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चीन की लंबी दीवार
2011-05-25 16:41:09

चंद्रिमाः आपका पत्र मिला कार्यक्रम में आप सभी को चंद्रिमा का नमस्कार।

विकासः श्रोताओं को विकास का भी नमस्कार।

चंद्रिमाः विकास जी क्या आपको पता है कि आजकल भारत में हरेक गली-नुक्कड़, चौराहे पर किसके चर्चे हो रहें हैं।

विकासः चंद्रिमा जी कहीं आप ओसामा बिन लादेन की बात तो नहीं कर रही हैं।

चंद्रिमाः आप तो ओसामा बिन लादेन की ही बात करेंगे। अभी भारत में पंचायत चुनाव के चर्चे चल रहे हैं।

विकासः अच्छा, अब समझा। आप पंचायत चुनाव की बात कर रही हैं। जी हाँ, आजकल बिहार में माहौल बहुत गर्म है। जिसे देखिए वही वयस्त है। कल तो मैंने अपने श्रोताओं को फोन किया तो उन्होंने कहा अभी चुनाव में व्यस्त हूँ, कुछ दिन बाद बात कर सकता हूँ। मैंने सोचा चुनाव भी क्या चीज है। बच्चे-बूढ़े सभी व्यस्त।

चंद्रिमाः विकास जी, पंचायत चुनाव किस प्रकार होता है।

विकासः देखिए, भारत में राज्य कई जिलों में बँटा होता है और जिला कई प्रखंडो में और प्रखंड कई पंचायतों में बँटा होता है। सबसे अंत में एक पंचायत में कई गाँव शामिल होते हैं। तो हरेक पाँच साल के अंतराल पर पंचायत में मुखिया और पंचायत समिती के सदस्यों का चुनाव होता है। गाँव का प्रधान मुखिया होता है और पंचायत समिती के सदस्य मुखिया के काम में मदद करते हैं। इस साल बिहार के पंचायतों में मुखिया का कार्यकाल समाप्त हो चुका है। इसलिए नये मुखिया और पंचायत समिती के सदस्यों का चुनाव शुरू हो चुका है।

चंद्रिमाः सुनने में तो यह बहुत रोचक लग रहा है। क्या कोई भी व्यक्ति मुखिया के चुनाव में खड़ा हो सकता है।

विकासः जी, इसके लिए कुछ नियम है, जैसे वह व्यक्ति जो उस पंचायत का निवासी है और अठारह साल पूरा कर चुका है, मुखिया का उम्मीद्वार बन सकता है। चलिए अब इसी के साथ हम पत्र पढ़ना शुरू करते हैं। मेरे हाथ में पहला पत्र विजयवाड़ा से सी आर आई लिसनर्स क्लब का है। चंद्रिमा जी आप पढ़िए, इन्होनें क्या लिखा है।

चंद्रिमाः इन्होनें लिखा है, सबसे पहले मैं सी आर आई के सभी बहनों और भाईयों को नये साल की मुबारकबाद देना चाहती हूँ। सी आर आई उत्साहपूर्वक श्रोताओं को नयी जानकारियाँ देता रहे। उनके क्लब की आशा है कि चीन-भारत मित्रता भी आने वाले समय में और प्रगाढ़ हो। दोनों देश दूसरे देशों के द्वारा पैदा किए गए अवरोधों पर न ध्यान देते हुए विकास और सहयोग के पथ पर आगे बढ़ते रहें। साथ ही उन्होनें सुझाव भी दिया है कि अगर चीन और भारत के बीच रेल संपर्क स्थापित हो जाए तो दोनों देशों के संबंध एक नई उँचाई को प्राप्त करेंगे।

विकासः साथ ही उन्होंने हमारे कार्यक्रम के बारे में भी सुझाव दिया है कि, मनोरंजन के वक्त कार्यक्रम में बांग्लादेश, पाकिस्तान, ईरान और अफगानिस्तान के फिल्म जगत की भी चर्चा की जाए। न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम में विश्व के राजकीय महिला शक्तियों जैसे इंदिरा गाँधी, मदर टेरेसा जैसी विश्व हस्तियों के बारे में जानकारी दी जाए।

चंद्रिमाः आपके सुझाव विचारजनक हैं और हम उसकी प्रशंसा करते हैं। आपके विचार हम संबंधित विभाग के पदाधिकारी को जरूर बोलेंगे और आशा करते हैं कि आपके विचार पर अमल किया जाएगा। विकास जी, दूसरा पत्र कहाँ से है?

विकासः अगला पत्र कर्नाटक से सुनिल मडिवाल जी का है। उन्होनें लिखा है कि मैं सी आर आई का नियमित श्रोता है और पिछले दस सालों से सी आर आई को सुन रहा हूँ। सी आर आई मेरे लिए एक सच्चा साथी है, यह मेरे जीवन का अविभाज्य अंग है। यह एक अद्भूत और अनूठा स्टेशन है। उन्हेंने हमें नव वर्ष का एक ग्रीटिंग कार्ड भी भेजा है।

चंद्रिमाः सुनील जी आप हमारे नियमित श्रोता हैं और नियमित रूप से हमारे कार्यक्रम सुन रहे हैं इसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। हम लोग आशा करते हैं कि आप इसी तरह आगे भी हमारा कार्यक्रम सुनते रहेंगे। विकास जी अगला पत्र बाग्लादेश से अब्दुल मन्नान जी का है। उन्होनें लिखा है कि, वे लोग नियमित रूप से हमारा कार्यक्रम सुनते हैं। उन्होंने शांगहाई ज्ञान प्रतियोगिता में भाग लिया था और उन्हें पुरस्कार भी मिला। इसके लिए उन्होंने सी आर आई को धन्यवाद कहा है। उन्होंने कहा है कि दूसरे ज्ञान प्रतियोगिताओं के लिफाफें भी भेजे जाएं।

विकासः मन्नान जी आपको भी बहुत-बहुत धन्यवाद कि आप हिन्दी नहीं लिख सकते हैं फिर भी हमारा कार्यक्रम सुनते हैं। आशा है कि आप आगे भी हमारा कार्यक्रम नियमित रूप से सुनते रहेंगे और अपने विचारों से अवगत कराते रहेंगे। इसी के साथ अब हम एक बांग्लादेशी गीत सुनेंगे। गीत के बोल हैं आलगा कोरगो खोपार।

चंद्रिमाः चलिए हम फिर से पत्रों का सिलसिला जारी रखते हैं। अगला पत्र है मो आसिफ खान जी का। ये लिखते हैं कि, मैं सी आर आई का नियमित श्रोता हूँ। 2010 में हमारे साथ कुछ परेशानियाँ थी जिसके कारण बहुत कम पत्र लिख पाया। लेकिन इस वर्ष हमारे क्लब के सभी श्रोता काफी जागरूक हैं और इस वर्ष नम्बर 1 पर हमारा क्लब हो इसके लिए प्रयास करेंगे।

विकासः सबसे पहले तो मैं सी आर आई की तरफ से इनके प्रयास के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूँ। आशा करता हूँ कि आप समय-समय पर हमारे कार्यक्रमों पर अपने विचार भी प्रकट करेंगे। उन्होंने आगे लिखा है कि न्यूशिंग स्पेशल में हेमा कृपलानी द्वारा प्रस्तुत कहानी दो कबूतर हमारे बच्चों को काफी पसंद आया। चीन की झलक प्रोग्राम में बच्चों के स्वास्थ्य के लिए जो कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया काफी ज्ञानवर्धक था। फोन पर श्रोताओं के विचार अच्छे प्रयासों में से एक है।

चंद्रिमाः आसिफ जी का बहुत-बहुत धन्यवाद। आशा है आप इसी तरह सी आर आई का समर्थन करते रहेंगे। फोन पर हम न केवल श्रोताओं के विचार को जान सकते हैं बल्कि आप सभी लोग भी एक दूसरे के विचारों से अवगत हो सकते हैं। अगला पत्र कोआथ बिहार के हाशिम आजाद जी का।

विकासः इन्होनें लिखा है कि आपकी पसंद कार्यक्रम की प्रस्तुति बहुत अच्छी है। इसके लिए धन्यवाद। साथ में इन्होंने एक प्रश्न भी पूछा है। प्रश्न है चीन की लम्बी दिवार की लंबाई, ऊंचाई व चौड़ाई कितनी है? चंद्रिमा जी, मैं चाहता हूँ कि आप इस प्रश्न का उत्तर दें।

चंद्रिमाः ठीक है। लंबी दीवार उत्तर चीन में स्थित है, जो पूर्व के शानहाए क्वान से शुरू होकर पश्चिम के च्यायू क्वान तक जाती है। लंबी दिवार की कुल लंबाई लगभग 6700 किलोमिटर है। इस का निर्माण दो हजार से ज्यादा वर्षों तक चलता रहा। ऐतिहासिक प्रमाणों के अनुसार छू राजवंश से मिंग राजवंश तक कुल 20 से ज्यादा राजवंशों ने इस का निर्माण किया है। उन में छिन, हान व मिंग तीन राजवंशों में लंबी दिवार की लंबाई क्रमशः पांच हजार किलोमिटर से ज्यादा हो गयी। इसलिये सभी राजवंशों में निर्माण की गयी लंबी दिवारों की कुल लंबाई लगभग 50 हजार किलोमिटर तक पहुंच जाती है। लंबी दिवार की ऊंचाई व चौड़ाई भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न है, जो वहां की स्थिति व सैन्य महत्व से संबंधित हैं। बातालिंग में लंबी दिवार की ऊंचाई 7.8 मीटर है, और च्यायू क्वान में केवल 4.8 मीटर है, पर शानहाए क्वान की कुछ खतरनाक जगहों में इस की ऊंचाई 14 मीटर तक है। दीवार के ऊपर आम तौर पर चार घोड़े एक साथ चल सकते थे, इसलिये इस की चौड़ाई लगभग चार या पांच मीटर है। ताकि युद्ध के समय अनाज व हथियार आदि सामान भेजे जा सकते थे।

विकासः अब मेरे हाथ में कृष्ण कुमार जायसवाल जी का पत्र है। इन्होंने लिखा है, चीन के अल्पसंख्यक जाति में सिनचियांग के वैवुअर जाति के बारे में सुना। पता चला कि वे लोग अब चीनी भाषा भी सीख रहे हैं। आज का तिब्बत कार्यक्रम में लोककथा जीवित बुद्ध अवतार के बारे में सुना। सुनकर बहुत अच्छा लगा। तिब्बती लोककथा काफी रोचक होती है। सफल प्रस्तुति के लिए धन्यवाद।

चंद्रिमाः जायसवाल जी आप का भी बहुत-बहुत धन्यवाद। चीन में तो 55 अल्पसंख्यक जातियाँ हैं और उन सभी के अधिकारों और विकास के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं। आगे भी आप सभी श्रोताओं को विभिन्न अल्पसंख्यक जातियों से अवगत कराते रहेंगे। विकास जी इसी के साथ एक हिन्दी गाना सुनते हैं। दोस्तो, आप भी इस मधुर गीत का मजा लीजिए। गाने के बोल हैं गुंजा रे।

विकासः अगला पत्र है मोती रेडियो श्रोता संघ से कुमार जयबर्द्धन जी का। लिखा है कि हिन्दी विभाग के सभी सदस्यों को प्यार भरा नमस्कार। 19 जनवरी को प्रसारित कार्यक्रम डॉक्टर कोटनिस के परिवार से साक्षात्कार सुना। इस कार्यक्रम के माध्यम से मेरे श्रोता क्लब के सदस्यों को डॉक्टर कोटनिस के बारे में बहुत कुछ जानने को मिला। सच मानिए चीन एवं चीनी जनता के प्रति डॉक्टर कोटनिस के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। अच्छी वार्ता के लिए आप सभी को बहुत-बहुत धन्यवाद।

चंद्रिमाः जयबर्द्धन जी आपका भी बहुत-बहुत धन्यवाद। आपने बहुत अच्छी बात कही है कि डॉक्टर कोटनिस के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है। हम लोग कोशिश करते हैं कि श्रोताओं तक अच्छी से अच्छी जानकारी पहुँचाया जा सके। आशा करते हैं कि आप आगे भी हमारे कार्यक्रमों के बारे में अपनी राय से अवगत कराते रहेंगे। अगला पत्र रानी रेडियो लिसनर्स क्लब से राधा रानी खंडेलवाल का है। उनका कहना है कि 31 दिसंबर को उनके क्लब की मिटिंग थी जिसमें सी आर आई के हिंदी कार्यक्रम के बारे में चर्चा की गई। सी आर आई के सभी कार्यक्रम अच्छे और रोचक होते हैं। आप सभी इतनी मेहनत से कार्यक्रम तैयार करते हैं उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।

विकासः राधा रानी जी आप भी इतनी तन्मयता से हमारा कार्यक्रम सुनती हैं और उस पर चर्चा करती हैं, इसके लिए आपका भी बहुत-बहुत धन्यवाद। हम लोग की संतुष्टी आप लोगों की प्रसन्नता में ही है। हौसला अफजाई के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।

चंद्रिमाः विकास जी, क्या आप जानते हैं कि इस माह की 23 तारीख को यानि इस हफ्ते के सोमवार को तिब्बत की शांतिपूर्ण मुक्ति की 60वीं वर्षगांठ है। साठ वर्षों में चीनी केंद्र सरकार व सारे देश के समर्थन में तिब्बत के अर्थव्यवस्था, समाज व जनता के जीवन स्तर में अभूतपूर्व बदलाव आया है।

विकासः जी हां, आपने बिल्कुल ठीक कहा। पुराने तिब्बत की अपेक्षा आज के तिब्बत में जमीन-आसमान का परिवर्तन आया है। और यह विकास दिन-ब-दिन आगे बढ़ रहा है। आज के आप की आवाज़ ऑन लाइन कार्यक्रम में मैंने भी श्रोता के साथ तिब्बत के बारे में कुछ बातचीत की।

चंद्रिमाः वाह, बहुत अच्छी बात है। अब हम एक साथ सुनेंगे आप की आवाज़ ऑन लाइन कार्यक्रम।

चंद्रिमाः श्रोता दोस्तो, आज का कार्यक्रम यहीं तक। अब मैं और विकास को आज्ञा दीजिये। नमस्कार।

विकासः नमस्कार।

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