने जाने में अकसर पहाड़ों पर चढ़ना और उतरना पड़ता था, बेहद मुश्किल थी।

अब हालत एकदम बदल गयी है। वर्तमान तिब्बत में चीन म्यांमार सड़क मिंगच्यू के गांव के पास गुजरती है, घर लौटने के लिए सुबह पेइचिंग से विमान ले लिया और दोपहर बाद घर पहुंच जाते हैं। बहुत सुविधापूर्ण है।

तिब्बत के कृषि व पशुपालन क्षेत्र में आवास परियोजना लागू होने के चलते घर घर की आवास स्थिति में सुधार आया। सूत्रों के अनुसार अब तक 2 लाख 30 हजार परिवारों के 12 लाख लोग नए मकान में रह चुके हैं। राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सभा के प्रतिनिधि, तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के कृषि व पशुपालन विज्ञान अकादमी के पशु चिकित्सा संस्थान के शौधकर्ता स्येजू ने कहाः

वर्तमान तिब्बती गांवों में निवासियों के आवास में बड़ा सुधार आया है। सभी लोग रोशनीदार व हवादार खूबसूरत मकानों में रह गए हैं और उन का जीवन स्तर काफी उन्नत हो गया।

सूत्रों के अनुसार तिब्बत के कुछ स्थानों में आवासी मकान सरकार की सहायता में निवासियों द्वारा स्वयं निर्मित किया जाने का तरीका अपनाया गया है. इस तरह निवासी अपनी पसंद के मुताबिक अपने मकान बना सकते हैं । इस नीति का बड़ा स्वागत किया गया। मिंगच्यू की जन्मभूमि शिकाजे की रन बू काउंटी में इस प्रकार की नीति लागू हुई है। इस नीति पर संतोष प्रकट करते हुए उन्हों ने कहाः

निजी मकान बनाने के लिए सरकार पैसा देती है, यह कितनी अच्छी बात है। सरकार की आवास योजना के तहत स्थानीय निवासी अपनी मर्जी से मकान बना सकते हैं। हमारे घर का मकान बन चुका है, सरकार ने हमें अलग से दस हजार य्वान दे दिया है। हमारे परिवार को बड़ी खुशी हुई और वे इस पैसे से एक ट्रेक्टर खरीदना चाहते हैं।

आवास मामले का समाधान होने के बाद सरकार ने पीने के पानी व ईंधन के सवाल को हल करने की कोशिश की है। अब तिब्बती ग्रामीण व चरगाह क्षेत्रों में पेयजल परियोजनाएं और गोबर गैस परियोजनाएं निर्मित की गयीं। घर घर में पाइप जल सप्लाई की सुविधा मिली है। खासकर पहाड़ी क्षेत्रों में दूर से पीठे पर बाल्टी में पानी लेने की हालत समाप्त हो गयी और सभी निवासियों के घरों में साफ साफ पाइप पानी प्राप्त हो गया है। तिब्बत में नयी ऊर्जा का व्यापक प्रयोग किया गया है, सौर ऊर्जा और गोबर गैस जैसे साफ ऊर्जा के प्रयोग से स्थानीय निवासियों के जीवन को बड़ी सुविधा मिली है और पठारी इलाके के पर्यावरण को संरक्षित भी किया गया है।

तिब्बत के कृषि व पशुपालन क्षेत्रों के निवासियों को इस उदार नीति से भी लाभ मिलता है, जिस के तहत घरेलू उपयोगी बिद्युत उपकरण और मोटर वाहन सस्ते दामों पर ग्रामीण क्षेत्रों को बेचे जाते हैं। इस का लाभ मिलाकर बहुत से घरों ने टेक्टर खरीदे। परिणामस्वरूप पहले की याक को एकमात्र वाहन बनाने की हालत खत्म हो गयी और ग्रामीण उत्पादन शक्ति उन्नत हो गयी है। इस नीति से ग्रामीण लोगों को खरीदारी में बहुत से धन की किफायत भी हुई है। श्री मिंगच्यू के घर ने भी एक ट्रेक्टर खरीदा और सरकार से भत्ता भी मिली। इस पर उन्हों ने कहाः

ट्रेक्टर का असली दाम 18 हजार य्वान है, सरकार ने 30 प्रतिश की भत्ता दी है, इसतरह हम ने केवल 12 हजार य्वान निकाला, सरकारी भत्ता पांच हजार य्वान। इस नीति का लाभ उठाकर वहां के सभी घरों ने ट्रेक्टर खरीदे हैं।

जीवन में आवास, पानी, ईंधन और घरेलू विद्युत उपकरण जैसे विभिन्न मामलों के हल के बाद अब तिब्बती लोग अपनी आय बढ़ाने में जुट गए हैं। जीवन का स्तर उन्नत करने में एक बड़ी सुविधा यह मिली है कि तीन साल पहले छिंगहाई–तिब्बत रेल मार्ग खुला है और यात्रियों, व्यापारियों और मालों की आवाजाही में भारी वृद्धि हुई और विश्व की छत कहलाने वाले तिब्बती पठार पर वाणिज्य व्यापार के बेशुमार अच्छे अवसर पैदा हुए। तिब्बती कारोबारियों और आम लोगों ने एकसाथ नए केरियर विकसित कर परिवहन या व्यापार के व्यवसाय शुरू किए। फिर प्राप्त पैसे से नए नए मकान बनाये गए।

श्री मिंगच्यू ने कहा कि पहले भी तिब्बत की यात्रा पर पर्यटक आते थे, लेकिन लोग बहुत कम थे, छिंगहाई –तिब्बत रेल मार्ग खुलने के बाद यात्रियों की संख्या में बड़ी वृद्धि हुई है। पिछले साल 50 लाख से अधिक पर्यटक तिब्बत आए थे। रेल गाड़ी की सेवा से तिब्बत के पर्यटन उद्योग का तेज विकास हुआ और स्थानीय लोगों को बड़ा फायदा मिला। श्री मिंगच्यू की जन्मभूमि में भी बहुत से कारोबारियों को रेलवे से फायदा प्राप्त हुआ। अतीत में रेल मार्ग नहीं था, वहां के उत्पाद बाहर नहीं भेजे जा सकते थे, शानदार उत्पादन होने पर भी पैसा नहीं कमाया जा सकता। अब स्थिति एकदम पलट हो गयी है। उन्हों ने कहाः

तिब्बत में पहले भी कुछ किस्मों के उत्पाद बनाये जाते थे, उदाहरणार्थ हिमालय मिइनरल वाटर मशहूर है, लेकिन रास्ता दुर्गम होने के कारण बाहर नहीं भेजा जा सकता। ल्हासा बियर भी अच्छा था, वह भी परिवहन के कारण विकसित नहीं हो पाया। अब रेल मार्ग खुला है, ल्हासा बियर भीतरी इलाके में पहुंचाकर बिकने लगा, यहांतक वह अमरीका के बाजार में भी उतारा गया है।

केन्द्रीय सरकार द्वारा अल्पसंख्यक जातीय क्षेत्रों के विकास पर ध्यान दिये जाने और समर्थन-सहायता दी जाने के चलते तिब्बत में किसानों और चरवाहों के जीवन में इतना भारी परिवर्तन आया है। अब तिब्बती लोग खुशहाली का जीवन बिताते हैं और उन की आय लगातार बढ़ती जा रही है। आर्थिक व सामाजिक विकास की गति भी बहुत तेज है। तिब्बत स्वायत्त प्रदेश का कुल उत्पादन मूल्य लगातार 17 सालों तक दो अंकों के हिसाब से बढ़ता गया और किसानों और चरवाहों की प्रति व्यक्ति की औसत शुद्ध आय में 13 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि हुई। इस साल के वार्षिक सम्मेलन में प्रधान मंत्री वन चापाओ ने सरकारी कार्य रिपोर्ट में कहा कि अल्प संख्यक जातीय क्षेत्रों के विभिन्न निर्माण कार्यों पर महत्व देते हुए उन्हें समर्थन देने में तेजी लायी जाएगी और तिब्बत व सछ्वान प्रांत के तिब्बती आबादी क्षेत्रों के विकास पर प्राथमिकता दी जाएगी। श्री वन चापाओ ने कहाः

हमें संजिदगी से अल्पसंख्यक जातियों के क्षेत्रों के विकास के बारे में केन्द्र की नीतियों को अमल में लाना चाहिए और पश्चिम चीन के जोरदार विकास को गहरा बनाया जाना चाहिए और तिब्बत व सछ्वान प्रांत के तिब्बती आबादी क्षेत्रों के आर्थिक व सामाजिक विकास की नीतियों को बेहतर अंजाम दिया जाना चाहिए।

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