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चीनी प्रसिद्ध लेखक सू शूयांग और उन का नयी पुस्तक《तिब्बत के बारे में》
2009-07-21 15:57:00

तीन साल की मेहनत के बाद चीनी प्रसिद्ध लेखक सू शूयांग ने 《तिब्बत के बारे में》नामक पुस्तक समाप्त की । कुछ दिन पहले यह पुस्तक प्रकाशित हुई है और पाठकों ने इसे बहुत सराहा है ।

71 वर्षीय सू शूयांग को बचपन से ही साहित्य पसंद था और जब वे दस वर्ष के हुए उन्होंने लेख लिखना और प्रकाशित करना शुरू कर दिया था । अतीत में उन्होंने अनेक श्रेष्ठ उपन्यास, नाटक, कविताएं, गद्य और टिप्पणियां लिखी हैं। उन की रचनाओं को विभिन्न राष्ट्र स्तरीय पुरस्कार मिले हैं । 2007 में उन्हें"विशेष योगदान देने वाले राष्ट्रीय नाटक कलाकार"के नाम से सम्मानित किया गया ।

《तिब्बत के बारे में》पुस्तक लिखने से पहले श्री सू शूयांग ने चीनी《चीन के बारे में》नामक पुस्तक लिखी, जो देश में बहुत लोकप्रिय है और इस की एक करोड़ से अधिक कृतियां बिकी हैं ।यह पुस्तक क्रमशः अंग्रेजी, जर्मन और रूसी भाषा में प्रकाशित हुई और देश विदेश के पाठकों ने इस का स्वागत किया है । यह पुस्तक दुनिया के लिए चीन के बारे में जानकारी प्राप्त करने का एक तरीका बन गया है। वर्ष 2006 में फ्रांस के फ्रैंकफर्ट शहर में आयोजित पुस्तक मेले में विदेशी दोस्तों ने श्री सू शूयांग को तिब्बत के बारे में एक पुस्तक लिखने का सुझाव दिया, ताकि पाठकों को तिब्बत के इतिहास व संस्कृति की ज्यादा जानकारी हासिल मिल सके ।

वास्तव में《तिब्बत के बारे में》पुस्तक लिखना श्री सू शूयांग के लिए आसान बात नहीं है । गत शताब्दी के नब्बे वाले दशक में स्वास्थ्य खराब होने और एक गुरदा तथा आंशिक फेफड़ा काटने के बाद उन का रेडियोथेरेपी इलाज चलता रहा । इस कारण श्री सू शूयांग《तिब्बत के बारे में》लिखने के लिए खुद तिब्बत की यात्रा के लिए नहीं जा सके । यह उन के लिए खेद की बात है । इस के साथ ही स्वास्थ्य अच्छा नहीं होने के कारण पुस्तक लिखने के दौरान उन्हें बहुत कठिनाई पेश आई । इस तरह उन्होंने पुस्तक लिखने को चुमुलांमा चोटी पर चढ़ने के समान कहा ।

लेखक सू शूयांग ने कहा कि पुस्तक लिखने के दौरान तिब्बती धर्म का अनुसंधान और भाषा उन के लिए सब से बड़ी मुश्किल है । इस की चर्चा में उन्होंने कहा:

"《तिब्बत के बारे में》पुस्तक लिखने के दौरान सब से बड़ी मुश्किल यही आई कि मुझे तिब्बती भाषा नहीं आती । इस तरह आम तौर पर मैं ने अनुवादित रचनाएं देखीं । पुस्तक लिखने के वक्त मैंने अनुवादित रचनाओं के अनुसार सामग्री का प्रयोग किया । मैं ने खुद तिब्बत की यात्रा नहीं की, इस तरह मेरे पास तिब्बत के बारे में भावुक जानकारी नहीं है । इस कमी को दूर करने के लिए मैं ने तिब्बत के बारे में अनेक फिल्में व टी.वी. कार्यक्रम देखे और तिब्बत के बारे में लगी प्रदर्शनी भी देखी । इस तरह मैंने तिब्बत की जानकारी हासिल की ।"

पुस्तक लिखने के लिए श्री सू शूयांग ने 200 से ज्यादा किताबों और 50 से अधिक फिल्में व टी.वी.कार्यक्रम देखे । पुस्तक में उन्होंने चीनी इतिहास से संबंधित सामग्री और पश्चिमी विद्वानों के विचारों का भी प्रयोग किया है।

इतिहास को देखते हुए लेखक सू शूयांग ने कहा कि आज ल्हासा और छंगतु आदि क्षेत्रों में पता लगाए गयीं सांस्कृतिक वस्तुओं से जाहिर है कि तीन या चार हज़ार वर्ष पूर्व तिब्बत की संस्कृति आज की पीली नदी संस्कृति का एक भाग थी । लेखक सू शूयांग का विचार है कि प्राचीन समय से आज तक विकसित हो रही तिब्बती संस्कृति ने आस पड़ोस की संस्कृतियों से अनेक चीज़ें हासिल की हैं ।

तिब्बती बौद्ध धर्म की चर्चा में लेखक सू शूयांग ने कहा कि वास्तव में ईसा पूर्व से तत्कालीन थू पो यानी आज के तिब्बत में बोन धर्म का प्रवेश हुआ । यह किसी समय तिब्बत का प्रमुख स्थानीय धर्म था, जिस के अनुसार लोग स्वर्ग, जमीन, वनों में जादूगर और प्राकृतिक वस्तुओं में विश्वास करते थे । इसा बाद सातवीं शताब्दी में यानी भीतरी इलाके में प्रचलित बौद्ध धर्म की दलीलों, सूत्र आदि ने थांग राजवंश की राजकुमारी वनछंङ के जरिए तिब्बत में प्रवेश किया । इस की चर्चा में लेखक सू शूयांग ने कहा:

"तिब्बती बौद्ध धर्म में हान जाति के बौद्ध धर्म के शास्त्र शामिल हैं, लेकिन इस के आधार पर उस में दूसरी चीज़ें भी शामिल हुईं, जिस से तिब्बती बौद्ध धर्म की विशेषताएं सामने आईं ।मेरा विचार है कि हान जाति का बौद्ध धर्म, भारतीय बौद्ध धर्म और बोन धर्म के बिना आज का तिब्बती बौद्ध धर्म पैदा नहीं हो सकता था"

लेखक सू शूयांग का विचार है कि बहुपक्ष तिब्बती संस्कृति की विशेषता है । उन्होंने अपनी विचारधारा को अपने पुस्तक में शामिल किया है ।《तिब्बत के बारे में》पुस्तक में उन्होंने लिखा है कि छिन राजवंश हान राजवंश से थांग राजवंश तक भीतरी इलाके के हान जाती के लोग पश्चिमी भाग के तिब्बती लोगों की तरह समान बोली का प्रयोग करते थे, सिर्फ़ अक्षर समान नहीं थे। भीतरी इलाके में हान अक्षर लिखा जाता था, जबकि तिब्बती लोग भारतीय अक्षरों के आधार पर तिब्बती अक्षर का इस्तेमाल करते थे । यह बड़ी दिलचस्प बात है ।

लेखक सू शूयांग ने बड़ी भावना के साथ यह पुस्तक《तिब्बत के बारे में》लिखी है । उन्होंने कहा कि सपने में वे कभी-कभी तिब्बती जाति के धार्मिक विश्वास से प्रभावित हो कर रोए हैं । उन्होंने कहा कि वे पश्चिमी लोगों की तिब्बती शास्त्र के प्रति बड़ी रूचि को समझ सकते हैं । तिब्बत में अनेक चीज़ें मानव जाति की विशेषताएं दिखाई पड़ती हैं । क्योंकि गंभीर व कठोर प्राकृतिक स्थिति में मानव जाति का स्वभाव दिखता है, जिस की समझ आधुनिक व्यक्ति को नहीं हो सकती । लेकिन वास्तव में वह मानव जाति का सब से बुनियादी स्वभाव है । मसलन तिब्बती लोगों का सांष्टांग प्रणाम करना । अगर उन के पास मज़बूत विचारधारा नहीं होती, तो उन्हें इस पर डटा रहीं रह सकते थे ।

《तिब्बत के बारे में》पुस्तक में लेखक सू शूयांग ने सर्वतौमुखी तौर पर वस्तुगत रूप से तिब्बत के इतिहास, भूगोल, धर्म और कला आदि क्षेत्रों का स्रोत, विकास एवं वर्तमान स्थिति से अवगत कराया है, जिस से देशी विदेशी पाठकों को तिब्बत की समझ और तिब्बत की जानकारी पाने का मौका मिला है । अपनी पुस्तक《तिब्बत के बारे में》का आकलन करते हुए लेखक सू शूयांग ने कहा:

"यह एक साहित्यिक रचना है, इस तरह पाठकों को इस में रूचि है । जिंदगी भर पुस्तक लिखने के मेरे इतिहास में यह एक छोटी उपलब्धि है । पुस्तक लिखने के बाद मेरे दो उद्देश्य प्राप्त हो गए। पहला मैं ने इतिहास को जीवित चित्र बना दिया, इसे पढ़ने के बाद पाठकों को तिब्बत सवाल के स्रोत मालूम हो सकते हैं । दूसरा मैं इसे एक साहित्यिक पुस्तक बनाना चाहता हूँ। जिसे मेज़ पर रखा जा सकता है, अगर पाठकों को समय मिले, तो इसे अक्सर पढ़ सकते हैं ।"

लेखक सू शूयांग ने अपनी《तिब्बत के बारे में》पुस्तक की प्रस्तावना में लिखा है कि यह पुस्तक तिब्बत का इतिहास नहीं है, न ही आश्चर्यजनक घटनाओं के बारे में या रीति रिवाज़ों की दलीलें हैं । यह तिब्बत के बारे में आजकल के लोगों की शंकाओं की खोज है, जिस में मेरी समझ व विचारधारा शामिल है , पुस्तक में गहन रूप से विचार विमर्श और सरल समझाने की बातें भी हैं । यह पुस्तक सदिच्छापूर्ण है, जिस में तिब्बती बंधुओं के प्रति भाई चारे की भावना है और तिब्बत के और उज्ज्वल भविष्य की आशा भी शामिल है।

शायद यह भावना लेखक सू शूयांग के लिए चुमुलांमा की चोटी पर चढ़ने के बराबर बिमारियों को, दूख को दूर करने और《तिब्बत के बारे में》पुस्तक लिखने की प्रेरक शक्ति है ।

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