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स्छवान सप्ताह की प्रशंसा
2011-05-18 16:41:09

चंद्रिमाः यह चाइना रेडियो इन्टरनेशनल है। सभी श्रोताओं को आपका पत्र मिला कार्यक्रम सुनने का हार्दिक स्वागत। मैं हूं आप की दोस्त, चंद्रिमा।

विकासः और मैं हूं आप सबका दोस्त, विकास।

चंद्रिमाः दोस्तो, आज के कार्यक्रम में सब से पहले हम नयी दिल्ली में स्थित हमारे मोनिटर राम कुमार निरज का एक पत्र पढ़ेंगे। इस मोनिटरिंग रिपोर्ट में उन्होंने ऐसा लिखा है कि सी.आर.आई. के कार्यक्रम में भारत में वर्तमान भ्रष्टाचार की चर्चा के साथ साथ हिंदी गानों को सुनवाया जाना बेहतर लगा। वास्तव में काला धन नि:संदेह अर्थव्यवस्था के लिए हानिप्रद होता है। काले धन का प्रयोग अय्याशी के लिए किया जाता है। इससे समाज में कुरीतियां फैलती हैं। काले धन को विदेश भेज दिया जाता है जैसे स्विट्जरलैंड के बैंक में। इस धन का दूसरे देशों में उपयोग होता है। काले धन पर टैक्स नहीं अदा किया जाता है। इससे सरकार का राजस्व कम होता है और सड़क जैसे निर्माण कार्यों में व्यवधान पड़ता है।

विकासः साथ ही उन्होंने यह भी लिखा है कि मूल समस्या काले धन को वापस लाने की नहीं है, बल्कि नेताओं एव अधिकारियों द्वारा काला धन बनाने की है। इस समस्या का निदान प्रशासनिक व्यवस्था के बाहर खोजना होगा। इसके समाधान के लिए ट्रांसपैरेंसी इंटरनेशनल जैसी संस्थाएं देश के प्रबुद्ध वर्ग को स्थापित करनी होंगी। यह कार्य व्यापारियों का वह वर्ग कर सकता है, जो स्वयं सादगी से जीता है और काले धन में केवल व्यापारिक मजबूरियों के कारण लिप्त होता है। इन्हें आगे आना चाहिए। उम्मीद है आगे भी यूँ ही मनोरंजक कार्यकर्मों के साथ साथ विचारणीय मुद्दों का भी सिलसिला चलता रहेगा। हम आपके प्रयासों की सराहना करते हैं।

चंद्रिमाः सच, भ्रष्टाचार हमारे समाज के लिये एक गंभीर समस्या है। और लगभग सभी देशों में यह समस्या व्याप्त है। विकास जी, मेरे ख्याल से भ्रष्टाटार मानव के स्वभाव से जुड़ा हुआ है। इसलिये इस का समाधान बहुत मुश्किल है।

विकासः जी हां, आप ने बिल्कुल ठीक कहा। मैंने एक ऐसा लेख पढ़ा है, जिस का नाम है नाखून क्यों बढ़ते हैं। इस में यह वर्णन किया गया कि नाखून मानव के दिल में छिपी हुई पशुता की तरह है, वह हमेशा बढ़ता रहता है। पर हम हमेशा इस पशुता की रोकथाम करने के लिये नाखून को काटते हैं, यह कार्रवाई लोगों की मानवता को प्रतिबिंबित करती है। मेरे ख्याल से भ्रष्टाचार तो नाखून की तरह है, वह हर व्यक्ति के मन में बढ़ रहा है, कुछ लोग अपनी मानवता से इस की रोकथाम कर सकते हैं, पर कुछ लोग ऐसा करने में पिछे रह जाते हैं।

चंद्रिमाः विकास जी, मैं आप की बातों से बिल्कुल सहमत हूं। मुझे आशा है कि सभी लोग अपनी मानवता को बढ़ाकर पशुता को कम करने में सफल हों। यहां हम नीरज जी को भी धन्यवाद देते हैं, क्योंकि उन्होंने अपने पत्र में भ्रष्टाचार की रोकथाम करने के लिये एक अच्छा उपाय भी पेश किया है।

विकासः अच्छा, इतना गंभीर विषय की चर्चा के बाद अब हम एक मधुर गीत सुनेंगे। गीत के बोल हैं पीट इट, जिस के गायक हैं माईकल जैक्सन।

चंद्रिमाः विकास जी, हमारे मोनिटर ग्रीन पीस डी.एक्स. क्लब के अध्यक्ष चुनिलाल कैवर्त जी ने भी आजकल हमें एक बहुत लंबी मोनिटरिंग रिपोर्ट भेजी है। इस के लिये बहुत बहुत धन्यवाद।

विकासः वाह, यह पत्र सचमुच बहुत लंबा है, उन्होंने लगभग हमारे सभी कार्यक्रमों की चर्चा की, और अपनी अच्छी राय भी दी है। यहां हम उनमें से कुछ विषय चुनकर पढ़ेंगे।

चंद्रिमाः जी हां। मैत्री की आवाज़ कार्यक्रम की चर्चा में चुनिलाल साहब ने लिखा है कि पिछले साल दिसंबर में भारत की यात्रा पर आये चीनी प्रधानमंत्री श्री वन च्या पाओ और भारतीय प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह के बीच वर्ष 2011 को चीन भारत आदान प्रदान वर्ष के रूप में मनाने का समझौता हुआ था। इसके अंतर्गत विगत सप्ताह 25 से 30 अप्रैल,2011 के दौरान नई दिल्ली में "चीन का अनुभव-स्छवान सप्ताह" का भव्य उदघाटन स्छवान प्रांतीय संगीत तथा नृत्य मंडली के रंगारंग कार्यक्रम के साथ हुआ। इस दौरान स्छवान ने भारत के विभिन्न पक्षों के साथ 2 अरब अमरीकी डालर के समझौते पर हस्ताक्षर किये।

विकासः उन्होंने यह भी लिखा है कि "चीन का अनुभव-स्छवान सप्ताह" पर प्रसारित विशेष कार्यक्रम में इस आयोजन से सम्बंधित सभी दिनों की रिपोर्ट सुनी, जो सामयिक और सूचनाप्रद थी। कार्यक्रम में महात्मा गांधी के अहिंसा के सिद्धांत की प्रासंगिकता पर नई दिल्ली स्थित संवाददाता हू वेई मिन जी द्वारा राजकुमार जी और राजा जी के साथ लिए गए इंटरव्यू सुना, जो सार्थक और शिक्षाप्रद लगा। सी.आर.आई.की वेब साईट में स्छवान प्रांत के पर्यटन स्थलों और नई दिल्ली में आयोजित इस समारोह से संबंधित सभी तस्वीरें मनमोहक और एक से बढ़कर एक हैं। "चीन का अनुभव-स्छवान सप्ताह" का आयोजन सफल रहा और इसका शानदार कवरेज करने के लिए सी.आर.आई.बधाई का पात्र है।

चंद्रिमाः च्यांगशी की यात्रा से जुड़ी रिपोर्ट देखकर उन्होंने यह लिखा है कि विगत जनवरी में सी.आर.आई.द्वारा 'सम्मोहक च्यांगशी' शीर्षक विश्वव्यापी ज्ञान प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इसके बाद 21 अप्रैल को सी.आर.आई. के देशी विदेशी संवाददाता और नई मीडिया केंद्र व टी वी केंद्र के संवाददाता की संयुक्त साक्षात्कार गतिविधि का आयोजन च्यांगशी प्रांत में आयोजित हुआ। इस मीडिया दल ने चीन के सम्मोहक च्यांगशी प्रांत का 6 दिवसीय दौरा किया। इन सबके बारे में ज्ञानवर्धक और सूचनाप्रद जानकारी सी.आर.आई.की वेब साईट में पढ़ने और सुनने को मिली। खुशी की बात है कि इस मीडिया दल में सी.आर.आई.हिन्दी सेवा के अनुभवी संवाददाता विकास जी और होवेई जी भी शामिल थे। च्यांगशी प्रांत का यात्रा वृत्तांत, विकास जी की डायरी में पढ़ने को मिली, जो बड़ी रोचक और शिक्षाप्रद थी। वास्तव में चीन का च्यांगशी प्रान्त पर्यटकों का स्वर्ग है और यहाँ के लोग भी सरल, मिलनसार और मेहमाननवाज हैं।

विकासः चुनिलाल जी, मुझे बहुत खुशी है कि आप मेरी डायरी से च्यांगशी प्रांत की यात्रा कर सके। अगर मौका मिला, तो आप को भी च्यांशी प्रांत की यात्रा करनी चाहिए। क्योंकि वहां सचमुच स्वर्ग जैसी एक सुन्दर जगह है।

चंद्रिमाः विकास जी, चुनिलाल के अलावा पश्चिम बंगाल के ढाका कालोनी के ऑल इंडिया सी आर आई लिसनर्स एशोसिएशन के हमारे श्रोता बिधान चंद्र सान्याल ने भी "चीन का अनुभव-स्छवान सप्ताह" के बारे में कुछ लिखा है। पत्र इस तरह हैः भारत में चीन को जानें सप्ताह मनाने के लिए धन्यवाद। हमारी एशोशिएशन भी यह सप्ताह मनाने जा रही है। आप तो जानते हैं-- प्यार पसंद से, खुशी हर एक से, रिश्ते अपनों से, मोहब्बत महबूबा से, इश्क आशिक से, मगर दोस्ती जो हमने की है, सी आर आई और चीन से।

विकासः वाह, बिधान जी, हम आप की यह दोस्ती कभी नहीं भूलेंगे। और आशा है भविष्य में आप ज्यादा से ज्यादा सुन्दर कविताएं हमें भेज सकेंगे। अब हम आराम से और एक गीत सुनेंगे। गीत के बोल हैं बार बार देखो हजार बार।

चंद्रिमाः अब बारी है औरैया, उत्तर प्रदेश के खान रेडियो लिसनर्स क्लब के हमारे पुराने श्रोता अमानत उल्ला खान की।

विकासः हमें भेजे पत्र में उन्होंने लिखा है कि सी.आर.आई. हिन्दी विभाग के सभी उदघोषिक व उदघोषिका को मेरा प्यार भरा नमस्कार। हमारे कल्ब के सभी सदस्य नियमित रूप से आप लोगों के हर कार्यक्रम सुनते हैं। अधिकतर कार्यक्रम हमें अच्छे लगते हैं। आप की वेबसाइट देखता हूं, और पढ़ता हूं। वेबसाइट में रखी गई समाचार, रिपोर्ट, जानकारी, सुन्दर तस्वीर बहुत अच्छा, ज्ञानवर्द्धक लगता है। सी.आर.आई. हिन्दी सेवा द्वारा ज्ञान प्रतियोगिता संबंधित लेख, जानकारी तथा प्रश्न प्रसारित कर रहे हैं। मैं सभी लेख सुनूंगा और प्रतियोगिता में भाग लेने का प्रयास करूंगा।

चंद्रिमाः साथ ही उन्होंने यह भी लिखा है कि आज का तिब्बत कार्यक्रम में तिब्बत के पंचवर्षीय योजना, तिब्बत के सामाजिक एकता प्रगति के विकास के बारे में ध्यानपूर्वक सुना। तिब्बत के अल्पसंख्यक जातियों के विकास के बारे में जानकारी महत्वपूर्ण लगी। संगीत कार्यक्रम में चीन का लोकगीत सुना मनमोहक लगा। सफल प्रस्तुति करने के लिये हार्दिक धन्यवाद। कार्यक्रम चीन में निर्माण व सुधार सुना, जिसमें शियांग शहर के पर्यटन विकास के बारे में जानकारी काफ़ी रोचक व ज्ञानवर्धक दी गयी है। मैं सी.आर.आई. का एक पुराना मित्र हूं। मुझे सी.आर.आई. के कार्यक्रम सुनने से चीन के बारे में बहुत जानकारियां मिलती हैं।

विकासः बहुत बहुत धन्यवाद खान साहब। आशा है आप हमेशा हमारे कार्यक्रम व वेबसाइट का समर्थन देते रहेंगे। अब हम आज का अंतिम पत्र पढ़ेंगे, जो फतेहपुर-शेखावाटी के प्रमोद माहेश्वरी द्वारा लिखा गया। इस पत्र में उन्होंने लिखा है कि 28 अप्रेल के कार्यक्रम में शी आन विश्व बागबानी मेले के बारे में प्रस्तुत आलेख में मेले के विषय ने ध्यान आकर्षित किया है। शहर और प्रकृति का सामंजस्यपूर्ण सहअस्तित्व विषय नितांत जरूरी है। आज शहरों के कारण प्रकृति का भयंकर विनाश हो रहा है। इसके दुष्परिणाम भी हम भुगत रहे हैं, फिर भी नहीं संभलते। उम्मीद है यह एक आशा की किरण लेकर आये।

चंद्रिमाः प्रमोद माहेश्वरी साहब, आप ने बिल्कुल ठीक कहा। शहरों का विकास सचमुच प्राकृतिक पर्यावरण पर कुछ कुप्रभाव डाल रहा है। साथ ही प्रकृति भी अपने उपाय से मानव को सज़ा दे रहा है। हम देख सकते हैं कि हाल के दस-बीस सालों में प्राकृतिक आपदा विश्व के कोने-कोने में घटित हुए हैं, जिन्होंने लोगों के जान-माल पर बड़ी हानि पहुंचायी।

विकासः जी हां। जब मैं प्राकृतिक आपदा की चर्चा करता हूं, तो मुझे इस बात की याद आती है कि इस माह की 12 तारीख को चीन के वनछ्वान में आया भूकंप की तीसरी वर्षगांठ है।

चंद्रिमाः हां, मैं भी इस की चर्चा करना चाहती हूं। श्रोता दोस्तो, वर्ष 2008 के 12 मई को वनछ्वान में आया भूकंप नये चीन की स्थापना के बाद सबसे ज़बरदस्त भूकंप था, जिससे सबसे भारी नुकसान भी पहुंचाया गया। स्छ्वान में 1 लाख से ज़्यादा वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र नष्ट किया गया, 68 हज़ार से ज़्यादा लोगों की मौत हुई और लाखों लोग बेघर हो गए।

विकासः पर तीन साल के बाद यानि इस वर्ष के मई में अगर आप फिर एक बार वनछ्वान में जाएं, तो वहां का बड़ा परिवर्तन ज़रूर आप को आश्चर्य में डाल देगा। वर्तमान में स्छ्वान प्रांत के भूकंप से प्रभावित क्षेत्रों में 99.9 प्रतिशत परिवारों में कम से कम एक आदमी काम करता है,हर परिवार के पास मकान है,बच्चे फिर एक बार स्कूल में जाकर पढ़ाई जारी कर रहे हैं, मुख्य शहरों व कस्बों के बीच यातायात बहाल हो गयी है, और भिन्न-भिन्न सांस्कृतिक गतिविधियां भी आयोजित हो रही हैं। आज के आप की आवाज़ ऑन लाइन कार्यक्रम में हम तो श्रोताओं के साथ वनछ्वान भूकंप की तीसरी वर्षगांठ पर चर्चा करेंगे। अब लीजिये सुनिये।

चंद्रिमाः श्रोता दोस्तो, आज का कार्यक्रम आप को कैसा लगा?पसंद या न पसंद हमें ज़रूर बताइये। हम आप लोगों के पत्रों का स्वागत करते हैं।

विकासः जी हां, अब मैं और चंद्रिमा को बिदा लेने का वक्त आ गया। नमस्कार।

चंद्रिमाः नमस्कार।

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