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एक आम तिब्बती शिक्षक की कहानी
2010-01-26 09:25:08

चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की सीमांत कांउटी में एक आम शिक्षक हैं, जो अपने जोशिले स्वभाव से गरीब बच्चों के जीवन में रोशनी भरने का काम कर रहे हैं । शिक्षक बनने के बाद चार साल में उन्होंने स्थानीय प्राइमरी स्कूल के लिए दान में दो लाख य्वान मूल्य राशि की नगदी व सामग्री प्राप्त की । वह हैं तिब्बत के लोका प्रिफैक्चर की लोंगजी कांउटी के शिक्षा ब्यूरो के कर्मचारी तानजङ च्यात्सो । यहां आप को उन की कहानी सुनायी जाएगी ।

वर्ष 2005 में तानजङ च्यात्सो तिब्बत के जातीय कालेज से स्नातक हुए और लोंगज़ी कांउटी के शिक्षा ब्यूरो में काम करना शुरु किया। शुरू-शुरू में उन्हें आसपास की सभी चीज़ें नई और ताजी लगती थी । एक बार उस ने किसी ग्रामीण प्राइमरी स्कूल का निरीक्षण दौरा किया, जिस का उस के दिल पर गहरा प्रभाव पड़ा। तानज़ङ च्यात्सो ने कहा:

"यह वर्ष 2005 में तिब्बत के जातीय कालेज से स्नातक होने के बाद मेरा पहला ग्रामीण निरीक्षण दौरा था । मुझे गांव में स्थित एक प्राइमरी स्कूल में जाने का अवसर मिला । उस समय मौसम बहुत ठंडा था, लेकिन स्कूल में पढ़ने वाले विद्यार्थियों ने कम कपड़े पहने हुए थे । वे लगन से पढ़ते थे, लेकिन उन के पास पढ़ने की सामग्री का अभाव था । इस का मेरे मन पर बहुत प्रभाव पड़ा ।"

निरीक्षण दौरा करके वापस लौटने के बाद ग्रामीण प्राइमरी स्कूल के विद्यार्थियों के द्वारा ठंडे मौसम में कम कपड़े पहनने व पढ़ने की कम सामग्री से पढ़ने वाले विद्यार्थियों की छवि तानज़ङ च्यात्सो के दिमाग में घर कर गई। उस ने सोचा कि वह खुद उन विद्यार्थियों की सहायता करने की कोशिश करेगा। लेकिन खुद कैसे मदद की जा सकती है, एक अकेले व्यक्ति की ताकत तो बहुत कम होती है तो कैसे उन की मदद की जा सकती है ?लेकिन तानज़ङ च्यात्सो ने उन गरीब विद्यार्थियों की मदद करने का संकल्प नहीं छोड़ा।

वास्तव में तानज़ङ च्यात्सो का जन्म तिब्बत के लोका प्रिफैक्चर की ज़ानांग कांउटी के ज़ाथांग कस्बे में गाज़ा नामक गांव में एक आम किसान परिवार में हुआ था। माता-पिता, बड़ा भाई, छोटी बहन और वह ,कुल पांच सदस्यों वाले परिवार का जीवन समृद्ध नहीं था । परिवार की जीवन स्थिति अच्छी नहीं थी, इस तरह तिब्बती जातीय कालेज में तानज़न च्यात्सो ने छात्रवृत्ति व बैंक के ऋण से अपना अध्ययन पूरा किया था ।

इस तरह कालेज से अभी-अभी स्नातक होने वाला युवा तानज़ङ च्यात्सो कैसे उन ग्रामीण प्राइमरी स्कूली विद्यार्थियों की सहायता कर सकता है?सहायता सामग्री कहां से मिलेगी?सर्व प्रथम तानज़ङ च्यात्सो ने अपने हाई स्कूल जाने का फैसला किया, जहां उसने स्वंय पढ़ाई की थी ,वहां जा कर उस ने स्कूल के नेताओं से अपनी इस समस्या की चर्चा की । हाई स्कूल के नेताओं ने उसे प्रोत्साहित किया और सकारात्मक जवाब दिया और लोंगज़ी कांउटी के अभाव वाले इस ग्रामीण प्राइमरी स्कूल के लिए 29 मेज़ व कुर्सियां दान में दे कर कुछ सहायता की ।

29 मेज़ व कुर्सियां बहुत कम हैं, लेकिन यह तानज़ङ च्यात्सो की कोशिश में प्रथम सफलता थी, इस से प्रेरणा ले कर उस ने उन गरीब प्राइमरी स्कूली बच्चों के लिए और कुछ आगे करने की योजना बनाई ।

बाद में किसी व्यक्ति ने तानज़ङ च्यात्सो का तिब्बती युवा कोष की महासचिव देची से परिचय कराया, जो ग्रामीण शिक्षा के लिए की जा रहीं इस युवा की कोशिशों से प्रभावित हुईं । तिब्बती युवा कोष ने लोंगज़ी कांउटी के ग्रामीण स्कूलों को 3800 पुस्तकें और पुस्तकालय निर्माण के लिए पचास हज़ार य्वान दिए । इस की चर्चा में तानज़ङ च्यात्सो ने कहा:

"हमारी लोंगज़ी कांउटी बहुत अलग-थलग व दूर स्थित है, जहां अनेक स्कूलों की माली हालत ठीक नहीं है । जातीय क्षेत्रीय शिक्षा कार्य के विकास के लिए केंद्रीय सरकार ने सिलसिलेवार कदम उठाए और तिब्बती बच्चों को बेहतर शिक्षा पाने में मदद दी । तिब्बती बच्चे बहुत मेहनत से पढ़ते हैं । लेकिन कुछ परिवारों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है, देश की उदार जातीय नीति पर निर्भर रहना बेहतर जीवन यापन के लिए अपर्याप्त है । इसलिए मैं उन बच्चों के लिए और बाह्य समर्थन पाने की कोशिश करना चाहता हूँ । तिब्बती बच्चों को पर्याप्त जानकारी व अध्ययन की सुविधाएं मिलें ,यह मेरी सब से बड़ी अभिलाषा है।"

अपनी कोशिशों के जरिए तानज़ङ च्यात्सो ने स्थानीय गरीबी प्राइमरी स्कूलों के बच्चों को सहायता दी । लेकिन उन्हें पता है कि वे केवल अपनी शक्ति पर निर्भर रह कर यह काम नहीं कर सकते। उन्होंने सोचा, तो क्यों न इन्टरनेट के जरिए ज्यादा व्यक्तियों से मदद मांगी जाए?इस तरह तानज़ङ च्यात्सो ने इन्टरनेट पर ग्रामीण तिब्बती गरीबी विद्यार्थियों की कहानी सुनायी और ज्यादा से ज्यादा लोगों से उन बच्चों के लिए मदद देने की अपील की। इन्टरनेट के जरिए तानज़ङ च्यात्सो ने अनेक व्यक्तियों को दोस्त बनाया । उस ने कहा:

"मैंने दोस्तों की मदद से इन्टरनेट के जरिए हमारे यहां के गरीब विद्यार्थियों की स्थिति को सार्वजनिक किया । नेटिजनों ने सक्रिय रूप से प्रतिक्रिया की । वर्ष 2005 के अगस्त माह में मैं ने एक नेटिजन द्वारा प्रदत्त सामग्री प्राप्त की, युन्नान प्रांत के लाओ वेइ नामक इस नेटिजन ने पांच थैले भर कर कपड़े दिये । मैं ने इन्हें स्थानीय रेरोंग जिले के प्राइमरी स्कूल में पहुंचा दिया। दूसरी बार मैं ने पेइचिंग के एक नेटिजन से एक खेप में स्कूलबैग और पांच सौ य्वान प्राप्त किए । इसी दिन मैं ने एक गतिविधि चलाकर प्राप्त कपड़े और धन राशि को गरीब परिवार से आए विद्यार्थियों में बांट दिया ।"

इन्टरनेट का प्रयोग करने के बाद तानज़ङ च्यात्सो का गरीब विद्यार्थियों को मदद देने के रास्ते का विस्तार हो गया । युन्नान, क्वांगतुंग, पेइचिंग और हेलुंगच्यांग आदि क्षेत्रों के व्यक्तियों ने क्रमशः सहायतार्थ हाथ बढ़ा कर मदद की । इस प्रकार उन्होंने तिब्बत स्थित सीमांत कांउटी के गरीब विद्यार्थियों को भारी मदद दी । नेटिजनों ने क्रमशः एक लाख य्वान की नगदी व सामग्री प्रदान की। तिब्बती बंधु तानज़ङ च्यात्सो ने कहा:

"अब हमारे गरीब विद्यार्थियों को सामग्री प्रदान करने वाले नेटिजन युन्नान, क्वांगतुंग, पेइचिंग और हार्बिन आदि क्षेत्रों में हैं । हर बार मैं ने उन्हें हमारे स्थानीय गरीब विद्यार्थियों की वास्तविक स्थिति बतायी और उन से मदद मांगी । मैं ने कहा कि अनेक स्थानीय प्राइमरी स्कूल पहाड़ी घाटी में स्थित हैं, जहां न तो सुविधापूर्ण यातायात है, और न ही पर्याप्त सूचना मिलती है। विद्यार्थियों को स्कूल-बैग व कपड़े आदि सामग्री की बहुत आवश्यकता है ।"

नेटिजनों से मांगने के साथ-साथ तानज़ङ च्यात्सो ने स्थानीय स्कूलों में "प्रेम के साथ पहाड़ी विद्यार्थियों की सहायता" तथा"गरीब विद्यार्थियों की मदद, प्रेम सीमाहीन"आदि गतिविधियां चलायीं, और प्राप्त सहायतार्थ सामग्री, कपड़े और धन राशि को गरीब विद्यार्थियों में बांटा, साथ ही उन्हें ज्यादा मेहनत से पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया ।

तानज़ङ च्यात्सो की कार्रवाई से अनेक तिब्बती विद्यार्थियों को लाभ मिला है। उस के घर में विद्यार्थियों द्वारा भेजे गये चित्र बहुत हैं । तानज़ङ च्यात्सो के कार्यस्थल लोंगज़ी कांउटी शिक्षा ब्यूरो में उस की खूब प्रशंसा की जाती है। लोंगज़ी कांउटी के शिक्षा ब्यूरो के प्रधान छ्यांगबा यीशी ने कहा:

"वर्ष 2005 वह हमारे यहां काम करने आया था । उस ने स्थानीय गरीब विद्यार्थियों की मदद के लिए बहुत कार्य किया है । तानज़ङ च्यात्सो ने स्थानीय गरीब प्राइमरी स्कूलों की शिक्षा स्थिति में सुधार लाने के लिए अपनी कोशिशों के जरिए तरह-तरह की सामग्री व पूंजी प्राप्त की, जिस से हमारे सीमांत कांउटी के लोगों में अपने बच्चों को स्कूल में दाखिला दिलाने की इच्छा बढ़ी है ।"

गत वर्ष की पहली जून को बाल-दिवस के वक्त तानज़ङ च्यात्सो ने इन्टरनेट पर परोपकारी व्यक्तियों का समर्थन पाकर ,और स्वंय अपनी जेब से सात हज़ार य्वान डाल कर 120 बच्चों के लिए स्कूल-बैग खरीदे और उपहार के रूप में गरीब विद्यार्थियों को दिए।

उस के दिल में सब के सब बच्चे उस के अपने बच्चों की तरह हैं। तानज़ङ च्यात्सो का जीवन बहुत सरल है और वह एक सीधा-सादा जीवन बिताता है,और सादे कपड़े पहनता है।

घर में दीवार पर लगे एक काग़ज़ पर"मैं शिक्षा कार्य के लिए अपनी पूरी कोशिश करने को तैयार हूँ"लिखा हुआ है । एक आम शिक्षक के रूप में तानज़ङ च्यात्सो क्या खोज रहा है? इस का जवाब शायद इस वाक्य में छिपा हुआ है ।

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