पेइचिंग छोमोलांमा होटल पुराने क्वेनयूए मंदिर में स्थित है। यहां न सिर्फ़ मिंग व छिंग राजवंशों की पुरातन इमारतें व सुन्दर दृश्य हैं , बल्कि कुछ खुशहाल तिब्बती लड़कियां भी यहां रहती हैं। वे तो छोमोलांगमा होटल के रेस्तरां में सेविका हैं।
जब हम ने पेइचिंग छोमोलांगमा रेस्तरां में प्रवेश किया, तो वहां तिब्बती सजावट व वातावरण देख कर पूरी तरह से उस में डूब गये। रंगबिरंगी धार्मिक झंडियां, सुन्दर थांगखा चित्र, और सुगंधित तिब्बती धूप-बत्ती आदि सभी चीज़ें छिंगहाए तिब्बत पठार की विशेषता प्रतिबिंबित करती हैं। हमने तिब्बती लड़कियों की सुन्दर छवि को देखने से पहले उन की मधुर आवाज़ सुनी।
लड़कियां सुन्दर तिब्बती जातीय पोशाक में मेहमानों के लिये गाना गा रही थीं, और शुभकामनाएं भी दे रही थीं। तिब्बत के शिकाज़े से आयी लड़की सोनाम चोदरोन उन में सब से छोटी है। वह केवल 21 वर्ष की हैं। बातचीत करते समय वह अक्सर शर्म से मुस्कुराती है। उस के बचपन में घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। उस समय उस की मां एक घरेलू महिला थीं। और पिता का वेतन हर महिने केवल पचास या साठ य्वान था। घर का सभी खर्च इसी में करना पड़ता था। और जीवन बहुत कठोर था। पर बाप चोदरोन व उस की बड़ी बहन की पढ़ाई को आगे चलाने के लिए अडिग थे। उन्होंने कहा कि चाहे मेरे लिये जीवन कितना भी मुश्किल होगा, मैं तुम्हें स्कूल जाने के लिये पैसे दूंगा। तुम लोगों को मां-बाप जैसा जीवन नहीं बिताना है। ज्ञान व तकनीक प्राप्त करके तुम लोगों का भविष्य और अच्छा व उज्ज्वल होगा। उस समय चोदरोन के घर में कोई उच्च स्तरीय घरेलू उपकरण नहीं था। जब वह प्राइमरी में चौथे साल में पढ़ती थी, तो मां-बाप ने घर का पहला टी.वी. खरीदा । उस समय चोदरोन बहुत खुश थी। और यह बात उसे अच्छी तरह याद है।
सीनियर मीडिल स्कूल से स्नातक होने के बाद चोदरोन ने पेइचिंग छोमोलांगमा होटल में काम करना शुरू किया। जब हमने उससे पूछा कि तुम्हें तिब्बत से पेइचिंग में आकर काम करने का मौका कैसे मिला?तो उसने परिचय देते हुए कहा:
"उस समय तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के अखिल लेबर संघ ने हम जैसे गरीब घरों से आए बच्चों को विशेष सहायता दी, और हमें चुनकर पेइचिंग में काम करने का मौका दिया। यहां काम करने के बाद न सिर्फ़ हमारा जीवन स्तर उन्नत हुआ है, बल्कि घर में आर्थिक दबाव भी कम हुआ है।"
तिब्बत के विकास के साथ-साथ चोदरोन का घर में भी बदलाव आया। मां-बाप ने च्यांगज़ी में नया मकान खरीदा । सभी परिवार जनों ने छोटे घर को छोड़ कर बड़े रोशनीदार मकान में प्रवेश किया। अब घर में फ़्रिज़, टी.वी., वाशिंग मशीन, ऑडियो मशीन आदि सभी घरेलू उपकरण हैं। हालांकि बाप सेवानिवृत्त हो गये हैं, पर हर महिने एक हजार से ज्यादा य्वान की पेंशन प्राप्त करते हैं। मां-बाप ने घर के पास एक छोटा तिब्बती भोजनालय शुरु किया है। और चोदरोन व उस की बड़ी बहन ने भी अपने पिता की आशा पूरी करके एक उज्ज्वल भविष्य बनाया है । बहन अब शेनशी प्रांत के शेनयांग जातीय कालेज के अंग्रेज़ी विभाग में पढ़ रही है, इस वर्ष मई में वह स्नातक हो जाएगी। वह अध्यापिका बन सकेगी, या गाईड भी बन सकता है। और भी काम करने के बहुत से मौके उस के सामने मौजूद होंगे। चोदरोन पेइचिंग में और कुछ समय काम करना चाहती है। उन्होंने कहा:
"मैं यहां अच्छी तरह से काम करना चाहती हूं, और ज्यादा से ज्यादा सेवा व्यवसाय की क्षमता प्राप्त करना चाहती हूं। अब तिब्बत को भी ऐसे सुयोग्य व्यक्ति चाहिंए। भविष्य में जब मैं तिब्बत वापस लौटूंगी, तो मैं अच्छी तरह वहां की जनता की सेवा कर सकूंगी।"
तिब्बत के ल्हासा से आई लड़की ज़ा सांग ने वर्ष 2003 से पेइचिंग छोमोलांगमा होटल में काम करना शुरू किया। वह यहां आकर काम करने वाली पहले खेप की लड़कियों में से एक है। उस समय छिंगहाए तिब्बत रेल मार्ग नहीं था। वह केवल हवाई ज़हाज से ल्हासा व पेइचिंग के बीच आती-जाती थी। हालांकि हवाई जहाज की गति बहुत तेज़ है, लेकिन उस का दाम भी बहुत महंगा है। उन्होंने हमें बताया:
"उस समय ल्हासा में रेल मार्ग नहीं था, मैं केवल हवाई जहाज से पेइचिंग आती थी। टिकट का दाम बहुत महंगा है, लगभग 2400 य्वान चाहिंए, लेकिन अब रेल मार्ग से आने जाने के केवल 1600 य्वान ही काफ़ी हैं। और बस की अपेक्षा रेल गाड़ी ने हमारा बहुत समय बचाया है। पहले हमें बस से जाने के लिए एक हफ्ते का समय चाहिए था, लेकिन अब हम रेल गाड़ी से केवल 48 घंटे में ही पहुंच जाते हैं। इस वर्ष के तिब्बती नये साल के सुअवसर पर मैंने छिंगहाए तिब्बत रेल गाड़ी द्वारा घर वापस करके मां-बाप के साथ नये साल की खुशी मनाई। मुझे लगता है कि यह रेल मार्ग जनता के लिये बहुत सुविधाजनक व सस्ता है।"