Web  hindi.cri.cn
《तिब्बती ज्ञान कोष》: तिब्बत का खेलकूद(1)
2009-11-17 14:46:41

 वर्ष 2008 की आठ अगस्त को 29वां ऑलंपिक खेल समारोह धूमधाम से चीन की राजधानी पेइचिंग में आयोजित हुआ । एक शक्तिशाली खेलकूद देश के रूप में विश्व का ध्यान चीन पर केंद्रित हुआ था । तिब्बती जाति एक बलवान जाति है। तिब्बत की शांतिपूर्ण मुक्ति के बाद तिब्बत के खेलकूद का जोरदार विकास हो रहा है । इस लेख में तिब्बत के परम्परागत खेलकूद और तिब्बत के आधुनिक खेल कार्य के विकास का परिचय होगा।

छिंगहाई तिब्बत पठार पर रहने वाले तिब्बती लोगों के अनेक परम्परागत खेल व्यायाम चलते हैं, जो तिब्बती जाति के जीवन पर्यावरण व जीवन तरीके से घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए हैं । तिब्बती खेलकूद तिब्बती संस्कृति का महत्वपूर्ण भाग भी है । तिब्बत में घोड़े, नीलगाय और ऊंट पर सवार होकर दौड़ने की प्रतियोगिता बहुत सामान्य होती है ।

तिब्बती लोगों के पूर्वज आम तौर पर घुमंतू जीवन बिताते थे । लोगों के बीच आवाजाही, जीवन, उत्पादन और युद्ध में घोड़ा बहुत महत्वपूर्ण पशु है । जीवन और पर्यावरण के कारण तिब्बती लोग छोटी उम्र से ही घोड़े के साथ संपर्क कायम हो गए । इस तरह घोड़े पर सवार होकर दौड़ की प्रतियोगिता का जन्म हुआ। तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की राजधानी ल्हासा के पोताला महल और लोका प्रिफैक्चर के सांगये मठ में घुड़सवारी दौड़ के संदर्भ में सुन्दर भित्ति चित्र सुरक्षित हैं । इस के साथ ही तिब्बत के प्राचीन ग्रंथों में घुड़सवारी दौड़ के बारे में भी उल्लेख है । तिब्बती जाति की प्रथा-परम्परा के अनुसार खुशी के वक्त और त्योहार मनाने और मेले के आयोजन के दौरान घुड़सवारी दौड़ प्रतियोगिता आयोजित करना जरूरी है ।

तिब्बत में नीलगाय यानी याक पर सवार होकर दौड़ की प्रतियोगिता आयोजित करना भी आम बात है । नीलगाय छिंगहाई तिब्बत पठार का विशेष गाय है, जिसे समुद्र के सतह से ऊंचे स्थान पर और ठंडे जलवायु वाले वातावरण में रहने की आदत है । नीलगाय को पठारीय नाव कहा जाता है । लम्बे समय में नीलगाय छिंगहाई तिब्बत पठार के चरवाहों का प्रमुख जीवन संसाधन और यातायात का साधन था । बाद में पठार के घास मैदान क्षेत्र में नीलगाय दौड़ की प्रतियोगिता पैदा हुई, जो धीरे-धीरे तिब्बत में एक विशेष प्रतियोगिता बन गई । नीलगाय दौड़ प्रतियोगिता गति की आजमाइश है । इस में भाग लेने वाले खिलाड़ी नीलगाय की पीठ पर सवार होकर उस का निर्देशन कर आगे दौड़ाते हैं, जब अनेकों नीलगाय घास मैदान में दौड़ते हुए दिखाई देता है, तो एक विशेष दृश्य बन जाता है ।

तिब्बत में ऊंट पर सवार होकर दौड़ की प्रतियोगिता आयोजित करना एक और विशेष खेलकूद इवेंट है । वर्तमान में तिब्बती पशुपालन क्षेत्र में ऊंट का पालन कम है । लेकिन प्राचीन समय में ऊंट पठार में महत्वपूर्ण पशुओं में से एक था ।《थांग राजवंश के थुबो की कहानी》नामक किबात में लिखा गया कि तिब्बत के थुबो राजवंश में ऊंट खाद्य पदार्थ का परिवहन, सेना की आपूर्ति ढोलने का आदि काम करते थे । प्राचीन ऐतिहासिक ग्रंथों के अनुसार सांगये मठ में त्योहार मनाने के वक्त ऊंट दौड़ की प्रतियोगिता आयोजित किया जाता था । लेकिन आज तिब्बत में ऊंट दौड़ की प्रतियोगिता कम हो गई।

तिब्बत में दौड़ की प्रतियोगिता छिंग राजवंश के काल में एक महत्वपूर्ण मनोरंजन इवेंट थी ।《तिब्बत के इतिहास》नामक प्राचीन ग्रंथ के अनुसार दौड़ की प्रतियोगिता पहले आम तौर पर उच्च स्तरीय कुलीन लोगों के बीच आयोजित होती थी, जिस की लम्बाई करीब 2500 मीटर थी । लेकिन आज दौड़ प्रतियोगिता तिब्बत में बहुत साधारण व लोकप्रिय खेल बन गया । क्षेत्रीय खेल समारोहों में दौड़ की प्रतियोगिता जरूर आयोजित की जाती है । तिब्बत में दौड़ प्रतियोगिता बूढ़े वर्ग और बाल किशोर वर्ग दो भागों में बंटी हुई है । बूढ़े ग्रुप में भाग लेने वाले खिलाड़ियों की उम्र साठ और अस्सी साल के बीच है, जबकि बाल किशोर दल में भागीदारों की उम्र सात से 14 साल के बीच है । दौड़ प्रतियोगिता में भाग लेने वाले सभी पुरूष है जो नंगे पांव से दौड़ते हैं । कुछ स्थानों में दौड़ की प्रतियोगिता घुड़सवारी दौड़ के बाद आयोजित की जाती है, प्रतियोगिता के दौरान पहाड़ पर चढ़ने वाली प्रतियोगिता भी होती है ।

तिब्बती कुश्ती तिब्बत के परम्परागत खेल का एक भाग है, जो आज तक तिब्बत में बहुत लोकप्रिय है। चाहे घासमैदान में हो, या खेतों में क्यों न हो, तिब्बती कुश्ती के पहलवान देखे जा सकते हैं । पोताला महल में कुश्ती के संदर्भ में दो भित्ति चित्र सुरक्षित हैं, एक भित्ति चित्र में तिब्बती शैली वाली कुश्ती दिखाई जाती है और दूसरी भित्ति चित्र में मंगोलियाई शैली वाली कुश्ती । इस के साथ ही सांगये मठ में कुश्ती के बारे में भी भित्ति चित्र सुरक्षित है जो जूडो से मिलती जाती है।

दौड़ प्रतियोगिता और कुश्ती की तुलना में तैराकी तिब्बत में ज्यादा लोकप्रिय नहीं है । छिंगहाई तिब्बत पठार में नदी व झील ज्यादा होने के बावजूद जलवायु ठंडा है, इस तरह तैराकी के लिए अनुकूल स्थिति नहीं है । तैराकी प्रतियोगिता मध्य व दक्षिण तिब्बत में लोकप्रिय है । लेकिन तिब्बती पंचांग के अनुसार हर वर्ष के सातवें माह के शुरू में तिब्बत में नहाने का त्योहार है । इस सात दिवसीय त्योहार के दौरान चाहे पुरूष हो या महीला, बूढ़ा हो या बच्चा, सभी लोग नदी में जाकर नहाते तैरते हैं । उन के बीच तैराकी की प्रतियोगिता होती है । इस तरह तिब्बतियों का स्नान सप्ताह तैराकी हफ्ता बन गया है । पोताला महल में तैराकी से संबंधित अनेक भित्ति चित्र सुरक्षित हैं ।

तिब्बत में पर्वतारोहण एक विशेष किस्म वाला खेल है, जो विश्व ध्यानाकर्षक भी है । वास्तव में तिब्बत में पर्वतारोहण खेल के विकास का इतिहास लम्बा नहीं है । वर्ष 1959 में तिब्बत में लोकतांत्रिक सुधार किए जाने के बाद पर्वतारोहण खेल तिब्बतियों से परिचित हुआ । वर्ष 1960 की 25 मई को तिब्बती पर्वतारोही गोंबू और चीनी हान जाति के पर्वतारोही वांग फ़ूचो और छ्यु यिनह्वा ने पहली बार उत्तरी दिशा में चोमुलांमा पर्वत चोटी पर चढ़ गये । चीनी राष्ट्रीय ध्वज पहली बार चुमुलांगमा चोटी पर फहराया गया । इस तरह तिब्बती बंधु गोंबू चीनी पर्वतारोहण इतिहास में प्रथम तिब्बती वीर बन गए । इसी साल में तिब्बती पर्वतारोहण दल औपचारिक रूप से स्थापित हुआ ।

पिछले चालीस वर्षों में क्रमशः चालीस से ज्यादा चीनी हान जाति व तिब्बती जाति के पर्वतारोहियों ने चुमुलांगमा चोटी पर आरोहित किया । 260 पर्वतारोहियों ने समुद्र सतह से आठ हज़ार मीटर ऊंची चोटी पर चढ़ने में सफलता पायी । वर्ष 2007 में तिब्बती पर्वतारोहण दल सफलतापूर्वक गाशेर्बुर्म नम्बर एक चोटी पर चढ़ा और यह दल विश्व में ऐसा प्रथम दल बन गया, जिस ने सामूहिक तौर पर दुनिया में आठ हज़ार मीटर से ऊपर 14 चोटियों पर चढ़ने में कामयाबी हासिल की है ।

वर्तमान में तिब्बत स्वायत्त प्रदेश चीनी पर्वतारोहण खेल का महत्वपूर्ण अड्डा और पर्वतारोहियों तथा संबंधित सेवकों का प्रशिक्षण करने का केंद्र बन गया । वर्ष 1999 में तिब्बती पर्वतारोहण स्कूल की स्थापना औपचारिक तौर पर हुई, यह चीन में प्रथम पेशेवर पर्वतारोहियों व प्रतिभाओं का प्रशिक्षण स्कूल है, जिस में उच्च स्तरीय पर्वतारोही ही नहीं, संबंधित क्षेत्र में उच्च स्तरीय सहयोगी व गाइड का प्रशिक्षण भी किया जाता है। स्कूल के सभी विद्यार्थी पहाड़ी क्षेत्र में रहने वाले तिब्बती किसान व चरवाहे हैं, स्कूल में वे मुफ्त शिक्षा पा सकते हैं ।

इधर के वर्षों में तिब्बत में आने वाले देशी विदेशी पर्यटन दलों की संख्या लगातार बढ़ने के साथ-साथ पहाड़ पर चढ़ना अनेक पर्यटकों की पसंदीदा विकल्प बन गया है । भविष्य में तिब्बत छह हज़ार मीटर से ऊपर वाली चोटी पर पैदल पर्वतारोहण पर्यटन परियोजना शुरू करेगा ।

29वां ऑलंपिक खेल समारोह दो हजार आठ में पेइचिंग में आयोजित हुआ । वर्ष 2008 की मई की आठ तारीख को मानव खेल की भावना का प्रतिनिधित्व करने वाले ओलंपिक मशाल की पवित्र अग्नि सफलतापूर्वक चुमुलांगमा चोटी पर आरोपित की गई । चीनी पर्वतारोहण टीम के 31 पर्वतारोहियों, जिन में 22 तिब्बतियों, आठ हान जाति के व्यक्तियों और एक थूच्या जाति के व्यक्ति शामिल है, ने इस में भाग लिया । चुमुलांगमा चोटी पर चढ़ने वाले पांच पर्वतारोहियों में दो महीला और एक पुरूष समेत तीन तिब्बती खिलाड़ी हैं ।

वर्ष 1992 में तिब्बती पर्वतारोहण दल ने कुछ श्रेष्ठ खिलाड़ियों को चुनकर औपचारिक तौर पर"विश्व की 14 आठ हज़ार मीटर से ऊपर चोटियों पर चढ़ने वाली चीनी तिब्बती पर्वतारोहण टीम"स्थापित किया। दस से ज्यादा वर्षों में इस टीम ने क्रमशः 14 चोटियों पर चढ़े । टीम के नेता तिब्बती बंधु सांगजू हैं । उन्होंने आधुनिक पर्वतारोहण ट्रेनिंग पाने के एक साल बाद सफलतापूर्वक चुमुलांगमा चोटी पर आरोप किया, उस समय उन की उम्र सिर्फ़ 22 साल थी । इस टीम में सब से बड़ी उम्र वाले सदस्य त्सेरिन तोची हैं, वे विश्वविख्यात पर्वतारोही हैं, जो"बर्फीला पहाड़ के बाज"के नाम से मशहूर हैं । वर्ष 1988 में चीन, जापान और नेपाल के खिलाड़ी संयुक्त रूप से चुमुलांगमा चोटी पर चढ़े, त्सेरिन तोची चुमुलांगमा के उत्तरी भाग से चोटी पर चढ़ा और दक्षिण भाग से उतरा, वे चोटी पर 99 मीनट तक ठहरे, उन्होंने विश्व में एक रिकोर्ड बनाया । इस तरह उन्हें"चुमुलांगमा को आरपार करने वाले प्रथम व्यक्ति"माना गया है ।

अच्छा दोस्तो, कार्यक्रम के अगले भाग में हम संक्षिप्त तौर पर तिब्बत के आधुनिक खेलकूद के विकास की चर्चा करेंगे ।

वर्ष 1951 में तिब्बत की शांतिपूर्ण मुक्ति हुई, जिस का खेल कार्य परम्परागत जातीय खेलकूद से आधुनिक खेल में परिवर्तित हो गया।

शांतिपूर्ण मुक्ति के पूर्व तिब्बत का खेलकूद मुख्य तौर पर परम्परागत खेलकूद था । लेकिन पुराने तिब्बत में कड़ी सामंती भू-दास व्यवस्था लागू की जाती थी, समाज के अधिकांश जन संख्या वाले भू-दासों का जीवन बहुत गरीब था और उन की व्यक्तिगत स्वतंत्रता भी नहीं थी । इस तरह खेलकूद में उन की भागीदारी बहुत कम थी । तिब्बत की शांतिपूर्ण मुक्ति के बाद विशेष कर लोकतांत्रिक सुधार के बाद तिब्बत की व्यापक जनता अपने भाग्य का मालिक बन गयी । हर व्यक्ति को खेलों में भाग लेने का अधिकार है । इस तरह तिब्बत में खेलकूद का व्यापक तौर पर विकास हो रहा है ।

शांतिपूर्ण मुक्ति के बाद तिब्बत ने अनेक बार तिब्बती युवाओं के फुटबाल और बास्केटबाल प्रतिनिधि मंडल स्थापित कर भीतरी इलाके के प्रांतों व शहरों में आधुनिक खेल विचारधारा सीखने और खेल प्रशिक्षण लेने के लिए भेजा । केंद्र सरकार तिब्बत क्षेत्र के खेल शिक्षा पर भी महत्व देती है । वर्ष 1959में तिब्बत में लोकतांत्रिक सुधार किए जाने के बाद विभिन्न स्कूलों में खेलव्यायाम कक्षा खोली गई । आज तिब्बत में बास्केटबाल, वालिबाल, फुटबाल, टेबल टेनिस और ट्रेक एंड फ़िल्ड आदि आधुनिक खेलकूद का जोरदार विकास हो रहा है, विभिन्न प्रकार की खेल प्रतियोगिता की जाती है । जनव्यापी खेल, प्रतिस्पर्द्धा वाले खेल और पर्वतारोहण आदि क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति हासिल हुई। तिब्बती किसान और चरवाहे परम्परागत खेलकूद में भाग लेने के साथ-साथ आधुनिक खेलों के विकास में भी संलग्न हैं ।

आज तिब्बत स्वायत्त प्रदेश ने कुल नौ बार आधुनिक खेल समारोहों का आयोजन किया । हर वर्ष स्वायत्त प्रदेश में विभिन्न प्रकार की सौ से ज्यादा खेल प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं । वर्तमान में तिब्बत में संजीदगी के साथ《चीन लोक गणराज्य खेलव्यायाम कानून》,《समूची जनता शारीरिक स्वास्थ्य लाभ योजना कार्यक्रम》तथा《वर्ष 1994 से 2010 तक तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की खेल कार्य विकास योजना》का कार्यान्वयन किया जा रहा है । सारे प्रदेश में खेल कार्य आर्थिक निर्माण के साथ स्वस्थ रूप से आगे विकसित हो रहा है ।

 

संदर्भ आलेख
आप की राय लिखें
सूचनापट्ट
• वेबसाइट का नया संस्करण आएगा
• ऑनलाइन खेल :रेलगाड़ी से ल्हासा तक यात्रा
• दस सर्वश्रेष्ठ श्रोता क्लबों का चयन
विस्तृत>>
श्रोता क्लब
• विशेष पुरस्कार विजेता की चीन यात्रा (दूसरा भाग)
विस्तृत>>
मत सर्वेक्षण
निम्न लिखित भारतीय नृत्यों में से आप को कौन कौन सा पसंद है?
कत्थक
मणिपुरी
भरत नाट्यम
ओड़िसी
लोक नृत्य
बॉलिवूड डांस


  
Stop Play
© China Radio International.CRI. All Rights Reserved.
16A Shijingshan Road, Beijing, China. 100040