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तीर्थ पर्वत के पर्यटन से तिब्बती लोगों का जीवन बदल गया
2009-07-27 14:53:14

दक्षिण पश्चिमी चीन के युन्नान प्रांत के दीछिंग तिब्बती प्रिफैक्चर स्थित मेली बर्फीला पहाड़ इस प्रांत का सब से ऊंचा पर्वत है, यह तिब्बती लोगों के तीर्थ पर्वतों में से भी एक है । मेली बर्फीले पहाड़ के सुन्दर प्राकृतिक दृश्य, आधुनिक हिम नदी की श्रृंखला, प्रचुर तिब्बती जातीय संस्कृति देशी विदेशी पर्यटकों को आकृष्ट करते हैं । इधर के वर्षों में पर्यटन व्यवसाय के तेज़ विकास से पीढ़ी दर पीढ़ी मेली बर्फिले पहाड़ की तलहटी क्षेत्र में रहने वाले तिब्बती बंधुओं को काफी आर्थिक लाभ पहुंचा है और उन का जीवन बड़ी हद तक उन्नत हुआ है।

57 वर्षीय तिब्बती तोड न्यिमा ने अपनी पत्नि के साथ मेली बर्फीले पहाड़ की तलहटी स्थित राजकुमार मंदिर के पास एक छोटा सा रेस्तरां खोला है । तोड न्यिमा घी और जौ की रोटी बनाता है और पत्नी ग्राहकों का सत्कार करती है । तिब्बती बंधु तोड न्यिमा ने जानकारी देते हुए कहा कि पिछले वर्ष के अक्तूबर में राष्ट्रीय दिवस की सात दिवसीय छुट्टियों के दौरान रेस्तरां में आने वाले पर्यटकों की संख्या हर दिन लगभग 120 थी । इस महीने रेस्तरां की आय करीब पांच हज़ार य्वान हुई ।रेस्तरां के प्रबंधन के अलावा तोड न्यिमा ने मेली पहाड़ के नीचे एक छोटा तिब्बती शैली का होटल भी खोला है, उस के बेटा-बेटी मेली बर्फिले पहाड़ की यात्रा करने आए पर्यटकों की सेवा करते हैं । बूढ़े ने कहा कि पर्यटन का विकास होने से पूर्व गांव के सभी पुरूष काम करने और दूसरों के लिए मकान बनाने का काम करने के लिए बाहर जाकर पैसे कमाते थे । लेकिन हर दिन सिर्फ़ कुछ य्वान की आय ही होती थी । लेकिन मेली बर्फीले पहाड़ क्षेत्र में पर्यटन व्यवसाय के विकास के चलते बाहर जाने वाले लोग घर वापस आ गए और पर्यटन सेवा करने लगे । अब उन की आय बड़ी हद तक बढ़ गई है । तोड न्यिमा के घर में सात व्यक्ति हैं, अब सब पर्यटन व्यवसाय करते हैं । एक साल में वे चालीस हज़ार य्वान से ज्यादा कमा लेते हैं । पहले इस प्रकार के जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी । तोड न्यिमा ने कहा:

"पर्यटन का विकास होने के बाद हमारे गांव में कोई भी व्यक्ति काम के लिए बाहर नहीं जाता । यहां तक कि कुछ परिवारों में दिहाड़ी मज़दूर बुलाने पड़ते हैं । अब महारे मिनयोंग गांव के हर परिवार में इलेक्ट्रोनिक उपकरण टी.वी, फ्रिज़ और खाना पकाने वाली मशीन सब हैं । पहले खेती का काम करते समय हम नीलगाय का प्रयोग करते थे । लेकिन हम सब ट्रैक्टर का इस्तेमाल करते हैं । अपने ट्रैक्टर का ।"

दस साल पूर्व की तुलना में मेली बर्फीले पहाड़ की तलहटी में बसे मिनयोंग गांव में भारी परिवर्तन आया है । संपूर्ण पर्यटन सत्कार संस्थापन से यहां आने वाले पर्यटकों को सुविधा मिली है । दसियों वर्षों तक पर्यटन गाईड का काम करने वाले श्री हो चीच्येन ने यहां के परिवर्तन को खूब देखा है । उन्होंने कहा:

"एक ही वाक्य में कहा जाए, तो यहां भारी परिवर्तन हुआ है । गत शताब्दी के नब्बे वाले दशक में मैं पहली बार यहां आया था, यहां पर्यटन से संबंधित संस्थापन व प्राकृतिक दृश्यों के विकास में पिछाड़ापन था । लेकिन आज यहां आकर मुझे बड़ा परिवर्तन महसूस हुआ है। यहां रहने का होटल, खानपान और पर्यटन क्षेत्र का निर्माण संपूर्ण हो गया है।"

दोस्तो, मेली बर्फीला पहाड़ बहुत शानदार और रहस्यमय है, जिस का प्रमुख पर्वत कावाबोगे है । तिब्बती भाषा में"कावाबोगे"का मतलब"सफेद बर्फीला पर्वत"है । इस पर्वत की ऊंचाई समुद्र तल से 6740 मीटर है, लेकिन इस पर्वत पर आज तक कोई व्यक्ति नहीं चढ़ सका । कावाबोगे पर्वत तिब्बती बौद्ध धर्म के आठ तीर्थ पर्वतों में प्रथम स्थान पर है, जिसे तिब्बती बंधुओं के दिल में अपने आप का संरक्षण करने वाला देव पर्वत माना जाता है । तिब्बती बौद्ध धर्म के अनुयायी कावाबोगे पर्वत की पूजा करने के लिए विभिन्न स्थलों से यहां आते हैं ।

मेली बर्फीले पहाड़ के बारे में अनगिनत सुन्दर कहानियां मौजूद हैं । कहते हैं कि भीतरी इलाके के थांग राजवंश यानि तिब्बत के राजा सोगजान कानबू के काल में कावाबोगे स्थानीय दानव पर्वत था । आठवीं शताब्दी में तिब्बती बौद्ध धर्म के तंत्र संप्रदाय के संस्थापक गुरू पद्मसंभव को तिब्बत में प्रथम तिब्बती बौद्ध धार्मिक मठ सांये मठ की स्थापना के लिए आठ किस्मों वाली मुश्किलों को दूर करना पड़ा । उन्होंने कावाबोगे पर्वत दानव को हरा दिया । इस के बाद कावाबोगे बुरे देव से अच्छे देव में परिवर्तित हो कर तिब्बती बौद्ध धर्म की रक्षा करने वाले देवों में से एक बन गया और वह तिब्बती बौद्ध धर्म के आठ तीर्थ पर्वतों में प्रथम स्थान पर है और दूसरे तीर्थ पर्वतों का नेतृत्व कर प्रकृति के सामंजस्य और अमनचैन की रक्षा करता है । कावाबोगे पर्वत से हिमनदी निकलती है, जो एक जेड ड्रैगन की तरह मेली बर्फीले पहाड़ को घेरती है, देखने में बहुत आलिशान लगती है । कावाबोगे पर्वत की घाटी में छू तङगोंग मठ और कुन मातिंग मठ स्थित हैं, जहां तिब्बती बौद्ध धर्म के अनुयायी आकर पूजा करते हैं । हर वर्ष शरत के अंत और सर्दियों के शुरू में बड़ी तादाद में तिब्बती बौद्ध धर्म के अनुयायी तिब्बत स्वायत्त प्रदेश, स्छवान, युन्नान, छिंगहाई और कानसू आदि प्रांतों से हज़ारों किलोमीटर दूर से आ कर यहां पूजा करते हैं ।

अमरीकी पर्यटक बर्क कार्ल पति-पत्नि प्रथम बार मेली बर्फीले पहाड़ आए हैं । उन्होंने कहा कि यहां के प्राकृतिक दृश्य बहुत सुन्दर हैं और वे स्थानीय परम्परागत तिब्बती संस्कृति से आकृष्ट हुए हैं । उन का कहना है कि तिब्बती बंधु बहुत सीधे सादे और उत्साहपूर्ण हैं । पति बर्क ने भावविभोर होकर कहा कि मेली बर्फीला पहाड़ इतना आलिशान है कि भाषा में इस की तारीफ नहीं की जा सकती । यहां आकर लगता है कि लोग परि कथा जगत में आ गए

हों । उधर पत्नि कार्ल तिब्बती गाईड की प्रशंसक है । कार्ल पति-पत्नि ने कहा:

पति:"यहां बहुत सुन्दर है, बर्फीले पहाड़ का दृश्य बहुत आश्चर्यजनक है और मुझे बहुत अच्छा लगता है ।"

पत्नि:"सौभाग्य की बात है कि हमें एक तिब्बती गाईड मिल गया । उन्होंने तिब्बती बंधुओं को इस बर्फीले पहाड़ का महत्व बताया । इस के साथ ही हम ने उस के गांव तथा उस के घर का दौरा किया । वहां रहने वाले तिब्बती लोग बहुत सीधे सादे हैं ।"

हर वर्ष कार्ल पति-पत्नि की तरह हज़ारों विदेशी पर्यटक मेली बर्फीले पहाड़ की यात्रा करने आते हैं, और देश के अन्य स्थलों से आए यात्रियों की संख्या बहुत है । आंकड़ों के अनुसार गत वर्ष मिनयोंग गांव वासियों ने पर्यटकों की सेवा करके पचास लाख य्वान की आय प्राप्त की, जबकि हिमनदी प्रवेश करने वाली जगह की टिकट की बिक्री से हुई आय 28 लाख 50 हज़ार य्वान थी, जो इतिहास में एक रिकार्ड है । पर्यटन उद्योग से प्राप्त आय से मेली बर्फीले पहाड़ के आसपास रहने वाले तिब्बती बंधुओं ने पिछड़ेपन से छुटकारा पाया है। देहछिंग कार्टी के पर्यटन ब्यूरो के प्रधान श्री आतङ ने जानकारी देते हुए कहा कि पर्यटन उद्योग से यहां के तिब्बती बंधु अमीर हो गए हैं। वर्ष 1998 तक, मिनयोंग गांव कांउटी में एक विशेष गरीब गांव था । लेकिन दस से ज्यादा सालों के पर्यटन उद्योग के विकास से वह कांउटी में सब से अमीर गांवों में से एक बन गया है, गांव वासियों की औसतन सालाना आय अब करीब आठ हज़ार य्वान है ।

श्री आतङ ने कहा कि अमीर हो रहे तिब्बती बंधु जीवन के और ऊंचे स्तर तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं । सरकार के नेतृत्व में सभी तिब्बती परिवारों में मैथन गैस और सौर ऊर्जा का प्रयोग होने लगा है। श्री आतङ ने कहा:

"मेली बर्फीले पहाड़ के पास के गांवों में मैथन गैस के प्रयोग के अनुकूल वाले गांवों में इस प्रकार की ऊर्जा का प्रयोग शुरू हुआ है । स्थानीय सरकार इस का नेतृत्व कर सामग्री, उपकरण और आंशिक धन राशि प्रदान करती है और गांव वासी अपने आप इस का निर्माण करते हैं । समुद्र तल से 2500 मीटर के नीचे सौर ऊर्जा का अच्छी तरह प्रयोग किया जा सकता है । इस तरह देहछिंग कांउटी के 90 प्रतिशत गांवों में सौर ऊर्जा का इस्तेमाल किया जा रहा है । यहां तक कि अनेक गांवों में मैथन गैस और सौर ऊर्जा दोनों का प्रयोग किया जाता है ।"

मेली बर्फीले पहाड़ के आसपास बसे तिब्बती लोगों को मालूम है कि यहां के सुन्दर प्राकृतिक दृश्यों से अनगिनत देशी विदेशी पर्यटक आकृष्ट होते हैं, पर्यटन उद्योग से उन की आय बढ़ेगी । इस तरह मेली बर्फीले पहाड़ के सौंदर्य को सुरक्षित रखने से उन का चिरस्थाई सुख जीवन बरकरार रहेगा।

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