कुछ समय पूर्व सीमांत क्षेत्रों में सी.आर.आई के देशी विदेशी संवाददाताओं का दौरा कार्यक्रम के तिब्बती मंडल ने चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की यात्रा की । वहां उन्होंने नज़दीक से चीन के तिब्बत को देखा और कहा कि मौजूदा यात्रा के जरिए उन्होंने तिब्बत के विकास व समृद्धि के ज्यादा प्रत्यक्ष अनुभव हासिल किए ।
संवाददाता दल में इटली से आई संवाददाता गैब्रिएल ने पिछले बीस सालों में तिब्बत की चार बार यात्रा की है। तिब्बती संस्कृति में बड़ी रूचि और तिब्बत के बारे में पर्याप्त जानकारी होने के कारण वे मौजूदा संवाददाता दल में"जीवंत शब्दकोष"बन गई हैं। इस इटली संवाददाता की नज़र में खुलेपन के बाद तिब्बती लामा बौद्धों के सामने नए उत्थान का समय आ रहा है । उन का कहना है:
"पंद्रह या बीस साल पहले किसी भी तिब्बती बौद्ध धर्म के भिक्षु को अंग्रेज़ी नहीं आती थी, यहां तक कि वे चीनी हान भाषा भी नहीं जानते थे। उस समय तिब्बत बाहरी दुनिया के प्रति ज्यादा बंद था, उन लामाओं के साथ बातचीत करना आसान नहीं था, लेकिन नई पीढ़ी वाले लामाओं की पढ़ाई व रहन सहन की स्थिति बेहतर हुई है । उन के पास कंप्युटर, मोबाइल फ़ोन और टेलीविज़न हैं । इस तरह वे आसानी से बाहरी दुनिया की नई चीज़ों को स्वीकार कर सकते हैं। मुझे लगता है कि वे लामा तिब्बती बौद्ध धर्म की नई आशा हैं ।"
तिब्बती बौद्ध धर्म समेत तिब्बती संस्कृति की समृद्धि के अलावा, तिब्बत के आर्थिक विकास में भी दिन दुना रात चौगुना परवर्तन हो रहा है । मौजूदा तिब्बत यात्रा के दौरान संवाददाताओं के साथ चुपचाप चलता चीन नेपाल राज मार्ग उन में से एक है । अनेक सालों के निर्माण के बाद 789 किलोमीटर लम्बे चीन नेपाल राज मार्ग का सुधार किया गया है। तिब्बत की राजधानी ल्हासा और चीन व नेपाल के बीच पड़ने वाली सीमा चौकी चांग मू को जोड़ने वाला यह मार्ग आसपास के गावों में परिवर्तन ला रहा है, और वह तिब्बत का सुंदर भविष्य भी रच रहा है । इटली की संवाददाता गेब्रिएल ने कहा:
"इधर के दिनों में हम इस राज मार्ग पर चल रहे हैं, इस दौरान मैं सोच रही हूं कि चीन नेपाल राज मार्ग सचमुच एक महान परियोजना है । मज़दूर इस की मरम्मत करते रहते हैं । आज चीन नेपाल राज मार्ग के आसपास स्थित गांवों का नया रूप निखर आया है । यह पहले से बिलकुल अलग है ।"