चंद्रिमाः यह चाइना रेडियो इन्टरनेशनल है। आप का पत्र मिला कार्यक्रम सुनने वाले सभी बहनों व भाइयों को चंद्रिमा का प्यार भरा नमस्कार।
विकासः विकास का भी प्यार भरा नमस्कार।
चंद्रिमाः श्रोता दोस्तो, आजकल आप लोग कैसे हैं?आशा है सब ठीक होंगे।
विकासः जी हां, और इसी शुभकामना के साथ अब हम आज का कार्यक्रम शुरू करते हैं।
चंद्रिमाः आज सबसे पहले मैं श्रोताओं का पत्र पढ़ना शुरू करती हूँ। आज का पहला पत्र है खुंती रांची, झारखंड की हमारी प्यारी श्रोता सुनीता कन्डुलना का। इस पत्र में उन्होंने लिखा है कि सी.आर.आई. हिन्दी सेवा के सभी दोस्तों को सुनीता कन्डुलना का प्यार भरा नमस्कार। मैं सी.आर.आई. हिन्दी भाषा की नियमित श्रोता बहन हूं। 5 मई को भी प्रत्येक दिन की तरह सुन रही हूं। विश्व समाचार, चीन का झलक एवं चीनी भाषा सीखें। पुरानी पुस्तक एवं पुस्तक मेला के बारे में सुनी, छिंगह्वा विश्वविद्यालय के रोचक इतिहास के बारे में सुना, जो बहुत ही ज्ञान प्रद लगा। चीन के विकास में छिंगह्वा का बहुत बड़ा योगदान रहा है। क्योंकि कई राजनयिक राजनेता, प्रधान मंत्री या अनेक बड़े पदों पर आसीन लोग इसी विश्वविद्यालय से स्नातक हैं।
विकासः उन्होंने यह भी लिखा है कि तिब्बत की जन संख्या वृद्धि के बारे में भी सुना, एवं मुझे चीनी भाषा सीखने की बहुत इच्छा है। मेरा सुझाव सलाह है कि चीनी भाषा क.ख.ग.घ. इस तरह से हिन्दी-चीनी शब्द कोष का एक पुस्तक प्रकाशित करें। एवम श्रोताओं को पढ़ने के लिये भेजें। मेरी एक फरमाईश है कि फिल्म"मैंने प्यार किया"का"दिल दिवाना बिन सजना के माने ना"को बजा दें। पहले की तरह सविनय-निवेदन है कि मेरे लिये श्रोता वाटिका पत्रिका प्रतियोगिता का प्रश्न पत्र एवं जवाबी लिफाफा शीघ्र ही भेज दें।
चंद्रिमाः सुनीता बहन, सब से पहले हम आप को हमारे कार्यक्रम का समर्थन व सुझाव देने के लिये बहुत बहुत धन्यवाद देते हैं। आप की राय बहुत अच्छी है। चीनी भाषा सीखने वाले भारतीय दोस्तों के लिये एक हिन्दी-चीनी शब्द कोष बहुत ज़रूरी है। और चीन में ऐसे शब्दकोष मिल सकते हैं। लेकिन इस का दाम बहुत महंगा है और इस का वजन भी बहुत ज्यादा है जो डाक से भेजने में कठिन है। इसलिये यह असंभव है कि हम ऐसे शब्दकोष विस्तृत रूप से श्रोताओं को भेजें। लेकिन हम कोशिश कर रहे हैं कि एक छोटे शब्दकोष या पुस्तक चीनी भाषा सीखने वाले श्रोताओं को भेजेंगे।
विकासः जी हां। और हम सुनीता बहन को यह बताना चाहते हैं कि कुछ दिनों पहले हमने श्रोता वाटिका का नया अंक, प्रतियोगिता का प्रश्न पत्र व मुफ्त लिफ़ाफे समेत एक पत्र आपको भेज दिया है। आशा है आप लोग सक्रिय रूप से इस प्रतियोगिता, यानि हमारे सी.आर.आई. की सत्तरवीं वर्षगांठ प्रतियोगिता में भाग ले सकेंगे।
चंद्रिमाः तो अब हम सुनीता बहन की फ़रमाईश पर"दिल दिवाना बिन सजना के माने ना"नामक यह भारतीय गीत पेश करेंगे, जो फिल्म"मैंने प्यार किया"से है।
विकासः लिजिए इसी के साथ सुनिए यह मधुर गीत।
चंद्रिमाः मधुर गीत के बाद अब हम पत्र पढ़ना जारी रखते हैं।
विकासः जी हां। चंद्रिमा जी, मेरे पास एक पत्र है, जो शांति नगर, छत्तीसगढ़ के आनंद मोहन बैन ने लिखा है। यह पत्र देर से हमारे पास पहुंचने के कारण इस का विषय भी समय के पिछे हो गया।
चंद्रिमाः पर सी.आर.आई. के प्रति हमारे श्रोताओं का प्रेम हमेशा समय के साथ रहता है। यहां मैं सभी श्रोताओं को यह कहना चाहती हूं कि अगर आप लोग अपने पत्र को जल्द ही हमारे पास पहुंचाना चाहते हैं, तो डाक को छोड़कर कंप्यूटर द्वारा हमें ई-मेल भेजिये। क्योंकि डाक का रास्ता बहुत लंबा है, और शायद इस रास्ते में किसी समस्या से आप का पत्र बहुत देर से हमारे पास पहुंचता है, यहां तक कि कुछ पत्र खो भी जाता है। पर ई-मेल से ये सभी समस्याएं नहीं रहती हैं।
विकासः जी हां, और ई-मेल द्वारा हम जल्द ही श्रोताओं के साथ हमारे कार्यक्रम पर विचार-विमर्श कर सकते हैं। ये दोनों तरफ़ के लिये लाभदायक है, ठीक है न? अब मैं हमारे हिन्दी विभाग का ई-मेल पता आप लोगों को बताऊंगा। वह है hindi@cri.com.cn । आशा है ज्यादा से ज्यादा श्रोता ई-मेल द्वारा हमें पत्र भेज सकेंगे।
चंद्रिमाः पर उन दोस्तों के पत्र, जो डाक से हमें भेजे गये, भी हम नज़रअंदाज नहीं करेंगे। क्योंकि हर श्रोता अपने पत्र के जवाब की प्रतीक्षा में हैं। आनंद मोहन बैन तो उन में से एक हैं। तो पढ़िये विकास जी, इस बार उन्होंने क्या लिखा है?
विकासः इस पत्र में सबसे पहले उन्होंने हमें यह सूचना दी कि वर्ष 2010 शांगहाई विश्व मेले से जुड़े हमारे द्वारा आयोजित प्रतियोगिता में उन्हें दूसरा पुरस्कार के रुप में एक अति सुन्दर टी.शर्ट मिला। इसके लिये हार्दिक धन्यवाद। उनके अनुसार सी.आर.आई. का हर प्रतियोगिता श्रोताओं के लिये उपहार का एवं ज्ञान का बहुत बड़ा प्राप्ती है। इसके अलावा उन्होंने यह सुझाव भी दिया कि श्रोता वाटिका के नये अंक में समस्त उदघोषिका व उदघोषक के नाम सहित फोटो छापने के लिये अनुरोध है। इससे वे सभी नये व पुराने सदस्यों का एक साथ परिचय पाएंगे।
चंद्रिमाः विकास जी, मेरे ख्याल से आनन्द जी का यह सुझाव बहुत अच्छा है। क्योंकि हाल के कई वर्षों में हमारे हिन्दी विभाग में कुछ नये सदस्य शामिल किये गये हैं। शायद हमारे पुराने श्रोता उनसे परिचित नहीं है। साथ ही हमारे श्रोताओं की संख्या भी दिन-ब-दिन बढ़ रही है। शायद बहुत नये श्रोता भी हमारे पुराने सदस्यों को नहीं जानते। इसलिये हिन्दी विभाग के सदस्यों को फिर एक बार परिचय देना एक महत्वपूर्ण बात बन गयी।
विकासः जी हां, मैं आप से बिल्कुल सहमत हूं। और बहुत बहुत धन्यवाद, आनन्द भाई। हम ज़रूर आप का सुझाव श्रोता वाटिका के संपादक को बताकर आप की इच्छा पूरी करने की कोशिश करेंगे।
चंद्रिमाः रामपुराफुल, पंजाब के श्रोता बालबीर सिंह ने अपने पत्र में चीन के अंतरिक्ष प्रोग्राम के बारे में कुछ चर्चा की है। उन्होंने लिखा है कि चीन अपने अंतरिक्ष प्रोग्राम के तहत वर्ष 2012 में पहली महिला अंतरिक्ष वैज्ञानिक को भेजने की तैयारी कर रहा है। यह उस मिशन का भाग है, जिस के अंतर्गत अगले दशक में चीन चांद पर रोवर उतारने जा रहा है। तथा ट्रांसपोर्ट सप्लाई के लिये अंतरिक्ष केंद्र स्थापित किया जाएगा। चीन के अंतरिक्ष इंजनीयरिंग दफ्तर के अनुसार अगले वर्ष अंतरिक्ष में दो वाहन भेजे जाएंगे। इनमें एक में महिला अंतरिक्ष विज्ञानी होगी। इस समय चीन में अंतरिक्ष मिशन पर भेजे जाने के लिये दो महिलाओं सहित पांच वैज्ञानिकों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। दोनों महिलाएं चीनी हवाई सेना की पायलट हैं।
विकासः देखने में बालबीर सिंह जी चीन के अंतरिक्ष कार्य पर खूब ध्यान देते हैं। और हमें इतनी इच्छी जानकारियां देने के लिये बहुत बहुत धन्यवाद। हम सब देखेंगे कि अगले वर्ष में यानि वर्ष 2012 में इन दोनों महिला अंतरिक्ष वैज्ञानिकों की अंतरिक्ष यात्रा कैसी होगी।
चंद्रिमाः अरे, जब हम अंतरिक्ष की बात कर रहे थे, तो मुझे अचानक एक दिवस की याद आयी, जो अभी अभी मनाया गया। क्या आप जानते हैं कि वह क्या दिवस है, विकास जी?
विकासः बिल्कुल जानता हूं। वह है छीशी दिवस है, यानि चीन का प्रेम दिवस या कहें तो चीनी विशेषता वाली वेलेंटाईन डे। क्योंकि ठीक उसी दिन की रात को चीनी लोगों की आकाश में न्यूलांग व चीन्यू दोनों तारों को देखने की परंपरा है। और बहुत लड़कियां भी इसी दिन में देवी चीन्यू से अपनी खुशहाल शादी के लिये प्रार्थना करती हैं।
चंद्रिमाः जी हां, तो अब हम इस रोमंटिक दिवस पर हमारे श्रोताओं को एक मधुर चीनी प्रेम गीत भी पेश करेंगे। गीत के बोल हैं आज हमारी शादी होगी।
चंद्रिमाः अच्छा, अब श्रोताओं के सवाल-जबाव का समय है।
विकासः कोआथ रोहतास, बिहार के कहकशान रेडियो लिस्नर्स कल्ब के अध्यक्ष हाशिम आज़ाद ने पूछा कि वर्ष 2011 में तिब्बत के विकास के लिए चीन सरकार ने कौन सा नया नीति तैयार किया है? और कितने प्रतिशत तिब्बती लोग साक्षर है?
चंद्रिमाः देखने में हाशिम आज़ाद जी तिब्बत की शिक्षा पर ज्यादा ध्यान देते हैं। तो अब हम इस के बारे में कुछ जानकारियां देंगे। वर्ष 1985 से चीन सरकार ने किसान व चरवाहे परिवार से आए विद्यार्थियों की सहायता के लिए "तीन मुफ़्त"यानी"मुफ्त भोजन, मुफ्त आवास और मुफ्त पढ़ाई " वाली विशेष नीति अपनायी है। और वर्ष 2011 में इस नीति को और विस्तृत रूप से लागू करने के लिये तिब्बत में एक अरब य्वान से ज्यादा धन राशि लगायी गयी। और किसान व चरवाहे परिवार के लगभग 5 लाख से ज्यादा विद्यार्थियों को शिशुशाला से हाई स्कूल तक तीन मुफ्त विशेष नीति से लाभ मिलेगा। साथ ही भत्ता का स्तर भी उन्नत हो गया। वर्ष 2011 की 1 जनवरी से किसान व चरवाहे परिवार से आए विद्यार्थियों को हर व्यक्ति प्रति साल 2000 य्वान का भत्ता मिलता है। इस में भोजन के लिये 1800 य्वान, अन्य उपयोगी चीज़ खरीदने के लिये 200 य्वान है। इस के अलावा सीमाप्रांत से आए विद्यार्थियों को और 100 य्वान का अतिरिक्त भत्ता मिल सकता है।
विकासः अब मैं तिब्बत में साक्षरता दर की चर्चा करूंगा। तिब्बत की शांतिपूर्ण मुक्ति से पहले तिब्बत में स्कूली बच्चों की स्कूल दाखिला दर दो प्रतिशत से कम थी। युवाओं की निरक्षरता दर 95 प्रतिशत थी। पर वर्ष 2010 तक सारे स्वायत प्रदेश में स्कूली बच्चों के प्राइमरी स्कूल की दाखिला दर 99.2 प्रतिशत है, मीडिल स्कूल की दाखिला दर 98.2 प्रतिशत है, हाई स्कूल की दाखिला दर 60.1 प्रतिशत है, और उच्च शिक्षालय की दाखिला दर भी 23.4 प्रतिशत तक पहुंच गया। विद्यार्थियों की कुल संख्या 5 लाख 57 हजार से ज्यादा है, और प्रति व्यक्ति को 7.3 वर्षों की ऑसत शिक्षा मिल गयी।
चंद्रिमाः विश्वास है कि अब हमारे श्रोता को तिब्बत की शिक्षा स्तर से जुड़ी जानकारियां प्राप्त हो गयी है और इस के साथ हमारा आपका पत्र मिला कार्यक्रम भी समाप्त होता है।
विकासः जी हां, अब हम एक साथ मज़ा लेंगे आप की आवाज़ ऑन लाइन कार्यक्रम से।