चंद्रिमाः यह चाइना रेडियो इन्टरनेशनल है। खुशी के साथ आज हम फिर मिलते हैं आप का पत्र मिला कार्यक्रम में। मैं हूं आप की दोस्त, चंद्रिमा।
विकासः और मैं हूं आप का दोस्त विकास। नमस्कार।
चंद्रिमाः विकास जी, सुना है कि अभी-अभी भारत में राखी का त्योहार मनाया गया। ठीक है न?
विकासः जी हां, इस वर्ष की 13 अगस्त को भारत का परंपरागत त्योहार रक्षा बंधन है। आजकल सभी भारतीय लोग इस दिवस की खुशी में मस्त हैं। पर आप कैसे जानती हैं यह दिवस?
चंद्रिमाः क्योंकि हमारे एक प्यारे श्रोता बिहार के द कोसमस क्लब के अध्यक्ष मुकेश कुमार ने हमें भेजे एक ई-मेल में यह दिवस बताया। और ई-मेल में उन्होंने रक्षा बंधन के बारे में बहुत जानकारियां भी दीं।
विकासः अच्छी बात है, अच्छी बात है। तो मुझे बताइये आपको क्या जानकारियां मिली हैं इस दिवस के बारे में।
चंद्रिमाः मैं जानती हूं कि रक्षा बंधन का त्यौहार भाई-बहन के अटूट रिश्ते का त्यौहार है। यह एक ऐसा दिन है जब भाई-बहन देश या विदेश के किसी भी कोने में क्यों ना हो साथ ही होते हैं। जो नहीं मिल पाते वो अपनों को प्यार भरी सौगात भेज देते हैं। विकास जी, भारत में साधारण जीवन में आप लोग इस त्योहार को कैसे मनाते हैं?
विकासः भारत में साधारण तौर पर राखी के दिन बहनें सुबह-सुबह नहा धोकर नये कपड़े पहनकर तैयार हो जाती हैं। भाई भी सुबह-सुबह नहा धोकर तैयार हो जाते हैं। उसके बाद बहन भाई के दाहिना हाथ में राखी बाँधती है। तथा भाई उसकी रक्षा करने की कमस खाता है तथा सौगात के तौर पर कुछ रूपये देता है।
चंद्रिमाः हालांकि राखी का त्योहार गुजर गया, पर हमारी शुभकामनाएं कभी देर नहीं होगी। आशा है हमारे सभी श्रोता चाहे आप बहन हैं या भाई, जिन्दगी भर खुश व सुरक्षित होंगे। तो रक्षा बंधन की खुशी में हम आज का कार्यक्रम शुरू करें।
विकासः ठीक है। अब देखिये आजकल कौन कौन श्रोताओं ने हमें पत्र भेजे हैं।
चंद्रिमाः मुबारकपुर आज़मगढ़, उत्तर प्रदेश के आलमी रेडियो लिस्नर्स कल्ब के अध्यक्ष मोहम्मद असलम प्रतिदिन हमें ई-मेल भेजते हैं, और हमारे कार्यक्रम सुनने के बाद अनुभव बताते हैं। अब हम उनके पत्रों में से कुछ चुनकर पढ़ेंगे।
विकासः ई-मेल में उन्होंने लिखा है कि साप्ताहिक कार्यक्रम आपकी पसंद शोर्ट वेव लिस्नर्स को बहुत ही आनंद मिलता है। हम बहुत ही चाव से सुनते हैं। आपकी पसंद प्रोग्राम बहुत ही अच्छा प्रोग्राम है। मैं और मेरे कल्ब के दोस्तों को बहुत चिलचस्प लगता है, कल्ब की ऑफ़िस में हमेशा गीत गुंजता है। चीन का तिब्बत भी श्रोताओं का एक पसंदीदा कार्यक्रम है। श्योथांग जी ने तिब्बत में हो रहे विकास से जुड़ी बहुत जानकारियां हमें दी। और कार्यक्रम में अनील, ललिता, विकास, हेमा सभी की आवाज़ भी मौजूद हैं। अंत में प्रसारित तिब्बती गीत बहुत ही पसंद आया। श्रोताओं के लिये इतना अच्छा कार्यक्रम तैयार करने के लिये सी.आर.आई. के हिन्दी विभाग के सभी सदस्यों को धन्यवाद देता हूं।
चंद्रिमाः मोहम्मद असलम जी, आप को भी बहुत बहुत धन्यवाद। आप हर दिन हमें ई-मेल भेजते हैं, और हमारे कार्यक्रम का समर्थन देते हैं। यह देखकर हम बहुत प्रभावित हैं। आशा है आप हमेशा इस तरह हमारा समर्थन देते रहेंगे।
विकासः चंद्रिमा जी, मेरे पास एक शिकायत पत्र है, जो जौहरी कोठी, समस्तीपुर, बिहार के इंटरनेशनल रेडियो लिस्नर्स कल्ब के अध्यक्ष पी.सी.गुप्ता ने भेजा।
चंद्रिमाः ओह, शिकायत पत्र, उन्होंने क्या लिखा है इस पत्र में?
विकासः इस पत्र में उन्होंने लिखा है कि चाइना रेडियो इन्टरनेशनल से जुड़े हुए श्रोता संघों एवं सदस्यों को आप के यहां से समय समय पर आकर्षक बहुमुल्य उपहार भेजा जाता है। परन्तु आज तक हमारे कल्ब को ऐसा कोई उपहार नहीं भेजा गया। क्या हम लोगों का क्लब उपेक्षित हो गया है, जिस के कारण ऐसा हो रहा है? यदि ऐसी बात नहीं है, तो कृप्या हमारे कल्ब को भी चाइना रेडियो इन्टरनेशनल का ऐसा यादगार की वस्तु प्रदान करें, जो आकर्षक होने के साथ साथ उपयोगी भी हो। आप लोगों के द्वारा भेजा गया बहुमुल्य उपहार हमारे कल्ब में चार चांद लगाएगा। आशा है आप हम लोगों को निराश नहीं करेंगे।
चंद्रिमाः गुप्ता जी, हम सभी श्रोताओं या सभी श्रोता कल्बों को समान रूप से व्यवहार करते हैं। उपेक्षा की बात बिल्कुल नहीं है। और हम भी समय समय पर आप के कल्ब को सामग्री भेजते हैं। पर अगर आप लोग हमारे यहां से भेजे गये उपहार मिलना चाहते हैं, तो आप लोग अवश्य ही सक्रिय रूप से हमें पत्र भेजते हैं, और हमारे द्वारा आयोजित प्रतियोगिताओं में भाग लें। आजकल हम चाइना रेडियो इन्टरनेशनल की स्थापना की 70वीं वर्षगांठ की प्रतियोगिता आयोजित कर रहे हैं। इस के अलावा हमारी वेबसाइट पर तिब्बत के बारे में एक ऑनलाइन खेल भी आयोजित हो रहा है। हर महिने में पांच विजेताओं को चुनकर हमारे यहां से उपहार भेजा जाता है। हम आप लोगों को इस में भाग लेने का हार्दिक स्वागत करते हैं।
विकासः जी हां। यह बात मैं हमारे प्यारे श्रोता देवन तनवीर करीम को भी कहना चाहता हूं। वह बंगलादेश के फ्रेन्डस रेडियो कल्ब के एक छोटे श्रोता है, जिसकी उम्र केवल 12 वर्ष है। हमें भेजे पत्र में उसने लिखा है कि वह परिवार का एकलौता बेटा है। अभी नयागाँव केंद्रीय विद्यालय की क्लास 4 में पढ़ रहा है। उस के कई अच्छे मित्र हैं, दिबोस, निलोय, लबिबाह, आसिफ, तारीक और शामीन। वह हमेशा अपने माता-पिता के साथ हमारे कार्यक्रम सुनते है। वह और उस के मित्र सी.आर.आई. से कुछ उपहार मिलने की बड़ी प्रतीक्षा में हैं।
चंद्रिमाः बहुत नन्हे श्रोता है। इतनी छोटी उम्र में साहस के साथ ई-मेल द्वारा हमें पत्र भेज सकते है, और अपनी इच्छा साफ़-साफ़ प्रकट कर सकते है। यह सचमुच एक प्रशंसनीय बात है। आपका ई-मेल पढ़कर हमें बहुत खुशी हुई। हम आपको जरूर एक छोटा उपहार भेजेंगे। ठीक है न?
विकासः पर अगर आप और आपके अच्छे दोस्त बड़े उपहार लेना चाहते हैं, तो सी.आर.आई. की प्रतियोगिता या ऑनलाइन खेल में भाग लें।
चंद्रिमाः श्रोता दोस्तो, हमारे मोनिटर राम कुमार नीरज जी ने हमें एक ई-मेल भेजा। इस में उन्होंने मोनिटर बनने के बाद कुछ अनुभव बताये। उन्होंने लिखा है कि अप्रैल से सी आर आई के मोनिटरिंग का काम संभालने के बाद से अबतक भारतीय श्रोता मित्रों का लगातार सहयोग और सुझाव जिस हिसाब से मिला है सच में मैंने इसकी अबतक कल्पना भी नहीं की थी। अबतक ५० से भी अधिक बधाई के एस एम एस और कॉल मुझे प्राप्त हुए है। श्रोता मित्रों से हो रहे लगातार बातचीत के आधार पर एक कड़वा सच भी निकल कर आया, जिसका तमाम भारतीय ग्रामीण श्रोता इस देश को झेल रहा है। भारत का एक तरफ शहरी विकास पूरी तेजी से हो रहा है, तो दूसरी तरफ अभी भी ग्रामीण समाज आधुनिकता की दौड़ में काफी पीछे है। भारतीय ग्रामीण समाज अभी भी इन्टरनेट जैसी सुविधाओं से वंचित है, या इस सेवा के उपयोग के लिय अपने गाव से काफी दूर पैदल चलकर नज़दीक के किसी शहर में जाना पड़ता है। जिसमें उन्हें समय और पैसा दोनों का निवेश होता है।
विकासः इस सवाल पर उन्होंने हमें एक सुझाव भी दिया। यह सुझाव ऐसा है:इस आधुनिकता के दुनिया में सिर्फ एक मोबाइल ऐसा माध्यम है जिसका पहुच सबके पास है। इस परिस्थिति में एक बात जो मुझे समझ में आती है वह यह कि क्या ऐसा संभव है कि सी आर आई भी एस एम एस जैसी सेवा शुरू करे, जिससे और आसानी से और जल्दी संदेशों का आदान प्रदान हो सके? मेरे ख्याल से श्रोता वाटिका या आपके हिंदी साईट पर आप मेरे मोबाइल नंबर को एस एम् एस सेवा के लिय प्रकाशित कर सकते हैं। मेरे नम्बर पर प्राप्त होने वाले संदेशों को प्रतिदिन के आधार पर अपसबों को ईमेल से भेज दिया करूँगा। इससे सी आर आई और श्रोता मित्रों के बीच कि दूरी को कम करने में काफी मदद मिलेगा और यकीन मानिए इससे श्रोता मित्रों कि संख्या में वृद्धि भी होगी। श्रोताओं के लिय भी कम खर्च में जल्दी अपने संदेशों को आप तक पहुचाने के बढ़िया विकल्प मिल जायगा। समय के साथ बदलते संचार के माध्यमों को और बेहतर ढंग से उपयोग करने का एक छोटा सा सुझाव था।
चंद्रिमाः निरज जी, आप का सुझाव बहुत उपयोगी है, कुछ श्रोताओं ने भी हमें यह सुझाव दिया है। और अब हम इस दिशा में कोशिश कर रहे हैं। अगर हमें भारत में स्थित टेलीकॉम कंपनी से संपर्क रखने में सफल हो, तो एस.एम.एस. सेवा खोलने की संभावना ज़रूर होगी।
विकासः जी हां। विश्वास है कि आधुनिक माध्यम से हम और श्रोताओं की दूरी अवश्य ही दिन-ब-दिन नज़दीक होगी।
चंद्रिमाः अच्छा, आज का आप का पत्र मिला कार्यक्रम यहीं तक समाप्त होता है।
विकासः अब बारी है आप की आवाज़ ऑन लाइन कार्यक्रम की।
चंद्रिमाः अब लीजिये सुनिये यह लोकप्रिय कार्यक्रम।