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छिंगहाई रेगोंग कला ने बदला लोगों का जीवन स्तर
2010-03-23 09:00:49
पश्चिमी चीन के छिंगहाई प्रांत के ह्वांगनान तिब्बती स्वायत्त प्रिफैक्चर की थोंगरेन कांउटी मशहूर रेगोंग कला की जन्मस्थली है। यह कला तिब्बती लामा बौद्ध धर्म का एक अहम भाग माना जाता है, जिसमें थांगका चित्र, भीत्ति चित्र और मूर्ति आदि शामिल है। प्राचीन इतिहास वाली परम्परागत तकनीक के रूप में रेगोंग कला वर्ष 2006 में चीनी राष्ट्रीय गैर भौतिक सांस्कृतिक अवशेषों की पहली सूची में शामिल हुई। कई सालों के विकास के बाद अब थोंगरेन कांउटी के कई गांवों में हर परिवार में चित्र बनाया जाता है और हर व्यक्ति कला के क्षेत्र में कार्यरत है। आज रेगोंग कला का संरक्षण के साथ-साथ विकास किया जा रहा है। इसके साथ स्थानीय तिब्बती लोगों की गरीबी दूर करने में इसका अहम स्थान है। आज के इस कार्यक्रम में मैं आप को थोंगरेन कांउटी की रेगोंग कला के विकास के बारे में बताऊंगी ।

छिंगहाई की थोंगरेन कांउटी मशहूर चीनी ऐतिहासिक सांस्कृतिक शहरों में से एक है, यह रेगोंग कला का स्रोत स्थल भी है। तेरहवीं सदी से ही थोंगरेन कांउटी में बड़ी तादाद में कलाकार चित्र व मूर्ति बनाने लगे थे। तिब्बती भाषा में"थोंगरेन"को"रेगोंग"कहा जाता है, इस तरह इसी क्षेत्र में तिब्बती बौद्ध धर्म से संबंधित चित्र व मूर्ति आदि लोक कला को रेगोंग कला कहा जाता है। जिसके विषयों में मुख्य तौर पर तिब्बती ऐतिहासिक व्यक्ति व प्रथाएं आदि शामिल हैं ।

कलाकार कुन्देन दाग्जी का जन्म थोंगरेन कांउटी के एक रेगोंग कला परिवार में हुआ। अपनी कुशलता से वे राष्ट्रीय गैर भौतिक सांस्कृतिक उत्तराधिकार एवं मशहूर चीनी कलाकार बन गए। स्थानीय अर्थव्यवस्था के विकास में रेगोंग कला के योगदान की चर्चा में उन्होंने कहा:

"थोंगरेन कांउटी के वूथुन समेत कई ग्रामीणों की प्रमुख आय थांगका चित्र कला पर निर्भर है। इसके अलावा उनकी कोई दूसरी आय नहीं है।"

रेगोंग कला के थांगका चित्र वाला भाग तिब्बती जाति की विशेष कला भी है । थांगका तिब्बती भाषा है । यह तिब्बती जाति बहुल क्षेत्रों में प्रचलित एक विशेष प्रकार का ललित चित्र है, जो कपड़े व काग़ज पर बनाया जाता है । थांगका चित्र बनाने की सामग्री स्वर्ण, रजत और पीले रंग वाले प्राकृतिक खनिज व वनस्पति हैं । थांगका चित्रों के विषयों में मुख्य तौर पर देवी, बुद्ध, ऐतिहासिक कहानियां तथा शुभ अभिलाषा आदि शामिल हैं । थांगका चित्र की विशेष क्षेत्रीय व जातीय और विशेष कलात्मक शैली है । इसे तिब्बती जाति की शास्त्रीय कला वस्तु माना जाता है, जिसका इतिहास कोई 1300 वर्ष पुराना है। हाल के वर्षों में बौद्धिक प्रयोगात्मक वस्तु के अलावा थांगका चित्र देशी विदेशी व्यक्तियों द्वारा सुरक्षित रखने वाली पसंदीदा चीज़ बन गई हैं।

18 वर्षीय ताशी राटेन वूथुन गांव की रहने वाली हैं, छोटी उम्र से उन्होंने उच्च स्तरीय कलाकार श्यार्वो सेदाई से दस साल तक रेगोंग कला सीखी। गत वर्ष ताशी राटेन द्वारा बनाए गए एक थांगका चित्र ने पेशेवर प्रदर्शनी में भाग लिया और व्यापाक तौर पर प्रशंसा मिली । इस तरह कई लोगों को विशेष तौर पर थांगका चित्र बनाने के लिए आमंत्रित किया । कमाई बढ़ने से ताशी राटेन के घर का जीवन अच्छा हो रहा है । इसका ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा:

"बचपन में जीवन काफी मुश्किल भरा था। मैनें आठ साल की उम्र से थांगका चित्र बनाना सीखना शुरू किया। अब मेरा रोज़ का काम थांगका चित्र बनाना है। हमारा जीवन काफी अच्छा हो गया है। मैनें अपने बनाए चित्रों से कमाये पैसों को बचाया है।"

हाल के वर्षों में स्थानीय सरकार ने रेगोंग कला का विस्तार कर अर्थव्यवस्था में सुधार किया है। उन्होंने न केवल उदार की नीति लागू की बल्कि इस कला से संबंधित उद्योगों को भी बढावा दिया । आज रेगोंग कलात्मक वस्तुओं का उत्पादन न केवल घर-घर में हो रहा है बल्कि इसने बङे उद्योग का रूप भी ले लिया है और विकास के रास्ते पर अग्रसर है।

तीस वर्षीय यांग चीच्या ने आठ साल की उम्र से ही रेगोंग कला सीखना शुरू कर दिया था। आज न केवल वे खुद चित्रकारी करते हैं, बल्कि उन्होनें अपना रेगोंग कलात्मक वस्तु उत्पादन कारखाना भी स्थापित कर लिया है। जिसका नाम छिंगहाई रेगोंग कलात्मक वस्तु उत्पादन कारखाना है। वर्तमान में कारखाने की वार्षिक आमदनी दो करोङ चीनी युवान से अधिक है। यांग जी कहते हैं कि देश के भीतर उनके कारखाने का विस्तार हो रहा है, इसके साथ ही अमेरिका, फ्रांस और जापान आदि देशों से भी ऑर्डर प्राप्त कर रहे हैं।

"अब चाहे बच्चे हो या बड़े लोग, सभी इस कला को सीख सकते हैं, जिससे इसका पीढ़ी दर पीढ़ी विकास हो सकता है। हम लोग अक्सर बचपन से ही सीखना शुरू कर देते हैं, और अठारह-उन्नीस साल तक खुद से चित्रकारी करने लग जाते हैं। अब थांगका चित्रों की बिक्री पहले से काफी अच्छी हो गई है। पहले कुछ सौ परिवार ही इस कला को सीख रहे थे, लेकिन अब हजारों लोगों ने सीखना शुरू कर दिया है। अब हम लोग इसे चीन के शन चन, क्वांग चो, थाईवान और अमेरिका आदि क्षेत्रों और देशों में बेचने लगे हैं। हमारी कला अब पूरे विश्व में प्रवेश कर चुकी है।"

रेगोंग कला के स्तर को और अच्छा बनाने के लिए स्थानीय लोगों ने रेगोंग कला कमेटी की स्थापना भी की है। यह कमेटी मुख्य रूप से इस कला के विकास और नयेपन का काम करती है। चीनी शिल्प व कला के जाने माने व्यक्ति और चीनी राष्ट्रीय गैर भौतिक सांस्कृतिक कला के उत्तराधिकारी कुन्डेन दाग्जी, स्थानीय रेगोंग कला कमीटी के चित्रकारी विभाग के स्थायी सदस्य हैं।

"हमारी रेगोंग कला कमेटी ने एक थांगका निगरानी दल की स्थापना की है। इसमें कुछ स्थायी सदस्य हैं जो प्रांतीय और राष्ट्रीय स्तर के हैं। इसके अलावा कुछ उद्यमी भी हैं। इसका मुख्य उद्देश्य थांगका के चित्रकारी, कच्चे माल आदि की निरीक्षण करना है। थांगका को विभिन्न वर्गों में विभाजित करते हैं, जिसका मुख्य काम नौजवानों की हस्त शिल्पकला को उन्नत करना और रेगोंग कला की सुंदरता को बचाना है।"

वर्तमान में, छिंगहाई सांस्कृतिक मामले विभाग ने रेगोंग कला क्षेत्र को सांस्कृतिक वस्तुओं के प्रदर्शनी क्षेत्र के रूप में चुना है। साथ ही रेगोंग कला से संबंधित व्यक्तियों के लिए राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न सांस्कृतिक गतिविधियों का भी आयोजन किया है। इसके अलावा, स्थानीय सरकार ने भी कलाकारों के प्रशिक्षण के लिए काफी निवेश किया है। स्थानीय प्रसिद्ध रेगोंग कला विशेषज्ञ ने कई छात्र-छात्राओं को चुना है जो इस कला को आगे पीढी तक ले जायेंगे। चीनी राष्ट्रीय गैर भौतिक सांस्कृतिक कला के उत्तराधिकारी कुन्डेन दाग्जी ने कहा:

"अभी मेरे पास बीस से ज्यादा विद्यार्थी हैं, जिनमें से कुछ शिक्षक भी बन चुके हैं। अभी अक्सर मेरे पास तेरह-चौदह विद्यार्थी आते हैं। मेरा मूल उद्देश्य कुछ प्रतिभाओं को निखारना है जो आगे चलकर इस कला का विकास करेंगे।"

रेगोंग कला ने न सिर्फ सुरक्षित और विरासत के विकास के लक्ष्य को हासिल किया है। बल्कि स्थानीय ग्रामीण लोगों के जीवन स्तर को भी सुधारने में अहम भूमिका निभाई है। रेगोंग कला उद्योग थोंगरेन कांउटी का सबसे तेजी से विकसित होने वाला विशेष उद्योग बन चुका है।

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