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बर्फीले पठार के जल बिजली विकास में योगदान देने वाली महिला इंजीनियर चाओ शो लिन की कहानी
2010-01-19 10:09:59

छिंगहाई तिब्बत पठार चीन में नदियों का उद्गम स्थल है, जहां जल संसाधनों की कोई कमी नहीं है। लेकिन समुद्र तल से बहुत ऊंचाई पर स्थित होने के कारण यहां आँक्सीजन की कमी होती है और विपरीत मौसम, यातायात की सुविधा न होने के कारण जल बिजली के विकास में तमाम मुश्किलें मौजूद हैं । इस तरह बिजली की कमी तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के विकास में सबसे बड़ी बाधा बन गया । इसे हल करने को चीनी फ़ौजी पुलिस के अधीन जल बिजली दल ने बिजली घर के निर्माण के लिए तिब्बत में प्रवेश किया । दल की तीसरी शाखा के उप निदेशक उच्च स्तरीय इंजीनियर चाओ शो लिन ने तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के जल बिजली निर्माण में काफी योगदान दिया। तिब्बती लोग उन्हें"बर्फीले पठार में रोशनी देने वाली दूत"कहते हैं।

आपको मालूम है कि चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की भौगोलिक स्थिति काफी जटिल है। इसके कारण जल संसाधनों के विकास में काफी मुश्किलें आती हैं। गत शताब्दी के अस्सी के दशक के अंत में वहां सिर्फ़ 0.3 प्रतिशत जल संसाधनों का विकास हुआ था । देश भर की 28 बिजलीहीन कांउटियों में तिब्बत की 21 होती थी । तिब्बत में बिजली की समस्या के समाधान के लिए वर्ष 1991 में चीन सरकार ने"तिब्बत के जल बिजली संसाधनों का विकास करने वाली"महत्वपूर्ण रणनीति अपनाई, चीनी फ़ौजी पुलिस के अधीनस्थ जल बिजली दल ने तिब्बत के जल बिजली विकास की प्रमुख शक्ति के रूप में विभिन्न जगहों से कुशल व्यक्तियों को तिब्बत बुलाया ।

यह खबर सुनकर चाओ शोलिन ने दल में भाग लेने का आवेदन किया और शीघ्र ही तिब्बत जा पहुंची। इसकी चर्चा में उन्होंने कहा:

"विश्वविद्यालय में जल सिंचाई परियोजना मेरा कॉर्स रहा है। तिब्बत में जल बिजली संसाधन पर्याप्त है, यहां के जल बिजली विकास में अपना योगदान देना मुझे गौरव का विषय लगा।"

बिजली घर के निर्माण के दौरान तिब्बत की जीवन स्थिति अच्छी नहीं थी। नाछ्यु प्रिफैक्चर में छालोंग बिजली घर के निर्माण के दौरान चाओ शोलिन को पूरी तरह इसका एहसास हुआ ।

जुलाई महीने में चीन के भीतरी इलाके के अन्य स्थलों में गर्मी होती है. लेकिन तिब्बत के नाछ्यु प्रिफैक्चर में काफी बर्फ गिरती है । छालोंग क्षेत्र समुद्र तल से 4400 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, हर वर्ष सौ दिन वहां 8 डिग्री के उपर हवा का बहाव रहता है । इस तरह छालोंग बिजली घर के निर्माण के दौरान चाओ शोलिन और उनके साथी साल भर रेतीरी शामिल होने वाले चावल खाते थे । पेट की बीमारी से ग्रस्त चाओ शोलिन को काफी मुश्किल लगता था। यही नहीं, कई दिनों तक बिना नहाए रहना सबसे ज्यादा परेशानी भरा था। इसकी चर्चा में सुश्री चाओ ने कहा :

"छालोंग बिजली घर के निर्माण के दौरान स्थिति बहुत बुरी थी । लेकिन मुझे लगता है कि बिना नहाए रहना मेरे लिए सबसे अधिक मुश्किल था। बाद में मैं कुछ दोस्तों के कहने पर एक या दो महीने में 30 किलोमीटर दूर स्थित नाछ्यु कस्बे जाकर नहाती थी । उस समय एक बार नहाने पर भी काफी खुशी होती थी ।"

चाओ शोलिन के अनुसार उस समय रात को सोना भी कठिन बात भी थी । मौसम बहुत ठंडा था, रात भर सोते कंपकंपी लगती थी। ऐसी विपरीत परिस्थिति में भी चाओ निराश नहीं हुई, वहअपने आपको प्रोत्साहित करती रहती थी। उन्होंने कहा:

"मुझे लगता है कि किसी काम करना के दौरान हमें किसी भी मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है । लेकिन मानव जाति की निहित शक्ति बड़ी है, मुश्किलों के सामने हमें और ज्यादा कोशिश करनी चाहिए। बाद में हम कठिनाइयों को जरूर दूर कर सकतें हैं ।"

तिब्बत में बिजली घरों के निर्माण के दौरान चाओ शोलिन ने अपने साथियों के साथ मिल कर दो सौ बार परीक्षण करके पठारीय स्थिति के अनुकूल कंक्रीट डालने का विशेष तरीका खोज लिया। वे जल बिजली दल के दूसरे तकनीशियनों के साथ बराबर कोशिश करती थी। कई सालों के बाद उनके पास सबसे श्रेष्ठ टीम हो गई जिनमें कई उनके शिष्य भी थे। चीनी फौजी पुलिस के अधीनस्थ जल बिजली दल की तीसरी शाखा के परियोजना विभाग के जनरल इंजीनियर ह्वांग छ्यांग उनके शिष्यों मं से एक है । अपनी गुरू की चर्चा में उन्होंने कहा:

"परियोजना के निर्माण के दौरान जब हमें मुश्किलों का सामना करना पड़ता था, और महत्वपूर्ण प्रस्ताव बनाने के वक्त चाओ ज़रूर मार्गदर्शन के लिए आती थी। वे हमारे साथ निर्माणस्थल जाकर संजीदगी के साथ सर्वेक्षण करती थी और वापस लौटकर ध्यान से विश्लेषण भी। इसके बाद परियाजना निर्माण के प्रस्ताव का अनुसंधान करती थी। उन्होंने निर्माण में हमें काफी मदद दी और मार्गदर्शन किया । प्रस्ताव बनाने के दौरान हम उनसे सीखते थे और हमारा स्तर व तकनीक भी काफी हद तक उन्नत हो गए ।"

जल बिजली परियोजना के क्षेत्र में कई साल काम करने वाले चाओ शोलिन इसी क्षेत्र में जाने मानी विशेषज्ञ बन गई । एक बार उन्होंने भीतरी इलाके में किसी एक इकाई में तकनीकी प्रशिक्षण किया, जिसके नेता ने विशेष तौर पर उनसे कहा कि हमारे यहां आइए, हम आपको एक साल में पचास हज़ार य्वान का वेतन देंगे । उस समय चाओ का मासिक वेतन पांच सौ य्वान से कम था, एक साल में पचास हज़ार य्वान बड़ी राशि थी, लेकिन उन्होंने इससे इनकार कर दिया। उन्होंने कहा:

"मुझे लगता है कि पैसा मेरे लिए सवाल नहीं है, मानव का मूल्य पैसे पर निर्भर नहीं रहता । तिब्बत में मैंने कई साल काम किया था और उस के प्रति मुझे गहरा प्यार था। तिब्बती जनता और तिब्बत के विकास के लिए अपना योगदान करना मुझे अच्छा लगता है ।"

दस वर्षों में चाओ शोलिन के नेतृत्व वाले चीनी फौजी पुलिस के अधीनस्थ जल बिजली दल की तीसरी शाखा ने सारे तिब्बत के सात प्रिफैक्चरों व आठ नदियों में तीन लाख पचास हज़ार किलोवाट क्षमता वाले जनरेटरों का निर्माण पूरा किया। जो तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में जल बिजली जनरेटरों की कुल क्षमता का 75 प्रतिशत हिस्सा है । स्वायत्त प्रदेश के बिजली ब्यूरो के प्रधान वांग छिंग ह्वा के अनुसार:

"चीनी फौजी पुलिस के अधीनस्थ जल बिजली दल बीस वर्षों से ज्यादा तिब्बत के बिजली निर्माण में लगा रहा । उन्होंने तिब्बत में कई बड़े प्रमुख बिजली घरों को स्थापित किया । उनमें यांगचोयोंग झील बिजली घर, चीखोंग बिजली घर और शीछ्वानहो बिजली घर आदि शामिल हैं, जिन्होंने तिब्बत के बिजली अभाव सवाल के समाधान के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई । बीस साल से ज्यादा समय में इस दल के सदस्यों और तिब्बती लोगों के बीच गहरी दोस्ती कायम हुई । यह टीन तिब्बत के बिजली शक्त निर्माण क्षेत्र में एक विश्वसनीय दल है ।"

चाओ शोलिन और इस दल के अन्य सदस्यों ने तिब्बत में एक-एक जल बिजली घरों का निर्माण किया । वे पठार में अंधेरे को दूर कर रोशनी लाने वाले थे । स्थानीय तिब्बती बंधु उन्हें बर्फीले पठार में रोशनी देने वाले दूत कहते हैं । आज चाओ शोलिन एक बार फिर राजधानी ल्हासा वापस लौटी, रोशनीदार दृश्य नज़र में आती है । उन्होंने भाव विफोर होकर कहा:

"इधर कई सालों के निर्माण के बाद तिब्बत में बड़ा परिवर्तन आया । एक बार फिर ल्हासा में आने के बाद मुझे लगता है कि यहां भीतरी इलाके के शहरों से कोई फर्क नहीं है । बिजली तिब्बती जनता को रोशनी दे रही है ।"  

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