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तिबब्ती लोक वाचक आनी की कहानी
2009-07-28 16:00:36

हज़ारों वर्षों से केसर तिब्बती जाति के दिलों में वीर के रूप में जीवित है । केसर संस्कृति का चीन में और विश्व में व्यापक तौर पर प्रसार किया जा रहा है । महाकाव्य《राजा केसर》को विश्व में सब से लम्बे महाकाव्य के रूप में चीन सरकार ने प्रथम राष्ट्र स्तरीय गैरभौतिक सांस्कृतिक अवशेषों की नामसूचि में शामिल किया है। महाकाव्य राजा केसर की कथा में पौराणिक कथा, लोक काव्य तथा लोककथा आदि विषय शामिल हैं । इस महाकाव्य में प्राचीन तिब्बत में दसियों स्थानीय राज्यों के बीच जटिल संबंधों व घमासान लड़ाइयों का वर्णन किया गया है, जिस से प्राचीन तिब्बती जाति का जीवन उजागर होता है । इस महाकाव्य से तिब्बती जाति के शांतिपूर्ण व सुखमय जीवन की खोज करने की अभिलाषा तथा तिब्बती और हान जाति व अन्य विभिन्न जातियों के बीच घनिष्ठ संपर्क भी जाहिर होता है ।

राजा केसर की कहानी आज तक व्यापक जनजीवन में एक लोक काव्य के रुप में मौखिक रुप से प्रचलित रही है, इस का श्रेय तिब्बती लोक वाचकों को जाता है । वे इधर उधर घूमते हुए केसर की कहानियों को तिब्बती बहुल क्षेत्रों में प्रसारित करते हैं । लम्बे अर्से से हर पीढ़ी दर पीढ़ी तिब्बती वाचकों ने राजा केसर की कहानी का प्रचार किया है और समय बीतने के साथ-साथ युगानुकूल इस में नए-नए विषय शामिल होते गए हैं । आज तक इस महाकाव्य का विस्तार जारी है ।

सूत्रों के अनुसार इन तिब्बती लोक वाचकों में एक प्रकार के वाचक को"भगवान दीक्षित कथा वाचक"कहा जाता है । वे आम तौर पर महाकाव्य के दसियों अंक गा सकते हैं, जिस में दस लाख से ज्यादा अक्षर होते हैं । ऐसा कहा जा सकता है कि हर तिब्बती वाचक एक ही महाकाव्य राजा केसर ही गाता है । महाकाव्य राजा केसर के गायन में सपने का विशेष अर्थ होता है । "भगवान दीक्षित कथा वाचक"कहते हैं कि उन्होंने अपनी बालवस्था में आश्चर्यजनक सपना देखा था। सपना देखने के बाद वे बिना पढ़े राजा केसर महाकाव्य गा सकते हैं । चीन के स्छ्वान प्रांत के कानची तिब्बती प्रिफैक्चर की दहगी कांउटी में एक मशहूर तिब्बती लोक वाचक हैं । उन का नाम है आनी, कहते हैं कि वे राजा केसर महाकाव्य के पचास से ज्यादा अंक गा सकते है । आनी ने कहा :

"मैं 15 वर्ष की उम्र से ही महाकाव्य राजा केसर का प्रसार कार्य कर रहा हूँ । मैं लगातार कोशिश कर रहा हूँ और मेरी आशा है कि राजा केसर की कहानी का प्रसार-प्रचार करता रहूंगा ।"

वर्ष 1949 में तिब्बती कला वाचक आनी का जन्म दहगी कांउटी में हुआ । उन के मामा भी एक वाचक हैं । उन्होंने एक दिन सपने में राजा केसर को देखा था उन्होंने उसे बताया कि बड़ा होकर आनी एक वाचक बनेगा । 15 वर्ष की उम्र में आनी ने खुद एक सपना देखा, जिस में सफेद कपड़े पहने हुए सफेद घोड़े पर सवार एक व्यक्ति आनी के सामने आया और उस से पूछा कि क्या वह उन की कहानियां गाना चाहता है या नहीं । इस के दूसरे दिन यह व्यक्ति एक बार फिर आनी के सपने में आया । इस की चर्चा में आनी ने कहा :

"सपने में राजा केसर ने मुझे तीन काम करने को कहा । पहला अपने शारीरिक स्वास्थ्य की रक्षा करना, दूसरा अपनी आवाज़ की रक्षा करना और तीसरा उन की कहानी को लम्बे समय तक गाना ।"

उसी दिन से आनी ने महाकाव्य राजा केसर गाने और उस का प्रसार करने को अपनी जिन्दगी का मिशन बना लिया । इस के बाद आनी कभी कभार राजा केसर को अपने सपने में देखते हैं । वे केसर की तीस से ज्यादा कहानियां गा कर विस्तार से सुना सकते हैं । उन के अनुसार उन्हें ये सब सपने में मालूम हुई हैं ।

चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश और अन्य तिब्बती बहुल क्षेत्रों में अनेक लोक वाचकों के आनी की तरह अपने-अपने आश्चर्यजनक अनुभव हैं । उन में से कई लोग चरागाह में पशु चराते समय जब आराम करने के लिए सोए सपना देखा, और सपने में ही राजा केसर की कहानी याद हो गई । इन लोक वाचकों की समान विशेषता है कि वे अनपढ़ होने के बावजूद बहुत बुद्धिमान हैं । तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के सामाजिक विज्ञान अकादमी के जाति अनुसंधान केंद्र के उप निदेशक श्री त्सेरिन फिंगत्सो ने जानकारी देते हुए कहा:

"तिब्बती लोक वाचक आम तौर पर गरीब किसान व चरवाहे परिवार से आते हैं । नए चीन की स्थापना के पूर्व उन में से कुछ लोक गायन कर के जीवन बिताते थे और इधर-उधर आवारा घूमा करते थे । उन का सामाजिक स्थान बहुत नीचा था । विशाल घास मैदान में वे घूमंतु जीवन बिताते हुए गायन का काम करते थे । इस प्रकार के वाचक प्राचीन यूनान में होमर महाकाव्य गाने वाले वाचकों के समान हैं । वे आम तौर पर बौद्ध धर्म के अनुयायियों के साथ चलते हैं और एक दूसरे की मदद करते हैं । इस तरह वाचकों की रचनाओं के और ज्यादा स्रोत पैदा हो जाते हैं।"

इस लेख का दूसरा भाग अगली बार प्रस्तुत होगा, कृप्या इसे पढ़े। (श्याओ थांग)

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