चालू वर्ष ल्हासा के श्वेतुन त्यौहार 20 से 26 अगस्त तक मनाया जा रहा है । परम्परा के अनुसार तिब्बत की राजधानी ल्हासा में स्थित द्रेपुग मठ में 20 तारीख की सुबह बुद्ध शाक्यमुनि के बड़े आकार वाला थांगखा चित्र दर्शाया गया , तिब्बती लामा बौद्ध धर्म के हज़ारों अनुयायियों व पर्यटकों ने इसे देखा ।
20 तारीख की सुबह आठ बजे जब भामकाय बुद्ध थांगखा चित्र धीरे धीरे खुल रहा था , तो शंघों की भारी आवाज चारों तरफ एकदम गूंज उठी और भीड़ों ने जयजयकार करते हुए बेशुमार हाता बुद्ध मूति को भेंट किये । मौके पर सब लोग इसी असाधार वक्त से अत्यंत प्रभावित हुए हैं । चच्यांग प्रांत की राजधानी हांगचो से आयी पर्यटक सुश्री चङ चेह ने अपना अनुभव बताते हुए कहा:
"यह रस्म बहुत गम्भीर व भव्यदार लगती है । इतने ज्यादा लोगों और इतने विशाल बुद्ध थांगखा चित्र को देखकर सचमुच बड़ा आश्चर्य हुआ । मन में लगा कि मुझे जल्दी आना चाहिये था , बाद में मैं जरूर एक बार फिर यहां आऊंगी ।"
द्रेपुंग मठ में बुद्ध थांगखा चित्र प्रदर्शित गतिविधि शुरु होने के चलते सात दिवसीय वर्ष 2009 ल्हासा श्वेतुन उत्सव की खुशियां भी औपचारिक रूप से मनायी जाने लगीं । पता चला है कि श्वेतुन उत्सव का इतिहास बहुत पुराना है,इस्वी 11 वीं शताब्दी के आसपास यह त्योहार मनाया जाने लगा । तिब्बती भाषा में"श्वे"का मतलब है"दही"और"तुन"का मतलब है"खाना"। इस तरह"श्वेतुन"का अर्थ है"दही खाना"। जाहिर है कि श्वेतुन त्यौहार दही खाने के उत्सव के रूप में मनाया जाता है। श्वेतुन उत्सव मनाने वाले पारम्परिक विषयों में बुद्ध चित्र के दर्शन , मिलन समारोह और तिब्बती औपराओं की प्रस्तुति व नृत्य गान जैसे मनोरंजक कार्यक्रम शामिल हैं । किन्तु कालांतर में श्वेतुन त्योहार के विषयों में काफी परिवर्तन आया और दही खाने की जगह मुख्य तौर पर तिब्बती ऑपेराओं ने ले ली, इसीसिए इस त्यौहार को तिब्बती ऑपेरा त्यौहार भी कहा जाता है ।
इधर के वर्षों में तिब्बत में खुले द्वार नीति लागू किये जाने के चलते श्वेतुन त्यौहार देशी विदेशी पर्यटकों को आकृष्ट करने वाला महत्वपूर्ण मंच बन गया । आज का श्वेतुन त्यौहार सांस्कृतिक व कलात्मक अभिनय व प्रदर्शनी, आर्थिक व व्यापारिक मेला, पर्यटन व मनोरंजक कार्यक्रमों से रंजित हो गया है ।
ल्हासा के पर्यटन ब्यूरो के प्रधान श्री ग्यांकर ने जानकारी देते हुए कहा कि अगस्त माह शहर का सब से सुनहरा मौसम है । श्वेतुन त्यौहार ठीक इसी वक्त पर मनाया जा रहा है । हर वर्ष के इसी वक्त पर ल्हासा विश्व के विभिन्न स्थलों से आने वाले पर्यटकों को आकर्षण का केंद्र रहा है । उन्होंने कहा:
"श्वेतुन त्यौहार अगस्त माह में मनाया जाता है । यह ल्हासा का सब से सुन्हरा मौसम है । हर वर्ष हम श्वेतुन उत्सव का फायदा उठाकर पर्यटन को लोकप्रिय बनाने की कोशिश करते हैं । अनुमान के अनुसार चालू वर्ष ल्हासा 27 लाख 40 हज़ार पर्यटकों का सत्कार करेगा, जो वर्ष 2007 के स्तर तक पहुंचेगा । पर्यटन आय 2 अरब 80 करोड़ य्वान प्राप्त होगी ।"
चालू वर्ष के श्वेतुन त्योहार के दौरान परम्परागत बुद्ध थांग खा चित्र के दर्शन , तिब्बती ओपेरा अभिनय आयोजित किए जाने के अलावा ल्हासा पियर उत्सव, तांगश्योंग घुडदौड़ उत्सव शांगहाई विश्व मेले के शुभंकर और ल्हासा श्वेतुन त्योहार के शुभंकर की आदान प्रदान रस्म आदि श्रृंखलाबद्ध गतिविधियां आयोजित की जा रही हैं ।