चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के अधिकांश लोग धार्मिक हैं । बौद्ध धर्म के अलावा, तिब्बत में इस्लाम धर्म व कैथोलिक के अनुयायी भी हैं।
हर वर्ष सर्दियों में तिब्बत की राजधानी ल्हासा से तीस किलोमीटर दूर स्थित छ्वू श्वेइ कांउटी नामू जिले के च्यांग छुन गांव के च्यांगसी मठ में धार्मिक सभा आयोजित की जाती है । यह समय ल्हासा शहर की नागरिक दादी त्सेरिंग द्रोल्कर के लिए बहुत व्यस्तता वाला समय होता है ।
च्यांगसी मठ की धार्मिक सभा का आरंभ तिब्बती बौद्ध धर्म के गेलुग संप्रदाय के संस्थापक त्सोंगखापा ने किया। इस सभा का मकसद बौद्ध धर्म का विस्तार करना और मानव जाति को लाभ पहुंचाना है । इस मठ की प्रबंधन समिति के प्रधान श्री न्गावांग ज़ाबा ने जानकारी देते हुए कहा:
"हमारे मठ की यह धार्मिक सभा बहुत महत्वपूर्ण है । इस के कई कारण हैं । सर्व प्रथम इसे गेलुग संप्रदाय के संस्थापक त्सोंगखापा ने शुरु किया है। दूसरा, च्यांगसी मठ की धार्मिक सभा में सूत्र विवाद के जरिए तिब्बती बौद्ध धर्म के युवा भिक्षु बौद्ध धर्म की उच्चतम उपाधि यानि गेशी लारांगबा से जुड़ी परीक्षा पास करने की हैसियत प्राप्त कर सकते हैं । हमारे मठ में इस वर्ष की धार्मिक सभा का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया ।द्रेपुंग मठ, सेरा मठ, गानतान मठ, जोखान मठ और हमारे यहां के रेत्वे मठ के भिक्षुओं ने भी इस में भाग लिया।"
तिब्बती बौद्ध धर्म के भिक्षुओं के लिए च्यांगसी मठ की धार्मिक सभा गेसीलारांगबा उपाधि पाने का आधार है, इस तरह उन के लिए यह सभा अत्यंत महत्वपूर्ण है । साथ ही व्यापक तिब्बती बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए भी यह सभा उन के धार्मिक जीवन का एक महत्वपूर्ण भाग है । चाहे पुरूष हो या महिला, बूढा हो या छोटा, चाहे कोई दूर रहने वाला हो या करीब रहने वाला, वे सब च्यांगसी मठ में आकर सभा में भाग लेते हैं । अनुयायियों के दिल में सूत्र विवाद करने वाले भिक्षुओं को दान देना और सभा में प्रार्थना करना बहुत सौभाग्य की बात है ।
च्यांगसी मठ की धार्मिक सभा खेतीबाड़ी के अवकाश के समय होती है। इस तरह यहां आने वाले अनुयायियों की संख्या अनगिनत है । सर्दियों के मौसम में ठंड भी अनुयायियों को सभा में आने से नहीं रोक सकती ।63 वर्ष की तिब्बती दादी त्सेरिंग द्रोल्कर हर वर्ष सभा में भाग लेने के लिए च्यांगसी मठ आती हैं । इस वर्ष की सभा में उस ने हर भिक्षु के लिए दान तैयार किया है । दादी ने कहा:
"तिब्बती बौद्ध धर्म की अनेक धार्मिक गतिविधियां हैं, जिन में च्यांगसी मठ की शीत धार्मिक सभा सब से महत्वपूर्ण धार्मिक गतिविधियों में से एक है । अगर सभा आयोजित होती है, तो मैं जरूर इस में भाग लेने के लिए आती हूँ । एक तिब्बती बौद्ध धर्म के अनुयायी के लिए भिक्षुओं के साथ जन कल्याण के लिए प्रार्थना करना सब से महत्वपूर्ण धार्मिक गतिविधि है ।"
तिब्बती दादी त्सेरिंग द्रोल्कर तिब्बत की राजधानी ल्हासा में रहती हैं। उस का घर ज्यादा बड़ा नहीं है, लेकिन घर के सब से बड़े कमरे को उस ने सूत्र भवन बनाया है। तिब्बती शैली वाली सजावट में दीवार के सामने लकड़ी का एक तख्ता है, जहां बुद्ध मुर्ति रखी हुई है । दादी ने हमारे संवाददाता को बताया कि हर दिन सुबह उठने के बाद प्रथम कार्य सूत्र भवन में जाकर बुद्ध मूर्ती के सामने रखे हुए कपों में स्वच्छ पानी भरना है । दादी ने कहा वह बौद्ध धर्म की दलील के अनुसार दूध व पेय जल के बजाए पानी भरती है । दादी त्सेरिंग द्रोल्कर ने कहा:
"हम तिब्बती बौद्ध धर्म पर पक्का विश्वास करते हैं । हम न सिर्फ़ अपने लिए प्रार्थना करते हैं, बल्कि मानव जाति के लिए भी प्रार्थना करते हैं । बुद्ध की पूजा करने के लिए हम कई कप स्वच्छ पानी रखते हैं । हम अनुयायियों के दिल में बुद्ध रहते हैं, कुछ कप स्वच्छ पानी से बुद्ध की पूजा करना हमारे लिए बोझ नहीं है । तिब्बत में हर एक घर में यदि वह बौद्ध धर्म का अनुयायी है, तो घर में चाहे बड़ा हो या छोटा, सूत्र भवन जरुर होता है ।"
बुद्ध की पूजा करने के बाद दादी त्सेरिंग द्रोल्कर सूत्र भवन से बाहर आकर घर के दूसरे कार्य करती है। लेकिन कुछ समय बाद वह एक बार सूत्र भवन जाती है और सूत्र पढ़ना शुरू करती है । हर दिन रात को दादी बुद्ध मूर्ति के तख्ते के सामने बीस मिनट तक सांष्टांग प्रणाम करती है । दादी के अनुसार यह दिल को स्वच्छ बनाने और बौद्ध धार्मिक दलील को समझने के लिए मददगार है । तिब्बती दादी त्सेरिंग द्रोल्कर ने कहा कि उन्हें खुशी है कि चीन सरकार की धार्मिक नीति बहुत अच्छी है, नागरिकों को धार्मिक विश्वास की स्वतंत्रता है व उन के इस अधिकार का संरक्षण किया जाता है । यह बहुत अच्छी बात है ।
तिब्बत में《जातीय क्षेत्रीय स्वशासन कानून》का कार्यान्वयन किए जाने के पिछले 20 से ज्यादा सालों में तिब्बती जाति की भाषा का प्रयोग, जातीय सांस्कृतिक विरासतों का संरक्षण व विकास, जातीय धार्मिक विश्वास की स्वतंत्रता व अधिकार की अच्छी तरह गारंटी की गई है । तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की जन प्रतिनिधि सभा के उप महासचिव श्री फांग पोयोंग ने राजनीतिक कार्यों में तिब्बती धार्मिक जगतों के व्यक्तियों की भागीदारी की चर्चा में कहा:
"वर्तमान में तिब्बत में विभिन्न प्रकार की धार्मिक गतिविधियों के 1700 से ज्यादा स्थल हैं । भिक्षुओं व भिक्षुणियों की संख्या 46 हज़ार से अधिक है । तिब्बती भिक्षु व भिक्षुणियां देश के आम नागरिकों के रूप में न सिर्फ़ धार्मिक विश्वास की स्वतंत्रता का उपभोग करते हैं, बल्कि संविधान में निर्धारित राजनीतिक अधिकारों का उपभोग भी करते हैं । उन के पास कानून के अनुसार चुनाव करने और चुने जाने का अधिकार है । तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के नौवीं जन प्रतिनिधि सभा के प्रतिनिधियों में 11 धार्मिक व्यक्ति हैं ।"
आज, तिब्बत स्वायत्त प्रदेश और अन्य तिब्बती बहुल क्षेत्रों में धार्मिक गतिविधियों में भाग लेने वाले अनुयायी इधर-उधर देखे जा सकते हैं । हर जगह सूत्र झंडा फहराता है और बौद्ध सूत्र उत्कीर्ण पत्थरों के टीले दिखाई पड़ते हैं । तिब्बती लोगों के पास धार्मिक गतिविधियों में भागीदारी की पूर्ण स्वतंत्रता है । तिब्बती बौद्ध धर्म के अनुयायियों के घर में सूत्र भवन होता है या बुद्ध मूर्ति के तख्ती रखी जाती है । शादी के वक्त या जीवन के अंतिम संस्कार में तिब्बती लोग प्रार्थना करने के लिए आचार्य को बुलाते हैं । तिब्बत के हर परम्परागत धार्मिक त्योहार में लोग अपनी इच्छानुसार सूत्र चक्र घुमाते हैं, पूजा, सांष्टांग प्रणाम और दान करते हैं । हर साल पूजा करने के लिए ल्हासा जाने वाले तिब्बती लोगों की संख्या दस लाख से ज्यादा है।
हर दिन सुबह तिब्बत की राजधानी ल्हासा में तिब्बती बौद्ध धर्म के अनुयायी सूत्र चक्र घुमाने के लिए जोखान मठ और पोटाला महल आते हैं और वे बुद्ध मूर्ति के सामने दंडवत प्रणाम करते हैं और अपने हज़ारों वर्षों के धार्मिक विश्वास का पालन करते हैं ।