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ब्रिक्स और बोआओ सम्मेलन की प्रतिक्रिया
2011-05-04 13:56:00


विकासः आपका पत्र मिला कार्यक्रम में आप सबका स्वागत है। नमस्कार।

चंद्रिमाः आप सभी को चंद्रिमा का भी प्यार भरा नमस्कार।

विकासः चंद्रिमा जी, हाल ही में चीन में एक भव्य समारोह का आयोजन हुआ है। क्या आपको पता है।

चंद्रिमाः विकास जी कहीं आप ब्रिक्स और बोआओ सम्मेलन की बात तो नहीं कर रहे हैं।

विकासः आपने बिल्कुल सही कहा। हाल ही में चीन के सानया शहर में ब्रिक्स देशों का वार्षिक सम्मेलन समाप्त हुआ है जिसमें चीन, भारत, रूस, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका ने भाग लिया। इस सम्मेलन में दक्षिण अफ्रिका को आधिकारिक तौर पर इस संगठन का सदस्य बनाया गया है। हमारे बहुत सारे श्रोताओं ने भी इस सम्मेलन पर व्यापक ध्यान दिया है और उन्होंने पत्र भेजकर अपना राय भी प्रकट किया है।

चंद्रिमाः इसी के साथ मैं एक श्रोता का पत्र पढ़ रही हूँ जिन्होंने हमें ई-मेल के जरिए ब्रिक्स देशों के बारे अपनी राय भेजी है। प्रमोद माहेश्वरी ने हमें ई-मेल भेजकर लिखा है कि ब्रिक्स देशों का घोषणापत्र उत्साहवर्द्धक है। दक्षिण अफ्रिका के इस मंच में शामिल होने से यह सही रूप में विश्व मंच बन गया है जिसमें सभी महाद्विपों का प्रतिनिधित्व हो रहा है। इन देशों का सहयोग विश्व अर्थव्यवस्था को नई दिशा और दृढ़ता प्रदान करेगा।

विकासः चंद्रिमा जी इनका कहना बिल्कुल सही है। ब्रिक्स के बारे में और भी कुछ श्रोताओं ने अपना विचार प्रकट किया है। दिल्ली से राम कुमार नीरज का कहना है कि सान्या में ब्रिक्स देशों की शिखर वार्ता में भाग लेने के लिए गए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और चीन के राष्ट्रपति हू चिन थाओ के बीच तकरीबन 50 मिनट की द्विपक्षीय बातचीत में दोनों देशों ने सहमति जताई कि द्विपक्षीय व्यापार को वर्ष 2015 तक 100 अरब डॉलर तक पहुंचाया जाएगा, लेकिन चीन के पक्ष में झुका व्यापार संतुलन भारत के लिए चिंता का विषय है। जो भी हो, इस बातचीत ने दुनिया की सबसे बड़ी और उभरती पड़ोसी अर्थव्यवस्थाओं के बीच मजबूत और मधुर संबंधों की संभावनाएं प्रबल हुई हैं। वहीं चुन्नीलाल जी का कहना है कि ब्रिक्स देशों की तीसरी शिखर वार्ता 14 अप्रैल को हाईनन प्रान्त के सानया शहर में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। इस शिखर वार्ता में चीन के राष्ट्रपति श्री हूँ चिनथाओ का अध्यक्षीय भाषण, विश्व शांति व स्थिरता को बनाये रखने, विकासशील देशों में विकास की साझेदारी बढ़ाने तथा अंतरराष्ट्रीय आदान प्रदान व सहयोग को मजबूत करने की दिशा में बहुत ही महत्वपूर्ण है।

चंद्रिमाः विकास जी, ब्रिक्स देशों का सम्मेलन सफलतापूर्वक समाप्त हो चुका है। श्रोताओं को अपने विचार प्रकट करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। अब मैं अगला पत्र पढ़ती हूँ। यह पत्र है भागलपुर के प्रियदर्शनी रेडियो लिस्नर्स क्लब का है। उन्होनें लिखा है कि, वे लोग सी आर आई के नियमित श्रोता हैं। प्रतिदिन सभी क्लब के सदस्य हमारे कार्यक्रम को ध्यान से सुनते हैं। हमारे द्वारा प्रसारित चीनी लोकगीत कार्यक्रम इनके क्लब के सदस्यों को काफी पसंद है। इस कार्यक्रम को सुनने से चीनी भाषा सुनने की ललक पैदा होती है। कृप्या इस कार्यक्रम को चालू रखें।

विकासः चंद्रिमा जी मैं इनकी भावनाओं को समझ सकता हूं। सबसे पहले तो मैं सी आर आई के तरफ से कार्यक्रम को सुनने के लिए इनके क्लब को धन्यवाद देता हूं। मैं आपकी गुजारिश चीनी लोकगीत कार्यक्रम के प्रस्तुतकर्ता को जरूर कहूँगा और आशा करता हूं कि वे इस प्रोग्राम को जारी रखेंगे। साथ ही इन्होंने हमें एक नया साल का ग्रिटिंग कार्ड भी भेजा है उसके लिए भी बहुत-बहुत धन्यवाद। हम सी आर आई परिवार की तरफ से आशा करते हैं आप भी हमारा कार्यक्रम सुनना जारी रखेंगे और समय-समय पर अपने विचारों से अवगत कराते रहेंगे।

चंद्रिमाः अब हमारे पास एक और श्रोता का पत्र है। यह पत्र है नेहरू नगर भिलाई से फूलमाला बैन का जिन्होंने हमें कार्यक्रम के प्रसारण का पता भेजा है। आपको हमारे कार्यक्रम सुनने के लिए हार्दिक बधाई। आशा है आप इसी तरह हमारे सभी कार्यक्रम ध्यानपूर्वक सुनती रहेंगी और अपने विचार और सुझाव भी देती रहेंगी।

विकासः चंद्रिमा जी पत्र पढ़ने के साथ-साथ कुछ मनोरंजन हो जाए तो कैसा रहेगा।

चंद्रिमाः जी बिल्कुल। लीजिए मैं आपको और श्रोताओं को भी एक चुटकुला सुनाती हूं। दो महिलाएं आपस में बात कर रही थी। पहली महिला ने दूसरी से कहा, आजकल तुम्हे क्या हो गया है, तुम बहुत पतली हो गई हो। दूसरी महिला ने कहा, आजकल मैं बहुत दुखी हूँ क्योंकि मेरा पति मेरे प्रति वफादार नहीं है उसने एक नयी लड़की ढूंढ लिया है। तो दूसरी महिला ने कहा तो फिर तुम अपने पति से तलाक ले लो। पहली महिला ने कहा नहीं अभी तलाक नहीं ले सकती हूं अभी मैं दस किलो और वजन कम करना चाहती हूँ।

विकासः हाहाह.. मुझे लगता है श्रोताओं को भी आपका चुटकुला जरूर पसंद आया होगा। चुटकुला के बाद अब हम एक हिंदी गाना सुनेंगे। गाने का बोल है तेरा साथ है कितना प्यारा।

चंद्रिमाः गाने के साथ ही हम अपने कार्यक्रम में फिर से प्रवेश करते हैं। अगला पत्र है कलेर बिहार से निकहत प्रवीन का। उन्होंने लिखा है कि सवाल जवाब कार्यक्रम में कई पत्र भेज चुकी हूं लेकिन एक भी पत्र शामिल नहीं किया गया है।

विकासः प्रवीन जी हमारे पास बहुत सारे श्रोताओं के पत्र आते हैं और उस क्रम में सभी श्रोताओं के पत्रों को एक बार में ही शामिल नहीं किया जा सकता है। देर से पत्र शामिल करने के लिए माफी चाहता हूँ। आशा करता हूँ कि आप हमारे मजबूरी को समझ सकती हैं। पत्र में आपने कई सवाल पूछे हैं उन्हीं में से एक सवाल का चंद्रिमा जी जवाब देंगी। इन्होंने पूछा है कि क्या चीन की महिलाएं भी खेतों में काम करती हैं। इसके अतिरिक्त महिलाएं किन-किन क्षेत्रों में काम करती हैं और चीन में कुल कितनी महिला कॉलेज, स्कूल एवं विश्वविद्यालय है।

चंद्रिमाः प्रवीन जी आप भी महिला हैं और आपने महिलाओं से जुड़ी काफी अच्छा प्रश्न पूछा है। चीन में महिलाएं खेतों में काम करने के अलावा हर क्षेत्र में पुरूष के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करती हैं। चीन की महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पुरूषों से कम नहीं है। हमारे हिंदी विभाग में ही लगभग 60 प्रतिशत महिलाएं हैं। चीनी सरकार भी महिलाओं के विकास के लिए काफी सजग है। चीन के प्रथम राष्ट्राध्यक्ष माओ त्स तुंग ने कहा है कि स्त्री और पुरूष को समान अधिकार प्राप्त है। चीन में महिलाओं के लिए महिला कॉलेज और विश्वविद्यालय की संख्या ज्यादा तो नहीं है लेकिन विश्वविद्यालय में भी कुल छात्र का 60 प्रतिशत लड़कियां ही होती है।

विकासः चंद्रिमा जी आपका कहना बिल्कुल सही है। मेरा भी मानना है कि चीन में महिलाएं पुरूषों से कहीं आगे है। चाहे पढ़ाई-लिखाई का मामला हो या खेल का मैदान, चाहे ऑफिस हो या घर महिलाएं सभी जगह पुरूषों से कंधा से कंधा मिलाकर काम करने को हमेशा तैयार रहती हैं। कहते हैं कि किसी सफल व्यक्ति के पिछे महिला की हाथ होता है और चीन इसका जीता-जागता उदाहरण है। मेरे विचार से चीन के विकास के पिछे भी महिलाओं का ही हाथ है। चंद्रिमा जी अगला पत्र है ग्राम बरमा, शेखपुरा, बिहार से कृष्णा मुरारी सिंह जी का। उन्होनें लिखा है कि सी आर आई का खेल समाचार और विचार तथा चीनी पोप गीत कार्यक्रम काफी अच्छे लगते हैं। कुछ समय से रिशेप्शन कमजोर आ रहा है।

चंद्रिमाः मुरारी जी आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। आपके सुझाव को हम संबंधित व्यक्ति तक पहुंचा देंगे। विकास जी, मुरारी जी ने पत्र के साथ प्रभात खबर समाचार पत्र का एक कटिंग भी भेजा है। इस समाचार पत्र में लिखा गया है कि मुरारी जी राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी हैं और वे पहले भी किसान भूषण सम्मान से सम्मानित हो चुके हैं। इस साल गणतंत्र दिवस के शुभ अवसर पर शेखपुरा के आयुक्त ललन कुमार ने शाल देकर उन्हें सम्मानित किया।

विकासः मुरारी जी आपको इस सम्मान के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं। जैसा कि आप एक राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी भी रह चुके हैं तो आशा है कि भारत में क्रिकेट के अलावा दूसरे खेलों को आगे बढ़ाने में आप जरूर अपना योगदान देंगे। श्रोताओ हमें भी मुरारी जी की तरह आप जिस क्षेत्र के माहिर हैं उस क्षेत्र में समाज को योगदान देना चाहिए। मुरारी जी एक बार फिर से आपको सी आर आई परिवार की तरफ से बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

चंद्रिमाः अगला पत्र जिला शाहजहांपुर, उत्तरप्रदेश से हरिवंशयोगी जी का है। उन्होंने लिखा है कि सी आर आई के विभिन्न कार्यक्रमों में हमें चीनी क्षेत्रों का भ्रमण परिचय तथा वहां की लोक संस्कृति की मनभावन जानकारी देकर बंद चीन की खुलती तस्वीर सामने साकार होती है। चीनी वाद्य यंत्रों एवं संगीत बहुत ही कर्णप्रिय होते हैं। चीन और भारत दोनों नवोदित राष्ट्रों को हर प्रकार से आपसी विश्वास एवं समन्वय व्यापार तकनीक एवं एक-दूसरे के विकास में सहयोग करना आवश्यक है। कारण हमारे हित समान हैं, पडोसी हैं, विशाल देश है। विश्व शान्ति के लिए हमारा आपसी रिश्ता मजबूत होना चाहिए। साथ हि उन्होंने लिखा है कि सी आर आई के सभी कार्यक्रम बेहद प्रिय लगते हैं और मैं अब नियमित श्रोता बन गया हूँ। हमारी कविता का प्रथम पुरस्कार घोषित किया गया था जो आज तक प्राप्त नहीं हुआ।

विकासः हरिवंश जी सी आर आई का नियमित श्रोता बनने के लिए आपका स्वागत है। हम आपकी समस्या को संबंधित विभाग से कहेंगे और आशा करते हैं कि आपको जल्द ही इसके बारे में जानकारी दी जाएगी।

चंद्रिमाः विकास जी इसी के साथ हम हरिवंश जी के फरमाईश पर ही नदिया के पार फिल्म का गाना सुनते हैं। गाने के बोल हैं कौने दिशा मे लेके चला रे।

विकासः पत्र पढ़ने का सिलसिला जारी रखते हैं। अगला पत्र है उड़िसा से राजिन्द्र जी का है। उन्होनें लिखा है कि श्याओ थांग दीदी के साथ भारत यात्रा के समय आपका अनुभव तथा साक्षात्कार मुझे बहुत पसंद है। आजका तिब्बत, न्यूशिंग स्पेशल, आपकी पसंद तथा सारे कार्यक्रम ज्ञानप्रद हो रहा है। इन्होंने कहा है कि इनके पत्रों को शामिल नहीं किया जाता है।

चंद्रिमाः राजिन्द्र जी आशा है कि आप हमें हमेशा पत्र लिखते रहेंगे और हम आपके पत्रों को भी निश्चित अंतराल पर शामिल करते रहेंगे।

विकासः अब हम कार्यक्रम का अंतिम पत्र पढेंगे। यह पत्र है जिला औरैया, उत्तर प्रदेश के देशपाल सिंह सेंगर का। इन्होंने लिखा है कि विश्व हिन्दी दिवस के अवसर पर चीन में हुए कार्यक्रम की एक झलक सुनाई गई। यह बात अब बिना किसी विवाद के साबित हो गई है कि विश्व में हिन्दी के प्रति लोगों का आकर्षण बढ रहा है। इसी कार्यक्रम में यह जानकारी मिली कि जहाँ पहले चीन में सिर्फ एक विश्वविद्यालय में हिन्दी विभाग था वहीं अब 8 विश्वविद्यालयों में हिन्दी विभाग खुल चुके हैं। विश्व में हिन्दी को उचित स्थान मिले यही हम भी चाहते हैं। सी आर आई भी हिन्दी के उत्थान की दिशा में काम कर रहा है जो स्वागत योग्य है।

चंद्रिमाः देशपाल जी हमारा कार्यक्रम सुनने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। आपके विचार बहुत ही प्रशंसनिय हैं। किसी भी भाषा के उत्थान के लिए उस देशवासी को पहले पहल करनी होती है। हिन्दी के उत्थान के लिए पहले भारतवासियों को ही आगे आना पड़ेगा। आज भारत में चारों तरफ अंग्रेजी पर जोर दिया जा रहा है लेकिन इसके साथ-साथ मातृभाषा को नहीं भूलना चाहिए।

विकासः जी हाँ चंद्रिमा जी आपका कहना बिल्कुल सही है। साथ ही उन्होंने यह भी लिखा है कि मनोरंजन का वक्त कार्यक्रम में हेमा कृपलानी के द्वारा सुनायी गयी बाल कथा बहुत अच्छी लगी और उससे भी अच्छी उनकी आवाज। आशा है आगे भी इस तरह की मनोरंजक कहानियां सुनने को मिलती रहेंगी। देशपाल जी हम आशा करते हैं कि हेमा जी इसी तरह अपने मधुर आवाज में प्रसारण जारी रखेंगी।

विकासः श्रोता दोस्तो, इसी के साथ हमारा कार्यक्रम समाप्त होता है। नमस्कार।

चंद्रिमाः नमस्कार।

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